20 ऐसे कानूनी अधिकार जो हर भारतीय को पता होने चाहिए
नमस्कार दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको 20 ऐसे कानूनी अधिकार बताने वाले हैं जो हर भारतीयों को जरूर पता होने चाहिए। दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने सभी दोस्तों को share जरूर करिएगा।
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20 ऐसे कानूनी अधिकार जो हर भारतीय को पता होने चाहिए |
• हिंदू मैरिज एक्ट की धारा-13 के अंतर्गत तलाक निम्न आधारों पर लिया जा सकता है : हिंदू मैरिज एक्ट के तहत कोई भी (पति या पत्नी) कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे सकता है। व्यभिचार (शादी के बाहर शारीरिक रिश्ता बनाना), शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना, नपुंसकता, बिना बताए छोड़कर जाना, हिंदू धर्म छोड़कर कोई और धर्म अपनाना, पागलपन, लाइलाज बीमारी, वैराग्य लेने और सात साल तक कोई अता-पता न होने के आधार पर तलाक की अर्जी दाखिल की जा सकती है।
• मोटर वाहन अधिनियम की धारा 129 में वाहन चालकों को हेलमेट लगाने का प्रावधान है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 128 में बाइक पर दो व्यक्तियों का बैठने का प्रावधान है। लेकिन ट्रैफिक पुलिस के द्वारा गाड़ी या मोटरसाइकिल से चाबी निकालना बिल्कुल ही गैरकानूनी है इसके लिए आप चाहें तो उस कॉन्स्टेबल/अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं।
• दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत केवल महिला पुलिसकर्मी ही महिलाओं को गिरफ्तार कर थाने ला सकती है। पुरूष पुलिसकर्मियों को महिलाओं को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है। इतना ही नहीं महिलाएं शाम के 6:00 बजे से सुबह के 6:00 बजे के बीच पुलिस स्टेशन जाने से मना कर सकती हैं। एक गंभीर अपराध के मामले में मजिस्ट्रेट से लिखित आदेश प्राप्त होने पर ही एक पुरूष पुलिसकर्मी किसी महिला को गिरफ्तार कर सकता है।
• बहुत ही कम लोग इस बात को जानते हैं कि यदि उनका गैस सिलेंडर खाना बनाते समय फट जाए तो आप जान और माल की भरपाई के लिए गैस कंपनी से 40 लाख रुपए तक की सहायता के हकदार हैं।
• विदेशी अंशदान नियमन अधिनियम (FCRA)2010 के अंतर्गत आपको यह जानकर अचरज होगा कि यदि आप किसी कंपनी से किसी त्यौहार के मौके पर कोई गिफ्ट लेते हैं तो यह रिश्वत की श्रेणी में आता है। इस जुर्म के लिए आपको सजा भी हो सकती है।
• मोटर वाहन एक्ट, 1988, सेक्शन-185,202 के अंतर्गत ड्राइविंग के समय यदि आपके 100ml ब्लड में अल्कोहल का लेवल 30mg से ज्यादा मिलता है तो पुलिस बिना वारंट आपको गिरफ्तार कर सकती है।
• आपराधिक प्रक्रिया संहिता, सेक्शन-46 के अंतर्गत किसी भी महिला को शाम 6:00 बजे के बाद और सुबह 6:00 बजे से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
• भारतीय दंड संहिता, 166A के अंतर्गत पुलिस अफसर FIR लिखने से मना नहीं कर सकते, ऐसा करने पर उन्हें 6 महीने से 1 साल तक की जेल हो सकती है।
• भारतीय सरिअस अधिनियम 1887 के अंतर्गत कोई भी होटल चाहे वो फाइव स्टार ही क्यों न हो, आपको फ्री में पानी पीने और बाथरूम का इस्तेमाल करने से नहीं रोक सकता है।
• भारतीय दंड संहिता व्यभिचार, धारा 498 के अंतर्गत कोई भी शादीशुदा व्यक्ति किसी अविवाहित लड़की या विधवा महिला से उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
• घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के अंतर्गत यदि 2 वयस्क लड़का या लड़की अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं तो यह गैरकानूनी नहीं है। और तो और इन दोनों से पैदा होने वाली संतान भी गैरकानूनी नहीं है और संतान को अपने पिता की संपत्ति में हक भी मिलेगा।
• पुलिस एक्ट, 1861 के अंतर्गत एक पुलिस अधिकारी हमेशा ही ड्यूटी पर होता है चाहे उसने यूनिफॉर्म पहनी हो या नही। यदि कोई व्यक्ति इस अधिकारी से कोई शिकायत करता है तो वह यह नहीं कह सकता कि वह पीड़ित की मदद नहीं कर सकता क्योंकि वह ड्यूटी पर नहीं है।
• मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के अंतर्गत कोई भी कंपनी गर्भवती महिला को नौकरी से नहीं निकाल सकती, ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल तक की सजा हो सकती है।
• परिसीमा अधिनियम, 1963 के अंतर्गत यदि आपका ऑफिस आपको सैलरी नहीं देता है तो आप उसके खिलाफ 3 साल के अंदर कभी भी रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं। लेकिन यदि आप 3 साल के बाद रिपोर्ट करते हैं तो आपको कुछ भी हासिल नहीं होगा।
• भारतीय दंड संहिता की धारा 294 के अंतर्गत यदि आप सार्वजनिक जगहों पर "अश्लील गतिविधि" में संलिप्त पाए जाते हैं तो आपको 3 महीने तक की कैद भी हो सकती है। परंतु "अश्लील गतिविधि" की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं होने के कारण पुलिस इस कानून का दुरुपयोग करती है।
• हिंदू गोद लेना और रखरखाव अधिनियम, 1956 के अंतर्गत यदि आप हिंदू हैं और आपके पास आपका पुत्र है, पोता है या परपोता है तो आप किसी दूसरे लड़के को गोद नहीं ले सकते हैं। साथ ही गोद लेने वाले व्यक्ति और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 21 वर्ष का अंतर होना जरूरी है।
• दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम 1958, धारा 14 के अंतर्गत यदि आप दिल्ली में रह रहे हैं तो आपका मकान मालिक आपको बिना नोटिस दिए जबरन मकान खाली नहीं करा सकता है।
• आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत टैक्स उल्लंघन के मामले में, कर वसूली अधिकारी को आपको गिरफ्तार करने का अधिकार है लेकिन गिरफ्तार करने से पहले उसे आपको नोटिस भेजना पड़ेगा। केवल टैक्स कमिश्नर फैसला करता है कि आपको कितनी देर तक हिरासत में रहना है।
• मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2016 के अंतर्गत यदि आपका किसी दिन चालान (बिना हेलमेट के या किसी अन्य कारण से) काट दिया जाता है तो फिर दुबारा उसी अपराध के लिए आपका चालान नहीं काटा जा सकता है।
• अधिकतम खुदरा मूल्य अधिनियम, 2014 के अंतर्गत कोई भी दुकानदार किसी उत्पाद के लिए उस पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक रुपए नहीं मांग सकता है परंतु उपभोक्ता, अधिकतम खुदरा मूल्य से कम पर उत्पाद खरीदने के लिए दुकानदार से भाव तौल कर सकता है।
FAQ'S –
प्रश्न - कानूनी अधिकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर - संपत्ति का अधिकार, समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म का अधिकार
प्रश्न - कानूनी अधिकार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर - मूल संविधान में सात प्रकार के मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44 वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) को हटाया गया और इसे संविधान के 300 (a) में कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया। इस प्रकार आज भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकार का वर्णन है।
प्रश्न - एक आम आदमी का अधिकार क्या है?
उत्तर - आम आदमी के अधिकार निम्नलिखित हैं–
सभी इंसान गरिमा और अधिकार के मामले में स्वतंत्र और बराबर हैं।
हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के सभी तरह के अधिकार।
हर इंसान के पास जीवनस आजादी और सुरक्षा का अधिकार है।
किसी भी तरह की गुलामी या दासता से आजादी का अधिकार।
यातना, प्रताड़ना और क्रूरता से आजादी का अधिकार।
प्रश्न - भारत में कितने प्रकार के कानून हैं?
उत्तर - भारत की कानून प्रणाली में नागरिक कानून, सामान्य कानून, प्रथागत कानून, धार्मिक कानून और कारपोरेट कानून शामिल हैं, जो औपनिवेशिक युग से विरासत में मिले कानूनी ढांचे के भीतर हैं और अंग्रेजों द्वारा पहले पेश किए गए विभिन्न कानून आज भी संशोधित रूपों में प्रभावी हैं।
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