प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जीवन परिचय//Prashant Chandra mahalanobis ka jivan Parichay
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जीवन परिचय सभी की जानकारी इस आर्टिकल की माध्यम से दी जाएगी तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जीवन परिचय//Prashant Chandra mahalanobis ka jivan Parichay |
प्रशांत चंद्र महालनोबिस एक प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक एवं सांख्यिकीविद थे। उन्हें भारत के द्वितीय पंचवर्षीय योजना के मसौदे को तैयार करने के लिए जाना जाता है। उन्हें महालनोविस दूरी के लिए भी जाना जाता है जो उनके द्वारा सजाया गया एक संगीत की माप है। उन्होंने कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी स्थान की स्थापना की और बड़े पैमाने की 'सैंपल सर्वे' की डिजाइन अपना योगदान दिया देश की आजादी के प्रशासन ने नवगठित मंत्रिमंडल का सांख्यिकी सलाहकार बनाया गया।
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उन्होंने बेरोजगारी समाप्त करने के सरकार के प्रमुख उद्देश्य को पूरा करने के लिए योजनाएं बनाई। महालनोबिस की प्रसिद्ध महालनोबिस दूरी के कारण जो उनके द्वारा सुझाया गई एक संख्यिकीय माप है। उन्होंने भारतीय सांख्यिकीय संस्थान की स्थापना की। आर्थिक योजना और सांख्यिकी विकास के क्षेत्र में प्रशांत चंद्र महालनोबिस के उल्लेखनीय योगदान के सम्मान में भारत सरकार उनके जन्मदिन 19 जून को हर वर्ष संख्यिकी दिवस के रूप में मनाती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य सामाजिक आर्थिक नियोजन और नीति निर्धारण में प्रशांत महालनोविस की भूमिका के बारे में जनता में, विशेषण युवा पीढ़ी में जागरूकता जगाना तथा उन्हें प्रेरित करना है।
जीवन परिचय
आपका जन्म कोलकाता स्थित आपके पैतृक निवास में पैतृक निवास में 29 जून 1893 को हुआ था। आपका पूरा नाम प्रशांत चंद्र महालनोबिस है। आपके दादा गुरचरण ने सन 18 सो 54 में विक्रमपुर (अब बांग्लादेश) से कोलकाता आकर अपना व्यवसाय स्थापित किया था। उनके पिता प्रमोद चंद्र महालनोविस साधारण ब्रह्मो समाज के सक्रिय सदस्य थे और आपकी माता निरोदबसिनी बंगाल के एक पढ़े-लिखे कुल से संबंध रखती थी।
प्रशांत का बचपन विद्वानों और सुधारकों के सानिध्य में गुजरा और उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा उनके दादा द्वारा स्थापित ब्राह्मण बॉयज स्कूल में हुई। उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में इसी विद्यालय से सन 1960 में पास की। इसके बाद उन्होंने सन् 1912 में प्रेसीडेंसी कॉलेज से बहुत ही विषय में ऑनर्स किया और उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लंदन चले गए।
लंदन जाकर उन्होंने के ब्रिज में दाखिला लिया और भौतिकी गणित दोनों विश्व में डिग्री हासिल की। के ब्रिज में इनकी मुलाकात महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन से हुई। फिजिक्स में अपना ट्री पोस्ट करने के बाद उन्होंने कवेंडिश प्रयोगशाला में की.आर. विल्सन के साथ कार्य किया।
उसके बाद यह सब कुछ समय के लिए कोलकाता लौट आए जहां उनकी मुलाकात प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रिंसिपल से हुई उन्होंने उन्हें वहां पर भौतिक पढ़ने का आमंत्रण दिया।
प्रशांत चंद्र महालनोबिस का जीवन परिचय//Prashant Chandra mahalanobis ka jivan Parichay |
कुछ समय बाद प्रशांत इंग्लैंड वापस चले गए जहां किसी ने उनको 'बायोमैट्रिका'पढ़ने के लिए कहा। एक सांख्यिकी जनरल था। उन्हें ऐसे पढ़कर इतना आनंद आया कि उन्होंने इसका एक सेट ही खरीद लिया और अपने साथ भारत ले आए। बायोमैट्रिका, पढ़ने के बाद उन्हें मानव शास्त्र और मौसम विज्ञान जैसे विषयों में सांख्यिकी की उपयोगिता का ज्ञान हुआ और उन्होंने भारत लौटते वक्त ही इस काम को करना प्रारंभ कर दिया।
उपलब्धि एवं योगदान
इन उपलब्धियों के अलावा प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का सबसे बड़ा योगदान के द्वारा शुरु किया गया 'सैंपल सर्वे' है। जिसके आधार पर आज बड़ी बड़ी नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही है। उन्होंने इसकी शुरुआत एक निश्चित भूभाग पर होने वाली झूठ की फसल के आंकड़ों से की और यह बताया कि कैसे उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। हालांकि उनके काम के तरीके पर शुरुआत में सवालिया निशान लगाए गए पर उन्होंने बार-बार खुद को सिद्ध किया और अंतत: उनके द्वारा किए गए कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिली। उन्हें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा 1944 में वेलडन मेडल पुरस्कार दिया गया जबकि 1945 में रॉयल सोसाइटी ने उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया। प्रोफेसर महालनोबिस चाहते थे कि सांख्यिकी का उपयोग देश हित में भी हो। यही वजह है कि उन्होंने पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना
17 दिसंबर 1931 का दिन भारत के इतिहास में काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस का सपना साकार हुआ और कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान की स्थापना हुई। आज कोलकाता के अलावा इस संस्थान की शाखाएं दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चेन्नई, गिरिडीह सहित देश के 10 स्थानों में है। संस्थान का मुख्यालय कोलकाता है जहां मुख्य रूप से सांख्यिकी की पढ़ाई होती है। सन 1959 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया। प्रोफेसर महालनोबिस को 1957 में अंतरराष्ट्रीय संख्यिकी संस्थान का सम्मानित अध्यक्ष बनाया गया।
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सांख्यिकी में योगदान
आचार्य बृजेंद्र नाथ सील के निर्देशक में प्रशांत चंद्र महालनोबिस ने सांख्यिकी पर काम करना शुरू किया और इस दिशा में जो सबसे पहला काम उन्होंने किया, हुआ था कॉलेज के परीक्षा परिणामों का विश्लेषण। इस काम में उन्हें काफी सफलता मिली। इसके बाद महालनोबिस ने कोलकाता के ऐंग्लोइंडियंन के बारे में एकत्र किए आंकड़ों का विश्लेषण किया। या विश्लेषण और इसका परिणाम भारत में सांख्यिकी का पहला शोध पत्र कहा जा सकता है।
महालनोबिस का सबसे बड़ा योगदान उनके द्वारा शुरू किया गया सैंपल सर्वे की संकल्पना है। इसके आधार पर आज के युग में बड़ी-बड़ी नीतियां और योजनाएं बनाई जा रही है।
1-प्रशांत चंद्र कौन है?
उत्तर-प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारत में आधुनिक सांख्यिकी का जनक माना जाता है। उन्होंने भारतीय सांख्यिकी संस्थान आईएसआई की स्थापना की योजना आयोग को आकार दिया और बड़े पैमाने पर सर्वक्षणों का नेतृत्व किया।
2-पीसी महालनोबिस 12 कौन थे?
उत्तर-पीसी महालनोविस (1893 1972) अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक और सांख्यिकी विद भारतीय सांख्यिकी संस्थान के संस्थापक 1931 दूसरी योजना के वास्तुकार तीव्र औद्योगिकरण एवं सार्वजनिक क्षेत्र की सक्रिय भूमिका के समर्थक।
3-सांख्यिकी के जनक कौन है?
उत्तर-प्रशांत चंद्र महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का जनक माना जाता है। उनका जन्म 29 जून सन 1893 को कोलकाता में हुआ था 29 जून का अध्ययन राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
4-भारत का जनक कौन है?
उत्तर-भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें कई देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा मनाया जाता है जो कि अधिकांश उपाधि धारकों से अलग है।
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