भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ (Demographic trends in India)

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भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ (Demographic trends in India)

भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ (Demographic trends in India)

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भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ

(Demographic trends in India)

Table of contents

1.भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ 

2.जनसंख्या विस्फोट के कारण

3.संयुक्त परिवार प्रणाली

4.जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव

5.डेमोग्राफी का मतलब क्या होता है?

6.डेमोग्राफी का जनक कौन है?

7.भारत की जनगणना कब हुई थी?

8. नवीनतम डाटा का क्या अर्थ है?

9. निष्कर्ष

10. बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न



भारत में जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियाँ 

(Demographic trends in India) – तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या हमारे देश की एक प्रमुख समस्या है। बढ़ती हुई जनसंख्या गरीबी, बेरोजगारी, अपराध, पारिवारिक विघटन आदि को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ाने के लिए उत्तरदायी है। बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश के आर्थिक तथा सामाजिक विकास को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय की गई समृद्ध भारत की कल्पनाएँ कहीं न कहीं तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या ने धूमिल कर दी है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देशवासियों ने जो खुशहाल एवं विकसित राष्ट्र का सपना संजोया था वह बढ़ती जनसंख्या ने काफी हद तक चकनाचूर कर दिया है ।



2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 121 करोड़ है। भारत का भौगोलिक क्षेत्रफल (Geographical area) विश्व का लगभग 2.4 प्रतिशत है जबकि विश्व की लगभग 17.5 प्रतिशत जनसंख्या यहाँ निवास करती है। सामान्य तौर पर किसी देश की जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर 0.2-0.5 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिये जबकि भारत की जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर लगभग 2% है जो कि सामान्य से कहीं ज्यादा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश की जनसंख्या लगभग 35 करोड थी जो पिछले पैंसठ साल में लगभग साढ़े तीन गुना बढ़ गई है। भारत में प्रतिवर्ष जनसंख्या में लगभग 1.7 करोड़ की वृद्धि हो जाती है जो कि आस्ट्रेलिया जितनी जनसंख्या के बराबर है।


जनसंख्या विस्फोट के कारण (Causes of population explosion)


(i) बाल-विवाह – हमारे देश में लड़के-लड़कियों का विवाह कम उम्र में कर दिया जाता है जिससे जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होती है। हालाकि वर्तमान में बाल विवाह पर कानूनी रोक लगाने के लिए लड़कों की विवाह के समय न्यूनतम आयु 21 वर्ष तथा लड़कियों की 18 वर्ष निर्धारित कर दी है। 


 (ii) अशिक्षा – अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या विस्फोट के दुष्परिणामों को समझ नहीं पाते हैं। भारत में पुरूष साक्षरता (Male literacy) लगभग 64 प्रतिशत तथा महिला साक्षरता (Female literacy) लगभग 40प्रतिशत है जो कि बहुत कम है।


(iii) पुत्र प्राप्ति को महत्व - पुत्र प्राप्ति की चाह में लोग कई पुत्रियों के हो जाने के बाद भी निरन्तर सन्तानोत्पत्ति करते रहते हैं ।


iv) गर्म जलवायु- गर्म जलवायु के कारण लडकियाँ कम उम्र में ही परिपक्व होकर सन्तान उत्पन्न करने लायक हो जाती हैं ।



(v) चिकित्सा सुविधाओं में वृद्धि - चिकित्सा के क्षेत्र में नई नई उपचार पद्धतियों एवं दवाइयों की खोजों के कारण रूग्णता दर (Morbidity rate) एवं मृत्यु दर (Death rate) में कमी आई है जो कि जनसंख्या की वृद्धि में सहायक हैं।


(vi) परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जानकारी का अभाव जनसमुदाय को परिवार नियोजन (Family planning) के साधनों के बारे जानकारी का अभाव होने के कारण वे स्त्री के साथ यौन क्रिया (Sexual intercourse) के दौरान इन साधनों का उपयोग नहीं करते हैं और इस प्रकार जनसंख्या बढ़ती चली जाती है।


 (vii) मनोरंजन के साधनों की कमी – देश में मनोरंजन के साधनों की कमी होने के कारण पुरुष स्त्री को ही मनोरंजन की वस्तु समझते हैं ।


(viii) संयुक्त परिवार प्रणाली - हमारे देश में संयुक्त परिवार प्रणाली (Joint family system) प्रचलित है जो कि जनसंख्या को वृद्धि में दो प्रकार से नाना-नानी आदि वृद्ध अपने सामने ही सहायक है। एक तो संयुक्त परिवार प्रणाली में दादा-दादी, अपने पोतों अथवा नवासों (बेटी का बच्चा) का मुँह देखने के लिए अपने बेटे-बहुओं पर दबाव डालते हैं। दूसरे, संयुक्त परिवार में पति-पत्नि को अपने बच्चों के लालन-पालन की परवाह नहीं रहती क्योंकि वृद्ध लोगों की मौजूदगी में पालन-पोषण आसानी से हो जाता है।


 (ix) बच्चों को भगवान की देन मानना - हमारे देश में बच्चों को भगवान की सौगात माना जाता है तथा लोगों की सोच है कि जब भगवान ने बच्चे दिए हैं तो उनके खान पान एवं पालन पोषण की व्यवस्था भी वही करेगा ।


( x ) अश्लीलता बढ़ती हुई अश्लीलता व्यक्ति की यौन उत्तेजना (Sexual excitement) को बढ़ा रही है जो कि जनसंख्या वृद्धि में सहायक है। -


जनसंख्या विस्फोट के प्रभाव (Effects of population explosion) - 


भारत की जनसंख्या संबंधित कुछ प्रमुख आँकड़े निम्न हैं


जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। प्रथम स्थान पर चीन है। अनुसार 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या अरब 21 करोड़ है। 2001 की जनगणना के देश की जनसंख्या लगभग 1 अरब 2 करोड़ थी ।


भारत में विश्व की जनसंख्या का लगभग 17.5 प्रतिशत हिस्सा निवास करता है जबकि देश का भौगोलिक क्षेत्रफल विश्व का 2.4 प्रतिशत है।


2001 से लेकर 2011 तक देश की जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर लगभग 1.64 प्रतिशत थी। देश के लिंगानुपात (1000 पुरूषों पर महिलाओं की संख्या) में हल्की सी वृद्धि हुई है। 1991 में देश का लिंगानुपात (Sex ratio) 927 तथा 2001 में 933 था जो कि 2011 में बढ़कर 940 हो गया।


देश के ग्रामीण क्षेत्रों (Rural areas) में लिंगानुपात शहरी क्षेत्रों (Urban areas) की तुलना में अधिक है। 2001 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों का लिंगानुपात ( Sex ratio) 947 था जबकि शहरी क्षेत्रों का लिंगानुपात 926 था ।


देश में लिंगानुपात के मामले में केरल सबसे ऊपर है । इसके बाद क्रमशः पांडुचेरी एवं तमिलनाडु का नम्बर आता है। केरल का लिंगानुपात 1084 है। इसी प्रकार पांडुचेरी एवं तमिलनाडु का लिंगानुपात क्रमशः 1038 तथा 995 है ।


देश की जनसंख्या का 50 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा 25 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों से निर्मित है । इसी प्रकार कुल जनसंख्या का 65 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा 35 वर्ष से कम उम्र वाले लोगों से निर्मित है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि सन् 2020 तक एक भारतीय की औसत आयु 29 वर्ष होगी । यदि इसी गति से देश की जनसंख्या में वृद्धि होती रही तो ऐसे अनुमान लगाये जा रहे हैं कि सन् 2025 तक हमारा देश चीन की जनसंख्या को पीछे छोड़कर विश्व की नम्बर एक जनसंख्या वाला देश हो जायेगा ।


नवीनतम डेटा का क्या अर्थ है?


नवीनतम डेटा उस डेटा को निर्दिष्ट करता है जो जनसंख्या, जाति, आय, शिक्षा और रोजगार जैसे सामाजिक-आर्थिक प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है, जो विशिष्ट भौगोलिक स्थानों का प्रतिनिधित्व करता है और अक्सर समय के साथ जुड़ा होता है। उदाहरण के लिए, जनसंख्या डेटा का संदर्भ समय, हमारे पास के क्षेत्र की जनसंख्या, जनसंख्या वृद्धि या जन्मदाता, जातीयता, घनत्व और वितरण जैसी विशेषताएं हैं। रोजगार के संबंध में, हमारे नजदीकी रोजगार और बेरोजगारी दर हैं, जो लिंग और जाति से संबंधित हो सकते हैं।


बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्न-


प्र.1 डेमोग्राफी का मतलब क्या होता है?

 उत्तर- जनसांख्यिकी, मानव जनसंख्या का सांख्यिकीय अध्ययन है। यह एक बहुत सामान्य विज्ञान हो सकता है जिसे किसी भी तरह की गतिशील मानव आबादी पर लागू किया जा सकता है, अर्थात् ऐसी आबादी जो समय और स्थान के साथ-साथ परिवर्तित होती हैं।


प्र.2 डेमोग्राफी का जनक कौन है?

उत्तर -इब्न खलदून (1332-1406) को उनके सामाजिक संगठन का आर्थिक विश्लेषण करने के कारण जिससे जनसंख्या, विकास और समूह गतिशीलता पर प्रथम वैज्ञानिक और सैद्धांतिक कार्यों की उत्पत्ति हुई "जनसांख्यिकी का पिता" माना जाता है।


प्र.3 भारत की जनगणना कब हुई थी?

उत्तर -भारत की पहली आधिकारिक जनगणना 1881 में आयोजित की गई थी।

1951 के बाद से सभी जनगणना को 1948 के जनगणना अधिनियम के तहत आयोजित किया गया। आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी। अगली जनगणना 2021 में होगी।


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