भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है।

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भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है।

भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है?

नमस्कार दोस्तों आज के इस आर्टिकल में चर्चा करेंगे मिट्टी कितने प्रकार की होती है, भारत में कितने प्रकार की मिट्टी पाई जाती है सभी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी। तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने दोस्तों में ज्यादा से ज्यादा शेयर।

भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है।
भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है।

Table of contents


भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है?

मिट्टी के प्रकार

भारत में मिट्टी के नाम और प्रकार

मिट्टी के तीन मुख्य प्रकार कौन से हैं

भारत में कौन सी मिट्टी उपलब्ध है?

मिट्टी का नाम क्या है?

मिट्टी के रंग कितने होते हैं?

भारत में जलोढ़ मिट्टी कहां पाई जाती है?

भारत में काली मिट्टी कहां पाई जाती है?

FAQ


भारत में मिट्टी 8 प्रकार की पाई जाती है।

पर्वतीय मिट्टी

जलोढ़ मिट्टी

काली मिट्टी

लाल मिट्टी

लैटेराइट मिट्टी

मरुस्थली मिट्टी

पीटमय मिट्टी तथा जैव मिट्टी

वन मिट्टी


मृदा से संबंधित जानकारी

हमारे देश में मिट्टी का अत्यधिक महत्व है क्योंकि मिट्टी के बिना कोई भी काम करना संभव नहीं है मिट्टी के बिना आप किसी भी इमारत को तैयार नहीं कर सकते हैं इसके अलावा जब बात आ जाए खेती की तो मिट्टी की महत्वता और भी अधिक बढ़ जाती है जिसमें किसानों द्वारा फसलों को तैयार किया जाता है कहां जाएं तो मिट्टी हमारे जीवन का एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बिना जीवन जीना असंभव माना जाता है।


 मिट्टी के कितने प्रकार होते हैं सभी मिट्टी पर फसल को नहीं उगाया जा सकता है। इसलिए यदि आपको मिट्टी के बारे में अधिक जानकारी नहीं है तो आप लोगों को मिट्टी के सभी प्रकार सभी की जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।


मृदा किसे कहते हैं?

पृथ्वी की ऊपरी सतह पर मोटे मध्यम और भारी कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा या मिट्टी कहा जाता है यदि हम ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाते हैं तो वहां पराया चट्टान शैल पाई जाती है। लेकिन कभी-कभी मिट्टी हटाने से थोड़ी गहराई पर ही चट्टान पाई जाती है।


दोमट मिट्टी ऐसी मिट्टी होती है जो मुख्य रूप से जल को अवशोषण कर देती है 1953 में मृदा संरक्षण के लिए केंद्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की गई थी।


सर्वप्रथम 1879 सी ईस्वी में डोक शैव ने मिट्टी का वर्गीकरण करते हुए मिट्टी को सामान और असामान्य मिट्टी में विभाजित किया, जिसके बाद भारत की मिट्टियां स्थूल रूप से 5 वर्गों में विभाजित की गई है।


जलोढ़ मृदा

काली मृदा

लाल मृदा

लैटेराइट मृदा

शुष्क मृदा


जलोढ़ मिट्टी (दोमट मिट्टी)

भारत में सबसे अधिक क्षेत्र में पाई जाने वाली जलोढ़ मिट्टी होती है जिसे दोमट मिट्टी भी कहा जाता है। जलोढ़ मिट्टी भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 43.4 प्रतिशत भाग पर पाई जाती है इस मिट्टी का निर्माण नदियों के निक्षेपण पर से किया गया है। लेकिन जलोढ़ मिट्टी में नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की मात्रा कम पाई जाती है जिस स्थान पर जलोढ़ मिट्टी अधिक पाई जाती है, वहां पर फसल के उत्पादन के लिए यूरिया खाद डालना बहुत ही आवश्यक होता है।


जलोढ़ मिट्टी में पोटाश एवं चूना की अधिक मात्रा नहीं पाई जाती है इसके साथ ही जलोढ़ मिट्टी के नीचे पड़ से ही भाग में उत्तर का मैदान गंगा का क्षेत्र सिंध का मैदान ब्रह्मपुत्र का मैदान गोदावरी का मैदान कावेरी का मैदान नदिया आदि बनी हुई है। गेहूं की फसल के लिए भी जलोढ़ मिट्टी सबसे उपयोगी मानी जाती है। इसके अलावा इस मिट्टी में ध्यान एवं आलू की खेती भी की जाती है जलोढ़ मिट्टी का निर्माण बालू मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी के मिलने से हुई है जलोढ़ मिट्टी का रंग हल्का धूसर होता है।

भारत में मिट्टी कितने प्रकार की पाई जाती है।

काली मिट्टी

भारत में जलोढ़ मिट्टी के बाद सबसे अधिक इस्तेमाल काली मिट्टी का किया जाता है इसलिए क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो भारत में काली मिट्टी का दूसरा स्थान है काली मिट्टी का सबसे अधिक उपयोग भारत में महाराष्ट्र और दूसरे स्थान पर गुजरात राज्य में खेती के लिए किया जाता है इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी के उद्गार के कारण बेसाल्ट चट्टान के निर्माण होने से हुआ है वहीं दक्षिण भारत में काली मिट्टी को रेगुर के नाम से जाना जाता है। किरण में काली मिट्टी को शाली का नाम दिया गया है। और वहां उत्तर भारत में काली मिट्टी को केवाल से जाना जाता है।


लाल मिट्टी

क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो भारत में लाल मिट्टी ने अपना तीसरा स्थान बना रखा है भारत में 5.1800000 वर्ग किलोमीटर पर लाल मिट्टी का विस्तार है वहीं इस मिट्टी का निर्माण ग्रेनाइट चट्टान के टूटने से की गई है लाल मिट्टी तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक विस्तृत है लाल मिट्टी के नीचे अधिकांश में खनिज पाए जाते हैं।


लाल मिट्टी में भी नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक नहीं पाई जाती है लाल मिट्टी में आयरन ऑक्साइड पाया जाता है जिसकी वजह से इसका रंग लाल दिखाई देता है लाल मिट्टी फसल के उत्पादन के लिए अच्छी नहीं होती है इस मिट्टी में अधिकतर मोटे अनाज जैसे ज्वार बाजरा मूंगफली अरे यार मक्का आज की उपज की जाती है इसके अलावा इस मिट्टी में धान की खेती भी की जाती है।


पीली मिट्टी

भारत के केरल राज्य में सबसे अधिक पीली मिट्टी पाई जाती है। जिस चित्र में लाल मिट्टी पाई जाती है और साथ ही में उस मिट्टी में अधिक वर्षा हो जाती है तो अधिक वर्षा के कारण लाल मिट्टी के रसायनिक तक अलग हो जाते हैं जिसकी वजह से उस मिट्टी का रंग पीला दिखाई देने लगता है।


लैटेराइट मिट्टी

भारत में क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से देखा जाए तो लैटेराइट मिट्टी का चौथा स्थान है। यह मिट्टी भारत में 12.6 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है। लैटेराइट मिट्टी में लौह ऑक्साइड एवं एल्यूमीनियम ऑक्साइड की अधिक मात्रा पाई जाती है। लेकिन नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश चुना एवं कार्बनिक तत्व अधिक नहीं पाए जाते हैं। लैटेराइट मिट्टी चा एवं कॉफी फसल के लिए सबसे उपयोगी मानी जाती है।


इसलिए भारत में लेटराइट मिट्टी असम कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्य में अधिक पाई जाती है यह मिट्टी पहाड़ी एवं पठारी क्षेत्र में भी अधिक पाई जाती है इस मिट्टी में काजू की फसल अच्छी होती है इसमें लौह ऑक्साइड एवं अल्युमिनियम ऑक्साइड की मात्रा अधिक पाई जाती है। लेकिन इस मिट्टी में नाइट्रोजन फास्फोरस पोटाश एवं चूना कम होता है।


पर्वतीय मिट्टी

पर्वतीय मिट्टी ऐसी मिट्टी होती है जिसमें कंकड़ एवं पत्थर की मात्रा अधिक पाई जाती है पर्वतीय मिट्टी में भी पोटाश फास्फोरस एवं चूने की मात्रा कम होती है पहाड़ी क्षेत्र के नागालैंड में झूम खेती सबसे अधिक की जाती है पर्वती क्षेत्र में सबसे अधिक गर्म मसाले की खेती की जाती है।


शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी

शुष्क एवं मरुस्थलीय मिट्टी ऐसी मिट्टी होती है जिसमें घुलनशील लवण एवं फास्फोरस की मात्रा अधिक पाई जाती है इस मिट्टी में नाइट्रोजन एवं कार्बनिक तत्व की मात्रा अधिक नहीं होती है यह मिट्टी तिलहन के उत्पादन के लिए अधिक उपयोगी होती है।


मरुस्थली मिट्टी में भी अच्छी फसल का उत्पादन किया जाता है लेकिन इसके लिए आपके पास चल की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए इस मिट्टी में तिलहन के अधिक ज्वार बाजरा एवं रवि की फसल की पैदावार अच्छी होती है।


लवणीय मिट्टी एवं क्षारीय मिट्टी

लवणीय मिट्टी को क्षारीय मिट्टी रेह मिट्टी, उसर मिट्टी, एवं कल्लर मिट्टी भी कहा जाता है। जिस क्षेत्र में जल की निकास की सुविधा नहीं पाई जाती है उस क्षेत्र में क्षारीय मिट्टी पाई जाती है। क्षेत्र की मिट्टी में सोडियम मैग्नीशियम की मात्रा अधिक पाई जाती है जिससे वह मिट्टी क्षारीय हो जाती है। क्षारीय मिट्टी का निर्माण समुद्र तटीय मैदान में अधिक किया जाता है इस में नाइट्रोजन की मात्रा कम पाई जाती है।


जैविक मिट्टी

जैविक मिट्टी को दलदली मिट्टी भी कहा जाता है भारत में दलदली मिट्टी का क्षेत्र केरल उत्तराखंड एवं पश्चिम बंगाल में उपलब्ध है दलदली मिट्टी में भी फास्फोरस एवं पोटाश की अधिक मात्रा नहीं पाई जाती हैं लेकिन इसमें लवण की मात्रा अधिक पाई जाती है दलदली मिट्टी भी फसल के उत्पादन के लिए अच्छी मानी जाती है।


FAQ

1-भारत में जलोढ़ मिट्टी कहां पाई जाती है? उत्तर-भारत में उत्तर के विस्तृत मैदान तथा प्रायद्वीपीय भारत के तटीय मैदानों में मिलती है यह अत्यंत उपजाऊ है इसे जलोढ या कछारी मिट्टी भी कहा जाता है। यह भारत की 43% भाग में पाई जाती है यह मिट्टी सतलुज गंगा यमुना घाघरा गंडक ब्रह्मपुत्र और इनकी सहायक नदियों द्वारा लाई जाती है इस मिट्टी में कंकड़ नहीं पाए जाते हैं।


2-भारत में काली मिट्टी कहां पाई जाती है? उत्तर-काली मिट्टी महाराष्ट्र मध्यप्रदेश का नाटक के उत्तरी भागों गुजरात में कुछ हिस्सों तेलंगाना और तमिलनाडु में पाई जाती है इनका भारत में लगभग 5.4600000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा है।

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