शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय//shivmangal Singh Suman ka jivan Parichay

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शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय//shivmangal Singh Suman ka jivan Parichay

शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय//shivmangal Singh Suman ka jivan Parichay

शिवमंगल सिंह सुमन जी का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर गांव में हुआ था उनका बचपन से ही ग्वालियर में बिताया। और वहीं से उनकी शिक्षा की गई उन्होंने क्रांतिकारियों के संपर्क में आकर क्रांतिकारी गतिविधियों में शहभागी बना लिया। जिसके कारण उनकी पढ़ाई में बाधाएं उत्पन्न हुई 1946 में उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से m.a. की उपाधि हासिल की और उसके बाद उन्हें डी. फील का उपाधि प्राप्त हुआ। शिवमंगल सिंह सुमन एक प्रमुख कवि और शिक्षक थे वह अपनी पढ़ाई के बाद से लेकर अंतिम समय तक शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहे। शिवमंगल सिंह सुमन की मृत्यु 27 नवंबर 2002 में स्थान उज्जैन मध्य प्रदेश में हुई थी।

शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय//shivmangal Singh Suman ka jivan Parichay
शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय//shivmangal Singh Suman ka jivan Parichay


Table of contents


शिवमंगल सिंह सुमन का जीवन परिचय

शिवमंगल सिंह सुमन का जन्म कब हुआ था?

शिव मंगल का साहित्यिक परिचय

शिवमंगल सुमन की रचनाएं

शिवमंगल सुमन की मृत्यु कब हुई थी?

शिवमंगल सुमन प्राप्त पुरस्कार

शिवमंगल सिंह जी का उपनाम क्या है?

शिवमंगल सिंह की रचना कौन है?

सुमन किसकी काव्य रचना है?

FAQ


डॉ शिवमंगल सिंह सुमन भारती हिंदी साहित्य के कवियों में विख्यात थी और उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि उनके घर जाने के लिए लोग सिर्फ यही कहते थे कि हमें सुमन जी के घर जाना है और रिक्शा वाले उन्हें बिना पूछे सीधे उनके घर ले जाते थे उन्होंने कई प्रसिद्ध कविताएं लिखी जो हिंदी साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण यथार्थ और भावनात्मक काव्य के रूप में मानी जाती हैं।


शिवमंगल सिंह सुमन की मृत्यु

शिवमंगल सिंह सुमन जी का दिल का दौरा पड़ने से 27 नवंबर 2002 में 87 वर्ष की आयु में उज्जैन मध्य प्रदेश में स्वर्गवास हो गया था।


सुमन जी प्रारंभ से साहित्य प्रेमी रहे उन्हें साहित्य आदि विषयों पर चर्चा करना अच्छा लगता था उन्होंने साहित्य को कभी भी बोझ नहीं माना उनका व्यक्तित्व अत्यधिक सरल था।


शिवमंगल सिंह सुमन का साहित्यिक परिचय

शिवमंगल सिंह सुमन छायावाद की अंतिम चरण में कार्य क्षेत्र में आए। उनकी प्रारंभिक रचनाएं प्रेम भावना पर आधारित थी जिनमें उन्होंने अनेक रूपों का सृजन किया स्वाधीनता आंदोलन में शोषित वर्ग की पीड़ा को देखते हुए कविताओं में पूंजीवादी व्यवस्था पर प्रभावशाली प्रभाव डालते थे सुमन जी की साम्यवाद में बात और गांधीवाद में अटूट आस्था रही। उन्होंने अपनी रचनाओं में क्रांति का नवीन निर्माण किया।


वे एक महान कवि शिक्षक और लेखक थी उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में बहुत प्रगति और हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए कई स्कूल कॉलेज और विश्वविद्यालयों में शिक्षक के पद पर कार्य किया और बहुत सारे प्रयास किए। शिवमंगल सिंह सुमन एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें हम आज हिंदी साहित्य के एक उत्कृष्ट कवि और शिक्षक के रूप में जानते हैं जिन्होंने हिंदी को पूरी दुनिया में आगे बढ़ाने के लिए अपना समर्पण दिया।

सुमन जी की कविताएं हर्ष आशा और उत्साह के भाव से परिपूर्ण हैं उनकी रचनाएं प्रगतिवाद और राष्ट्रीय चेतना से परिपूर्ण अनेक सुंदर साहित्य की महिमा को बढ़ाती है हिल्लोल उनकी प्रेम गीतों का संग्रह है। जिसमें हृदय की कोमल भावनाओं का वर्णन किया है पर आंखों से भरी नहीं मैं मिलन की आकांक्षा सौंदर्य और प्रेम का मनोहारी चित्रण है। जीवन के गाने प्ले सृजन विश्वास बढ़ता चला गया विद्म हिमाचल आदि सुमन जी की प्रमुख रचनाएं हैं।


उन्होंने अपना शोध कार्य बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पूरा किया विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष कालिदास अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष आदि के रूप में अपनी सेवाएं दे प्रसिद्ध कवि नारायण चौबे के अनुसार अदम्य साहस, ओज तेजस्विता एक ओर, दूसरी और प्रेम करुणा और रागमयता, तीसरी और प्रकृति का निर्मल दृश्यम लोकन चौथी ओर दलित वर्ग की विकृति और व्यंग धर्म यानी प्रगतिशील लता की प्रवृत्ति शिवमंगल सिंह सुमन की कविताओं की यही मुख्य विशेषताएं हैं। उनका मुख स्वर मानवतावादी था। और उनकी कविताओं में शिल्प की दृष्टि से दुर्बलता और भावों की सरलता है उनकी राजनीतिक कविताओं में व्यंग का भी प्रयोग होता है एक उत्कृष्ट वक्ता और कवि सम्मेलनों के सफल गायक पर कवि भी रहे।


शिवमंगल की रचनाएं

उनका पहला कविता-संग्रह ‘हिल्लोल’ 1939 में प्रकाशित हुआ। उसके बाद ‘जीवन के गान’, ‘युग का मोल’, ‘प्रलय-सृजन’, ‘विश्वास बढ़ता ही गया’, ‘पर आँखें नहीं भरीं’, ‘विंध्य-हिमालय’, ‘मिट्टी की बारात’, ‘वाणी की व्यथा’, ‘कटे अँगूठों की बंदनवारें’ संग्रह आए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने ‘प्रकृति पुरुष कालिदास’ नाटक, ‘महादेवी की काव्य साधना’ और ‘गीति काव्य: उद्यम और विकास’ समीक्षा ग्रंथ भी लिखे हैं। ‘सुमन समग्र’ एक संकलन है जिसमें शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कृतियों को संकलित किया गया है।


शिवमंगल सिंह सुमन की द्वारा प्राप्त सम्मान और पुरस्कार

1-साहित्य अकादमी पुरस्कार 1974 में इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


2-पद्म विभूषण 1999 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।


3-पद्मश्री 1974 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।


4-देवा पुरस्कार 1958 में उन्हें देवा पुरस्कार से सम्मानित किया।


5-सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार 1974 में उन्हें सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


6-शिखर सम्मान 1993 में सिखर सम्मान से सम्मानित किया गया।


7-भारत भारती पुरस्कार 1993 में उन्हें पुरस्कार किया गया।


शिवमंगल सिंह सुमन की भाषा शैली

शिवमंगल सिंह सुमन जी छायावाद के अंतिम दौर के रूप में हिंदी कविता में आई इनके गीत व्यंगानात्मक होते थे। इन्होंने जनजीवन की तरफ देखकर एक साधारण भाषा के रूप में अपनी कविताओं को व्यक्त किया है। इन्होंने अपनी कविताओं में लोकगीत शैली का प्रयोग किया है साथ ही तत्सम शब्दों का अंग्रेजी उर्दू के शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है।


FAQ

1-शिवमंगल सिंह का उपनाम कौन सा है? उत्तर-सुमन इनका उपनाम है शिवमंगल सिंह सुमन जी की मृत्यु 27 नवंबर 2002 को 87 वर्ष की उम्र में उज्जैन मध्य प्रदेश में हुई थी।


2-सुमन किसकी काव्य रचना है? 

उत्तर-सुमन केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली हस्ताक्षर ही नहीं थे बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे बच्चन के काव्य की विलक्षणता उनकी लोकप्रियता है।


3 शिवमंगल सिंह के पिता का नाम क्या है? उत्तर-इनकी पिता का नाम ठाकुर बक्स सिंह था.


4-शिवमंगल सिंह की माता का नाम क्या है? 

उत्तर-इनकी माता जी का नाम ज्ञात नहीं है सुमन इनका नाम उपनाम है।

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