महिला सशक्तिकरण और समाज पर निबंध / Women Empowerment Essay Hindi

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महिला सशक्तिकरण और समाज पर निबंध / Women Empowerment Essay Hindi

महिला सशक्तिकरण और समाज पर निबंध / Women Empowerment Essay in Hindi

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             महिला सशक्तिकरण और समाज पर निबंध

नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट www.upboard.live पर । आज की पोस्ट में हम आपको "महिला सशक्तिकरण और समाज" के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।

Table of contents-

(1) प्रस्तावना (सशक्तीकरण का अर्थ),

 (2) महिला सशक्तीकरण अभियान,

 (3) महिला सशक्तीकरण अभियान का उद्देश्य –

 (क) महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना, (ख) लिगानुपात को सन्तुलित करना,

 (ग) लिंग आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना,

 (घ) बाल-विवाह पर रोक लगाना,

 (ङ) लड़कियों को शिक्षित करना,

 (च) सीमान्त तथा शोषित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना, 

(4) महिलाओं की संवैधानिक स्थिति,

 (5) महिला सशक्तीकरण अधिनियम,

 (6) महिला सशक्तीकरण और समाज,

(7) उपसंहार।]


महिला सशक्तिकरण और समाज


[रूपरेखा - (1) प्रस्तावना (सशक्तीकरण का अर्थ), (2) महिला सशक्तीकरण अभियान, (3) महिला सशक्तीकरण अभियान का उद्देश्य – (क) महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना, (ख) लिगानुपात को सन्तुलित करना, (ग) लिंग आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना, (घ) बाल-विवाह पर रोक लगाना, (ङ) लड़कियों को शिक्षित करना, (च) सीमान्त तथा शोषित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना, (4) महिलाओं की संवैधानिक स्थिति, (5) महिला सशक्तीकरण अधिनियम, (6) महिला सशक्तीकरण और समाज,(7) उपसंहार।]


प्रस्तावना (सशक्तीकरण का अर्थ ) - सशक्तीकरण का अर्थ है-शक्तिशाली बनाना । वर्तमान में महिला सशक्तीकरण को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक असमानताओं से पैदा हुई समस्याओं के सन्दर्भ में देखा जा रहा है। इसमें जागरूकता, अधिकारों को जानने, सहभागिता और निर्णय लेने के अधिकार जैसे घटक को सम्मिलित किया गया है। लीला मीहेनडल के अनुसार, "निडरता, सम्मान और जागरूकता तीनों शब्द महिला सशक्तीकरण में सहायक हैं।


महिला सशक्तीकरण अभियान-सरकार द्वारा महिलाओं को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए सन् 2001 ई० में महिला सशक्तीकरण की राष्ट्रीय नीति लागू की गई। इसके अन्तर्गत सरकारी नीति तथा कल्याणकारी योजनाओं में महिलाओं के विधिक अधिकारों को सशक्त करने तथा स्वास्थ्य सुविधाओं को दृढ़ बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखा गया है। महिलाओं के उत्थान हेतु किए जा रहे शासकीय प्रयासों में कुछ सामाजिक और संस्थानात्मक अवरोध सामने आए। इन अवरोधों का उन्मूलन कर महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण के उद्देश्य से 8 मार्च, 2010 ई० को राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण अभियान नामक कार्यक्रम आरम्भ किया गया। भारत में राज्यों एवं सभी केन्द्रशासित प्रदेशों में महिला सशक्तीकरण कार्यक्रम को लागू कर दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य महिला विकास से सम्बन्धित कार्यक्रमों को निचले स्तर तक पहुँचाना है।


महिला सशक्तीकरण अभियान का उद्देश्य – महिला सशक्तीकरण अभियान के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है- 


 (क) महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना-महिलाओं को सुरक्षा और स्वायत्तता प्रदान करने की दिशा में अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। महिलाओं के प्रति हिंसा के अन्तर्गत अनेक प्रकार की प्रताड़नाएँ आती हैं;


जैसे-  मानसिक, शारीरिक और यौन उत्पीड़न एवं दहेज सम्बन्धी प्रताड़ना आदि। महिला सशक्तीकरण का दृष्टिकोण यह है कि महिलाएँ इन उत्पीड़नरूपी हिंसा व भेदभाव से मुक्त होकर सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें।


 (ख) लिंगानुपात को सन्तुलित करना- लैंगिक असमानता भारत का प्रमुख सामाजिक मुद्दा है, जिसमें महिलाएँ निरन्तर पिछड़ती जा रही हैं। सन् 2011 ई० की जनगणना के अनुसार भारत में 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएँ हैं। इस असमानता को समाप्त करने के लिए महिला सशक्तीकरण में तेजी लाने की आवश्यकता है।


(ग) लिंग आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना - महिलाएं किसी प्रकार भी पुरुषों से कम नहीं है। यदि ने वहीं कार्य करती है जो पुरुष करते हैं तो उन्हें पुरुषों के समान हो पारिश्रमिक मिलना चाहिए, जबकि समाज में ऐसा नहीं है। संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में 'समान काम, समान वेतन' की व्यवस्था की गई है। महिला सशक्तीकरण में इस आर्थिक असमानता को समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।


 (घ) बाल-विवाह पर रोक लगाना- राजा राममोहनराय, ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, स्वामी दयानन्द सरस्वती आदि के अथक प्रयासों द्वारा बाल-विवाह निरोधक अधिनियम (1955) बना, परन्तु आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता को अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी के कारण बाल विवाह का प्रचलन है। इस विवाह से अवयस्क माता और शिशु के व्यक्तित्व और स्वास्थ्य में गिरावट आती है। महिला सशक्तीकरण द्वारा इस पर रोक लगाई जा रही है।


(ङ) लड़कियों को शिक्षित करना-शिक्षा अज्ञानतारूपी अन्धकार को दूर करके विकास और उन्नति के मार्ग खोलती है। भारतीय समाज में लड़की को पराया धन मानकर उसकी शिक्षा एवं अन्य सुख-सुविधाओं की उपेक्षा की जाती है, परन्तु आज महिला सशक्तीकरण आन्दोलन के कारण इस दिशा में भी परिवर्तन हो रहा है। आज लड़कियों के स्कूल में पंजीकरण एवं उनकी उपस्थिति में तेजी से वृद्धि हुई है।


(च) सीमान्त तथा शोषित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना-महिला सशक्तीकरण अभियान के अन्तर्गत सीमान्त महिलाओं (वेश्याओं) को वेश्यालयों से रिहा कराना, यौन-शोषित एवं एड्स से पीड़ित, विधवाओं. बेसहाराओं, आतंकवाद की शिकार तथा विक्षिप्त महिलाओं के लिए स्वास्थ्य, देखभाल, परामर्श, रोजगारपरक प्रशिक्षण, जागरूकता, पुनर्वास आदि की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं और उन्हें देश की मुख्यधारा में जोड़ने का साहसपूर्ण एवं सराहनीय कदम उठाया जाता है। इस प्रयास से अनेक महिलाओं का जीवन सुधारा जा सका है।


महिलाओं की संवैधानिक स्थिति — भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 19, 21, 23, 24, 37, 39 - (बी), 44 तथा अनुच्छेद 325 के अनुसार स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं। संविधान की दृष्टि में स्त्री-पुरुष में कोई भेद नहीं किया गया है। समाज में जो भेद दृष्टिगोचर होते हैं, वह सब अशिक्षा, संकीर्णता और स्वार्थलिप्सा आदि के कारण ही समाज में विद्यमान हैं।


महिला सशक्तीकरण अधिनियम—संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संसद द्वारा कुछ अधिनियम पारित किए गए हैं; जैसे—एक बराबर पारिश्रमिक एक्ट, दहेज रोक अधिनियम, अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, मेडिकल टर्मनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, बाल-विवाह रोकथाम एक्ट, लिंग परीक्षण तकनीक (लड़का-लड़की जाँच पर रोक) एक्ट, कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन शोषण रोकने तथा उन्हें सुरक्षा देने सम्बन्धी एक्ट आदि। इन अधिनियमों का सही उपयोग कर महिलाएँ अपना शोषण रोकने में समर्थ हो रही हैं।


महिला सुरक्षा के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1090 शक्ति-योजना का शुभारम्भ किया गया है। यह महिलाओं की सुरक्षा हेतु एक बहुआयामी योजना है। इसके अन्तर्गत मोबाइल द्वारा मात्र एक बटन दबाते ही पुलिस नियन्त्रण कक्ष को सूचना मिल जाती है और संकटग्रस्त महिला की स्थिति (स्थान की पहचान) की सही जानकारी पुलिस को हो जाती है, जिससे पुलिस उस महिला की तुरन्त सहायता करती है।


महिला सशक्तीकरण और समाज-भूमण्डलीकरण के इस दौर में स्त्री-पुरुष समानता की दुहाई के साथ-साथ अनेक संगठन, स्वयंसेवी संस्थाएँ, हेल्पलाइनें महिलाओं के सशक्तीकरण और उत्थान में जुटे हुए हैं; फिर भी समाज में महिलाओं की स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं आया इसका मुख्य कारण यह है कि स्वयं महिलाओं में आज भी अन्धविश्वास एवं रूढ़िवादिता की प्रवृत्ति कूट-कूटकर भरी है। निरक्षर अथवा अल्पशिक्षित महिलाओं की तो बात ही छोड़िए, सैकड़ों पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए तन्त्र-मन्त्र, झाड़-फूँक और ढोंगी बाबाओं के जाल में फँसी हैं। रोजगार के क्षेत्र में भी पर्याप्त सुधार नहीं हो पाया है। उच्च पदों पर महिलाओं की नियुक्ति अभी 2 या 3 प्रतिशत ही है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष एक करोड़ पच्चीस लाख लड़कियाँ जन्म लेती हैं, लेकिन तीस प्रतिशत लड़कियाँ 15 वर्ष से पूर्व ही मृत्यु का शिकार हो जाती हैं। राजनीति में भी महिलाओं का प्रवेश हो गया है, संसद में उनकी संख्या भी बढ़ी है। प्रधानमन्त्री, मुख्यमन्त्री, राष्ट्रपति, न्यायाधीश जैसे उच्च पदों को महिलाओं ने सुशोभित किया है। खेलों, फिल्मों, लेखन, पत्रकारिता तथा सौन्दर्य प्रतियोगिताओं में भी महिलाओं ने नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं, परन्तु अभी भी समाज में नारी को वह स्थान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह अधिकारिणी है।


उपसंहार - अन्त में कहा जा सकता है कि महिलाओं को सशक्त करने के लिए कोई ईश्वर या मसीहा अवतरित नहीं होगा और न ही समाज द्वारा नारीवाद की परिभाषा गढ़ने से कोई बात बनेगी। यह तभी सम्भव होगा, जब महिलाएँ अपने अधिकारों के लिए स्वयं आगे आएँ तथा उन अधिकारों के लिए संघर्ष करें। सरकारें भी केवल महिला अधिकारों और कानूनों की संख्या में वृद्धि न करें, बल्कि व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए ऐसे अधिकार और कानून बनाएँ, जिससे वास्तविक सशक्तीकरण की अवधारणा को साकार किया जा सके।


Frequently Asked Questions (FAQ)


Q. सशक्तिकरण का अर्थ क्या है?


उत्तर- सशक्तीकरण का अर्थ है-शक्तिशाली बनाना । वर्तमान में महिला सशक्तीकरण को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक असमानताओं से पैदा हुई समस्याओं के सन्दर्भ में देखा जा रहा है। इसमें जागरूकता, अधिकारों को जानने, सहभागिता और निर्णय लेने के अधिकार जैसे घटक को सम्मिलित किया गया है।


Q. महिला सशक्तिकरण अभियान का क्या उद्देश्य है?

उत्तर-


महिलाओं के प्रति बढ़ती हिंसा को समाप्त करना

•लिंगानुपात को संतुलित करना

•लिंग आधारित आर्थिक असमानता को समाप्त करना

•बाल विवाह पर रोक लगाना

•लड़कियों को शिक्षित करना

•सीमांत तथा शोषित महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाना


Q. महिलाओं की संवैधानिक स्थिति क्या है?

उत्तर- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 ,15, 16 ,19 ,21,23, 24,37 ,39 बी, 44 तथा अनुच्छेद 325 के अनुसार स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त हैं संविधान की दृष्टि में स्त्री पुरुष में कोई भेद नहीं किया गया है।


Q.महिला सशक्तिकरण अभियान की शुरुआत कब की गई?


उत्तर- 8 मार्च 2010 ईस्वी को राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण अभियान नामक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया।


Q .सन 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में महिला और पुरुषों का अनुपात कितना है?


उत्तर- सन 2011 ईस्वी की जनगणना के अनुसार भारत में 1000 पुरुषों पर 943 महिलाएं हैं।


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