सूखा पर निबंध : Essay on drought in Hindi - up board.live
नमस्कार दोस्तों स्वागत है एक और नए आर्टिकल में इसलिए में आप सूखा पर निबंध , essay on drought in Hindi पढ़ेंगे। इसमें सुख पादना क्या होता है, इसके कारण, प्रभाव, को प्रकार कैसे रोका जाए स्थिति एवं नुकसान के विषय में पूरी जानकारी दी जाएगी तो आप पोस्ट के अंत तक जरूर बन रहे और अगर आपको यह पोस्ट पसंद आए तो अपने दोस्तों में भी जरूर शेयर करें।
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प्रस्तावना
सूखा एक कठिन स्थिति है खासकर अगर सूखा की गंभीरता ज्यादा है हर साल सूखा की वजह से कई लोग प्रभावित होते हैं जबकि सूखा की घटना एक प्राकृतिक घटना है हम निश्चित रूप से ऐसे मानवीय गतिविधियों को कम कर सकते हैं जो ऐसी स्थिति पैदा कर सकते हैं। इसके बाद के प्रभावों से निपटने के लिए सरकार को प्रभावी उपाय करने चाहिए।
मनुष्य सदियों से प्रकृति के प्रकोप पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करता आ रहा है, लेकिन किसी न किसी रूप में प्रकृति अपना वर्चस्व कायम किए हुए हैं। सूखा अर्थात जल की कमी भी बढ़ अर्थात जल प्रलय की ही भांति बहुत भयंकर है।
सूखा वह स्थित है जब लंबे समय तक वर्षा नहीं होती है। देश के कई हिस्सों में सूखा की घटना एक सामान्य बात है। इस स्थिति के परिणाम कठोर है और कई बार तो अपरिवर्तनी है सूखा की स्थिति तब होती है जब दुनिया के कुछ हिस्से महीने के लिए बारिश से वंचित रह जाते हैं। या फिर पूरे साल के लिए भी ऐसे कई कारण है जो सूखा जैसी स्थितियां को विभिन्न भागों में पैदा करते हैं और स्थिति को गंभीर बनाते हैं।
Table of contents
सूखे की परिभाषा
सूखा एक ऐसी स्थिति को कहा जाता है, जब लम्बे समय तक कम वर्षा होती है और अत्याधिक वाष्पीकरण के कारण जलाशयों तथा भूमिगत जल जो भूमि से प्राप्त होता है, उसके अत्याधिक प्रयोग से जो कमी होती है उसे सूखा कहा जाता है।
सूखा एक जटिल परिघटना है। जिसमे कई प्रकार के मौसम विज्ञानं संबंधी तथा अन्य तत्व जैसे वृष्टि, वाष्पीकरण, वाष्पोतसर्जन, भौम जल, मृदा में नमि, जल भंडार व् भरण, कृषि की पद्धतियाँ, विशेष रूप से उगाई जाने वाली फसले, सामाजिक – आर्थिक गतिविधियां और परिस्थिति को भी सूखे में ही शामिक किया गया है।
सूखे का प्रभाव
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कई प्रकार के प्रभाव देखने को मिलते हैं जिनमें से कुछ प्रभाव के बारे में नीचे निम्नलिखित रूप में बताया गया है।
पारिस्थितिकी पर प्रभाव
गांव में सूखा होने के कारण पशु पक्षी उसे स्थान को छोड़कर दूसरी जगह पलायन कर लेते हैं जिसके कारण पारितंत्र प्रभाव देखने को मिलता है।
वन्यजीव जोखिम
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कारण तापमान बढ़ने लगता है, जिसके कारण जंगलों में आग लग जाती है, उसके साथ ही उस जंगल में रहने वाले वन्यजीव भी जल कर मर जाते हैं.
खाने की वस्तुओं की कमी-
सूखा जैसी स्थिति उत्पन्न होने के कारण कई लोग कुपोषण जैसी समस्या के शिकार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें सही समय पर दवाई और खाना नहीं मिल पाता है, जिसके कारण वह कमजोर हो जाते हैं, और उनकी मृत्यु हो जाती है.
कीमतों की बढ़ोतरी–
सूखा जैसी स्थिति में सभी प्रकार की चीजों का दाम बढ़ा दिया जाता है, जैसे फल, सब्जियां, अनाज आदि, जिसके कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
आर्थिक प्रभाव
हम आपको बता दें कि सूखे जैसी स्थिति में हमें सबसे पहले आर्थिक प्रभाव देखने को मिलता है क्योंकि सुख जैसी स्थिति के कारण लोगों की खेतों में पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं हो पता है जिसके कारण उनका कृषि उत्पादन घट जाता है जिससे किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि कृषि किसान का एकमात्र आए का साधन होता है।
जनसंख्या प्रभाव
जब सुख जैसी स्थिति उत्पन्न होने लगती है तब जनसंख्या का प्रभाव अत्यधिक देखने को मिलता है क्योंकि सूखा पड़ने के कारण हजारों लोगों की पानी और अन्य के बिना मृत्यु हो जाती है जिसके कारण जनसंख्या में कमी होने लगती है और साथ ही बड़े स्तर में किस उसे जगह से दूसरे जगह में पलायन कर लेते हैं।
सूखा पड़ने के कारण:-
वर्षा का न होना:- जब किसी जगह पर काफी लम्बे समय तक वर्षा नहीं होती है, तो उस जगह पर सूखा पड़ने लगता है। वर्षा का न होना भी सूखा पड़ने का सबसे बड़ा कारण है।
वनों की कटाई:- जब वनों को काट दिया जाता है, तो वर्षा का पानी जमीन में नहीं जा पाता है। वह पानी जमीन में न जाकर ऊपर से ही बह जाता है क्योंकि, जमीन में पानी जाने के लिए पेड़-पौधों की आवश्यकता होती है। पेड़ मिट्टी के कटाव को रोककर पानी को रोकते है। पेड़ों के न होने से जल रुक नही पाता है और इससे जमीन में पानी का स्तर कम हो जाता है व वहाँ पर सूखा पड़ने लगता है।
तापमान में वृद्धि:- जब कभी तापमान में वृद्धि होती है, तो पानी का वाष्पीकरण बढ़ जाता है और पानी का स्तर कम हो जाता है। इससे वहाँ सूखा पड़ने लगता है।
सूखा रोकने के उपाय
बारिश का पानी संग्रहण करके- हमें बारिश के पानी का सबसे ज्यादा संग्रहण करना चाहिए। हम बारिश के पानी को डेंगू और प्राकृतिक जलाशयों इत्यादि में इकट्ठा कर सकते हैं और समय आने पर उसका उपयोग कर सकते हैं।
पानी का पुनः उपयोग- जब हम पानी को फिल्टर करते हैं, तब उस पानी को हम भेजना करके उसका पुणे प्रयोग कर सकते हैं। कपड़े धोने साफ सफाई करने में इत्यादि कामों में उस पानी को इस्तेमाल ले सकते हैं।
वृक्षारोपण करके
जितनी अधिक पेड़ लगाए जाएंगे, उतनी यदि बारिश की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि जितनी हरियाली रहती है बारिश होने की उतनी ही संभावना होती है।
पानी बर्बादी को रोकना
जितना हो सके हमें पानी को बर्बाद करने से रोकना चाहिए। हमें अपने तरीकों को बदलना चाहिए। जहां पर पानी बर्बाद हो रहा हो, वहां पर जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
सूखा पर निबंध (200 शब्द)
जहां पर पानी की कमी हो जाती है, बारिश नहीं होती है ऐसी समस्याओं के चलते वहां पर सूखा पड़ना शुरू हो जाता है। यह स्थिति एक बहुत ही बड़ा अभिशाप है। जिसकी वजह से लोगों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति का सबसे मुख्य कारण वनों की कटाई का होना है। आजकल यह समस्या बहुत ही ज्यादा फैल रही है। लोग जगह-जगह जंगलों को खत्म कर रहे हैं। जंगलों की कटाई करके बड़ी-बड़ी इमारतें, मॉल इत्यादि बनाए जा रहे हैं।
पृथ्वी पर नकारात्मक प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है, जिसकी वजह से ग्रीनहाउस जैसे कई प्रभाव पृथ्वी पर बढ़ रहे हैं और जब तापमान बढ़ जाता है, तो जंगलों में आग भी लग जाती है और वहां पर सूखे की स्थिति बढ़ जाती है। कई क्षेत्रों में नदियां और झीलें पानी का मुख्य स्रोत होती हैं। जब अत्यधिक गर्मी पड़ती है या मानव के द्वारा की गई ऐसी गतिविधियां इनकी वजह से वहां पर सूखा उत्पन्न होने लग जाता है और पानी समाप्त होने लग जाता है।
सूखा पड़ने का कारण अधिकतर सभी लोग जानते हैं, परंतु सब जानते हुए भी हरकत करते हैं और अपनी पृथ्वी को नुकसान पहुंचाते हैं। जिसकी वजह से सूखा पड़ने की स्थिति बढ़ती ही जा रही है यह एक वैश्विक मुद्दा है। जिस की समस्या के समाधान पाना बहुत ही जरूरी है।
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