जीवन में खेलकूद के महत्व पर निबंध || essay on importance of sports in Hindi
जीवन में खेलकूद के महत्व पर निबंध || essay on importance of sports in Hindi |
प्रस्तावना – खेल हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है, यह हमारे शारीरिक एवं मानसिक दोनों ही के विकास का स्रोत है, यह जहां हमारे शरीर के रक्त परिसंचरण में सहायक है, वहीं दूसरी ओर हमारे दिमागी विकास में लाभकारी है, खेल व्यायाम का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। खेल ही हमारे शरीर को हष्ट-पुष्ट, गतिशील एवं स्फूर्ति प्रदान करने में सहायक होते हैं।
एक सफल इंसान के लिए चाहिए कि वह मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ रहें, मानसिक विकास की शुरुआत हमारे स्कूल के दिनों से होना प्रारंभ हो जाती है, किंतु शारीरिक विकास के लिए व्यायाम जरूरी है जो हमें खेलों के माध्यम से प्राप्त होता है।
खेलों के प्रकार —
खेल कई तरह के होते हैं जिन्हें मुख्यत: बांटा गया है–इनडोर और आउटडोर। इंडोर खेल; जैसे– ताश, लूडो, कैरम, सांप सीढ़ी आदि ये मनोरंजन के साथ-साथ बौद्धिक विकास में सहायक होते हैं वहीं आउटडोर खेल; जैसे–क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, बैडमिंटन, टेनिस, वॉलीबॉल आदि शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में लाभकारी हैं। इन दोनों वर्गों में अंतर बस इतना है कि आउटडोर खेलों के लिए बड़े मैदान की आवश्यकता होती है। यह खेल हमारे शरीर को फिटनेस एवं तंदुरुस्त बनाए रखने में सहायक है जबकि इंडोर खेलों में ऐसे बड़े मदान की जरूरत नहीं होती हैं, यह घर आंगन कहीं भी खेले जा सकते हैं। इन खेलों में सभी पीढ़ी के लोग चाहे बालक, युवा और चाहे वृद्ध पीढ़ी ही क्यों ना हो, सभी अपनी रुचि रखते हैं, आउटडोर खेल हमारे शारीरिक विकास में लाभकारी होते हैं वहीं दूसरी ओर शरीर को स्वस्थ, सुडौल तथा सक्रिय बनाए रखते हैं, जबकि इनडोर खेल हमारे दिमागी स्तर को तेज करते हैं। साथ-ही-साथ मनोरंजन का उत्तम स्रोत माने जाते हैं।
खेलो से लाभ –
आजकल की व्यस्त दिनचर्या में खेल ही एकमात्र साधन है। जो मनोरंजन के साथ हमारे विकास में सहायक है, यह हमारे शरीर को स्वस्थ एवं तंदुरुस्त बनाए रखता है। इससे हमारे नेत्रों की ज्योति बढ़ती है, हड्डियां मजबूत एवं रक्त का संचार उचित रूप से होता है। खेलो से हमारे पाचन तंत्र पूर्ण रूप से कार्य करते हैं। खेल एक व्यायाम है जिससे हमारे दिमागी स्तर का विकास होता है, ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है, इस तरह के व्यायाम से शरीर के सारे अंग पूर्ण रूप से काम करते हैं, जिससे हमारा दिन अच्छा एवं खुशनुमा होता है। खेलकूद से विद्यार्थियों में नेतृत्व, आज्ञा पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्गुणों का विकास होता है। साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है। उपयुक्त गुणों से संपन्न स्वस्थ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं। खेलो से हमारा शरीर सुडौल एवं आकर्षक बनता है, जो आलस्य को दूर कर ऊर्जा प्रदान करता है, अतः हमें रोगों से मुक्त करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास में खेल अपनी अहम भूमिका अदा करता है। इससे ही मनुष्य आत्मनिर्भर तथा जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
खेल कूद का महत्व —
खेलकूद से विद्यार्थियों में नेतृत्व,आज्ञा पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्गुणों का विकास होता है। साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है। उपयुक्त गुणों से संपन्न स्वस्थ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं। देश रक्षा के लिए सेना को ऐसे ही शक्तिशाली युवाओं की आवश्यकता होती है। भारत जैसा विकासशील देश विशाल नियमित सेना का खर्च नहीं उठा सकता। हमारे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शरीर को सुदृढ़ बनाएं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के दौरान वे सैनिकों के कंधे-से-कंधा मिलाकर देश रक्षा में अपना योगदान दे सकें।
जीवन की सफलता का आधार खेल —
प्राचीन समय से ही खेलों का जीवन जीने का आधार माना गया है, इससे हमारे शरीर का विकास तो होता ही है, साथ ही यह हमारे जीवन को भी सफल बनाता है। भारत में सरकार खेल में ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित करती है, अर्जुन एवं द्रोणाचार्य जैसे पुरस्कार इसी श्रेणी में आते हैं, महिलाओं ने भी इस दिशा में नाम रोशन किया है। पी.टी.उषा, मैरीकॉम, साइना नेहवाल, एवं सानिया मिर्जा जैसी महिला खिलाड़ियों ने खेलों के विभिन्न वर्गों में सफलता अर्जित की है, जिनमें से पी.टी.ऊषा दौड़ में, मैरी कॉम मुक्केबाजी में, साइना नेहवाल बैडमिंटन में एवं सानिया मिर्जा ने टेनिस में सफलता हासिल कर देश का नाम गौरवान्वित किया है। खेलों को भारतीय संस्कृति एवं एकता का प्रतीक भी कहा जाता है इसमें कोई जाति धर्म का विरोधी नहीं किया जाता, अपितु कोई भी किसी भी धर्म का व्यक्ति इसे खेल सकता है। इस प्रकार खेल हमारे मार्ग की प्रगति को सुनिश्चित कर एक सफल जीवन बनाने में सहायक है।
स्वास्थ्य ही सच्ची संपत्ति है—
'स्वास्थ्य ही धन है' एक पुरानी कहावत है जो आज भी उतनी ही सच है, अनेक प्रकार के खेलकूदों के द्वारा विद्यार्थी अपने स्वास्थ्य और शरीर का निर्माण कर सकते हैं। इनके द्वारा स्वच्छ वायु और खुले वातावरण में अच्छी कसरत हो जाती है सारे दिन पढ़ाई या काम करते-करते व्यक्ति खिन्न हो जाता है। खेलों के द्वारा यह खिन्नता और उदासी बड़ी आसानी से दूर हो जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है। भारत को ऐसे किताबी कीड़ों की आवश्यकता नहीं है, जिनके गाल पिचके और आंखें धंसी हो, अच्छे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वह सभी बातों पर समुचित ध्यान दें उसे पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए लेकिन खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। उसे इस कहावत का पालन करना चाहिए कि 'काम के समय काम और खेल के समय खेल' सुख और प्रसन्नता का मार्ग है।
खेलो से हम क्या सीखते हैं—
खेलों से अनुशासन और खेल की सही भावना सीखते हैं। सच्चा खिलाड़ी हार और जीत से प्रभावित नहीं होता। वह खेलने के लिए खेल खेलता है। खेलों के माध्यम से ही हर्ष और शौक की बिना परवाह किए हम जीवन की राह पर चलना सीखते हैं। खेलों के द्वारा हमें हंसते-हंसते असफलता का सामना करना आ जाता है तथा सफलता से फूल नहीं उठते। खेलों के द्वारा ही हम जीवन की सही कला सीखते हैं। क्योंकि हम भली-भांति जान लेते हैं कि जीवन संग्राम में वही विजयी हो सकता है जो धैर्य पूर्वक सतत प्रयत्नशील रहे। खेलों से हमारे चरित्र का निर्माण होता है। खिलाड़ी अपने प्यार, सद्भावना और ईमानदारी की भावना से टीम का कप्तान सदस्यों का मन जीत लेता है। खिलाड़ियों को अपने कप्तान की आज्ञा पालन करने की आदत भी पड़ जाती है। इस तरह के खेल कूद के द्वारा श्रेष्ठ नागरिक तैयार होते हैं। इसके अलावा, विद्यार्थियों को नीरस पढ़ाई से इनके द्वारा छुटकारा मिलता है और उनका उत्साहवर्धन होता है। खेलो द्वारा खाली समय का सर्वोत्तम उपयोग होता है तथा किया जा सकता है।इनसे युवाओं की फालतू शक्ति का सही उपयोग यदि इसे खेलों में नहीं लगाया जाता, तो शरारती और अनुशासनहीनता को बढ़ावा मिलता है। खाली दिमाग शैतान की कार्यशाला होता है। पढ़ाई के बाद के खाली समय में विद्यार्थियों को व्यस्त रखने का यह बड़ा उपयोगी साधन है।
भारत का विश्व में स्थान —
खेलो के संबंध में हमारे देश ने अंतरराष्ट्रीय रूप से सफलता प्राप्त की है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में हो कुश्ती, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, निशानेबाजी सभी वर्गों में अपनी-अपनी कुशलता से प्रसिद्धि हासिल की है। सुशील कुमार 'विश्व कुश्ती चैंपियनशिप' में स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले पहले पहलवान हैं, महिला मुक्केबाज मैरीकॉम एक प्रसिद्ध मुक्केबाज है जिन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत मणिपुर राज्य से की, जिन्हें भारत सरकार द्वारा विभिन्न रत्नों; जैसे– पदमश्री अर्जुन पुरस्कार, राजीव गांधी खेल पुरस्कार इत्यादि से नवाजा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाले ओलंपिक खेलों, जो हर चार साल के अंतराल में आयोजित किए जाते हैं, में भी भारत ने सफलता हासिल की है। वर्ष 2012 में भारत ने 4 कांस्य एवं 2 रजत इस तरह 6 पदक प्राप्त कर गौरवान्वित किया है। अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले जाने वाले खेल जैसे कॉमनवेल्थ गेम्स तथा एशियाई खेलों में भी भारतीय खिलाड़ियों ने अपना नाम विश्व स्तर पर रोशन किया है।
उपसंहार —
जैसे जीवन को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए हमारे शरीर का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे शरीर के पूर्ण विकास हेतु व्यायाम बहुत जरूरी है। खेलों में भाग लेने से हमारे शरीर का अच्छा व्यायाम होता है। यह बालकों एवं युवाओं के मानसिक तथा शारीरिक दोनों ही विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कुछ माता-पिता खेलों को सिर्फ मनोरंजन का साधन समझकर बालकों के खेलों में रुचि लेने का विरोध करते हैं, परंतु खेल ही एक ऐसा व्यायाम है जिससे हमारे शारीरिक अंगों के साथ-साथ मानसिक विकास में सहायक है। इससे हमारे दिमाग का संतुलित विकास होता है, इसलिए हम यह कह सकते हैं कि खेलों का हमारे जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इससे मनुष्य आत्म-विश्वासी एवं प्रगतिशील बनता है। हमें बस चाहिए कि हम इस नई पीढ़ी को किताबी ज्ञान के साथ-साथ खेलों में उनकी रुचि बढ़ाएं व सभी साधन उपलब्ध कराएं जो उन्हें खेलों में भी बढ़ने में सहायक हो। किसी महान पुरुष ने कहा है कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। स्वस्थ जीवन ही सफलता प्राप्त करने की कुंजी है। इस तरह खेल हमारे जीवन को सफल बनाने में सहायक है।
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