Guru Purnima 2023 // गुरु पूर्णिमा कब है

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Guru Purnima 2023 // गुरु पूर्णिमा कब है

Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा कब है, इस दिन सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनने के क्‍या हैं लाभ

Guru Purnima 2023

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका एक और नया आर्टिकल में इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं Guru Purnima 2023: गुरु पूर्णिमा कब है, के बारे में बताने वाले हैं तो अगर आप लोगों को यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और मित्रों मैं ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे


Guru Purnima Kab Hai: गुरु पूर्णिमा सोमवार 3 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा करने और सत्‍य नारायण भगवान की कथा करने का विशेष महत्‍व होता है। गुरु पूर्णिमा महाभारत के रचियता गुरु वेद व्‍यासजी के जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाई जाती है। आइए जानते हैं इसका महत्‍व और पूजाविधि।


नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Guru Purnima 2023 Date and Time: हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर गुरुजनों का आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी। लेकिन कुछ लोगों के मन में गुरु पूर्णिमा पर्व की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आइए जानते हैं, कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा 2023 पर्व?


कब मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा पर्व 2023? (Guru Purnima 2023 Kab Hai)


हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 02 जुलाई को रात्रि 08 बजकर 21 मिनट पर होगा और पूर्णिमा तिथि का समापन 03 जुलाई को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, गुरु पूर्णिमा पर्व 03 जुलाई 2023, सोमवार के दिन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। बता दे किस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग का निर्माण हो रहा है, जिसे ज्योतिषशास्त्र में बहुत ही शुभ माना जाता है।


हिंदू धर्म के साथ-साथ इन धर्मों में भी है गुरु पूर्णिमा का विशेष महत्व


सनातन धर्म में जिस तरह आदि गुरु शंकराचार्य, श्री रामानुजाचार्य और श्री माधवाचार्य जी को जगद्गुरु गुरु का स्थान प्राप्त है और गुरु पूर्णिमा के दिन उनका आशीर्वाद लिया जाता है। ठीक उसी प्रकार बौद्ध और जैन धर्म में भी गुरु पूर्णिमा को त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बौद्ध धर्म के अनुयायी महात्मा गौतम बुद्ध की उपासना करते हैं और जैन धर्म के उपासक महावीर जी को गुरु के रूप में पूजते हैं।


गुरु पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, महान ऋषि वेद व्यास की जयंती है. गुरु पूर्णिमा हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो इस साल 3 जुलाई को है. द्रिग् पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 2 जुलाई 2023 को रात 8:21 बजे शुरू होगी और 3 जुलाई 2023 को शाम 5:08 बजे समाप्त होगा.


गुरु पूर्णिमा आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है और इस बार यह तिथि 3 जुलाई को है। इसे आषाढ़ पूर्णिमा और व्‍यास पूर्णिमा भी कहते हैं। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को लगभग 3000 ई. पूर्व हुआ था, इसलिए उनके प्रति सच्‍ची श्रद्धा प्रकट करने के लिए हर साल आषाढ़ पूर्णिमा को उनके जन्‍मोत्‍सव के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन व्यासजी ने अपने शिष्यों को भागवतपुराण का ज्ञान दिया था, इसलिए यह दिन व्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनने की मान्‍यता काफी समय से चली आ रही है। इसे सुनने से आपके कष्‍ट दूर होते हैं और घर में आर्थिक समृद्धि बढ़ती है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्‍तार से।


          गुरु पूर्णिमा का पर्व क्यों मनाया जाता है?


भारतीय सनातन परंपरा में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर बताया गया है। इसीलिए हम प्रत्येक साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाते हैं। पौराणिक मान्यता यह है कि इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ। इसीलिए कई लोग इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। आइए जानते हैं भारत में इस बार किस दिन है गुरु पूर्णिमा और क्या हैं इसके शुभ मुहूर्त और महत्व |


गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास की जयंती के दिन ही हम गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाते हैं इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। बता दें कि महर्षि वेदव्यास ने महत्वपूर्ण महाकाव्य महाभारत, श्रीमद्भगवद्गी 18 पुराण के साथ ही वेदों का भी संकलन किया है। मान्यताओं अनुसार वेदों का संकलन करने के कारण ही उनका नाम वेदव्यास पड़ा था। साथ ही यह भी कहा जाता है कि महर्षि वेदव्यास स्वयं भगवान विष्णु के रूप थे।


3 जुलाई को मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा का त्योहार इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन कई शुभ योगों का निर्माण भी होने जा रहा है। इस दिन ब्रह्म योग और इंद्र योग बनेंगे। सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार 2 जुलाई के दिन रविवार की शाम 6:02 पर पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो रही है जबकि यह 3 जुलाई को सोमवार की रात 11:08 पर समाप्त हो जाएगी। लेकिन उदयातिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी।


                    गुरु पूर्णिमा 2023 अनुष्ठान


  • गुरु पूर्णिमा के शुभ दिन पर सभी भक्त अपने गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर, अपने गुरुओं के घर, या किसी आध्यात्मिक केंद्र की यात्रा करते हैं और वे सम्मान और धन्यवाद के प्रतीक के रूप में फल, फूल और अन्य वस्तुएं भी देते हैं. गुरु पूर्णिमा पर सभी भक्त विशेष पूजा करते हैं.


  • भक्ति गीतों और भजनों द्वारा गुरुओं का सम्मान किया जाता है. इस दिन गुरु गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों और ग्रंथों का जाप करने की भी प्रथा है. भक्ति गीतों और भजनों द्वारा गुरुओं का सम्मान किया जाता है. इस दिन गुरु गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों और ग्रंथों का जाप करने की भी प्रथा है. कुछ लोग प्रशंसा का कार्य भी करते हैं जिसे सेवा कहा जाता है. कुछ लोग मंदिरों में स्वेच्छा से काम करते हैं; अन्य लोग भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यकताएं दान करते हैं. समुदाय की सेवा करना भी अपने गुरुओं के प्रति सम्मान का प्रदर्शन माना जाता है.


  • हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के सभी भक्त सुबह ब्रम्हमुहूर्तम से पहले सुबह 4 बजे उठकर इसे मनाते हैं. हर कोई अपने विभिन्न गुरुओं को याद करते हुए या उनके बारे में सोचते हुए जप और ध्यान करता है, फिर वे अपने गुरुओं के चरणों में झुकते हैं.


   गुरु पूर्णिमा पर सत्‍यनारायण कथा सुनने के लाभ


पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार गुरु वेद व्‍यासजी को भगवान विष्‍णु का अंश माना गया है। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर उनकी पूजा की जाती है और उनके रूप माने जाने वाले सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनी जाती है। विष्‍णु पुराण में भी यह बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि भगवान विष्‍णु की पूजा करने के लिए सर्वश्रेष्‍ठ तिथियों में से एक है। अगर आपके घर में काफी समय से आर्थिक तंगी चल रही है या फिर कारोबार में सफलता नहीं मिल रही है तो प्रत्‍येक पूर्णिमा पर सत्‍यनारायण भगवान की कथा सुनने से आपको विशेष लाभ होगा और आपके घर में धन की वृद्धि होगी। इसके अलावा नौकरी में यदि काफी समय से परेशानी चल रही है तो उसमें भी लाभ होगा।


                     जानें गुरु शब्द का अर्थ-


गुरु में 'गु' शब्द का अर्थ अंधकार है, और 'रु' का अर्थ है अंधकार को दूर करना, इस प्रकार, गुरु वह होता है जो हमारे जीवन से सभी अंधकार को दूर कर देता है। भारत में लोग इस त्योहार को अपने आध्यात्मिक नेताओं के प्रति सम्मान व्यक्त करके मनाते हैं जबकि नेपाल में यह त्योहार शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।


                      गुरु पूर्णिमा 2023 कब है?


गुरु पूर्णिमा हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो जून या जुलाई महीने में होती है। यह त्योहार हर साल हिंदू कैलेंडर के हिंदू महीने आषाढ़ या आषाढ़ पूर्णिमा तिथि की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी।


                   गुरु पूर्णिमा का इतिहास व महत्व-


माना जाता है कि बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने इसी दिन अपना पहला उपदेश दिया था। बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त करने के पांच सप्ताह बाद बुद्ध बोधगया से सारनाथ उत्तर प्रदेश चले गए। वहां उन्होंने पूर्णिमा के दिन उपदेश दिया।


                     गुरु पूर्णिमा की पूजाविधि


गुरु पूर्णिमा पर यदि आप किसी कारणवश सत्‍यनारायण भगवान की कथा नहीं कर पा रहे हैं तो सामान्‍य विधि विधान से भगवान विष्‍णु की पूजा करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होगी। भगवान विष्‍णु की पूजा में तुलसी, धूप, दीप, गंध, पुष्प और पीले फल चढ़ाएं और श्री‍हर‍ि का स्‍मरण करें और मनोकामना याद करें। भक्ति भाव के साथ पूजा करनी चाहिए। पूजा के उपरांत भगवान को विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाएं और प्रणाम करें। भोग को प्रसाद स्वरूप सभी लोगों में वितरित कर दें।


                कैसे मनाते हैं गुरु पूर्णिमा-


पूरे भारत में स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक संस्थान छात्रों में सर्वश्रेष्ठ लाने के लिए शिक्षकों को धन्यवाद देने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित करके गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। इस दिन, छात्र या शिष्य अपने गुरुओं या आध्यात्मिक मार्गदर्शक की पूजा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।


गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।

गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥


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