राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर निबंध || Essay on National Broadcasting day
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नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर निबंध लिखना बताएंगे। दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने सभी दोस्तों को share जरूर करिएगा।
Table of contents –
1. राष्ट्रीय प्रसारण दिवस कब मनाया जाता है
2. राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास
3. ऑल इंडिया रेडियो
4. जानिए रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुंचती है
5. आकाशवाणी के लाभ
6. रेडियो पर मन की बात
7. राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर 10 लाइन हिंदी में
8. राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर 10 लाइन अंग्रेजी में
9. भारतीय प्रसारण सेवा की स्थापना कब शुरू हुई
10. FAQ'S
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस कब मनाया जाता है –
भारत में प्रत्येक वर्ष 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वर्ष 1927 में इंडियन प्रसारण कंपनी ने मुंबई स्टेशन से रेडियो प्रसारण शुरू किया था।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस का इतिहास –
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत 1920 के दशक में हुई थी। भारत में रेडियो प्रसारण को 87 साल से भी अधिक हो चुके हैं। पहला कार्यक्रम 1923 में मुंबई के रेडियो क्लब द्वारा प्रसारित किया गया था। इसके बाद 1927 में मुंबई और कोलकाता में निजी स्वामित्व वाले दो ट्रांसमीटरों से प्रसारण सेवा की शुरुआत हुई। सन् 1930 में सरकार ने ट्रांसमीटरों को अपने नियंत्रण में ले लिया और 'भारतीय प्रसारण सेवा' के नाम से उन्हें परिचालित करना शुरू कर दिया। 1936 में इसका नाम बदलकर 'ऑल इंडिया रेडियो' कर दिया गया और 1957 में 'आकाशवाणी' के नाम से पुकारा जाने लगा।
ऑल इंडिया रेडियो –
भारत के राष्ट्रीय प्रचारक के रूप में, ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) जनता को सूचित, शिक्षित और मनोरंजन करने के लिए सेवा कर रहा है। यह शुरुआत से ही अपने उद्देश्य बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय का अनुसरण कर रहा है। भाषाओं की संख्या के मामले में दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण संगठनों में से यह एक है।
एआईआर के देशभर में 413 स्टेशन हैं और इसकी पहुंच देश के 99.19% हिस्से में है। आकाशवाणी का 23 भाषाओं और 146 बोलियों में प्रसारण होता है।
जानिए रेडियो की आवाज हम तक कैसे पहुंचती है?
रेडियो की आवाज हमारे तक पहुंचने के लिए सबसे पहले आकाशवाणी केंद्र बिजली द्वारा ध्वनि को बिजली की लहरों में बदल देता है। फिर इन लहरों को आकाश में छोड़ दिया जाता है और इन लहरों को रेडियो रिसीवर पकड़ लेते हैं। रेडियो सुनने वाले रेडियो का बटन दबाकर अपने पसंदीदा प्रोग्राम सुन सकता है। वैसे तो रेडियो के कई प्रकार होते हैं लेकिन इसके तीन प्रकार मुख्य हैं-स्थानीय रेडियो, अखिल भारतीय रेडियो और विदेशी रेडियो। स्थानीय रेडियो पर हम केवल प्रांत के ही प्रोग्राम सुन सकते हैं। अखिल भारतीय रेडियो पर भारत से संबंधित प्रोग्राम सुन सकते हैं और विदेशी रेडियो में विदेशों से संबंधित प्रोग्राम सुनने को मिलते हैं।
आकाशवाणी के लाभ –
• रेडियो पल भर में विश्व में घटित महत्वपूर्ण सूचनाएं हम तक तुरंत ही पहुंचा देता है।
• रेडियो पर सुबह-सुबह कई धार्मिक भजन और गाने सुनाए जाते हैं, जिसे सुनकर मन को शांति मिलती है।
• कहीं भी बैठे-बैठे हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं।
• आज कौन सा इवेंट है या आज कौन सा त्यौहार है आदि की जानकारी बड़ी आसानी से मिल जाती है।
• पुरानी फिल्में और नई फिल्मों के गाने भी आकाशवाणी द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं।
• इसके अलावा कलाकारों से वार्तालाप, शास्त्रीय संगीत, नाटक, महत्वपूर्ण वार्तालाप आदि भी सुनाए जाते हैं।
• महिलाओं को अपने बच्चों और गर्भवती के समय अपना ध्यान कैसे रखना चाहिए यह सब जानकारियां रेडियो पर बताई जाती हैं।
• घर बैठे देश और विदेश की ताजा खबरें सुनने को मिल जाती हैं।
• महिलाओं को खाना बनाने की विधियां, कपड़ों की देखभाल, घरेलू चिकित्सा के उपाय आदि के बारे में जानकारी दी जाती है।
• रेडियो, हवाई जहाज, जहाज, पुलिस, सेना के वाहनों आदि में लगा होता है। जिसके द्वारा वह अपना संदेश मुख्य कार्यालयों तक पहुंचाते हैं।
• जब क्रिकेट मैच हो तब लोग कमेंट्री सुनने के लिए उसका उपयोग भी करते हैं।
• व्यापारी वर्ग के विज्ञापन भी रेडियो से प्रसारित होते हैं।
• मनोरंजन का यह साधन पहले भी लोकप्रिय था, आज भी है और आने वाले समय में भी रहेगा।
रेडियो पर मन की बात –
आकाशवाणी द्वारा प्रसारित किया जाने वाला मन की बात एक कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के नागरिकों को संबोधित करते हैं। इस कार्यक्रम का पहला प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 को किया गया। पीएम मोदी जी मन की बात कार्यक्रम द्वारा अपने विचारों को भी साझा करते हैं। पीएम मोदी जी हर एक मुद्दे पर वार्ता कर देशवासियों को संबोधित करते हैं और साथ ही नव युवकों को भविष्य में रोजगार के अवसर के बारे में भी बताते हैं।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर 10 लाइन हिंदी में –
1. 23 जुलाई को राष्ट्रीय प्रसारण दिवस मनाया जाता है।
2. इसी दिन सन् 1927 में इंडियन प्रसारण कंपनी ने आरंभ किया था।
3. इसे मुंबई स्टेशन से प्रारंभ किया था।
4. 1935 तक इसे भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से जाना जाता था।
5. वर्ष 1936 में इसका नाम परिवर्तन कर ऑल इंडिया रेडियो रखा गया।
6. सन् 1975 में ऑल इंडिया रेडियो को आकाशवाणी के नाम से पुकारा जाने लगा।
7. आज लगभग देश के हर हिस्से तक रेडियो की पहुंच है।
8. रेडियो लगातार सूचना, शिक्षा और मनोरंजन उपलब्ध कराता रहा है।
9. आज इस फोन की दुनिया में हम रेडियो को भूलते जा रहे हैं।
10. वर्तमान में आकाशवाणी विश्व के सबसे बड़े लोक प्रसारकों में एक है।
राष्ट्रीय प्रसारण दिवस पर 10 लाइन अंग्रेजी में -
1. National broadcasting day is celebrated on July 23rd every year in India, marking the establishment of the Indian broadcasting company in 1927.
2. The day is dedicated to celebrating the achievements of Indian broadcasting and the important role it plays in shaping the country media landscape.
3. National broadcasting day is an opportunity for people to reflect on the importance of broadcasting and the role it plays in providing information and entertainment to the public.
4. The day is celebrated with special programs, events and awards ceremonies, recognising the contributions of broadcasters and journalists in India.
5. All India radio has been a major source of news and information in India for nearly a century, and continues to play an important role in the country's media landscape.
6. The day is also an opportunity to highlight the challenges faced by broadcasters and journalists and to call for greater support for freedom of the press.
7. National broadcasting day is a celebration of the power of media and the role it plays in shaping our understanding of the world around us.
8. The day is also a reminder of the importance of public service broadcasting and the role it plays in serving the public interest.
9. With the continued evolution of the media landscape, National broadcasting day is an opportunity to reflect on the future of broadcasting and the role it will play in shaping the world.
10. It is a day to honor the hard work and dedication of broadcasters and journalists and to recognize the important role they play in keeping people informed and connected.
भारतीय प्रसारण सेवा की स्थापना कब शुरू हुई –
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई और कोलकाता में सन् 1927 में दो निजी ट्रांसमीटरों से हुई। 1930 में इसका राष्ट्रीयकरण हुआ और तब इसका नाम भारतीय प्रसारण सेवा रखा गया। बाद में 1957 में इसका नाम बदलकर आकाशवाणी रखा गया।
FAQ'S –
प्रश्न - भारतवर्ष में सर्वप्रथम रेडियो स्टेशन का उद्घाटन कब हुआ?
उत्तर - भारत में रेडियो प्रसारण 1923 और 1924 में एक उद्यम के रूप में शुरू हुआ जब बॉम्बे, कोलकाता, मद्रास में तीन रेडियो क्लब स्थापित किए गए। रेडियो क्लब ने जून 1923 में भारत में पहला रेडियो कार्यक्रम प्रसारित किया। भारत का रेडियो प्रसारण इतिहास 1920 के दशक की शुरुआत का है।
प्रश्न - भारत में प्रसारण का पहला नियंत्रण कौन था?
उत्तर - भारत में प्रसारण का पहला नियंत्रण लियोनेल फील्डन था।
प्रश्न - रेडियो की स्थापना कब हुई थी?
उत्तर - 24 दिसंबर 1906 की शाम कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने जब अपना वायलिन बजाया और अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, वह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी।
प्रश्न - रेडियो का जनक कौन है?
उत्तर - इतिहास के पन्नों में देखें तो मारकोनी को रेडियो के जनक के तौर पर जाना जाता है लेकिन इस पर दुनिया कई तरह की बातें करती है। कुछ लोग रेडियो का श्रेय निकोला टेस्ला को देते हैं तो वहीं कुछ लोग जगदीश चंद्र बोस को इसका श्रेय देते हैं।
प्रश्न - आकाशवाणी का नाम किसने रखा?
उत्तर - जब भारतीय राज्य प्रसारण सेवा का नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो कर दिया गया,तो रवींद्रनाथ टैगोर में कोलकाता की शॉर्ट वेव सेवा के उद्घाटन के लिए लिखी गई एक कविता के माध्यम से इसे आकाशवाणी, आकाश से आने वाली आवाज का नाम दिया। आकाशवाणी का प्रयोग एमवी द्वारा रेडियो के संदर्भ में भी किया जाता था।
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