सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: (Subhash Chandra BOS per essay in Hindi)

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सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: (Subhash Chandra BOS per essay in Hindi)

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: (Subhash Chandra BOS per essay in Hindi)

आज के इस लेख में हमनें ‘नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है।


यदि आप नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-


नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक थे। नेताजी डेरी आजाद हिंदी फौज का गठन किया था। इन्होंने जय हिंदी जैसे कई क्रांतिकारी नारे दिए थे, जिससे अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिलने शुरू हो गई थी। ऐसे महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी सदियों मैं एक बार ही जन्म लेते हैं। नेताजी पर कुछ निबंध भी लिखे गए हैं, जिनके बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। आइए इस पोस्ट में सुभाष चंद्र बोस पर निबंध पढ़ते हैं।


Table of contents

  1. कौन थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस?
  2. सुभाष चंद्र बोस पर निबंध
  3. सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 250 शब्दों में
  4. सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 800 शब्दों में
  5. सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्दों में
  6. FAQ question
  7. उपसंहार-

कौन थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस?


23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कुट्टक गांव में नेताजी सुभाष चंद बोस का जन्म हुआ था। नेता जी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस था, वह पेशे से वकील थे। उनकी माता जी का नाम प्रभावती था। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लीडिंग तथा सबसे बड़े नेता थे। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से आजाद हिंद फौज बनाई थी। नेताजी सुभाष चंद्र रोशनी जय हिंद का नारा का मशहूर और क्रांतिकारी नारा भी दिया था।

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: (Subhash Chandra BOS per essay in Hindi)

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: जानिए नेताजी के बारे में

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध: जानिए नेताजी के बारे में


सुभाष चंद्र बोस पर निबंध


नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक थे। नेताजी ने ही आज़ाद हिंदी फौज का गठन किया था। इन्होंने ही जय हिंदी जैसे कई क्रांतिकारी नारे दिए थे, जिससे अंग्रेजी हुकूमत की जड़े हिलने शुरू हो गई थी। ऐसे महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं। नेताजी पर कुछ निबंध भी लिखे गए गए हैं, जिनके बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। आइए इस ब्लॉग में सुभाष चंद्र बोस पर निबंध पढ़ते हैं।


सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 250 शब्दों में


भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस एक सबसे महान व्यक्ति और बहादुर स्वतंत्रा सेनानी मैं से एक थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 मई बहन थे। सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा उन्होंने हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकाल ने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुए।


वास्तव में देखा जाए तो भारत में एक सच्चे और बहादुर हीरो थे जिन्होंने अपने मातृभूमि के खातिर अपना घर और आराम त्याग कर दिया था। सुभाष चंद्र बोस हमेशा हिंसा मैं भरोसा करते थे उन्होंने प्रतिभाशाली धन से आई. सी. एस परीक्षा को पास किया था परंतु उस को छोड़कर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में जोड़ने के लिए 1921 में असहयोग आंदोलन के द्वारा जुड़ गए थे। उन्होंने चिंतरजन दास के साथ भी काम किया है, जो बंगाल के एक राजनीतिक, नेता, शिक्षा और बंगलार कथा नाम से बंगाल सप्ताहिक पत्रकार थे। कुछ समय के बाद वह बंगाल कांग्रेश के  वॉलिटियर कमाडेड ,मेंशन कालेज के प्रिंसिपल,और कोलकाता के मेयर उसके बाद निगम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त किए गए थे।


12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हाल में शहीद यतींद्र दास के स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि"अब हमारी आजादी निश्चित है,परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा।"यही देश के नौजवानों में प्रेरणा फूटने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है।


सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 800 शब्दों में


सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा में हुआ था। वह एक माध्यमिक वर्गीय परिवार में जन्म लिए थे। उन्होंने गिने-चुने भारतीयों में से 1920 में आईपीएस परीक्षा में उत्तीर्ण आए थे। वह वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे।सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 भाई बहन थे।सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा’ उन्होंने ने ही हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुये।


सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय संग्राम के सबसे अधिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। एक बार तो सुभाष चंद्र बोस ने अपने अंग्रेजी अध्यापक के भारत के विरोध की गई टिप्पणी के ऊपर बड़ा विरोध किया था। फिर उन्हें कॉलेज से निकाल दिया गया था और तब आशुतोष मुखर्जी ने उनका दाखिला स्कॉटिश चर्च कॉलेज में कराया था। फिर उस जगह से उन्होंने दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी में b.a. पास किया था। कुछ समय के बाद वह भारतीय नागरिक सेवा की परीक्षा में बैठने के लिए लंदन चले गए थे और उस परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।


कैंब्रिज विश्वविद्यालय में से दर्शनशास्त्र मैं MA  भी किया था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में देशबंधु चितरंजन दास के सहायक के रूप में कई बार वह गिरफ्तार भी हुए थे। सुभाष चंद्र बोस के अंदर राष्ट्रीय भावना इतने जटिल के कि वह दूसरे विश्वयुद्ध में भारत छोड़ने का फैसला किया था। फिर बहुत जर्मन चले गए थे और वहां से 1943 में सिंगापुर गए जहां उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी का कमान संभाली थी।


धीरे-धीरे उन्होंने जापान और जर्मनी की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना का संगठन किया था और उसका नाम उन्होंने ” आजाद हिंद फौज ”  रखा था।कुछ दिनों में उनकी सेना ने भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह नागालैंड और मणिपुर में आजाद का झंडा लहरा दिया था।


परंतु जर्मनी और जापान के द्वितीय विश्वयुद्ध में हार जाने के बाद आजाद हिंद फौज को पीछे हटना पड़ा था। विश्वयुद्ध के बाद उनकी बहादुरी और हिम्मत यादगार बन गई थी। अगर आज भी हम विश्वयुद्ध के बारे में विचार क्या है तो हमें इस बात का विश्वास आता है कि भारत को आजादी दिलाने में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों ने अपना बड़ा बलिदान दिया था। 12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हॉल में शहीद यतींद्र दास की स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि ” अब हमारी आजादी निश्चित है,  परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा । ” यही देश के नौजवानों में प्रेरणा फूटने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है। 


ऐसा माना जाता है कि सुभाष चंद्र की मृत्यु 18अगस्त 1945 एक विमान दुर्घटना के दौरान हुई थी। परंतु आज तक नेताजी की मृत्यु का कोई भी सबूत नहीं मिला है कुछ लोग यह विश्वास करते हैं कि वह आज भी जीवित है।


सुभाष चंद्र बोस द्वारा बोले गए अनमोल वचन

सुभाष चंद्र बोस पर निबंध जानने के बाद अब यह जानते हैं कि नेताजी द्वारा कह गए अनमोल वचन क्या थे, जो इस प्रकार हैं:


“तुम मुझे खून दो ,मैं तुम्हें आजादी दूंगा !”

“ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं. हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिलेगी,  हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए.”

“आज हमारे अन्दर बस एक ही इच्छा होनी चाहिए, मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके! एक शहीद की मौत मरने की इच्छा ताकि स्वतंत्रता का मार्ग शहीदों के खून से प्रशश्त हो सके.”

“मुझे यह नहीं मालूम की स्वतंत्रता के इस युद्ध में हममे से कौन  कौन   जीवित बचेंगे ! परन्तु में यह जानता हूँ ,अंत में विजय हमारी ही होगी !”

“राष्ट्रवाद  मानव  जाति  के  उच्चतम आदर्श सत्य, शिव और  सुन्दर  से   प्रेरित  है .”

“भारत  में  राष्ट्रवाद  ने  एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति  का  संचार  किया  है  जो सदियों से   लोगों  के  अन्दर   से  सुसुप्त पड़ी  थी .”

“मेरे  मन  में  कोई  संदेह  नहीं  है  कि  हमारे  देश  की  प्रमुख समस्यायों जैसे गरीबी ,अशिक्षा , बीमारी कुशल  उत्पादन  एवं   वितरण  का समाधान  सिर्फ  समाजवादी  तरीके  से  ही  की  जा  सकती  है .”

“यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े तब वीरों की भांति झुकना.

“समझोतापरस्ती बड़ी अपवित्र वस्तु है.

“मध्या भावे गुडं दद्यात — अर्थात जहाँ शहद का अभाव हो वहां गुड से ही शहद का कार्य निकालना  चाहिए !


सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 500 शब्दों में


सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 मैं उड़ीसा में हुआ था। वह एक माध्यमिक वर्गीय परिवार में जन्म लिए थे। उन्होंने गिने-चुने भारतीयों में से 1920 में आईपीएस परीक्षा में उत्तीर्ण आए थे। वह वर्ष 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने थे। उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और मां का नाम प्रभावती था, उनके पिताजी कटक शहर के मशहूर वकील थे। सुभाष चंद्र बोस कुल मिलकर 14 मई बहन थे । सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा उन्होंने हमारे भारत को यह नारा दिया जिससे भारत के कई युवा वर्ग भारत से अंग्रेजों को बाहर निकालने की लड़ाई लड़ने के लिए प्रेरित हुए।


सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय संग्राम के सबसे अधिक प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। एक बार तो सुभाष चंद्र बोस ने अपने अंग्रेजी अध्यापक के भारत के विरोध की गई टिप्पणी के ऊपर बड़ा विरोध किया था । फिर उठे कॉलेज से निकाल दिया गया था और तब आशुतोष मुखर्जी ने उनका दाखिला स्कांटिश चर्च कॉलेज में कराया था। फिर उस जगह से उन्होंने दर्शनशास्त्र मैं प्रथम श्रेणी में b.a. पास किया था। समय के बाद वह भारतीय नागरिक सेवा की परीक्षा में बैठने के लिए लंदन चले गए थे और उस परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।


कैंब्रिज विश्वविद्यालय मैं से दर्शन शास्त्र में Ma भी किया था महात्मा गांधी के नेतृत्व मैं देशबंधु चितरंजन दास के सहायक के रूप में कई बार वह गिरफ्तार भी हुए थे। सुभाष चंद्र बोस के अंदर राष्ट्रीय भावना इतने जटिल के की वह दूसरे विश्व युद्ध मैं भारत छोड़ने का फैसला किया था। फिर बहुत जर्मन चले गए थे और वहां से 1943 में सिंगापुर गए जहां उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी का कमान संभाली थी।


धीरे-धीरे उन्होंने जापान और जर्मनी की सहायता से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना का संगठन किया था और उसका नाम उन्होंने आजाद हिंद फौज रखा था। कुछ दिनों में उनकी सेना ने भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह नागालैंड और मणिपुर में आजाद का झंडा लहरा दिया था।


परंतु जर्मनी और जापान के  द्वितीय विश्व युद्ध में हार जाने के बाद आजाद हिंद फौज को पीछे हटना पढ़ा था। विश्व युद्ध के बाद उनकी बहादुरी और हिम्मत यादगार बन गई थी। अगर आज भी हम विश्व युद्ध के बारे में विचार किया है तो हमें इस बात का विश्वास आता है कि भारत को आजादी दिलाने में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों ने अपना बड़ा बलिदान दिया था। 12 सितंबर 1944 में रंगून के जुबली हॉल मैं शहीद यतीद्र दास के स्मृति दिवस पर सुभाष चंद्र बोस है अत्यंत मार्मिक भाषण देते हुए कहा था कि अब हमारी आजादी निश्चित है,परंतु आजादी बलिदान मांग की है आप मुझे खून दो मैं आपको आजादी दूंगा ।"यही देश के नौजवानों में प्राण ना पूछने वाला वाक्य था जो भारत में नहीं विश्व इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित किया गया है।


ऐसा माना जाता है कि सुभाष चंद्र के मित्रों 18 अगस्त 1945 एक विमान दुर्घटना के दौरान हुई थी। परंतु आज तक नेताजी की मृत्यु का कोई भी सबूत नहीं मिला है कुछ लोग हैं विश्वास करते हैं कि वह आज भी जीवित हैं।


उपसंहार-


सुभाष चंद्र बोस देश के आजादी के लिए अपना सब कुछ त्याग कर अपने देश से दूर रहते हुए निर्वासन की जिंदगी विदाई और सन 1942 में उन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए दक्षिण -पूर्व एशिया में आजाद हिंद फौज की स्थापना की। जिसने भारत में अंग्रेजी हुकूमत को कमजोर करने के एक अहम भूमिका अदा की, उनके द्वारा राष्ट्रीय हित किए गए कार्यों के लिए आज विदेश के जनता द्वारा उन्हें याद करते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर देश के विभिन्न जगहों पर देश भक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तथा कई क्षत्रों मैं बच्चों के लिए प प्रश्नोंत्तरी योगिता का भी आयोजन किया जाता है।


FAQ question 


Q-सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में कब शामिल हुए?

Ans- सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में 1921 को शामिल हुए थे।


Q-कौन थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस?

ans- 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कुट्टक गांव में नेताजी सुभाष चंद बोस का जन्म हुआ था। नेताजी के पिता का नाम जानकीनाथ बोस था, वह पेशे से वकील थे। उनकी माताजी का नाम प्रभावती था। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लीडिंग तथा सबसे बड़े नेता थे। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए जापान के सहयोग से ‘आजाद हिन्द फौज’ बनाई थी। नेताजी सुभाष चंद बोस ने ही ‘जय हिंद’ का नारा का मशहूर और क्रन्तिकारी नारा भी दिया था।


Q-सुभाष चंद्र बोस ने कौन सा नारा दिया था?

Ans- भारत के लाल सुभाष चंद्र बोस ने वैसे तो कई क्रन्तिकारी नारे दिए थे, जिनमें से एक था – तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।


Q-बोस ने कांग्रेस से इस्तीफा क्यों दिया?

Ans- जीबी पंत और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने बोस से कार्य समिति गठित करने का आग्रह किया, जिसमें गांधीजी द्वारा अनुमोदित सदस्य हों, लेकिन गांधीजी ने किसी भी नाम का सुझाव देने से इनकार कर दिया। बोस और महात्मा गांधी के बीच तनाव बढ़ गया जिसके कारण बोस ने 29 अप्रैल 1939 को इस्तीफा दे दिया।


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