15 अगस्त पर निबंध हिंदी में | Independence Day Essay in Hindi up board.live
प्रस्तावना - आज हम स्वतंत्रता और उसकी शांतिपूर्ण खुली हवा का आनंद ले रहे हैं, जिस शांति का अनुभव महसूस करते हैं, वह शांति और खुशी की लहर देने का योगदान में ना जाने कितने देशवासियों ने अपनी जान गवा कर दी 15 अगस्त का दिन वह दिन होता है। जिस दिन हम स्वतंत्र हुए 15 अगस्त भारत का राष्ट्रीय त्योहार है, जिसे हम बहुत ही खुशी और उल्लास से मनाते हैं।
सर्वप्रथम झंडा वंदन - सर्वप्रथम 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने लाल किले के केलाहोरी गेट के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। जिसकी शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी, जिसके चलते प्रत्येक वर्ष हमारे देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं। ,200 साल कि ब्रिटिश समाज की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को का दिन हमारे देश का सबसे स्वर्णिम दिन कहां जाता है।
15 अगस्त पर निबंध हिंदी में | Independence Day Essay in Hindi up board.live |
स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम - स्वतंत्रता दिवस का जब कार्यक्रम शुरू होता था, तब हमारी स्कूल में परेड होती थी। ठीक उसी तरीके से जैसे एनसीसी में होती है परेड का एक चक्कर पूरा हो जाने के बाद ध्वजारोहण होता था और उसके बाद राष्ट्रगान शुरू हो जाता था हमारे स्कूल के प्रोग्राम के अंदर छात्राओं द्वारा राजस्थानी नृत्य किया जाता था। इसके अलावा देश भक्ति गीत गाए जाते थे, एनसीसी के द्वारा कुछ तरीके बताए जाते हैं जैसे अगर कोई घायल हो जाता है तो उसको इस तरीके से उठाया जाता है रस्सी किस तरीके से बांधी जाती है कुछ इस तरीके के बताए जाते थे जब सारा कार्यक्रम पूरा हो जाता था। इसके बाद स्वतंत्रता दिवस में भाग ले जाने वाले छात्र-छात्राओं को बुलाकर एक-एक करके पुरस्कार दिया जाता था। पुरस्कार में ₹5 का पेन दिया जाता था। उस समय हमें उनके द्वारा दिए गए पुरस्कार से इतनी खुशी होती थी, जितनी आज भी नहीं होती थी मेरे बचपन का 15 अगस्त मुझे हमेशा याद रहेगा उसके बाद मिठाई महोत्सव होता था और सबको लाइन से एक-एक करके मिठाई बांटी जाती थी।
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास - आज अगर हम स्वतंत्रता दिवस के इतिहास के बारे में सोचें तो आज उन शहीदों की याद में आंखों में आंसू आ जाते हैं जिन्होंने अपनी जान देकर हमें स्वतंत्रता दिलाई और हमें अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाया और आजादी को हमें एक उपहार के रूप में देकर शहीद हो, गए अंग्रेजों के अत्याचार और उनसे तंग आकर भारती एकजुट हो गए इन अंग्रेजों से छुटकारा पाने के लिए सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, ने क्रांति की मशाल जलाई और कितने ही देश भक्तों ने अपने प्राणों की आहुति दी जिनमें महात्मा गांधी, सरदार भाई पटेल ने सत्य और अहिंसा के सारे सत्य ग्रह आंदोलन चलाकर उनकी लाठियां खाई और जेल गए इन आंदोलनों की वजह से अंग्रेज भारत छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो गए आखिरकार 15 अगस्त 1947 का दिन हमारे देश के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन कहा जा सकता है। जिससे हम खुली हवा में सांस ले सकें और उसके बाद हमें यह स्वर्णिम आजादी मिली।
धन्य है वह स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने शहीद होकर हमें आज स्वतंत्रता का स्वर्णिम दिन दिखाया।
स्वतंत्रता दिवस एक महोत्सव का दिन - 15 अगस्त 1918 को पूरे भारत में 76 वा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। इस दिन हमारे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। स्वतंत्रता दिवस पूरे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में मनाया जाता है। स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले राष्ट्रपति जी राष्ट्र के नाम संबोधन में भाषण देते हैं 15 अगस्त के दिन प्रधानमंत्री जी लाल किले पर झंडा फहराते हैं, और तोपों की सलामी दी जाती है स्वतंत्रता दिवस के दिन उन देश भक्तों को श्रद्धांजलि दी जाती है। जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री जी अपना भाषण देते हैं। उस भाषण में देश की उपलब्धि और सामाजिक मुद्दों और विकास के बारे में बातें होती हैं, उस दिन ध्वजारोहण, राष्ट्रगान, परेड समारोह, और अन्य संस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, ध्वजारोहण भारत के सभी सरकारी गैर सरकारी विद्यालय महाविद्यालय सभी जगह पर होता है और सभी जगहों को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं।
स्वतंत्रता सेनानीयों का योगदन (Contribution of Freedom Fighters)
हमारे स्वतंत्रता सेनानी जैसे गांधी जी, जिनका आज़ादी के लिए संघर्ष में अतुल्य योगदान रहा है और वे सबसे लोकप्रिय भी थे। उन्होने सबको सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया और वह अहिंसा ही था, जो सबसे बड़े हथियार के रूप में उभरा और कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति के जीवन में भी उम्मीद के दीपक जलाए। गांधी जी ने देश से कई कुप्रथाओं को हटाने के कुलजोर प्रयास किये और सभी तबकों को साथ लाया, जिसकी वजह से यह लड़ाई और आसान हो गई। उनके लिये लोगों का प्यार ही था जो लोग उन्हें लोग बापू बुलाते थे।
साइमन कमीशन के विरोध में सब शांतिप्रिय तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन इसी बीच अंग्रेजों ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया और इसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इससे आहत होकर भगत सिंह, सुख देव, राजगुरू ने सांडर्स की हत्या कर दी और बदले में इन्हें फ़ासी की सजा हुई और वे हंसते-हंसते फ़ासी की तख्त पर चढ़ गए।
आजादी की इस लड़ाई में सैकड़ों ऐसे नाम हैं जैसे सुभाष जन्द्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, गणेश शंकर विद्यार्थी, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि जिनके योगदान अतुलनीय हैं।
आजादी का रंगीन पर्व (Independence Day Festival)
स्वतंत्र भारत में इस पर्व को मनाने के तरीके अलग-अलग हैं। हफ्ते भर पहले से बाजारों में रौनक आ जाती है, कहीं तीन रंगों की रंगोली बिकती है, तो कहीं तीन रंगों की लाइटें। पूरा समां ही मानो इन रंगों में समा जाता है। कहीं पर खुशी का माहौल होता है, तो कहीं देशभक्ती गीतों की झनकार। पूरा देश नाचते-गाते इस उत्सव को मनाता है। लोग खुद भी झूमते हैं और दूसरों को भी थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। पूरा देश एक जुट हो जाता है वो भी ऐसे, कि क्या हिंदू क्या मुसलमान, कोइ भेद ही नज़र नहीं आता।
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना
देश में जब युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई थी उसी समय 64 सदस्यों के साथ दिसंबर वर्ष 1885 को राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना की गयी। इस पार्टी में देश के सभी लोग बढ़-चढ़कर शामिल होने लगी राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में मुख्य भूमिका दादा भाई नौरोजी और ए ओ हूम ने निभाई। बहुत से क्रांतिकारी गतिविधियां की जाने लगी इसके बाद भारतीय मुस्लिम लीग व अन्य कई राष्ट्रीय दलों की स्थापना की गई।
स्वतंत्रता दिवस पर खतरा
स्वतंत्रता दिवस मनाने के दौरान खतरों का डर रहता है। जो कि आतंकवाद का डर है इसलिए उस दिन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जी की कड़ी सुरक्षा के साथ ही दिल्ली मुंबई और जम्मू-कश्मीर, जैसे अन्य बड़े शहरों को हमलों से बचाने के लिए लाल किले पर 'नो फ्लाई जॉन 'घोषित कर दिया है। सुरक्षा की वजह से पूरे देश में पुलिस बल को तैनात किया जाता है। देश भले ही स्वतंत्र हो गया हो पर ब्रिटिश राज्य के धार्मिक आधार के कारण भारत का विभाजन हुआ। जिसके कारण भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ भारत के विभाजन के बाद देश में हिंसक दंगे भड़के और संप्रदायिक हिंसा की घटनाएं होने लगी देश के बंटवारे में आतंकवाद को जन्म दिया जिसका असर आज हमारा देश सह रहा है।
भारत देश एक गुलाम के तौर पर
अब सभी भारतीयों को पूर्ण रूप से पता लग चुका था कि वे सभी गुलाम बन चुके हैं।ब्रिटिशो द्वारा भारतीयों को अंग्रेजी सिखाने युवा नेता और तरीके सीखाने के लिए उनसे कुछ भी करा लेते थे जो भारतीयों को समझ नहीं आता था। उन्हें लगता था वह हमें अंग्रेजी और अन्य तौर तरीके से खाने में हमारी मदद कर रहे हैं। लेकिन ऐसा करते-करते ब्रिटिश भारतीयों पर शासन करने लगे ब्रिटिशो ने भारतीयों को ना केवल शारीरिक बल्कि उन्हें मानसिक रूप से भी परेशान किया इसी के बाद बहुत से युद्ध भी हुए।
उपसंघार
15 अगस्त का दिन हम हिंदुस्तानियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है हमें उन शहीदों के प्रति नतमस्तक होकर श्रद्धा से शीश झुकाना चाहिए और उनकी प्रति हमारा शीश स्वम् ही नतमस्तक हो जाता है। जिन्होंने हमें स्वतंत्रता दिलाई इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है। कि हम ऐसे कार्य करें जिससे हमारे देश का नाम रोशन हो, इसके लिए हमें देश के कुछ खतरनाक रोग जैसे घुस, जमाखोरी, कालाबाजारी, भ्रष्टाचार, जैसी बीमारियों को खत्म करना होगा ताकि देश के लिए जिन्होंने अपनी आहुति दी वह व्यर्थ ना जाए।
FAQ-question answer
प्रश्न -भारत के लिए 15 अगस्त का क्या महत्व है?
उत्तर- 15 अगस्त 1947 की रात भारत देश आजाद हुआ था अंग्रेजों ने पूरे 200 सालों तक हम पर राज किया था।
प्रश्न - स्वतंत्रता दिवस का क्या अर्थ है?
उत्तर- यह प्रत्येक भारतीय को एक नई शुरुआत की याद दिलाता है। इस दिन 200 वर्ष से अधिक समय तक ब्रिटिश उपनेश्वद के चंगुल से छूटकर एक नए युग की शुरुआत हुई थी। 15 अगस्त 1947 वह भाग्यशाली दिन था जब भारत को ब्रिटिश उपनेश्वद से स्वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई।
प्रश्न -15 अगस्त पर भाषण कैसे दें?
उत्तर- 15 अगस्त 1947 के दिन हमने अपने औपनिवेशिक शासन को बेड़ियों को काट दिया था। उसे दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था। उसे शुभ दिवस की वर्षगांठ मानते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं उन्होंने अपना सर्वस्वर्धन कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।
प्रश्न -स्वतंत्रता क्यों मनाया जाता है?
उत्तर- साल 1947 देश को 15 अगस्त के दिन आजादी मिली थी अंग्रेजों के जुल्मों को कार्य 200 साल तक झेलने के बाद मिली मुक्ति में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने खून की आहुति दी। ऐसे में हर भारती के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है लोग स्वतंत्रता दिवस पर सेनानियों द्वारा किए गए अप्रत्यम त्याग और वरदान को याद करते हैं।
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