हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध//Hindi bhasha ka mahatva in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आप लोगों को बताएंगे हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध इसी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी। तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध//Hindi bhasha ka mahatva in Hindi |
Table of contents
हिंदी भाषा का उद्भव एवं विकास
हिंदी भाषा के उद्भव के संबंध में विद्वान में मतैक्य नहीं है विद्वानों ने सर्वसम्मति से इस का उद्भव संस्कृत से माना।
हिंदी भारत और विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली अनेकों भाषाओं में उच्चतम स्तर पर है अंग्रेजी व चीनी के बाद हिंदी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है।
अन्य देशों में अनुमानता 60 करोड़ लोग हिंदी का ज्ञान रखते हैं हिंदी शब्दों का प्रयोग उत्तर भारत के विस्तृत भू-भाग में प्रयुक्त होता है।
उत्तर भारत के साहित्यिक सांस्कृतिक और जनसंपर्क वाले रूप को हिंदी कहा जाने लगा है संभवत हिंदी साहित्य का उद्भव 19वीं शताब्दी के मध्य हुआ क्योंकि तभी खड़ी बोली साहित्यिक भाषा बनी थी।
भारतीय इतिहास में संस्कृत एवं अन्य भाषाओं को जबान ए हिंद कहा जाता है। आधुनिक काल में खड़ी बोली के साहित्यिक रूप के लिए हिंदीवी शब्द का प्रयोग किया गया।
विस्तृत रूप में भारत की सभी भाषाओं के लिए हिंदी का तथा संकुचित अर्थ में खड़ी बोली के लिए हिंदी शब्द का प्रयोग किया गया।
हिंदी का शाब्दिक अर्थ है -हिंद का
हिंद संस्कृत के किस शब्द से बना है- सिंधु
हिंदू निवासी भूभाग को कहते हैं- हिंद
हिंदी की भाषा कहलाई- हिंदी/हिंदी
हिंदी का विकास क्रम
संस्कृत- पालि- प्राकृत- अपभ्रंश-अवहट्ट-प्राचीन- प्रारंभिक/हिंदी
हिंदी का विकास
प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएं (1500. ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व)
1-वैदिक संस्कृत प्राचीन संस्कृत
2-लौकिक संस्कृत
मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएं (500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व) प्राकृत भाषा
1-प्रथम प्राकृत (पालि शिलालेखी)
2-द्वितीय प्राकृत (प्राकृत)
3-तृतीय प्राकृत (अपभ्रंश भाषा)
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएं (1000 ईसा से अद्यनत)
1-पूर्वी गोडियन
2-पश्चिमी गोडियन
3-उत्तरी गोडियन
4-दक्षिणी गोडियन
हिंदी का प्रारंभिक स्वरूप व विकास
हिंदी शब्द मुक्ता फारसी भाषा से लिया गया है जिसमें स वर्ण ह वर्ण के रूप में प्रयुक्त होता है। इस प्रकार फारसी भाषा में सिंधु को हिंदू तथा भारत को हिंद कहा गया है।
यहां बोली जाने वाली भाषा को हिंदीवी हिन्दूई तथा हिंदी कहा गया। हिंदी संस्कृत से पालि पालि से प्राकृत प्राकृत से अपभ्रंश आदि रूपों से ढलती हुई। कालांतर में मानक वर्तमान रूप में स्वीकृत की गई है।
प्राया 13वीं 14वीं शताब्दी में हिंदी अपने प्रारंभिक रूप में अपभ्रंश भाषा से अलग होकर अपना स्वतंत्र रूप ग्रहण कर सकी।
खड़ी बोली नामकरण
खड़ी बोली मूलतः खरी शब्द से माना जाता है। और खरी का अर्थ शुद्धता से है। हिंदी तथा उर्दू दोनों ही खड़ी बोली के दो साहित्यिक रूप को प्राप्त होते हैं।
विद्वानों के अनुसार उर्दू हिंदी की एक शैली का ही रूप में है। इसी काम में रसात्मकता के लिए महत्व मिला। इसकी कुछ विशेषताएं हैं।
जैसे मानक रूप ना को ड ढ ऐ को एक आदि के उच्चारण में भिन्नता आ जाती हैं। तथा कुछ स्वर वर्ण का लोग और आगमन भी होता है। जैसे पानी पाणी पैर पैर स्टेशन-टेशन, स्कूल-इस्कूल।
हिंदी भाषा का महत्व पर निबंध//Hindi bhasha ka mahatva in Hindi |
हिंदी की बोलियां जनपदीय भाषा
पश्चिमी हिंदी बोलियां- खड़ी बोली, बुंदेली, बांगारू, ब्रजभाषा, कन्नौजी।
पूर्वी हिंदी बोलियां- अवधि, छत्तीसगढ़ी, बघेली
राजस्थानी बोलियां- ढूंढाडी, मेवाती, मालवी, मारवाड़ी।
बिहार बोलियां- मैथिली, मगही, भोजपुरी
पहाड़ी बोलियां- कुमायूंनी, गढ़वाली
विशेष
खड़ी बोली को कौरवी, बांगारू को हरियाणवी तथा जयपुरी को ढूंढडी भी कहते हैं। हिंदी की उत्पत्ति शौरसेनी अपभ्रंश से मानी गई।
उपभाषा
यदि किसी बोली में साहित्यिक रचना होने लगे और क्षेत्र विस्तार हो तो बोली और भाषा का रूप धारण कर लेती है।
भाषा
साहित्यकार द्वारा उपभाषा का अपने साहित्य के द्वारा परिनिष्ठित सर्वमान रुप भाषा कहलाती है।
हिंदी भाषा की बोलियों का संक्षिप्त परिचय
खड़ी बोली
मूल नाम कौरवी अन्य नाम- हिंदुस्तानी, सरहिंदी, वर्नाक्यूलर, खड़ी बोली।
बोली क्षेत्र- मेरठ, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, देहरादून, मुरादाबाद एवं रामपुर बोलने वाले 15 करोड़।
बुंदेली
बुंदेलखंड क्षेत्र में बोली जाने के कारण यह बुंदेली कहीं जाती है शौरसेनी अपभ्रंश से निकली है। इसमें लोक साहित्य काफी रचा गया है ध्यातव्य है की लोक गाथा आल्हा इसी भाषा में निबंद्ध है। गंगाधर व्यास पद्माकर भूषण केशवदास आदि इस बोली की कवि रहे।
बोली क्षेत्र- झांसी, जालौन, ओरछा, नरसिंहपुर, हमीरपुर, सागर, सिवनी, होशंगाबाद, ग्वालियर, ललितपुर, सागर, बांदा, दमोह।
बांगरू हरियाणवी-
बांगरू शुष्क भूमि के कारण इस क्षेत्र की बोली बांगरू कहलाती है हरियाणा प्रदेश एवं दिल्ली का देहाती क्षेत्र बांगुरु बोली का क्षेत्र है इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से माना जाता है इसके लिए देसाडी हरियाणवी एवं जाटू आदि नाम भी प्रयुक्त किए जाते हैं।
बोली क्षेत्र -दिल्ली, करनाल, रोहतक, हिसार, पटियाला, जींद और नाभा।
ब्रजभाषा
सरलता एवं कोमलता इसके विशेष गुण हैं यह भाषा अपनी विराट साहित्य को अपने में समेटे हुए है यथा सूरदास कृत, बिहारी कृत,देव कृत, भूषण कृत, घनानंद कृत साहित्य इसी भाषा में निबंद्ध है इसका प्रमुख केंद्र मथुरा है बोलने वालों की संख्या लगभग तीन करोड़।
बोली क्षेत्र- अलीगढ़, धौलपुर, मथुरा, आगरा, मैनपुरी, एटा, बदायूं आदि का क्षेत्र ब्रजभाषा के अंतर्गत आता है।
FAQ
1-हिंदी भाषा का महत्व क्या है?
एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं।
2-हिंदी भाषा पर निबंध कैसे लिखें?
1) हिंदी हमारी राजभाषा के नाम से जानी जाती है। 2) आज के समय में 70 करोड़ लोग हिंदी भाषा को समझ और बोल सकते हैं। 3) 14 सितंबर 1949 को पहली बार हिंदी भाषा को भारत की राजभाषा होने का सम्मान मिला। 4) हमारे देश के बड़े बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस आदि हिंदी का बड़ा सम्मान करते थे
3-हिंदी भाषा क्या है समझाइए?
हिन्दी जिसके मानकीकृत रूप को मानक हिन्दी कहा जाता है, विश्व की एक प्रमुख भाषा है और भारत की एक राजभाषा है। केन्द्रीय स्तर पर भारत में सह-आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। यह हिन्दुस्तानी भाषा की एक मानकीकृत रूप है जिसमें संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव शब्दों का प्रयोग अधिक है और अरबी–फ़ारसी शब्द
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