शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani

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शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani

शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani

शिवपूजन सहाय जन्म -


आचार्य से पूजन सहायक का जन्म 9 अगस्त 1993 को बिहार, के उनवास जिला शाहाबाद में हुआ था। 1939 में वह छपरा के राजेंद्र कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक नियुक्त हुए जबकि आपकी औपचारिक शिक्षा केवल मैट्रिक तक हुई थी।


अपने हिंदी के अनेक साहित्य महारथी के लेखन को सजाया-  संवारा, उपन्यास सम्राट प्रेमचंद राजा राधिका प्रसाद सिंह और जयशंकर प्रसाद की कृतियां आपकी लेखनी का स्पर्श पाकर निखर गई। प्रसिद्ध साहित्यकार रावण ने श्रद्धा के फूल में लिखा है,"आचार्य शिव जी ने लिखा कम कम पर कामयाबी की पांडवी लिपि में संशोधन करने का गौरव उन्हें ही प्राप्त हुआ.


शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani
शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani

आपकी सापदान कल के विषय में एक बार दुबे जी ने कहा था, संपादक के रूप में वे माली थे उसी तरह नए पौधों को रोकते थे बेहतरीन झाड़ियां को काट छांट कर सुरमय बना देते।उनके द्वारा संपादित पत्र पत्रिकाएं केवल सामाजिक दृष्टि से ही नहीं साहित्य की स्थाई दृष्टि से भी ग की तरह महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक दर्जन से अधिक पत्रकारों का संपादन और सह संपादन किया।


से पूजन सहाय ने समस्त जीवन हिंदी की सेवा की अपने जीवन का अधिकांश भाग हिंदी भाषा की उन्नति तथा उसके प्रचार प्रसार में न्योछावर कर दिया।


Table of contents 

शिव पूजन सहित जीवन परिचय - biography of Aacharya shivpujan Sahay in Hindi jivani

शिवपूजन सहाय जन्म -

शिवपूजन सहाय की शिक्षा

शिवपूजन सहाय का साहित्यिक जीवनी

शिवपूजन सहाय की प्रमुख रचनाएं

कथा एवं उपन्यास

हिंदी के गद्य साहित्य में स्थान

सेवाएँ

शिवपूजन सहाय का लेखन कार्य

शिवपूजन साहब को उनके पिताजी क्या कह कर पुकारते थे।


शिवपूजन सहाय की शिक्षा


सहायक की शुरुआती पढ़ाई गांव के पाठशाला से हुई थी उसके बाद उन्होंने आरा से मैट्रिक परीक्षा पास की थी उनके पिताजी का मृत्यु शिव पूजन सहाय के बचपन में ही हो गया था शिवपूजन सहाय के 14 वर्ष की अवस्था में विवाह हुआ लेकिन कुछ ही दिनों बाद उनकी पत्नी का मृत्यु हो गया फिर उन्होंने दूसरी शादी की कुछ दिनों बाद उन्होंने आर के क अकैडमी स्कूल में शिक्षक पद पर नौकरी की लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर गांधी जी के असहयोग आंदोलन में कौन पड़े और उनके जीवन की नई दिशा शुरू हो गई।


शिवपूजन सहाय का साहित्यिक जीवनी


Shivpujan Sahay ने 1920 – 21 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया उसके बाद उन्हें आरा के नगर प्रचारिणी सभा में सहकारी मंत्री बनाया गया कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना संपादन कार्य शुरू किया उन्होंने अभिनंदन ग्रंथ राजेंद्र अभिनंदन ग्रंथ में संपादन किया. असहयोग आंदोलन से जुड़ने के बाद ही उन्होंने  संपादन कार्य शुरू कर दिया. उस समय के साप्ताहिक पत्रिका  मतवाला में उन्होंने अपना संपादक कार्य शुरू किया मतवाला एक बहुत ही लोकप्रिय पत्रिका बन गया वह भी शिवपूजन सहाय के लिखने के कारण ही हुआ.


शिवपूजन सहाय की प्रमुख रचनाएं


सहायजी ने पत्र-पत्रिकाओं में संपादन भी किया. उनकी रचनाओं में भाषा बहुत ही सहज होती थी. उनके रचनाओं में उर्दू शब्द का बहुत प्रयोग हुआ हैंं. कहीं-कहीं उन्होंने अपनी रचनाओं में अलंकार अनुप्रास भाषा का भी प्रयोग किया है. उनकी प्रमुख रचनाएं हैं. Shivpujan Sahay ने माता का आंचल पाठ में अपने बचपन के बारे में अपने बचपन के कई बातें उन्होंने लिखा है। उनका कहना था कि उनके पिताजी सुबह ही जग करके नहा कर के पूजा करने लगते थे और वह छोटे से थे लंबी लंबी जटाएं निकली हुई थी और भभूत लगाल करके भोलेनाथ की तरह बन जाते थे.


इसीलिए उनके पिताजी भोलेनाथ कहते थे Sahay ऐसी लेख ऐसी रचना करते थे की लोग पढ़ करके दंग रह जाते थे इसीलिए उन्हें भाषा का जादूगर भी कहा जाता था है। गांव में देहात में जिस तरह ग्रामीण जीवन होता है लोगों का रहन सहन बोलचाल खाने पीने का ढंग बात करने का तरीका होता है उसी तरह से उन्‍होंने अपनी रचनाओं में दर्शाया है ग्रामीण जीवन का उन्होंने बहुत ही सुंदर वर्णन अपनी रचनाओं के माध्यम से किया है.


कथा एवं उपन्यास


  • वे दिन वे लोग

  • बिंब प्रतिबिंब

  • मेरा जीवन

  • स्मृति शेष

  • हिंदी भाषा और साहित्य

  • ग्राम सुधार

  • देहाती  दुनिया

  • विभूति शिवपूजन सहाय

  • साहित्य समग्र 10 खंड

  • शिवपूजन सहाय रचनावली चार खंड

  • उन्होंने बहुत सारे पत्र-पत्रिकाओं में संपादन भी किया है प्रमुख संपादन कार्य जयंती स्मारक ग्रंथ, दिवेदी अभिनंदन ग्रंथ, अनुग्रह अभिनंदन  ग्रंथ,  हिंदी साहित्य और बिहार, अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ,  बिहार की महिलाएं रंगभूमि संपादित पत्रिका है पत्र पत्रिकाएं मारवाड़ी सुधार मतवाला जागरण गंगा हिमालय साहित्य इत्यादि.


हिंदी के गद्य साहित्य में स्थान


उनका स्थान हिंदी के गद्य साहित्य में बहुत ही विशिष्ट है उन्होंने अपनी रचनाओं में उर्दू शब्द का बहुत प्रयोग किया है मुहावरों का उपयोग किया है सहाय जी के रचनाओं में अलंकार अनुप्रास की भाषा भी इस्‍तेमाल की गई है शिवपूजन सहाय प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद के साथ भी कार्य किया था. उनका स्थान गद्य साहित्य में क्या था इसी से सोचा जा सकता है की छायावाद के चार स्तंभों में से एक स्तंभ माने जाने वाले हजारी प्रसाद द्विवेदी जी ने Shivpujan Sahay के बारे में कहा था वह एक संपादक के रूप में माली थे. क्योंकि जब किसी फूल को किसी पौधे को रोपा जाता है तो माली ही उस पौधे को काटकर छांटकर के उसमें पानी रोज-रोज डाल कर के सुंदर बनाता है उसी तरह शिवपूजन जी भी अगर किसी पत्र-पत्रिका या किसी भी तरह के साहित्य की जब रचना करते हैं तो बहुत ही महत्वपूर्ण और बहुत ही सुंदर हो जाता है.


सेवाएँ


शिवपूजन सहाय की सेवाएँ हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय हैं। 1921-1922 ई. के आस-पास शिवपूजन सहाय ने आरा से निकलने वाले 'मारवाड़ी सुधार' नामक मासिक पत्रिका का सम्पादन किया। उन्होंने 1923 ई. में वे कलकत्ता के 'मतवाला मण्डल' के सदस्य हुए और कुछ समय के लिए 'आदर्श', 'उपन्यास तरंग', तथा 'समन्वय' आदि पत्रों में सम्पादन का कार्य किया। शिवपूजन सहाय ने 1925 ई. में कुछ मास के लिए 'माधुरी' के सम्पादकीय विभाग को अपनी सेवाएँ अर्पित कीं। वह 1930 ई. में सुल्तानगंज-भागलपुर से प्रकाशित होने वाली 'गंगा' नामक मासिक पत्रिका के सम्पादक मण्डल के सदस्य भी हुए। एक वर्ष के उपरान्त काशी में रहकर उन्होंने साहित्यिक पाक्षिक 'जागरण' का सम्पादन किया। शिवपूजन सहाय काशी में कई वर्ष तक रहे। 1934 ई. में लहेरियासराय (दरभंगा) जाकर मासिक पत्र 'बालक' का सम्पादन किया। भारत की स्वतंत्रता के बाद शिवपूजन सहाय 'बिहार राष्ट्रभाषा परिषद' के संचालक तथा 'बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन' की ओर से प्रकाशित 'साहित्य' नामक शोध-समीक्षाप्रधान त्रैमासिक पत्र के सम्पादक थे।


शिवपूजन सहाय का लेखन कार्य


बिहार के रहने वाले शिवपूजनजी अपने समय के बहुत ही महान प्रसिद्ध लेखक थे उनकी रचनाएं कई भिन्न-भिन्न प्रकार के हैं उन्होंने कई विषयों से संबंधित पुस्तकें भी लिखी है Shivpujan Sahay ने बिहार से संबंधित कई रचनाएं की है.


बिहार के ग्रामीण जीवन से संबंधित रचनाएं उन्होंने की है जैसे कि बिहार का बिहार, विभूति, देहाती दुनिया, बिहार के ऐतिहासिक स्थल भौगोलिक स्थिति बिहार के हर क्षेत्र उपरांत के बारे में उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से बताया है.


देहाती दुनिया नाम की रचना जब उन्होंने लिखा था तो उस रचना का एक पांडुलिपि नष्ट हो गया था उसी समय लखनऊ में हिंदू मुस्लिम दंगे भड़क गए गए थे उसी में उनका यह रचना कहीं नष्ट हो गया था.


इस बात का उन्हें बहुत कष्ट हुआ लेकिन उन्होंने फिर से उसको दोबारा लिखा और दुबारा से उस पुस्तक को उन्होंने प्रकाशित कराया लेकिन फिर भी वह खुश नहीं थे


क्योंकि उनका कहना था कि जो पहले लिखा जाता है उसमें कुछ अलग वर्णन होता है उसमें अपना भावना सोच अलग होता है वही चीज जब दोबारा लिखा जाता है तो उसमें कुछ दूसरा चीज लिखा होता है.


महाभारत से संबंधित या महाभारत में जो पात्र थे उनके जीवनी के ऊपर भी शिवपूजन सहाय ने लिखा है उनकी कई रचनाएं है जो कि 4 खंडों में शिवपूजन रचनावली के नाम से प्रकाशित हुआ है.


FAQ-question answer


प्रश्न -शिवपूजन सहाय का जन्म कहां हुआ था?

उत्तर- शिवपूजन सहाय का जन्म भोजपुरी में हुआ था।


प्रश्न -शिवपूजन सहाय अपने समय के कैसे व्यक्त थे?

उत्तर- शिवपूजन सहाय अपने समय के लेखकों में बहुत लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति थे। उन्होंने जागरण, हिमालय, माधुरी, बालक आदि कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही वे हिंदी की प्रतिष्ठित पत्रिका मतवाला के संपादक-मंडल में थे। सन् 1963 में उनका देहांत हो गया।


प्रश्न -शिवपूजन साहब को उनके पिताजी क्या कह कर पुकारते थे।

उत्तर- से पूजन सहायक को उनके पिताजी भोला कहकर पुकारते थे।


प्रश्न -शिवपूजन सहाय के बचपन का नाम क्या था?

उत्तर- महान उपन्यासकार तथा सम्पादक आचार्य शिवपूजन सहाय का जन्म बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड अंतर्गत उनवास गांव में 9 अगस्त 1993 ई. को भगवान शिव की असीम कृपा से हुआ था। यहीं कारण है कि इनके माता पिता ने इनका नाम शिवपूजन रख दिया। आचार्य के बचपन का नाम भोला था।


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