कुतुब मीनार पर निबंध//Qutub Minar Essay in Hindi
नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट पर चर्चा करेंगे कुतुब मीनार का इतिहास और रोचक तथ्य सभी जानकारी आप लोगों को इस पोस्ट के माध्यम से दी जाएगी तो आपको पोस्ट मे अन्त तक जरूर बने रहना है अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करें
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कुतुब मीनार पर निबंध//Qutub Minar Essay in Hindi |
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
प्रकार- सांस्कृतिक
मानदंड- 7
मनोनीत -1993 17 सत्र
संदर्भ संख्या -233
देश -भारत
महाद्वीप- एशिया
भारत में कुतुब मीनार दिल्ली
भारत में बहुत ही अद्भुत इमारतें हैं जिनमें से एक कुतुब मीनार है। कुतुबमीनार भारत की राजधानी दिल्ली के दक्षिण में महरौली भाग में स्थित है। कुतुब मीनार का निर्माण गुलाम वंश के शासक कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 12वीं शताब्दी में प्रारंभ हुआ। परंतु यह मीनार उस के शासनकाल में पूरी नहीं हो सकी जिसकी वजह से इसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार का निर्माण पूरा किया था। क़ुतुब मीनार जिसे कुतुब मीनार या कतब मीनार भी कहा जाता है। प्रसिद्ध भारतीय ऐतिहासिक स्मारक है जो भारत की दूसरी सबसे बड़ी मीनारों में (पहली मीनार फतेह बुर्ज (चप्पड चिडी मौहाली है) (100 मीटर लंबी) में गिरी जाती है।
कुतुब मीनार पर छोटे तथा बड़े निबंध
कुतुब मीनार एक भारतीय ऐतिहासिक स्मारक है जो भारत के अन्य ऐतिहासिक स्मारकों के बीच एक प्रमुख आकर्षक के रूप में अकेला खड़ा है। कुतुब का अर्थ न्याय का स्तंभ है। यह भारत की राजधानी अर्थात दिल्ली में स्थित है। कुतुबमीनार दुनिया की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध टावरों में से एक बन गई है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलो में सूचीबद्ध की गई है। यह मुगल वास्तुकला की उत्कृष्ट कृति का एक बड़ा उदाहरण है। यह एक 73 मीटर लंबी 3 मी सदी की स्थापित शैली (इंडो -इस्लामिक वास्तुकला) में लाल बलुआ पत्थर से बनी मीनार है।
कुतुब मीनार की विशेषता
इस मीनार को सबसे ऊंची गुबंद वाली मीनार भी कहा जाता है। इस पर ज्यादातर लाल रंग के बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है। यह 12वीं और 13वीं सदी में कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारीयो द्वारा राजपूतों के ऊपर मोहम्मद गौरी की जीत का जश्न मनाने के लिए निर्मित की गई थी। इससे पहले यह तुर्क अफगान साम्राज्य और इस्लाम की सैन्य शक्ति का प्रतीक थी।
यह शंक्वाकार आकार में 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष व्यास वाली सबसे ऊंची मीनारों में से एक है। इसके अंदर 379 सीढ़ियां और पांच अलग मंजिलें हैं। मीनार की ऊपरी मंजिल से शहर का एक शानदार दृश्य दिखाई देता है। इसकी पहली तीन मंजिले लाल बलुआ पत्थरों से निर्मित है हालांकि चौथी और पांचवी मंजिल का निर्माण संगमरमर और लाल बलुआ पत्थरो के प्रयोग से हुआ है।
निष्कर्ष
इस मीनार के नजदीक कई और इमारतों का निर्माण करवाया गया था जैसे अलाई मीनार इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा करवाया गया था माना जाता है कि वह कुतुब मीनार से भी ऊंची मीनार बनाना चाहते थे किंतु खिलजी की मौत के बाद यह काम अधूरा ही रह गया।
कुतुब मीनार एक सबसे प्रसिद्ध और भारत की सबसे ऊंची मीनारो में से एक है। यह अरविंद मार्ग महरौली पर स्थित है और विश्व धरोहरो में जोड़ी जा चुकी है। यह है भारत की दूसरी सबसे ऊंची इमारत है जिसका निर्माण 1192 में कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा शुरू कराया गया था और बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश के द्वारा पूरा करवाया गया था।
कुतुब मीनार की शोभा
कुतुब मीनार के चारों ओर एक आकर्षक हरा बगीचा है जो आगंतुकों के ध्यान को खींचता है भारत के सबसे प्रसिद्ध और आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। यह भारत का सबसे अधिक देखा जाने वाला स्मारक है जिसे देखने के लिए पूरी दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं। यह 14.3 मीटर के आधार व्यास और 2.7 मीटर के शीर्ष ब्यास वाले सबसे अलग शैली में निर्मित 5 मंजिल इसकी पहली तीन मंजिल लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग करके और ऊपर की दो मंजिल संगमरमर और बलुआ पत्थर का उपयोग करके बनाई गई है।
कुतुबमीनार से सजी हुई एक और लंबी मीनार अलाई मीनार है कुतुब मीनार इस्लाम की विजय और ताकत के प्रतीक के साथ ही कुब्बत उल इस्लाम मस्जिद में प्रार्थना करने के लिए लोगों को बुलाने की सेवा का कार्य करने का भी प्रतीक है। यह दिल्ली में आकर्षक पर्यटक गंतव्य है और इसका गर्मियों और सर्दियों की छुट्टियों में सबसे अधिक बच्चों और विद्यार्थियों द्वारा दौरा किया जाता है।
फिरोज शाह की ऊपरी दो मंजिलों का पुर्ननिर्माण कराया था, जो भूकंप में नष्ट हो गई थी एक अन्य पुनर्निर्माण का कार्य सिकंदर लोदी के द्वारा 1505 में और मैनेजर स्मिथ के द्वारा 1794 में मीनार के नष्ट हुए भागों में कराया गया था यह सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 6:00 बजे से खुलती है और शाम 6:00 बजे बंद होती है।
मीनार का निर्माण बहुत समय पहले लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर का प्रयोग करके किया गया था इसमें बहुत से बाहरी किनारों और बेलनाकार घुमावदार रास्ते हैं और इसकी बालकनी या इसकी मंजिलों को अलग करती हैं। कुतुबमीनार की पहली तीन मंजिलों का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग करके हुआ है हालांकि चौथी और पांचवी मंजिल का निर्माण संगमरमर और बलुआ पत्थरों से हुआ है।
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