बेरोजगारी क्या है- बेरोजगारी के क्या कारण हैं। Essay on berojgari ke kya Karan Hain ine Hindi
बेरोजगारी क्या है- बेरोजगारी के क्या कारण हैं। Essay on berojgari ke kya Karan Hain ine Hindi |
निबंध
बढ़ती बेरोजगारी कारण : कारण और निवारण
प्रस्तावना - स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से ही हमारे देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा है! इनमें से कुछ समस्याओं का तो समाधान कर लिया गया है! किंतु कुछ समस्याएं निरंतर विकट रूप लेती जा रही हैं! रोजगारी की समस्या भी ऐसे ही एक समस्या है! हमारे यहां अनुमानत लगभग 50 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष बेरोजगारो की पंक्ति में खड़े हो जाते हैं! हमें शीघ्र से उपाय करने होंगे जिससे इस समस्या की तीव्र गति को रोका जा सके!
बेरोजगारी से तात्पर्य- बेरोजगारी एक ऐसी स्थिति है जब व्यक्ति अपनी जीविका के उपार्जन के लिए काम करने की इच्छा और योगिता रखते हुए भी काम प्राप्त नहीं कर पाता यह स्थिति जहां एक और पूर्व बेरोजगारी के रूप में पाई जाती है वहीं दूसरी ओर यह अल्प बेरोजगारी या मौसमी बेरोजगारी के रूप में भी देखने को मिलती है !अल्प तथा मौसमी बेरोजगारी के अंतर्गत या तो व्यक्ति को जो सामान्यत 8 घंटे कार्य करना चाहता है 2 या 3 घंटे का मिलता है या वर्ष में 3-4 महीने ही उसके पास काम करता है! दफ्तरों में कार्य पाने में इच्छुक शिक्षक बेरोजगारों की संख्या भी करोड़ों में है जिसमें लगभग एक करोड़ स्नातक तथा उससे अधिक शिक्षित है!
समस्या के कारण- भारत में बेरोजगारी की समस्या के अनेक कारण हैं जो निम्नलिखित हैं!
(क) जनसंख्या में निरंतर वृद्धि - बेरोजगारी का पहला और सबसे मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि का होना है जबकि रिक्तियों की संख्या उस अनुपात में नहीं पढ़ पाते हैं भारत में जनसंख्या लगभग 2.0% वार्षिक की दर से बढ़ रही है जिसके लिए 50 लाख व्यक्तियों को प्रतिवर्ष रोजगार देने की आवश्यकता है !जबकि रोजगार प्रतिवर्ष केवल 5-6 लाख लोगों को ही उपलब्ध हो पाता है!
(ख) दोषपूर्ण शिक्षा -प्राणाली - हमारी शिक्षा - प्रणाली दोषपूर्ण है जिसके कारण शिक्षित बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है !या व्यवसाय प्रधान शिक्षा का अभाव है !हमारी स्कूल और कॉलेज केवल लिपकों को पैदा करने वाले कारखानों मात्र बन गए हैं!
(ग) लघु तथा कुटीर उद्योगों की अवनति- बेरोजगारी की वृद्धि में लघु और कुटीर उद्योगों की उन्नति का भी महत्वपूर्ण योगदान है ! अंग्रेजों ने अपने शासनकाल में ही भारत की कुटीर उद्योगों को पंगु बना दिया था! इसलिए इन कामों में लगे श्रमिक धीरे-धीरे इन उद्योगों की छोड़ गए हैं! इस पर भी बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है!
(घ) यंत्रीकरण और औद्योगिक क्रांति - यंत्रीकरण ने असंख्य लोगों के हाथों से काम छीन कर उन्हें बेरोजगार बना दिया है !अब देश में स्वचालित मशीनों की बाढ़ सी आ गई है एक मशीन कई सड़कों का कार्य स्वयं निपटा देती है ! हमारा देश कृषि प्रधान देश है! किसी में भी यंत्रीकरण हो रहा है जिसके फलस्वरूप बहुत बड़ी संख्या में कृषक मजदूर भी रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं!
उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त और भी अनेक कारण इस समस्या को विकराल रूप देने में उत्तरदाई रहे हैं जैसे त्रुटि पूर्ण नियोजन उद्योग व व्यापार का पर्याप्त विकास तथा विदेशों से भारतीयों का निकला जाना महिलाओं द्वारा नौकरी में प्रवेश से भी पुरुषों में बेरोजगारी बढ़ी है!
समस्या का समाधान- बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत किए जा सकते हैं!
(क) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण- बेरोजगारी को कम करने का असर उन प्रमुख उपाय जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना है! इसके लिए जनसाधारण को छोटे परिवार की अच्छाइयों की ओर आकर्षित किया जाना चाहिए ! ऐसा करने पर बेरोजगारी की बढ़ती गति में अवश्य ही कमी आएगी!
(ख) शिक्षा प्राणी में परिवर्तन - भारत में शिक्षा प्राणी को परिवर्तित कर उसे रोजगार उन्मुख बनाया जाना चाहिए! इसके लिए वयावसायिक और तकनीकी शिक्षा का विस्तार किया जाना चाहिए ! जिससे शिक्षा पूर्ण करने के बाद विद्यार्थी को अपने योग्यतानुसार जीविकोपार्जन का कार्य मिल सके!
(ग) कुटीर और लघु उद्योगों का विकास- बेरोजगारी कम करने के लिए यह अति आवश्यक है कि कुटीर तथा लघु उद्योगों का विकास किया जाए सरकार द्वारा धन कच्चा माल तकनीकी सहायता देकर तथा उनके तैयार माल की खपत करा कर इन उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए!
(घ) कृषि के सहायक उद्योग धंधों का विकास - कृषि प्रधान देश होने के कारण भारत में कृषि में अर्थ बेरोजगार युवा मौसमी बेरोजगारी है !उसको दूर करने के लिए मुर्गी पालन मत्स्य पालन दुग्ध व्यवसाय बागवानी आदि को कृषि के सहायक और उद्योग धंधों के रूप में विकसित किया जाना चाहिए!
(ड़) निर्माण कार्यों का विस्तार - सरकार को सड़क निर्माण वृक्षारोपण सिंचाई के लिए नहरों के निर्माण आदि की योजनाओं का कार्य निवेश करने देना चाहिए जिससे बेरोजगार व्यक्तियों को काम मिल सके और देश देश विकास के पथ पर अग्रसर हो सके!
इनके अतिरिक्त बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार को प्राकृतिक साधनों और भंडारों की खोज करनी चाहिए और उन संभावनाओं को पता लगाना चाहिए जिनसे नवीन उद्योग स्थापित किए जा सकें! गांव में बिजली की सुविधा प्रदान की जाए जिससे वहां से छोटे लघु उद्योग पनप सकें!
उपसंघार - संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जन्म दर में कमी करके शिक्षा का व्यवसायीकरण करके तथा देश के स्वायत्तशासी ढांचे और लघु उद्योग धंधों के यह बेरोजगार की समस्या का स्थाई समाधान संभव है! जब तक इस समस्या का उचित समाधान नहीं होगा तब तक समाज में ना तो सुख शांति प्राप्त होगी और ना राष्ट्र का विस्तृत एवं अनुशासित ढांचा खड़ा हो सकेगा तथातथा अतः इस दिशा में प्रयत्न कर रोजगार बढाने के स्रोत खोजे जाने चाहिए क्योंकि आर्थिक दृष्टि से सुदृढ़ नागरिक की एक प्रगतिशील राष्ट्र के निर्माणकर्ता होते हैं!
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