तुर्रम खान कौन था सभी जानकारी हिंदी में//The Story of Turram khan in Hindi

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तुर्रम खान कौन था सभी जानकारी हिंदी में//The Story of Turram khan in Hindi

तुर्रम खान कौन था सभी जानकारी हिंदी में//The Story of Turram khan in Hindi

खुद को तुर्रम खान समझते हो यह लाइन तो सुनी होगी लेकिन इसके पीछे कौन शख्स है आज उससे भी जान लीजिए इस पोस्ट के माध्यम से आप लोगों को सभी जानकारी दी जाएगी तो आप लोगों को पोस्ट में अंत तक जरूर बने रहना है और पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करें


तुर्रेबाज खान एक भारतीय क्रांतिकारी है जो 1857 के प्रति विद्रोह के दौरान हैदराबाद राज्य में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ कर शहीद हो गए


जीवन - तुर्रेबाज खान का जन्म पूर्व हैदराबाद जिले के बेगम बाजार में हुआ था। सत्तारूढ़ निजाम ब्रिटिश के विरोध के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया। बेगम बाजार में उनके नाम पर एक सड़क का नाम रखा गया है।


तुर्रेबाज खान दक्कन के इतिहास में एक वीरता पूर्ण व्यक्ति था। जो अपने साहस और साहस के लिए जाना जाता था। हैदराबाद लोक कथाओं में एक सुझाव है एक सकारात्मक नाम तुर्रेम खान के रूप में जाना जाता है। वह एक क्रांतिकारी व्यक्ति स्वतंत्रता सेनानी था जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। उन्होंने ब्रिटिश निवास पर हमला किया। जो आप हैदराबाद में कोटि में महिला कॉलेज रखती है ताकि वह अपने साथियों को मुक्त कर सके पूर्व राम जी ने अंग्रेजों द्वारा निष्पक्ष परीक्षण के बिना धोखाधड़ी के आरोप में हिरासत में लिया गया था। जेल से एक साल बाद वह भाग गए और बाद में टेलीगोन मैं तोप्रोन के पास एक जंगल में गिरफ्तार कर लिया गया कूपन अली बेग तोप्रोन के तालुकदार उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार थे। तुर्रेबाज खान को कैद में रखा गया था। फिर गोली मारकर हत्या की गई थी। और फिर उनके शरीर को और लोगों में विद्रोह को रोकने के लिए शहर के केंद्र में लटका दिया गया था।



खुद को तो रखा समझते हो अक्सर आपने यह लाइन सुनी होगी हैदराबाद की लोक कथाओं में तुर्रम खान नाम का प्रयोग किया जाता है लेकिन ये तुर्रम खां नाम का शख्स कौन है? यह कभी सोचा है, जानिए इसकी पूरी कहानी।


तुर्रम खां का जन्म हैदराबाद के बेगम बाजार में हुआ था


खुद को तुर्रम खान समझते हो अक्सर आपने यह लाइन सुनी होगी लेकिन ये तो राम का नाम का शख्स कौन है? यह कभी सोचा है हैदराबाद की लोक कथाओं में तुर्रम खां नाम का प्रयोग किया जाता है अगर आप किसी के लिए इस नाम का प्रयोग कर रहे हैं तो इसका मतलब है आप उसे हीरो बुला रहे हैं इतिहास तो यही कहता है दरअसल तुर्रम खां एक क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थे इन्होंने हैदराबाद के चौथे निजाम और अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह किया था।


क्या है तुर्रम खा कि असल जिंदगी की कहानी और कैसे अंग्रेजों से लोहा लिया जानिए इन सभी सवालों के जवाब।


हैदराबाद के बेगम बाजार में जन्मे


स्वतंत्रता सेनानी तुर्रम खान का असली नाम तुर्रेबाज खान था। इनका जन्म हैदराबाद के बेगम बाजार में हुआ था इनके जन्म की तारीख से लेकर भी अनेक मतभेद हैं क्योंकि शुरुआती जीवन के बारे में जानकारी कम ही उपलब्ध है इनके नाम की चर्चा 1857 की लड़ाई में तब शुरू हुई जब इन्होंने अंग्रेजों के चुंगल से जमादार चीदा खान को छुड़ाया


अंग्रेजों ने चीदा खान को विद्रोही सिपाहियों के खिलाफ दिल्ली जाने के लिए कहा था लेकिन सीधा खान ने ऐसा करने से मना कर दिया था नतीजा इन्हें इनके साथियों के साथ ब्रिटिश रेजिडेंसी में कैद कर दिया गया। इन्हें छुड़ाने के लिए तुर्रम खाने 5000 लड़ाकू को तैयार किया। अंग्रेजो के खिलाफ इस लड़ाई में इनके साथ छात्र और कई क्रांतिकारी शामिल हुए।


अंग्रेजों की गिरफ्त से फरार हुए


निजाम के वजीर सालारजंग ने गद्दारी की ओर पूरी योजना की भनक अंग्रेजों को लग गई। 17 जुलाई 1857 को जब लाठी-डंडों के साथ तुर्रम खाने साथियों के साथ हमला बोला तो पहले से युद्ध की तैयारी करके बैठे अंग्रेजों ने इसका जवाब बंदुको और तोपों से दिया। नतीजा रात भर ताबडतोड़ फायरिंग हुई। और सुबह 4:00 बजे तक विद्रोहियों को अंग्रेज सैनिकों ने बुरी तरह हरा दिया। इस घटना में कई स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए लेकिन अंग्रेज तुर्रम खां को नहीं पकड़ पाए।


हमले से बौखलाए अंग्रेजों ने तुर्रम खां पर 5000 रुपए का इनाम रखा। इनकी तलाश शुरू हुई तुर्रम खां कहां पर ठहरे हैं इसकी जानकारी निजाम के मंत्री तुरब अली को मिली और अंग्रेजों को इसका पता बता दिया तुर्रम खां की गिरफ्तारी हुई और काला पानी की सजा दी गई। सजा की शुरुआत से पहले ही तुर्रम खां 18 जनवरी 1859 को अंग्रेजों की गिरफ्त से फरार हो गए।


अंग्रेजों के सामने कभी घुटने नहीं टेके


तुर्रम खाने कभी भी अंग्रेजों के सामने घुटने नहीं टेके। अंग्रेजों की गिरफ्त से फरार होने के बाद लगातार उनकी तलाश की गई। मिर्जा कुर्बान अली वेग नाम के एक तालुकदार ने तूपरण के जंगलों में धोखे से तुर्रम खां को मार दिया प्रोग्राम लेकिन भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में तुर्रम खां अमर हो गए। भारत सरकार ने उनकी याद में हैदराबाद के यूनिवर्सिटी कॉलेज फॉर विमेन के पास तुर्रेबाज खान रोड बनवाई। इसलिए आप अगर कोई आपको तुर्रेबाज कहे तो यह समझ जाना कि वह आपको हीरो बुला रहा है।

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