राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi

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राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi

प्रस्तावना-भारत के पास राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान तो है किंतु राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को उचित स्थान अब तक ना मिल पाया बड़े दुर्भाग्य की बात है किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के लिए राष्ट्रभाषा का प्रश्न मूलभूत महत्व का होता है। क्योंकि राष्ट्र भाषा समस्त राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोनो उसकी संस्कृति धरोहर को सहेजने वाले एवं उसे उसके प्राचीन गौरव का स्मरण तेरा कर उसमें अस्मिता बोध जगाने वाली संजीवनी है। जिसके बिना राष्ट्र मृतप्राय होकर कालांतर में अपनी संप्रभुता भी खो देता है भारतेंदु जी ने ठीक ही लिखा है-

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi
राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi

Table of contents


राष्ट्रभाषा हिंदी का हमारे जीवन में क्या महत्व?

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा क्यों है निबंध?

राष्ट्रभाषा क्या है अपने शब्दों में लिखें?

देश में राष्ट्रभाषा का क्या महत्व है क्वेश्चन

हिंदी को राष्ट्रभाषा क्यों माना गया?

राष्ट्रभाषा से क्या लाभ है?

हिंदी भाषा राष्ट्रभाषा कब बनी?

भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन है?

राष्ट्रभाषा की क्या विशेषता है?

FAQ


निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति कौ मूल

बिनु निज भाषा ज्ञान, के मिटै न हिय कौ सूल।


भाषा के विभिन्न रूप

सर्वप्रथम क्षेत्रीय प्रादेशिक भाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा के अंतर को स्पष्ट करना उचित होगा। किसी देश के प्रदेश विदेश की भाषा को प्रादेशिक क्षेत्रीय भाषा कहते हैं। जैसे भारत में बांग्ला मराठी गुजराती पंजाबी तमिल तेलुगू आदि। भाषाएं जब कोई प्रादेशिक भाषा की राजनीतिक सांस्कृतिक ऐतिहासिक या साहित्यिक कारणों से समग्र देश में फैल कर विभिन्न प्रदेशवासियों के पारस्परिक व्यवहार का माध्यम बन जाती है तो उसे राष्ट्रभाषा कहते हैं।


आशय है कि किसी प्रदेश विशेष के निवासी आपसी व्यवहार में तो अपनी प्रादेशिक भाषा का ही प्रयोग करते हैं। किंतु भिंड भाषा भाषी दूसरे प्रदेश वालों के साथ बिहार के समय यह एक ऐसी भाषा का प्रयोग करने को बाध्य है जो सारे देश में थोड़ी बहुत समझी बोली जाती हो। इसी को राष्ट्रभाषा कहते हैं। भारत में मध्य काल से ही हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा बनने का गौरव सरकार की ओर से नहीं, अपितु जनता जनार्दन की ओर से प्राप्त हुआ क्योंकि कोई भी राष्ट्रभाषा जनता द्वारा ही स्वीकृति होती है।


यहां राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय भाषा के अंतर को भी स्पष्ट करना आवश्यक है वस्तुतः किसी राष्ट्र में प्रचलित समस्त भाषाएं वहां के राष्ट्रीय भाषाएं होती हैं। किंतु राष्ट्रभाषा केवल वही हो सकती हैं जिससे विभिन्न प्रादेशिक भाषाएं बोलने वाले आपसी व्यवहार के लिए अपनाएं इस प्रकार समस्त भारतीय भाषाएं राष्ट्रीय भाषाएं हैं राष्ट्रभाषा केवल हिंदी है।


हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का औचित्य

देश की 14 संपन्न भाषाओं के रहते हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद क्यों दिया गया। इस संबंध में हिंदी भाषा के प्रमुख क्षेत्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश जिसे प्राचीन काल में मध्यप्रदेश कहते थे के विशिष्ट भौगोलिक ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व पर दृष्टिपात करना होगा। इस संबंध में प्रसिद्ध विद्वान डॉ धीरेंद्र वर्मा लिखते हैं, वैदिक साहित्य के अनुसार आर्यो का प्रारंभिक निवास स्थान मध्य प्रदेश के मध्य में ना होकर उसकी पश्चिम उत्तर सीमा पर सरस्वती नदी के निकटवर्ती प्रदेश में गंगा की घाटी के उत्तरी भाग तक फैला हुआ था। यही प्रदेश बाद में कुरू -पांचाल जनपदों के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी प्रदेश में आर्य संस्कृति चारों ओर फैली। यूरोपीय विद्यालयों के अनुसार भी आर्यों की संस्कृति का प्राचीनतम तथा शुद्धतम रूप भारत में मध्य देश में ही मिलता है।

राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi
राष्ट्रभाषा हिंदी पर निबंध//essay on national language Hindi

वैदिक संस्थाओं ब्राह्मण ग्रंथों तथा उपनिषदों की रचना यही हुई। रामायण और महाभारत का संबंध मध्यप्रदेश से ही है। राम और कृष्ण की क्रीड़ा स्थली अयोध्या और ब्रिज-मध्य देश में ही है। गीता का उपदेश कुरुक्षेत्र में दिया गया कई प्रमुख हिंदू राजवंशों की राजधानियां इसी क्षेत्र में रही। बाद में विदेशी शासकों तुर्क, अफगान, मुगल, अंग्रेज आदि। ने भी अपने साम्राज्य का केंद्र मध्यप्रदेश में ही दिल्ली प्राचीन इंद्रप्रस्थ को बनाया और आज भी भारत वर्ष की राजधानी यही है खड़ी बोली हिंदी का संबंध भी यहीं से है।


विख्यात भाषा शास्त्री डॉ सुनीति कुमार चटर्जी भी उपयुक्त की पुष्टि करते हुए लिखते हैं वैदिक युग के बाद से प्राचीन काल में उत्तर भारत के किस भाग को मत देश कहा जाता था उसके सांस्कृतिक तथा राजनीतिक प्रधान के कारण ही प्रत्येक युग में वहां की भाषा का प्रावधान रहा है। और इसी प्रदेश तथा इसके आसपास की भाषा भिन्न-भिन्न युग में संस्कृत पाली शौरसेनी प्राकृत ब्रजभाषा और अंत में हिंदी खड़ी बोली के रूप में संपूर्ण भारत की सहज एवं स्वभाव भाविक अंतर प्रांति भाषा के रूप में विराजमान रही है।


इस प्रकार यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भाषा को अखिल भारतीय व्यवहार के लिए सदा से राष्ट्रभाषा देता आया है। जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय एकता पुष्टि हुई है। अतः यदि आज खड़ी बोली हिंदी को राष्ट्रभाषा का पद मिला है तो वह किसी पक्षपात या कृपा का फल ना होकर उसके पारंपरिक अधिकार की ही स्वीकृति है।


राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का विकास

राष्ट्रभाषा की मान्यता प्राप्त होने पर केंद्र तथा राज्य सरकारों हिंदी सेवी संस्थाओं तथा हिंदी प्रेमी जनों ने उसके विकास का पूरा प्रयास किया है।


केंद्र में हिंदी निदेशालय खोला गया है विभिन्न प्रकार शब्दावली यों का निर्माण हुआ है वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्द कोष तैयार हुआ है उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश आदि हिंदी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है।


सरकार ने अहिंदी भाषी कर्मचारियों को हिंदी सीखने के लिए प्रोत्साहित किया है। हिंदी में टंकण तथा आशुलिपि का विकास भी हुआ है।


हिंदी के विकास में गैर सरकारी संस्थाओं का योगदान


किसी भी भाषा का विकास अपनी स्वाभाविक गति से होता है सरकारी प्रयास उसे कृत्रिम रूप से बढ़ावा देते हैं किंतु उससे विशेष लाभ नहीं होता। हिंदी को प्रगति में सरकारी प्रयासों की अपेक्षा अन्य व्यक्तियों तथा संस्थाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। विभिन्न संस्थाओं हिंदी भाषी क्षेत्रों में हिंदी के विकास का कार्य सफलता के साथ कर रही है।


सिनेमा कथा दूरदर्शन का योगदान हिंदी के प्रसार प्रचार में बहुत महत्वपूर्ण है हिंदी फिल्मों तथा दूरदर्शन के कार्यक्रमों ने देश-विदेश में हिंदी को लोकप्रिय बनाया है।


FAQ

1-राष्ट्रभाषा हिंदी का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

 उत्तर-एक भाषा के रूप में हिंदी ना सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संभावित सम प्रेषक और परिचायक भी है बहुत सरल सहज और शुभम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभावना सबसे वैज्ञानिक भाषा है। जिसे दुनिया भर में समझने बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद है।


2-हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा क्यों है निबंध? उत्तर-हिंदी आज भी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है बल्कि राजभाषा है भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विशेषताओं के लिए जाना जाता है यहां हर राज की अपनी राजनीतिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है लेकिन उसके बाद भी देश में की कोई एक राष्ट्रभाषा नहीं है।


3-राष्ट्रभाषा से क्या लाभ है? 

उत्तर-राष्ट्रभाषा सामाजिक सांस्कृतिक स्तर पर देश को जोड़ने का काम करती है अर्थात राष्ट्रभाषा की प्राथमिक सर्च देश में विभिन्न समुदायों के बीच भावनात्मक एकता स्थापित करना है राष्ट्रभाषा का प्रयोग क्षेत्र होता है राष्ट्रभाषा सारे देश की संपर्क भाषा होती है इसका व्यापक जनाधार होता है।

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