रक्षा बंधन पर निबंध - Raksha Bandhan Essay in Hindi
परिचय | रक्षा बंधन की प्रस्तावना
रक्षा बंधन अर्थात भाई बहन के रिश्ते का त्योहार हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। जो भाई-बहन के रिश्तो को और भी मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। यह त्यौहार भारत के लगभग हर हिस्से में मनाया जाता है। इसके साथ ही इसे नेपाल और पाकिस्तान में भी बड़े उत्सव के साथ मनाया जाता है हिंदू धर्म के लोगों के अलावा इसे भारत वर्ष में अन्य धर्मों के लोग भी बड़े उत्सव के साथ मनाते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जो पारिवारिक बंधनों के एकता और मजबूती को दर्शाता है, कहा जाता है कि इस दिन भाई बहन की आजादी उसका सम्मान और रक्षा का प्रतिज्ञा लेता है यह भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। जो एक दूसरे को बंधे रखता है जो जन्मों-जन्मों तक एक दूसरे को साथ देता है।
रक्षा बंधन का इतिहास | रक्षा बंधन की शुरुआत कब हुई
रक्षाबंधन के पर्व का इतिहास काफी प्राचीन है। इस पर्व की उत्पत्ति को लेकर कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं। रक्षाबंधन की शुरुआत से जुड़ी कई सारी पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित हैं।
सिकंदर से जुड़ी रक्षाबंधन की कथा
इतिहास में सिकंदर और पंजाब के प्रतापी राजा पूरुवास या जिन्हें प्राय: पोरस के नाम से जाना जाता है। के बीच हुए युद्ध से तो सभी लोग भली-भांति परिचित हैं रक्षाबंधन की एक कथा के अनुसार सिकंदर को युद्ध में किसी प्रकार के प्राण घातक हमले से बचाने के लिए उसकी पत्नी ने राजा पोरस को अपना भाई मानते हुए उन्हें राखी बांधी थी। और उनसे अपने पति सिकंदर के प्राणों की रक्षा का वचन लिया था।
जब राजा बलि को रक्षासूत्र में बांधा गया
रक्षा बंधन के उत्पत्ति से जुड़ी यह पौराणिक कथा सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। जिसके अनुसार जब असुरों के राजा बलि ने सो अश्वमेध यज्ञ करके स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयत्न किया। तो इंद्र सहित सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की तो भगवान विष्णु वामन रूप धारण करके राजा बलि के द्वार पर पहुंचे जहां राजा बलि ने उनकी इच्छा पूछी तो वामन रूप में विष्णु ने कहा हे राजन मुझे तीन पग धरती चाहिए। राजा बलि ने उनकी यह इच्छा मान ली तो वह मन रूपी भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण करके दो पदों में तीनों लोकों को माप लिया। जब भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीसरे पद के लिए स्थान पूछा तो उन्होंने कहा कि हे प्रभु आप तीसरे पद को मेरे मस्तिष्क पर रख दें। उनकी इस भक्ति और दान भाव से भगवान विष्णु बहुत ही प्रसन्न हुए। तथा उन्होंने राजा बलि को पाताल का राजा बना दिया। और उनसे वर मांगने को कहा इस पर राजा बलि ने भगवान विष्णु को दिन-रात अपने सामने रहने का वचन ले लिया। जब भगवान विष्णु काफी समय बिताने के बाद बैकुंठ नहीं लौटे तो लक्ष्मी जी परेशान हो उठे और देवर्षि नारद से सहायता के लिए प्रार्थना की तब देवर्षि नारद ने उन्हें भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त कराने का उपाय बताया। उस उपाय का पालन करते हुए। लक्ष्मी जी ने राजा बलि को रक्षा सूत्र में बांधकर अपना भाई बना लिया, और जब राजा बलि ने उनसे कुछ मांगने को कहा तो वह भगवान विष्णु को राजा बलि के वचन से मुक्त करा कर वापस ले आयी। ऐसा माना जाता है जब देवी लक्ष्मीजी ने राजा बलि को राखी बांधी तो उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी यही कारण है कि रक्षाबंधन के पर्व को बलेव के नाम से भी जाना जाता है।
इंद्र देव से जुड़ी रक्षा बंधन की कथा
रक्षाबंधन से जुड़ी एक कथा भविष्योत्तर पुराण में वर्णित है। जिसके अनुसार एक बार देवासुर संग्राम में देवों की पराजय होने लगी तब इंद्र ने देव गुरु बृहस्पति से इसका उपाय पूछा इस पर देव गुरु बृहस्पति ने उन्हें मंत्र शक्ति से संपन्न रक्षा सूत्र दिया। और कहा कि इसे अपनी पत्नी से कलाई पर बंधवा कर युद्ध के लिए जाओ ऐसा करने से तुम्हारी विजय अवश्य होगी। उनकी बात मान कर इंद्र ने ऐसा ही किया और युद्ध से विजयी होकर लौटे।
महाभारत काल की रक्षा बंधन की कथा
महाभारत में रक्षाबंधन के पर्व कई उल्लेख मिलते हैं। जब युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि प्रभु मैं इन सभी बाधाओं और संगठनों को कैसे प्राप्त कर सकता हूं। तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें राखी का त्यौहार मनाने की सलाह दी थी। इसके साथ ही जब सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था, तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई थी। तब द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़ कर उनकी उंगली में पट्टी बांध दी थी। उनके इस कार्य से प्रभावित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था। कहा जाता कि जिस दिन यह घटना घटित हुई थी वह श्रावण पूर्णिमा का ही दिन था।
रक्षा बंधन 2022 कब है | रक्षा बंधन कब मनाया जाता है
रक्षाबंधन हर साल तिथि अनुसार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का यह अनोखा पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2022 में रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा।
रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं | रक्षा बंधन का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का यह अनोखा पर्व मनाया जाता है। इस पवित्र पर्व पर बहने अपने भाइयों को राखी बांधते हुए उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। और अपनी रक्षा का वचन मांगती हैं, हालांकि इसके अलावा शिष्यों द्वारा अपने गुरु तथा ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को भी राखी बांधने की प्रथा रही है। लेकिन आज के समय में इसका प्रचलन काफी कम देखने को मिलता है। रक्षाबंधन के पर्व को मनाने को लेकर कई सारी मान्यताएं प्रचलित हैं, लेकिन वास्तव में रक्षाबंधन का यह पर्व मानवीय भावनाओं की शक्ति को प्रदर्शित करने के साथ ही वचन बद्धता की शक्ति को प्रदर्शित करने का कार्य करता है। रक्षा बंधन का पर्व भाई बहन का त्यौहार होता है, जहां भाई बहन की रक्षा का वचन करता है, और वही बहन भाई की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की प्रार्थना करती है।
रक्षाबंधन किस किस स्थान पर मनाया जाता है
राखी का पर्व मुख्य रूप से भारत तथा नेपाल में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त मलेशिया तथा अन्य देशों में (जहां भारतीय निवास करते हैं) मनाया जाता है।
स्कूल में राखी का त्यौहार
राखी का पर्व अपने घर के अतिरिक्त स्कूलों में उतने ही प्यार से मनाया जाता है। यह विद्यालयों में राखी के अवकाश से एक दिन पहले आयोजित किया जाता है। इसमें बालकों की पूरी कलाई बालिकाओं द्वारा रंग बिरंगी राखी से भर दिया जाता है। कुछ बालकों की इसमें सहमति नहीं होती है परंतु परिस्थिति के अनुसार उन्हें यह करना पड़ता है। सच में यह रोचक दृश्य होता है।
जैन धर्म में रक्षाबंधन क्यों और कैसे मनाते हैं
जैन धर्म में रक्षा बंधन का दिन बहुत शुभ माना जाता है इस दिन एक मुनियों के प्राण बचाए थे। इस वजह से जैन धर्म से संबंध रखने वाले लोग इस दिवस पर हाथ में सूत का डोर बांधते हैं।
रक्षा बंधन का महत्व | रक्षाबंधन का महत्व क्या है
रक्षा बंधन का पर्व हमें इस बात का एहसास दिलाता है। कि भावनाओं में कितनी शक्ति होती है। रक्षा सूत्र का बहन द्वारा उसके भाई को बांधी गई भावनाओं की वह शक्ति होती है, जो कि उसे इस बात का एहसास दिलाता है कि विकट परिस्थितियों में रक्षा सूत्र रूपी यह धागा उसकी रक्षा करेगा ठीक उसी प्रकार भाई द्वारा बहन को इस चीज का वचन दिया जाता है। कि वह हर विपत्ति में उसकी रक्षा करने का प्रयास करेगा।
रक्षाबंधन वह पर्व है, जो हमें विश्वास और भावनाओं की शक्ति के महत्व को दिलाता है कि इस पर्व का यह महत्व हमें इससे जुड़ी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं में भी देखने को मिलता है। चाहे फिर वह इंद्र से जुड़ी कथा हो या कर्णावती और हुमायूं की दोनों ही रक्षा तथा इससे जुड़ी भावना की शक्ति को दिख लाने का कार्य करता है। यही कारण है कि रक्षाबंधन के इस पर्व को हिंदू संस्कृति में इतना महत्वपूर्ण स्थान मिला हुआ है।
उपसंघार
अतः हम यह कह सकते हैं कि राखी का यह त्यौहार भाई एवं बहन के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। आज के दौर में यह पर्व हमारी संस्कृति की पहचान बना चुका है। और हमें इस पर गर्व होना चाहिए, इस त्यौहार को मनाने के साथ ही हम सभी को एक दूसरे के साथ मिल-जुल कर रहने का संकल्प भी लेना चाहिए, सुख दुख में सभी के साथ मिल-जुल कर रहना चाहिए।
महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1- रक्षा बंधन क्या है?
उत्तर रक्षाबंधन भाई बहनों के बीच नि:स्वार्थ प्रेम का त्यौहार है।
प्रश्न 2- रक्षा बंधन की शुरुआत कब से हुई?
उत्तर रक्षाबंधन की शुरुआत लगभग 6 हजार वर्ष पहले होने का अनुमान लगाया जाता है।
प्रश्न 3- रक्षाबंधन कब मनाया जाता है?
उत्तर रक्षाबंधन श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
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