मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध / Essay on Maulana Abul Kalam Azad in Hindi

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मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध / Essay on Maulana Abul Kalam Azad in Hindi

मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध / Essay on Maulana Abul Kalam Azad in Hindi

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               मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध 

Table of contents-

1. प्रस्तावना

2. परिवार

3.जन्म

4.आरंभिक जीवन एवं शिक्षा

5. लेखन 

6.पत्रकारिता

7. हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक 

8.राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान

9.उपसंहार

10.FAQs


नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारे एक और नये आर्टिकल पर। आज की पोस्ट में हम आपको भारत देश के पहले शिक्षामंत्री रहे मौलाना अबुल कलाम आजाद पर हिंदी में निबंध (Essay on Maulana Abul Kalam Azad in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस निबंध से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं।  तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।


1. प्रस्तावना- मौलाना अबुल कलाम आजाद एक ऐसा नाम जिसने इस मिथक को मिटा दिया कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में केवल हिंदुओं का ही योगदान है। आपने मुस्लिम होने के बावजूद भी भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया और अनेक बार अंग्रेजों का विरोध करने में कारण जेल भी गए। एक ऐसा स्वतंत्रता सेनानी जिसने मुस्लिम होने के बावजूद भी सदैव हिंदू मुस्लिम एकता की बात की। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने सदैव भारत देश के हित के बारे में सोचा एवं अपने राष्ट्र को आजाद करने के लिए यदि अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़े तो इसके लिए भी वह सदैव तैयार रहते थे। उनके जीवन का बस एक ही मकसद था कि कैसे भारत देश को अंग्रेजी शासन से मुक्त कराया जाए? यही कारण है कि मुस्लिम होने के बावजूद भी मौलाना अबुल कलाम आजाद आज भी समस्त भारतवासियों के दिलों में राज करते हैं। जब- जब भारत देश के स्वतंत्रता सेनानियों की बात होगी तब- तब मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम बड़ी ही श्रद्धा एवं प्रमुखता से लिया जाएगा।


देश को आजाद कराने में कई महापुरुषों ने अपना अमूल्य योगदान दिया।  इनमें कई ऐसे महापुरुष हैं जिनका त्याग अपेक्षाकृत अधिक था।  ऐसे ही एक महापुरुष में मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम आता है।  जिनकी कुर्बानी हमें हमेशा उनकी याद दिलाती है।  मौलाना आज़ाद ने हमारे समाज के लिए जो अद्वितीय और सराहनीय कार्य किया, वह भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में सुनहरे शब्दों में लिखे जाने के योग्य है।


2. परिवार- मौलाना आज़ाद के पूर्वज मुग़ल शासक बाबर के शासनकाल में ईरान से भारत आए थे।  उनके पिता का नाम मौलाना खैरुद्दीन हैदर था जो अपने समय में अरबी के बड़े विद्वान थे।  अंग्रेजों के दमन चक्र से पीड़ित मौलाना खैरुद्दीन ने 1857 में भारत छोड़ दिया और मक्का के धार्मिक वातावरण में बस गए। साथ ही उनका विवाह भी एक अरबी विद्वान की पुत्री से हुआ था।  


3.जन्म- अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का में हुआ था। उनके जन्म के 2 साल बाद ही उनके माता-पिता भारत आ गए थे।  अबुल कलाम अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे।


4.आरंभिक जीवन एवं शिक्षा - मौलाना आज़ाद का बचपन का नाम गुलाम मोहिउद्दीन हैदर था।  वह अपने नाम के साथ गुलाम शब्द को किसी भी तरह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे, इसलिए उन्होंने अपना नाम मोहिउद्दीन हैदर से बदलकर अबुल कलाम आजाद रख लिया।  यह स्व-दत्त नाम बाद में ऐसा चला कि असली नाम पूरी तरह से खो गया।


वे बचपन से ही प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे।  उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके पिता ने घर पर ही शुरू की थी।  बाद में हर विषय के अलग-अलग शिक्षक घर पर पढ़ने आते थे।  इसलिए उन्हें स्कूल आने का मौका नहीं मिला।  उनका दिमाग इतना तेज था कि वह जिसे भी एक बार देख लेते थे, उनके दिमाग में पूरी तरह बैठ जाते थे।  फलस्वरूप मात्र 14 वर्ष की अल्पायु में ही वे साहित्य, दर्शन, गणित आदि विषयों में पारंगत हो गए थे।


5. लेखन- अबुल कलाम आज़ाद ने 1902 में 14 साल की उम्र में एक साहित्यिक पत्रिका 'लिसानुसिदक' का संपादन कार्य शुरू किया था। उस समय इस पत्रिका ने बड़ा आश्चर्य खड़ा किया था।  इसके अतिरिक्त आजाद ने 'उन नदव', 'वकील', 'दारुल सल्तनत' आदि पत्रिकाओं का कुशल संपादन किया।


6.पत्रकारिता -अंग्रेज फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रहे थे।  मौलाना आज़ाद इस नीति का रहस्य अच्छी तरह जानते थे।  देश की एकता के लिए उन्होंने मुसलमानों में राष्ट्रीय भावना जाग्रत करने तथा उनके मन में देश के प्रति नई आशा जगाने के उद्देश्य से 'अल हिलाल' नामक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया।

यह पत्रिका इतनी लोकप्रिय हुई कि इसकी एक भी प्रति नहीं बची।  इसमें राष्ट्रीय विचारधारा के लेख थे।  अंतत: 'अल हिलाल' और स्वयं मौलाना आजाद अंग्रेजों के शिकार बने। सरकार ने इस पत्रिका पर प्रतिबंध लगा दिया।  फिर भी वे चुप नहीं रहे, उन्होंने एक और पत्रिका 'अल बलाग' का प्रकाशन शुरू किया।  जब इस पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया तो उन्होंने 'पैगम' नामक साप्ताहिक पत्रिका निकालनी शुरू की।  इसके अलावा भी उनके पास कई अहम काम हैं।


मौलाना अबुल कलाम आजाद पर निबंध
मौलाना आजाद : देश के प्रथम शिक्षा मंत्री

7. हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक - मौलाना आज़ाद के दो मुख्य उद्देश्य थे - राष्ट्रीय स्वतंत्रता और हिंदू-मुस्लिम एकता।  'अल-हिलाल' और 'अल-बलाग' के प्रकाशन में ये दोनों मूल भाव निहित थे, जो तत्कालीन शासकों के हित के नहीं थे।  इसलिए उन्हें 3 साल तक रांची जेल में रहना पड़ा।


जब वे जेल से छूटे तो देश में असहयोग आंदोलन चल रहा था।  वह उसमें कूद गया और महात्मा गांधी के संपर्क में आया।  दोनों एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे।  गांधी को मौलाना जैसे देशभक्त युवक की जरूरत थी।  बहुत कम समय में ही वे राष्ट्रीय कांग्रेस के बहुत सक्रिय सदस्य बन गए। सितंबर 1923 में, मौलाना को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।  अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा कि अगर हमें हिंदू और मुसलमानों के भेदभाव से 24 घंटे के भीतर भी आजादी मिल जाती है तो हम इसे खारिज कर देंगे क्योंकि देश की एकता आजादी से ज्यादा जरूरी है।  26 जनवरी 1924 को उन्होंने एकता सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली।


8.राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान- 1927 में, उन्होंने अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ साइमन कमीशन का बहिष्कार किया और पूरे देश का दौरा किया।  1935 में प्रांतीय सरकार में शामिल होने पर, उन्हें संसदीय समिति का सदस्य चुना गया।  1940 में वे फिर से कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, उस समय उन्हें कई नेताओं के साथ जेल भेजा गया था।


1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के कारण उन्हें जेल भी भेजा गया।  इसी अवधि में उनकी पत्नी और बहन की मृत्यु हो गई।  मौलाना आजाद जैसे धर्मपरायण महापुरुषों के कारण 1947 में देश को आजादी मिली। जब भारत आजाद हुआ तो पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रधानमंत्री चुने गए।  मौलाना आजाद की प्रखर विद्वता से प्रभावित होकर नेहरू ने उन्हें देश का शिक्षा मंत्री नियुक्त किया क्योंकि किसी भी देश की प्रगति वहां की शिक्षा पर निर्भर करती है। 1947 के भीषण नरसंहार से मौलाना के दिल को गहरा सदमा लगा था। मौलाना लोकसभा के दोनों आम चुनाव जीतकर आए और देश के शिक्षा मंत्री बने रहे।  मौलाना ने अपने कार्यकाल में देश की तरक्की के लिए शिक्षा नीति की नींव रखी, उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।


 9.उपसंहार

मौलाना आज़ाद जैसे नेता को पाकर भारत को गर्व महसूस होता है।  यद्यपि वे 22 फरवरी, 1958 को देश और समाज के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करके दुनिया से चले गए, लेकिन उनके सिद्धांत और नीतियां हमें हर समय प्रेरणा देती रहती हैं कि देश की स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण देश की एकता है।  भारत उनके ईमानदार प्रयासों का हमेशा ऋणी रहेगा।



FAQs


1.मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म कब एवं कहां हुआ था?

उत्तर- अबुल कलाम आज़ाद का जन्म 11 नवंबर, 1888 को मक्का में हुआ था।


 2.भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन थे?

 उत्तर-मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 1947 से 1958 तक स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।


 3.राष्ट्रीय शिक्षा दिवस क्यों मनाया जाता है?

 उत्तर-स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती के उपलक्ष्य में 11 नवम्बर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाते हैं।


4.मौलाना अबुल कलाम आजाद के पिता का क्या नाम था ?

उत्तर- मौलाना अबुल कलाम आजाद के पिता का नाम मौलाना खैरुद्दीन हैदर था।


5.मौलाना अबुल कलाम आजाद का निधन कब हुआ?

उत्तर-मौलाना अबुल कलाम आजाद की मृत्यु 22 फरवरी सन 1958 को हुई थी।


6.मौलाना अबुल कलाम आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष कब बने?

उत्तर- सितंबर 1923 में, मौलाना को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।


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