रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh

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रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh

रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh

हेलो दोस्तों स्वागत है आज की नई पोस्ट आज आपको बताने वाले रमजान क्यों मनाते हैं, रमजान की विशेषता क्या है, रमजान पर निबंध। हमारे भारतवर्ष में तरह-तरह के त्योहार मनाए जाते हैं जिसमें रमजान भी मुख्य त्यौहार है। मुस्लिम समुदाय के सभी लोगों के लिए रमजान जातिवार बहुत ही ज्यादा स्पेशल माना जाता है, क्योंकि इस रमजान के महीने को पूरा मुस्लिम समुदाय एक साथ मिलकर बड़े ही प्यार से और हर्षोल्लास के साथ थ मनाया जाता है।

रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh
रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh

Table of contents


रमजान पर निबंध हिंदी में

रमजान की बारे में क्या लिखें?

रमजान का महीना क्यों मनाया जाता है?

रमजान के महीने की खास बात क्या है?

रमजान का 3 अशरा क्या है?

रमजान का दूसरा नाम क्या है?

रमजान की शुरुआत कैसे हुई?

रोजा क्यों रखते हैं?

रमजान को कितने भागों में बांटा गया है?

FAQ 


हम आप सभी लोगों को रमजान पर निबंध बताने वाले हैं। यदि आप सभी लोग रमजान पर निबंध जानने के लिए इच्छुक हैं तो हमारे द्वारा दिए गए इस महत्वपूर्ण निबंध को अंत तक जरूर पढ़ें और यह निबंध आपको पसंद आए तो इसे शेयर करना बिल्कुल ना भूलें।


रमजान

रमजान का त्यौहार तीन भागों में बांटा हुआ है। प्रथम, द्वितीय और तृतीय। इन सभी विभाजन भागों को इस्लाम धर्म और इस्लामिक भाषा में अशरा कहते हैं।

यह विभाजन दिनों के आधार पर विभाजित है अर्थात पहला अशरा 10 दिन का होता है, दूसरा अशरा 11 से 20 दिन का होता है और तीसरा अशरा 21 से 30 दिन में बटा हुआ होता है इस पूरे रमजान को रमजान महीना कहते हैं।


यह महीना संपूर्ण मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत ही ज्यादा खुशी का दिन और युवाओं का दिन होता है। जिस प्रकार हिंदू समुदाय में नवरात्रि खत्म होने के बाद दशहरा अर्थात मेला आयोजित होता है। ठीक उसी प्रकार मुस्लिम समुदाय में रमजान का महीना खत्म होने के बाद ईद मनाई जाती, जो कि इनके लिए मेले से कम नहीं होती है।


रमजान खत्म होने के बाद हर मुसलमान चांद को देखता है और अपने उपवास अर्थात रोजा को खोलता है। इस ईद के त्यौहार को मुसलमान लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और किस दिन सभी मुसलमान समुदाय के लोग सेवई बनाते हैं जो की बहुत ही शुभ मानी जाती है।


रमजान महीने में हम सभी लोगों को और खासकर मुस्लिम लोगों को बहुत कुछ सीखने को मिलता है अर्थात वह मुस्लिम लोग जो अपने रोजमर्रा के काम को पढ़ते हुए अल्लाह के पूजा अर्थात इबारत को भूल जाते हैं उन्हें इस रमजान के महीने में समय निकालना ही पड़ता है।


रमजान क्यों मनाते हैं।

कैसा है उनके और उनके परिवार के सभी सदस्यों के लिए काफी खुशी का दिन होता है क्योंकि वह लोग अपने कर्मों को छोड़कर रमजान के महीने में ही अपने परिवार को अच्छा समय दे पाते।ऐसी मान्यता है कि 610 ईसवी में पैगंबर मोहम्मद साहब जी ने एक पवित्र किताब कुरान शरीफ को जमीन पर अर्थात लोगों तक पहुंचाया था और जिस प्रकार हिंदू समुदाय में गीता को पवित्र ग्रंथ माना जाता है ठीक उसी प्रकार मुस्लिम समुदाय में कुरान को सबसे ज्यादा पवित्र ग्रंथ माना जाता है।

रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh
रमजान पर निबंध// Ramzan per nibandh

रमजान की विशेषता क्या है।

इस महीने वास रखा जाता है। मुस्लिम धर्म के लोगों द्वारा दैनिक रमजान में सूर्यास्त होने पर अपने उपवास को समाप्त किया जाता है। हाय अल्लाह से समाज के कल्याण के लिए सामूहिक रूप से नमाज अदा की जाती है। रमजान के महीना 29 या कभी-कभी 30 दिन का होता है।


रमजान का माह मुस्लिम समाज के लिए यह पवित्र माह होता है। इस माह पवित्र ग्रंथ पुराण उतरना शुरू हुआ था। रमजानपुर संयम वह खुदा की इबादत का महीना बताया गया है। इस्मा हर मुसलमान रोजा रखता है। यह बात मौलाना अब्दुल शाकिर ने कही।

मौलाना ने बताया कि रमजान को गैर मुस्लिम इस तरह से समझे कि यह आध्यात्मिक सक्रियता माह है जिसका पहला उद्देश्य व्यक्ति को अंदर से जगाना है। रोजा का मुख्य उद्देश्य भौतिक चीजों पर मनुष्य की निर्भरता को कम करना वह खुद को मजबूत करना है जिससे यह पवित्रता के उच्च दायरे में प्रवेश कर पाए।


धैर्य व सहनशीलता में लाता है रोजा

मौलाना ने कहा कि प्रगति से रोजा देरी का एक अधिनियम है। धैर्य व सहनशीलता रोजा में मनुष्य को ऐसी स्थिति में ले जाता है, जो उसको सर्वशक्ति के निकटता की भावना का एहसास कराता है। रोजा हर उस व्यक्ति के आध्यात्मिक क्षमता को बढ़ाता है जो नियम से इसके कायदे का पालन करते हुए करता है। इस दौरान जो संसार के लिए बेहतर है उस को बढ़ावा देना वह अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास करता है। रोजा इसी आत्म नियंत्रण को प्राप्त का प्रयास है। धैर्य का माह बताया है

रमजान को हजरत मोहम्मद साहब ने धैर्य का माह बताया है। इस्लाम में कामयाब जीवन जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात धैर्य बताई गई है। जैसे परीक्षा में एक मुस्लिम सवाल का जवाब पाने के लिए धैर्य की जरूरत होती है, हजरत मोहम्मद साहब ने कहा था कि रमजान का महा सहानुभूति का माह है। रमजान में प्रति दिन की जिंदगी में जो किया जाता है, उसको रोजाना की जिंदगी में लागू करना चाहिए। जीवन में बड़ा परिवर्तन-

रमजान के बाद जीवन में बड़ा परिवर्तन यह होता है कि रोजा रखने वाला जीवन की चुनौतियों के लिए तैयार हो चुका होता है। उसके दिल में किसी के लिए द्वेष,गुस्सा, बदलने की भावना, असम्मान नहीं रहता। वह दूसरों की भूख और प्यास का वैसे ही सम्मान करता है जो रोजा में उसने एहसास किया था।


FAQ

प्रश्न 1 रमजान के बारे में क्या लिखे हैं

उत्तर - रमजान मुस्लिम चंद्र कैलेंडर में नौवां महीना है और उसे रोजा (उपवास) के महीने में के रूप में मनाया जाता है। रोजा इस्लाम के 5 स्तंभों में से एक है और उसका उद्देश्य रमजान के दौरान खाने, पीने और किसी भी बुरी आदतों से दूर रखता है। मुसलमानों 30 दिनों तक सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोजा रखते हैं।


प्रश्न 2 रमजान का महीना क्यों मनाया जाता है।

उत्तर -रमजान को मुस्लिम धर्म में नेकी का मौसम भी कहा जाता है। मुस्लिम लोग इस दिन अपने अल्लाह की इबादत करते हैं और नेकी के कार्य करते हैं। रमजान का महीना ही लाल (वर्धमान चांद) को देखकर शुरू किया जाता है। 1 महीने तक चलने वाले उपवास रमजान माह को रमजान का महीना कहते हैं।


प्रश्न 3 रमजान के महीने की खास बात क्या है?

उत्तर - इस्लाम धर्म में रमजान के महीने का अपना ही एक खास महत्व है, इस खास अवसर पर पूरे दिन रोजा रखने के बाद शाम को लोग अपना रोजा खोलते हैं, इसे इफ्तार कहा जाता है, रमजान के दौरान लोग खजूर से अपना रोजा खोलते हैं।


प्रश्न 4 रमजान का 3 अशरा क्या है?

उत्तर -रमजान महा के 30 दिन 3 अशरे यानी कि हिस्से बैठे हुए हैं, जो अशरे रहमत, बरकत, मगफितर है, रमजान के पहले 10 दिन रहमत होते हैं, पहला अशरा, जिसमें खुदा की इबादत नवाज के दान करने का महत्व है।


प्रश्न 5 रमजान की शुरुआत कैसे हुई?

उत्तर -हजरत मोहम्मद के हिजरत कन्हैया ने मक्का से मदीना जाने (622 ईस्वी) के दूसरे साल यानी साल 624 ईसवी में इस्लाम में रमजान के महीने में रोजा रखने को फर्ज अथवा अनिवार्य करार दिया गया था, उसके बाद से ही पूरी दुनिया में बिना किसी बदलाव के रोजा रखा जाता है।


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