विद्युत तथा चुंबकत्व का एकीकरण क्या है?

Ticker

विद्युत तथा चुंबकत्व का एकीकरण क्या है?

विद्युत तथा चुंबकत्व का एकीकरण क्या है?

विद्युत तथा चुमबकत्व के बीच एकीकरण,विद्युत चुंबक क्या है,विद्युत क्षेत्र तथा वैद्युत विभव में संबंध,गतिमान आवेश तथा चुम्बकत्व l - 1,विद्युत चुंबक का गुण,गतिमान आवेश और चुंबकत्व,विद्युत चुंबक का परिभाषा,विद्युत आवेश तथा क्षेत्र,विद्युत क्षेत्र,रासायनिक समन्वय तथा एकीकरण,संयुक्त विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्रों में आवेशित कण की गति,चुम्बकत्व तथा द्रव्य,विधुत चुम्बकत्व के लिए मैक्सवेल समीकरण,विद्युत आवेश,गतिमान आवेश और चुंबकत्व 12th,चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण क्या है

विद्युत तथा चुंबकत्व का एकीकरण

प्राचीन काल में विद्युत तथा चुंबकत्व पृथक विषय समझे जाते थे। विद्युत के अंतर्गत काँच की छड़ों, बिल्ली के समूर, बैटरी, तड़ित आदि के आवेशों पर चर्चा होती थी जबकि चुंबकत्व के अंतर्गत चुंबकों, लौह-छीलन, चुंबकीय सुई आदि में अन्योन्य क्रिया का वर्णन किया जाता था। सन 1820 ई. में डेनमार्क के वैज्ञानिक ऑस्टेंड ने यह पाया कि चुंबकीय सुई के निकट रखे तार से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर सुई विक्षेपित हो जाती है। ऐम्पियर तथा फैराडे ने इस प्रेक्षण का यह कहकर पोषण किया कि गतिशील आवेश चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करते हैं तथा गतिशील चुंबक विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं। विद्युत तथा चुंबकत्व में एकीकरण तब स्थापित हुआ जब स्कॉटलैंड के भौतिकविद मैक्सवेल तथा हॉलैंड के भौतिकविद लोरेंज ने एक सिद्धांत प्रतिपादित किया जिसमें उन्होंने यह दर्शाया कि ये दोनों विषय एक-दूसरे पर निर्भर हैं। इस क्षेत्र को वैद्युतचुंबकत्व कहते हैं। हमारे चारों ओर की अधिकांश परिघटनाओं की व्याख्या वैद्युतचुंबकत्व के अंतर्गत की जा सकती है। वस्तुतः वे सभी बल जिनके विषय में हम विचार करते हैं, जैसे घर्षण पदार्थ को संयोजित रखने के लिए उनके परमाणुओं के बीच लगने वाला रासायनिक बल यहाँ तक कि सजीवों की कोशिकाओं में होने वाली प्रक्रियाओं की व्याख्या करने वाले बलों का उद्भव भी वैद्युतचुंबकीय बलों से हुआ है। वैद्युतचुंबकीय बल प्रकृति के मूल बलों में से एक है।

मैक्सवेल ने चार समीकरण प्रस्तुत किए जिनकी क्लासिकल वैद्युतचुंबकत्व में वही भूमिका है, जो यांत्रिकी में न्यूटन की गति की समीकरणों तथा गुरुत्वाकर्षण नियम की है। उन्होंने यह भी प्रमाणित किया कि प्रकाश की प्रकृति वैद्युतचुंबकीय है तथा इसकी चाल केवल विद्युत तथा चुंबकीय मापों द्वारा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रकाशिकी के विज्ञान तथा विद्युत एवं चुंबकत्व में प्रगाढ़ संबंध है।

विद्युत एवं चुंबकत्व का विज्ञान आधुनिक प्रौद्योगिक सभ्यता की नींव है। विद्युत शक्ति, दूरसंचार, रेडियो और टेलीविज़न तथा दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली विस्तृत प्रकार की प्रायोगिक युक्तियाँ इसी विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित हैं। यद्यपि गतिशील आवेशित कण विद्युत तथा चुंबकीय दोनों बल आरोपित करते हैं, परंतु ऐसे निर्देश फ्रेम जिसमें सभी आवेश विराम में हों, आरोपित बल केवल विद्युत बल होते हैं। आप जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण बल दीर्घ-परासी बल है। इसका प्रभाव वहाँ भी अनुभव किया जाता है, जहाँ अन्योन्य क्रिया करने वाले कणों के बीच की दूरी अत्यधिक होती है क्योंकि यह बल अन्योन्य क्रिया करने वाले पिंडों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुसार घटता है। इस अध्याय के अंतर्गत हम यह सीखेंगे कि विद्युत बल भी उतना ही व्यापक है तथा वास्तव में गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में परिमाण की कोटि कई गुना प्रबल है (भौतिकी पाठ्यपुस्तक कक्षा 11 का अध्याय 1 देखिए)।

विद्यार्थी नीचे बताए अनुसार सरल विद्युतदर्शी बना सकते हैं [ चित्र 1.2(b)] परदे लटकाने वाली ऐलुमिनियम की ऐसी बारीक छड़ लीजिए जिसके दोनों सिरों पर गोले जुड़े हों। इसका लगभग 20 cm लंबा एक टुकड़ा इस प्रकार काटिए जिससे छड़ का एक सिरा चपटा तथा दूसरा सिरा गोले वाला बन जाए। एक इतनी बड़ी बोतल लीजिए जिसके मुँह पर कॉर्क लगाकर उस कॉर्क में छेद करके चित्र में दर्शाए अनुसार इस छड़ को फिट किया जा सके। छड़ का गोले वाला सिरा बोतल के बाहर तथा कटा सिरा बोतल के भीतर रखना चाहिए। लंबा पतला ऐलुमिनियम पत्र (लगभग 6 cm) लेकर इसे बीच में मोड़िए और इसे छड़ के चपटे सिरे पर सेल्युलोस टेप के साथ जोड़ दीजिए। इस प्रकार आपके विद्युतदर्शी के पत्र बन जाते हैं। अब कॉर्क को बोतल में इस प्रकार फिट करिए कि छड़ का गोले वाला सिरा कॉर्क से लगभग 5 cm बाहर निकला रहे। बोतल के भीतर एक कागज का पैमाना पहले से ही पत्रों की पृथकता को मापने के लिए लगाया जा सकता है। पत्रों

की पृथकता विद्युतदर्शी पर आवेश की मात्रा की एक माप होती है। यह समझने के लिए कि विद्युतदर्शी किस प्रकार कार्य करता है। सफ़ेद कागज की वह पट्टियाँ लीजिए जिनका उपयोग हमने आवेशित वस्तुओं द्वारा आकर्षण देखने के लिए किया था। पट्टी को आधा मोड़िए ताकि पट्टी पर मोड़ का निशान बन जाए। पट्टी को खोलिए तथा इस पर चित्र 1.3 में दर्शाए अनुसार, पर्वतीय मोड़ बनाकर हलकी इस्तरी कीजिए। इसे मोड़ पर चुटकी भरकर पकड़िए। आप यह पाएँगे कि दोनों अर्धभाग एक-दूसरे से दूर जाते हैं। यह दर्शाता है कि इस्तरी करने पर पट्टी आवेश अर्जित कर लेती है। जब आप पट्टी को आधा मोड़ते हैं तो दोनों अर्धभागों पर सजातीय आवेश होता है, अत: वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। पत्र विद्युतदर्शी में भी यही प्रभाव दिखाई देता है। परदे की छड़ के गोले को विद्युन्मय वस्तु से स्पर्श कराने पर परदे की छड़ पर आवेश स्थानांतरित होकर उसके दूसरे सिरे पर जुड़े ऐलुमिनियम पत्रों पर पहुँच जाता है। पत्र के दोनों अर्धभाग सजातीय आवेश अर्जित करने के कारण एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। पत्रों की अपसारिता द्वारा उन पर आवेश की मात्रा सुनिश्चित की जाती है। आइए अब पहले यह समझें कि द्रव्य से बनी वस्तुएँ क्यों आवेश को अर्जित करती हैं।

सभी पदार्थ परमाणुओं और/अथवा अणुओं से बने हैं। यद्यपि वस्तुएँ सामान्यतः वैद्युत उदासीन होती हैं, उनमें आवेश तो होते हैं परंतु उनके ये आवेश ठीक-ठीक संतुलित होते हैं। अणुओं को सँभालने वाला रासायनिक बल, ठोसों में परमाणुओं को एकसाथ थामे रखने वाले बल, गोंद का आसंजक बल, पृष्ठ तनाव से संबद्ध बल-इन सभी बलों की मूल प्रकृति वैद्युतीय है. और ये आवेशित कणों के बीच लगने वाले विद्युत बलों से उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार, वैद्युतचुंबकीय बल सर्वव्यापी है और यह हमारे जीवन से संबद्ध प्रत्येक क्षेत्र में सम्मिलित है। अतः यह आवश्यक है कि हम इस प्रकार के बल के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करें।

किसी उदासीन वस्तु को आवेशित करने के लिए हमें उससे एक प्रकार के आवेश को जोड़ने अथवा हटाने की आवश्यकता होती है। जब हम यह कहते हैं कि कोई वस्तु आवेशित है तो हम सदैव ही इस आवेश के आधिक्य अथवा अभाव का उल्लेख करते हैं। ठोसों में कुछ इलेक्ट्रॉन परमाणु में कम कसकर आबद्ध होने के कारण वे आवेश होते हैं जो एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानांतरित हो जाते हैं। इस प्रकार कोई वस्तु अपने कुछ इलेक्ट्रॉन खोकर धनावेशित हो सकती है। इसी प्रकार किसी वस्तु को इलेक्ट्रॉन देकर ऋणावेशित भी बनाया जा सकता है।

ये भी पढ़ें 👇👇👇👇








Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2