दुर्गा पूजा पर निबंध | essay on Durga Puja in Hindi

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दुर्गा पूजा पर निबंध | essay on Durga Puja in Hindi

दुर्गा पूजा पर निबंध | Essay on Durga Puja in Hindi

 पूजा की तैयारी


आश्रन के शुक्ल पक्ष के आरंभ में कलश स्थापना की जाती है। उसे दिन पूजा आरंभ हो जाता है यह पूजा दशमी तक चलती है सप्तमी अष्टमी और नवमी को बड़े धूमधाम से पूजा की जाती है नवमी तक दुर्गा सप्तशती का पाठ होता है दशमी को यज्ञ की समाप्ति हो जाती है यह दिन बाद ही शुभ माना जाता है।


दुर्गा पूजा पर निबंध | essay on Durga Puja in Hindi


भारतीय परिवारों में अच्छे कामों का शुभ आरंभ इसी दिन किया जाता है सप्तमी के दिन दुर्गा की मूर्ति किसी पवित्र स्थान पर स्थापित की जाती है जिसकी पूजा दशमी तक चलती है कहा जाता है कि भगवान राम ने दुर्गा की पूजा की थी और उन्हें दुर्गा की सहायता से ही विजय प्राप्त हुई थी।


दुर्गा का महत्व का यही कारण है कि लोग नाच गान संगीत और नाटक में शुद्ध बुद्ध खोकर आनंद की लाहौर में डूब जाते हैं। छोटे बड़े नए-नए कपड़े पहनते हैं जिधर देखो उधर आनंद और खुशी का सागर लहराता दिखाई देता है अतः दुर्गा पूजा हिंदुओं का एक बड़ा ही प्रसिद्ध और पवित्र त्यौहार है।


Table of contents 

दुर्गा पूजा पर निबंध | essay on Durga Puja in Hindi

पूजा की तैयारी

दुर्गा पूजा का उत्सव

दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन – Durga Puja Essay 10 Line

देवी दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है ?

दुर्गा पूजा पर निबंध  (500 शब्द)

दुर्गा पूजा के बारे में

दुर्गा पूजा का पर्यावरण पर प्रभाव

मूर्ति का विसर्जन


दुर्गा पूजा का उत्सव


नवरात्र या दुर्गा पूजा का उत्सव बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है। भक्तों द्वारा यह विश्वास किया जाता है कि, इस दिन देवी दुर्गा ने बैल राक्षस महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। उन्हें ब्रह्मा, भगवान विष्णु और शिव के द्वारा इस राक्षस को मारकर और दुनिया को इससे आजाद कराने के लिए बुलाया गया था। पूरे नौ दिन के युद्ध के युद्ध के बाद, उन्होंने उस राक्षस को दसवें दिन मार गिराया था, वह दिन दशहरा कहलाता है। नवरात्र का वास्तविक अर्थ, देवी और राक्षस के बीच युद्ध के नौ दिन और नौ रात से है। दुर्गा पूजा के त्योहार से भक्तों और दर्शकों सहित विदेशी पर्यटकों की एक स्थान पर बहुत बड़ी भीड़ जुड़ी होती है।


दुर्गा पूजा पर निबंध 10 लाइन – Durga Puja Essay 10 Line


  1. दुर्गा पूजा भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। 

  2. इस त्यौहार को दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। 

  3. यह त्यौहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में दश दिन तक मनाया जाता है। 

  4. मां दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय प्राप्त करने के कारण हम दुर्गा पूजा का त्यौहार मनाते है।

  5. इस असवर पर हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते है। 

  6. दुर्गा पूजा के पवित्र अवसर पर जगह-जगह पर माँ दुर्गा के बड़े बड़े पंडाल मनाये जाते है और बड़े ही प्रेम से सजाये जाते है। 

  7. भक्त जन मां दुर्गा का व्रत रखकर जागरण और पूजन कार्यो का आयोजित करते है।

  8. दुर्गा पूजा भारत में स्त्रियों के सम्मान और देवी की शक्ति को दर्शाता है।

  9. दुर्गोत्सव के पर्व में दसवें दिन दशहरा या विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है।

  10. हम दुर्गा पूजा को अच्छाई पर बुराई के जीत के उपलक्ष में मनाते है।


देवी दुर्गा की पूजा क्यों की जाती है ?


दुर्गा पूजा से जुडी कई कथाये हैं। माँ दुर्गा इस ने इस दिन महिषासुर नमक असुर का संहार किया था जो की भगवान का वरदान पाकर काफी शक्तिशाली हो गया था और आतंक मचा रखा था। रामायण में कहा गया है की भगवान राम ने दस सर वाले रावण का वध इसी दिन किया था, जिसे बुराई पर अच्छाई की जित हुयी थी। इस पर्व को शक्ति का पर्व कहा जाता है। देवी दुर्गा की नवरात्र में पूजा इसलिए की जाती है क्योंकि, यह माना जाता है कि, उन्होंने 10 दिन और रात के युद्ध के बाद महिषासुर नाम के राक्षस को मारा था। उनके दस हाथ है, जिसमें सभी हाथों में विभिन्न हथियार हैं। देवी दुर्गा के कारण लोगों को उस असुर से राहत मिली, जिसके कारण लोग उनकी पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं।


दुर्गा पूजा पर निबंध  (500 शब्द)


प्रस्तावना


हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक दुर्गा पूजा भी है। यह दुर्गोत्सव या षष्ठोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जिनमें से छः दिन महालय, षष्ठी, महा-सप्तमी, महा-अष्टमी, महा-नवमी और विजयादशमी के रूप में मनाए जाते हैं। देवी दुर्गा की इस त्योहार के सभी दिनों में पूजा की जाती है। यह आमतौर पर, हिन्दू कैलंडर के अनुसार, अश्विन महीने में आता है। देवी दुर्गा के दस हाथ हैं और उनके प्रत्येक हाथ में अलग-अलग हथियार है। लोग देवी दुर्गा की पूजा बुराई की शक्ति से सुरक्षित होने के लिए करते हैं।


दुर्गा पूजा के बारे में


दुर्गा पूजा अश्विन माह में चाँदनी रात में (शुक्ल पक्ष में) छः से नौ दिन तक की जाती है। दसवाँ दिन विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन देवी दुर्गा ने एक राक्षस के ऊपर विजय प्राप्त की थी। यह त्योहार बुराई, राक्षस महिषासुर पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। बंगाल के लोग देवी दुर्गा को दुर्गोत्सनी अर्थात् बुराई की विनाशक और भक्तों की रक्षक के रुप में पूजा करते हैं।


यह भारत में बहुत विस्तार से बहुत से स्थानों, जैसे- असम, त्रिपुरा, बिहार, मिथिला, झारखंड, उड़ीसा, मणिपुर, पश्चिमी बंगाल आदि पर मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर यह पाँच दिनों का वार्षिक अवकाश होता है। यह धार्मिक और सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जो प्रत्येक साल भक्तों द्वारा पूरी भक्ति के साथ मनाया जाता है। रामलीला मैदान में एक बड़ा दुर्गा मेला का आयोजन होता है, जो लोगों की भारी भीड़ को आकर्षित करता है।


मूर्ति का विसर्जन


पूजा के बाद लोग पवित्र जल में देवी की मूर्ति के विसर्जन के समारोह का आयोजन करते हैं। भक्त अपने घरों को उदास चेहरों के साथ लौटते हैं और माता से फिर से अगले साल बहुत से आशीर्वादों के साथ आने की प्रार्थना करते हैं।


दुर्गा पूजा का पर्यावरण पर प्रभाव


लोगों की लापरवाही के कारण, यह पर्यावरण पर बड़े स्तर पर प्रभाव डालता है। माता दुर्गा की मूर्ति को बनाने और रंगने में प्रयोग किए गए पदार्थ (जैसे- सीमेंट, पेरिस का प्लास्टर, प्लास्टिक, विषाक्त पेंट्स, आदि) स्थानीय पानी के स्रोतों में प्रदूषण का कारण बनते हैं। त्योहार के अन्त में, प्रत्यक्ष रुप से मूर्ति का विसर्जन नदी के पानी को प्रदूषित करता है। इस त्योहार से पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए, सभी को प्रयास करने चाहिए और कलाकारों द्वारा पर्यावरण के अनुकूल पदार्थों से बनी मूर्तियों को बनाना चाहिए, भक्तों को सीधे ही मूर्ति को पवित्र गंगा के जल में विसर्जित नहीं करना चाहिए और इस परंपरा को निभाने के लिए कोई अन्य सुरक्षित तरीका निकालना चाहिए। 20 वीं सदी में, हिंदू त्योहारों का व्यावसायीकरण मुख्य पर्यावरण मुद्दों का निर्माण करता है।


गरबा और डांडिया प्रतियोगिता


नवरात्र में डांडिया और गरबा खेलना बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है। कई जगह सिन्दूरखेलन का भी रिवाज है। इस पूजा के दौरान विवाहित औरते माँ के पंडाल में सिंदूर के साथ खेलती है। गरबा की तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है प्रतियोगिताएं रखी जाती है जितने वलों को पुरस्कृत किया जाता है।


FAQ-question


प्रश्न-दुर्गा पूजा क्यों मनाया जाता है?

उत्तर- दुर्गा पूजा का पर्व हिन्दू देवी दुर्गा माता की बुराई के प्रतीक राक्षस महिषासुर पर विजय के रूप में मनाया जाता है। अतः दुर्गा पूजा का पर्व बुराई पर भलाई की विजय के रूप में भी माना जाता है।


प्रश्न-दुर्गा का क्या महत्व है?

उत्तर- दुर्गा को आदि शक्ति, परम भगवती परब्रह्म बताया गया है। वह अंधकार व अज्ञानता रुपी राक्षसों से रक्षा करने वाली, ममतामई, मोक्ष प्रदायनी तथा कल्याणकारी हैं। उनके बारे में मान्यता है कि वे शान्ति, समृद्धि तथा धर्म पर आघात करने वाली राक्षसी शक्तियों का विनाश करतीं हैं।


प्रश्न-दुर्गा पूजा क्या खास बनाती है?

उत्तर- यह दिन मां दुर्गा द्वारा राक्षस राजा महिषासुर पर विजय प्राप्त करने के रूप में मनाया जाता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत है और यह नई शुरुआत का दिन है। दुर्गा पूजा दसवें दिन समाप्त होती है जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है।





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