वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली की समस्याएं पर निबंध || vartman Bhartiya Shiksha pranali ki samasya essay
शिक्षा की वर्तमान समस्या या शिक्षा- स्तर में गिरावट
- प्रस्तावना
- शिक्षकों की कमी
- शिक्षा का रोजगार परक ना होना
- शिक्षा में वर्तमान समस्या क्या है?
- अपनी संस्कृति पृष्ठभूमि से जुड़ा ना होना
- वर्तमान भारतीय शिक्षा में संकट के कारण
- राष्ट्रीय एकता का अभाव
- भावात्मक एकता का अभाव
- मूल्यपरक शिक्षा का अभाव
- संकुचित दृष्टिकोण का होना
- कक्षा में अधिक छात्र -संख्या होना
- उपसंहार
- FAQ-question
प्रस्तावना - शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास एक समग्र और अनिवार्य प्रक्रिया है। जिससे शिक्षक और विद्यार्थी ही नहीं वरन अभिभावक अभिभावक समाज और राज्य देश संभवत है। शिक्षा व प्रक्रिया है। जिससे मनुष्य को संतुलित रूप से शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है साथ ही उसमें सामाजिकता का गुण भी विकसित होता है या तक की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मुदालियर कमीशन डॉक्टर राधे कृष्ण कमीशन कोठोरी आयोग जैसे अनेक आयोग ने अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की हैं तथा आर्थिक आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी वर्तमान शिक्षा में अनेक समस्याएं आज भी बनी हुई है। और इस सीमा तक इस में परिवर्तन होने चाहिए थे अभी तक नहीं हो पाए हैं।
विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रम में आकांक्षाओं के विपरीत परिवर्तन - आज से विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रम में भी वैसे ही नहीं है जैसे आज से चार पांच दशक पहले हुआ करते थे इस में परिवर्तन हुए हैं जैसे कि व्यवसाय परक शिक्षा ,10 + 2+3 इस इच्छा 3 वर्षीय डिग्री कोर्स ए बोर्ड आदि लेकिन हमारी मानसिक शिक्षा के महत्व और हमारी आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं बन सके यह वर्तमान शिक्षा की समस्या है क्योंकि जब तक समाज की मानसिकता और उसके दृष्टिकोण में आवश्यक और अनुकूल परिवर्तन नहीं होंगे जब तक राष्ट्रीय स्तर पर लाख प्रयास करने के बाद भी हम सफल नहीं हो सकते इसके लिए समुदाय अभिभावक शिक्षक और प्रशासन सभी को शिक्षा की गुणवत्ता और मैथुन के प्रति विशेष जागरूक होना पड़ेगा ।
कक्षा में अधिक छात्र -संख्या होना - कक्षा में अधिक छात्र संख्या का होना भी एक समस्या है। कभी-कभी 100 से 125 तक छात्र की कक्षा में हो जाते हैं ।जिस दिन निर्धारित मानक में बहुत अधिक होते हैं। महाविद्यालयों में इतने बड़े कमरे नहीं होते जहां 100 से 25 छात्रों के बैठने की समुचित व्यवस्था हो सके जिससे व्यवस्था कर दी और सरकार से पाता।
शिक्षकों की कमी - विद्यालयों में शिक्षकों की कमी आज की शिक्षा की मुख्य समस्या है। और अधिकतर विद्यालयों में न्यू पाली व्यवस्था में शिक्षण होता है। पर जब उसने ही है जिसने एक प्याली व्यवस्था में थे ऐसी स्थिति में उचित रूप से अध्यापन नहीं हो सकता है। अध्यापकों को अधिकांश समय पर बनाना ही होता है। अतः उनके पास पर्याप्त समय नहीं बचता था छात्र में सुधार की संभावना नहीं रह जाती है।
शिक्षा का रोजगार परक ना होना - वर्तमान शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे छात्रों को रोजगार दिलाने में असमर्थ है। एम ए करने के बाद छात्र शारीरिक श्रम मुक्त कार्यों को करना नहीं चाहते और उचित रोजगार के लिए अपनी बताएं भी है। इस प्रकार छात्र भ्रमित होकर आज समाज विरोधी कार्यो में जलन होने लगते हैं।
अपनी संस्कृति पृष्ठभूमि से जुड़ा ना होना - अपनी मूल संस्कृति पृष्ठभूमि से जुड़ाव नाम होना भी आज की शिक्षा की एक मुख्य समस्या है। आज समाज में छात्रों और शिक्षकों के प्रति व्यक्ति श्रद्धा नहीं है। जैसी हमारे प्राचीन संस्कृत में हुआ करती थी आंखों में भी वैसे आप गांव नहीं है जैसा पहले करता था इसका कारण उचित वादी संस्कृति का बोलबाला है। उसे छात्रों का चरित्र निर्माण नहीं हो पा रहा है।
अभिभावक अध्यापक में अर्थ पूर्ण विचार विमर्श का अभाव- यदि हमें शिक्षा की समस्याओं से छुटकारा पाना है तो इसके लिए सुविधा भी उपलब्ध है वह बागदा पर प्रिया और प्रबंध में समन्वय स्थापित करना ही होगा शिक्षकों को भी अपने कार्य के प्रति समर्पित होना होगा और ट्यूशन की महामारी से बचकर अपना पूरा ध्यान शिक्षण कार्य में लगाना होगा यदि शिक्षक अपने कार्य के प्रति समर्पित होगा तो उसके हाथों से निर्मित नई पीढ़ी के व्यक्तित्व का विकास हो सकेगा और समस्याओं का समाधान भी हो जाएगा फिर तो यह दायित्व केवल शिक्षक का नहीं है यह छात्र अभिभावक प्रशासन और सरकार का भी दायित्व है कि शिक्षा वर्तमान समस्याओं से अतिशीघ्र निपटा जाए।
वर्तमान भारतीय शिक्षा प्रणाली की समस्याएं पर निबंध || vartman Bhartiya Shiksha pranali ki samasya per essay |
वर्तमान भारतीय शिक्षा में संकट के कारण
वर्तमान भारतीय शिक्षा में संकट के प्रमुख कारण निम्न है-
राष्ट्रीय एकता का अभाव- किसी भी राष्ट्र के अस्तित्व के लिए सबसे पहली मूलभूत आ सकता है उसके नागरिकों में राष्ट्रीय एकता का होना है।
भावात्मक एकता का अभाव - राष्ट्रीय एकता और भावात्मक एकता एक दूसरे की पूर्वक है। एक मेज दूसरी निहित होती है जब राष्ट्रीय एकता का अभाव होगा तो निश्चित रूप से भावात्मक एकता के अभाव के कारण ही होगा।
मूल्यपरक शिक्षा का अभाव - आज इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि भारत में मूल्यों की शिक्षा एवं शैक्षिक मूल्यों में हास हुआ है। मूल संबंधी प्राचीन भारतीय दृष्टिकोण में समस्त जीव मात्र के कल्याण की कामना निहित है।
संकुचित दृष्टिकोण का होना - वर्तमान भारतीय शिक्षा में संकट की स्थिति का एक प्रमुख कारण लोगों का संकुचित दृष्टिकोण का होना है। अभिभावकों की बात करें तो आज भी बहुत से अभिभावक हैं जो कि लड़के तथा लड़कियों में अंतर को स्वीकार करते हैं तथा लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए तत्पर नहीं रहते। दूसरी तरफ अधिकांश अभिभावक ऐसे हैं जो कि अपनी इच्छाओं को अपने बच्चों पर जबरन थोपने का प्रयास करते हैं। बच्चों की इच्छा और क्षमता को अनदेखा करते हैं वहीं दूसरी ओर सरकारी भी शिक्षा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण नहीं रखती है।
उपसंहार - एक बड़ी समस्या यह भी है। कि अभिभावकों का अध्यापकों से छात्रों के संबंध में उचित विचार विमर्श नहीं हो पाता आज का अभिभावक अपने बच्चों को विद्यालय में प्रवेश किसी भी कराने के बाद कभी कक्षा अध्यापक या विषय अध्यापक से उसने नहीं जाता कि उसका बाल विद्यालय से निवेदन उसे भी आ रहा या नहीं उसकी प्रगति कैसी है। या हमें उसके लिए क्या करना चाहिए जिससे वह सम्मानित सम्मानित सहित उत्तीर्ण हो सके अब संस्कृति के प्रचार में सदन दूरदर्शन के विदेशी चैनलों ने छात्रों के भविष्य को अंधकार में बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
FAQ-question
Question- शिक्षा में वर्तमान समस्या क्या है?
Ans- मुख्य समस्या शासन की गुणवत्ता (Abysmal Quality of Governance) में कमी मानी गई है। शिक्षा प्रणाली "समावेशी" नहीं है। शिक्षक प्रबंधन, शिक्षक की शिक्षा और प्रशिक्षण, स्कूल प्रशासन और प्रबंधन के स्तर पर कमी। पाठ्यक्रमों में व्यावहारिकता की कमी।
Question-भारत में शिक्षा की प्रमुख समस्या क्या है?
Ans- धर्म, लिंग-भेद, सामाजिक स्तर, आर्थिक स्तर, सामाजिक परंपराएं, भौगोलिक परिस्थितियां, राजनीतिक तत्व आदि अनेक कारक शिक्षा में पहुंच को प्रभावित करते हैं भारत में शिक्षा की प्रमुख बांधा है।
Question-शिक्षा में समस्या का समाधान क्या है?
Ans- सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे सभी बच्चों की शिक्षा आवश्यकता को पूरा कर सकें। शिक्षकों को कक्षाओं में जाने से पहले उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले सेवा पूर्ण शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए जो पढ़ाए जाने वाले विषयों के ज्ञान तथा प्रशिक्षण पद्धतियों के बीच ज्ञान के बीच संतुलन पैदा कर सके।
Question- आज शिक्षा में प्रमुख मुद्दे क्या है?
Ans- हमारे देश का शिक्षा क्षेत्र शिक्षकों की कमी से सर्वाधिक प्रभावित है। UGC के अनुसार, कुल स्वीकृत शिक्षण पदों में से 35% प्रोफेसर के पद, 46% एसोसिएट प्रोफेसर के पद और 26% सहायक प्रोफेसर के पद रिक्त हैं। सरकारें भी शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिये निरंतर प्रयास करती रहती हैं।
Question-शिक्षा का स्तर का मतलब क्या होता है?
Ans-
शैक्षिक स्तर का अर्थ
यह ध्यान रखा जाता है कि बालक उसका ज्ञान इस प्रकार प्राप्त कर लेगी उच्च स्तर की सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक दोनों परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सके। और प्राप्त किए हुए ज्ञान को अपने जीवन में प्रयोग कर सकें।
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