UP board class 10th social science solutions chapter-3
(भूमंडलीकृत विश्व का बनना)
Up board social science solution for class 10th
खंड 2
जीविका ,अर्थव्यवस्था एवं समाज
अध्याय 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना
बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न-1 महामंदी का प्रारंभ किस वर्ष हुआ?
(क) 1919 ई.
(ख) 1924 ई.
(ग) 1929 ई.
(घ) 1934 ई.
उत्तर-1929 ई.
प्रश्न -2 संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय कहां पर स्थित है?
(क) वाशिंगटन
(ख) जिनेवा
(ग) न्यूयॉर्क
(घ) ऑस्ट्रिया
उत्तर- न्यूयॉर्क
प्रश्न- 3 जमीन को उपजाऊ बनाकर गेहूं कपास की खेती हेतु' कैनाल कॉलोनी 'कहां बसाई गई?
(क) गुजरात में
(ख) उत्तर प्रदेश में
(ग) पंजाब में
(घ) उड़ीसा में
उत्तर- पंजाब में
प्रश्न- 4 'अनुबंध व्यवस्था' को और किस नाम से जाना जाता है?
(क) आपसी समझौता
(ख) गुलाम प्रथा
(ग) सशर्त प्रथा
(घ) नई दास प्रथा
उत्तर- नई दास प्रथा
प्रश्न - 5 18 वीं शताब्दी तक संसार के कौन से देश सबसे धनी देश माने जाते थे?
(क) जापान और भारत
(ख) फ्रांस और अमेरिका
(ग) चीन और भारत
(घ) चीन और इटली
उत्तर- चीन और भारत
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- इसका तात्पर्य एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें विकासशील देश अपने संसाधनों पर सही मायनों में नियंत्रण कर सकें, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल के सही दाम मिले और अपने तैयार वालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुंच मिल सके।
प्रश्न-2 भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- एक देश की अर्थव्यवस्था को दूसरे देश की अर्थव्यवस्था से तथा संपूर्ण विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था का एक -दूसरे से विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से जुड़ा होना ही भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण कहलाता है।
प्रश्न-3 अफ्रीका में आने के लिए यूरोपियों के लिए प्रमुख आकर्षण के कारण क्या थे?
उत्तर- यूरोपीय देश खनिज संसाधनों के लिए अफ्रीका की ओर आकर्षित हुए तथा अफ्रीका के विशाल क्षेत्रों और बाजार पर यूरोपीय देशों की नजर थी।
प्रश्न-4 रेशम मार्ग क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर- रेशम मार्ग एक ऐसा सा मार्ग था ।जो एशिया के विशाल भागों को परस्पर जोड़ने के साथ ही यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका से जा मिलता था। यह मार्ग ईसा पूर्व में ही अस्तित्व में आ चुका था और लगभग 15 वीं शताब्दी तक अस्तित्व में था ।इस मार्ग से अधिकांश रेशम का व्यापार होता था इसलिए इसे रेशम मार्ग आ जाता था।
प्रश्न-5 19वीं शताब्दी में हजारों लोग यूरोप से अमेरिका क्यों जाने लगे थे?
उत्तर- यूरोप में गरीबों की भरमार, भुखमरी ,बीमारियां धार्मिक टकराव व धार्मिक असंतुष्ट को कठोर दंड देने के कारण ,अमेरिका में संसाधनों की बहुलता के कारण, तथा अमेरिका में खेती योग्य भूमि ज्यादा थी और जनसंख्या कम थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न -1 1929 की महामंदी का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- 1929 की महामंदी का प्रभाव भारत पर भी पड़ा महामंदी ने भारतीय व्यापार को फौरन प्रभावित किया ।1928 से 1934 के बीच देश के आयात -निर्यात घटकर लगभग आधे रह गए थे ।1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूं की कीमत 50% गिर गई ।शहरी निवासियों के मुकाबले किसानों और काश्तकारों को ज्यादा नुकसान हुआ ।यद्यपि कृषि उत्पादों की कीमत तेजी से नीचे गिरी लेकिन सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से इनकार कर दिया। सबसे बुरी मार उन काश्तकारों पर पड़ी जो विश्व बाजार के लिए उपज पैदा करते थे। टाट निर्यात बंद होने से कच्चे पटसन की कीमतों में 60% से ज्यादा गिरावट आ गई। मंदी के इन्हीं सालों में भारत कीमती वस्तुओं खासतौर से सोने का निर्यात करने लगा। 1931 में अपने चरम पर थी और ग्रामीण भारत असंतोष व उथल-पुथल के दौरान से गुजर रहा था ।
यह मंदी शहरी भारत के लिए अधिक दुखदाई नहीं रही। कीमतें गिरते जाने के बावजूद शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों की हालत ठीक रही जिनकी आय निश्चित थी।
प्रश्न-2 भारत के सूती वस्त्र उद्योग पर उपनिवेशवाद का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- भारत में पैदा होने वाली महान कपास का यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता था ।औद्योगिकरण के बाद ब्रिटेन में भी कपास का उत्पादन बढ़ने लगा था। इस कारण वहां के उद्योगपतियों ने सरकार पर दबाव डाला कि वह कपास तथा सूती वस्त्रों पर रोक लगाएं। फलस्वरूप ब्रिटेन में आयातित कपड़ों पर सीमा शुल्क थोप दिए गए। वहां महीन भारतीय कपड़े का आयात कम होने लगा ।19वीं सदी की शुरुआत में ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादन दूसरे देशों में भी अपने कपड़ों के लिए नए-नए बाजार ढूंढने लगे थे। सीमा शुल्क की व्यवस्था के कारण ब्रिटिश बाजारों से बेदखल हो जाने के बाद भारतीय कपड़ों को दूसरे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। 1800 के आसपास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 प्रतिशत था जो 1815 में घटकर 15% रह गया। 1870 तक यह अनुपात केवल 3 प्रतिशत रह गया।
प्रश्न-3 वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- 1890 मैं वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था का उदय हो गया था। इसके कारण श्रम विस्थापन रुझानों, पूंजी प्रवाह ,पारिस्थितिकी और तकनीक में भी कई बदलाव आए ,जो इस प्रकार थे-
1- इसमें खाद्य पदार्थ गांव या कस्बों की बजाय विश्व के अन्य स्थानों से पहुंचने लगे
2- इस व्यवस्था में जमीन के मालिक स्वयं कृषि कार्य नहीं करते थे वे यह कार औद्योगिक मजदूरों से करवाने लगे।
3-खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए रेल नेटवर्क ,पानी के जहाजों का प्रयोग किया जाने लगा।
4- दक्षिणी यूरोप, एशिया, अफ्रीका तथा कैरेबियन द्वीप समूह के मजदूरों को आस्ट्रेलिया ब्रिटेन तथा अमेरिका ले जाकर कम वेतन पर कार्य करवाया गया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न- 1 आर्थिक महामंदी के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए। अमेरिका अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर- आर्थिक महामंदी का प्रारंभ 1929 में हुआ और यह संकट 30 के दशक तक बना रहा । इस दौरान दुनिया के अधिकतर हिस्सों के उत्पादन, रोजगार, आय और व्यापार में भयानक गिरावट दर्ज की गई। इस महामंदी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
1- कृषि क्षेत्र में आति उत्पादन की समस्या बनी हुई थी। कृषि उत्पादों की कीमतों के कारण स्थिति और खराब हो गई थी। कीमतें गिरी और किसानों की आय घटने लगी तो आमदनी बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करने लगे ताकि कम कीमत पर ही सही लेकिन ज्यादा पैदावारी करके वह अपना आए स्तर बनाए रख सकें ।इससे बाजार में कृषि उत्पादों की आमद और भी बढ़ गई। कीमतें गिर गई खरीदारी के अभाव में कृषि उपज पड़ी- पड़ी आने लगी।
2- 1920 के दशक के मध्य में अधिकांश देशों ने अमेरिका से कर्जे लेकर अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया था जब हालात अच्छे थे तो अमेरिका से कर्जा जुटाना बहुत आसान था। लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिका उद्यमियों के होश उड़ गए। जो देश अमेरिकी कर्जे पर निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हुआ।
प्रश्न- 2 19वीं सदी की अनुबंध व्यवस्था जैसे नई दास प्रथा भी कहा जाता था, का अर्थ बताइए। भारत के संदर्भ में इसका उल्लेख कीजिए।
उत्तर- 19 वी सदी की अनुबंध व्यवस्था को काफी लोगों ने 'नई दास प्रथा' का नाम दिया है ।19वीं सदी में भारत और चीन के लाखों मजदूरों को बागानों ,खदानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था।
भारत के संदर्भ में- भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को खास तरह के अनुबंध या एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था ।इन अनुबंधों में यह शर्त होती थी कि यदि मजदूर अपने मालिक के बागानों में 5 साल काम कर लेंगे तो वे स्वदेश लौट सकते हैं।
भारत के ज्यादातर अनुबंधित श्रमिक मौजूदा पूर्वी उत्तर प्रदेश ,बिहार ,मध्य भारत और तमिलनाडु के सूखे इलाकों से जाते थे। 19वीं सदी के मध्य में इन इलाकों में भारी बदलाव आने लगे थे ।कुटीर उद्योग खत्म हो रहे थे जमीनों का किराया बढ़ रहा था। खानों और बागानों के लिए जमीनों को साफ किया जा रहा था। इन परिवर्तनों से गरीबों के जीवन पर गहरा असर पड़ा। वे बटाई पर जमीन तो ले लेते थे लेकिन उसका भाड़ा नहीं चुका पाते थे। काम की तलाश में उन्हें अपने घर-बार छोड़ने पड़े ।भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरेबियाई द्वीप समूह, मॉरीशस व फिजी से बुलाया जाता था। तमिल आप्रवासी सीलोन और मलाया जाकर काम करते थे। अधिकांश अनुबंधित श्रमिकों को असम के चाय बागानों में काम करवाने के लिए ले जाया जाता था।
प्रश्न -3 18 वीं शताब्दी के अंत में हुए उन परिवर्तनों का वर्णन कीजिए जिन्होंने ब्रिटेन के स्वरूप को बदल दिया।
उत्तर-18 वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटेन में कुछ ऐसे परिवर्तन हुए जिन्होंने इसके स्वरूप को बदल दिया यह परिवर्तन निम्नलिखित है-
1- 18 वीं सदी के आखिरी दशक में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। इससे देश में भोजन की मांग बढ़ी।
2- जैसे- जैसे शहर फैले व और उद्योग बढ़ने लगे ,कृषि उत्पादों की मांग भी बढ़ने लगी।
3- कृषि उत्पाद महंगे होने लगे।
4- बड़े भू स्वामियों के दबाव में आकर सरकार ने मक्का के आयात पर 'कॉर्न ला' द्वारा पाबंदी लगा दी।
5- खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी बाशिंदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह कार्न ला को समाप्त कर दे।
6- खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई तो ब्रिटेन में उपभोग का स्तर बढ़ गया।
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Written by - Bandana Kushwaha
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