अमेरिका क्यों भारत की मदद करता है। || America help India
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर न केवल दोनों देशों, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें लगी होंगी। एक नामी-गिरामी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ने हाल में अपनी आवरण कथा में भी लिखा है कि भारत-अमेरिका मित्रता कैसे 21वीं सदी के समीकरण बदल सकती है और भारत किस प्रकार अमेरिका के लिए अपरिहार्य बन गया है। दोनों देश प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को सफल बनाने के लिए पूरी तैयारी में जुटे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में व्हाइट हाउस में एक भोज भी रखा है। इस दौरान मोदी संभवतः तीन अरब डालर के ड्रोन सौदे के रूप में बाइडन को एक खास तोहफा देंगे, लेकिन बड़ा सवाल यही है। कि बदले में मोदी को क्या मिलेगा?
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस समय भारत और अमेरिका संबंध विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों में से एक हैं। प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की यह आठवाँ अमेरिका यात्रा होगी तो बाइडन के राष्ट्रपति काल में तीसरी रूस और चीन को दोहरी चुनौती को लेकर सशंकित अमेरिका में भारत के प्रति झुकाव एवं गंभीरता बढ़ती जा रही हैं। भारत न केवल जनसंख्या में मामले में चीन से आगे निकल गया है, बल्कि उसकी आर्थिक वृद्धि दर भी चीन से तेज है। वास्तव में आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बद रही बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो ब्रिटेन के पीछे छोड़कर जर्मनी को पछाड़ने की राह पर है। भारत को हथियारों की बड़े पैमाने पर बिक्री से भी अमेरिकी नीतियों में भारत की महत्ता बढ़ी है। इसे इससे समझा जा सकता है कि कई मुद्दों पर बुरी तरह विभाजित अमेरिकी राजनीति में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के साथ रणनीतिक साझेदारी को लेकर गजब की सहमति है। दोनों दलों के नेताओं ने मोदी को अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन के लिए आमंत्रित किया है। इस दौरान मोदी दूसरी बार अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। मोदी की यात्रा से ठीक पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन अलग- अलग भारत का दौरा कर चुके हैं।
उथल-पुथल और प्रतिस्पर्धा से गुजर रही दुनिया में अमेरिका भारत को अपने निकट सहयोगियों के रूप में शामिल करना चाहता है। इसका ही परिणाम है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर चीनी दबदबे को घटाने के लिए अमेरिका भारत को मुख्य साझेदार के रूप में देख रहा है। अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट वेलेन कह चुकी हैं कि आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मौजू जोखिमों को दूर करने के लिए हप सहयोगी देशों के साथ संभावनाएं तलाश
रहे हैं और इसी कड़ी में हम भारत जैसे भरोसेमंद साझेदार के साथ आर्थिक रिश्तों को सक्रियता के साथ गहराई प्रदान कर रहे हैं। सामरिक सहयोग में भी दोनों देश नए आयाम गढ़ रहे हैं। इसमें दोनों देशों के सैन्य ठिकानों-सुविधाओं तक पहुंच के साथ ही संवेदनशील सूचनाओं की साझेदारी भी शामिल है। किसी भी अन्य देश की तुलना में भारत अमेरिका के साथ कहीं ज्यादा साझा सैन्य अभ्यास किए हैं। क्वाड को सामरिक तेवर देने में भी भारत का जुड़ाव अहम है। भारत को बढ़ती आर्थिक एवं सैन्य शक्ति ने उसे एशिया और विस्तृत एशिया प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बना दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री के अनुसार अमेरिका-भारत साझेदारी ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति एवं सुरक्षा के मूल में है। यही क्षेत्र विश्व में भू-राजनीतिक एवं आर्थिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।
द्विपक्षीय संबंधों के परवान चढ़ने के बावजूद पश्चिम में इन रिश्तों को लेकर कालुओं की कमी नहीं। अमेरिका में एक टिप्पणीकार ने जहां यह एलान किया कि भारत कभी अमेरिका का साझेदार नहींबन सकता तो दूसरे ने इसे अमेरिका का गलत दांव बताया कि इससे चीन के साथ अमेरिकी भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और तेज हो सकती है। दरअसल ऐसे लोगों को इससे आपत्ति हो सकती है कि भारत अमेरिका के साथ संबंध अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के आधार पर आगे बढ़ाना चाहता है। यह शीत युद्ध वाला वह दौर नहीं कि रिश्तों में अमेरिका 'पहिया' और साझेदार उसकी 'कमानी' बने रहें। स्पष्ट है कि भारत जितना बड़ा देश अमेरिका के लिए कोई जापान या जर्मनी नहीं बन सकता। इसी कारण विश्लेषक यह भी मानते हैं कि भारत की एक अनूठी रणनीतिक प्रकृति है और वह अमेरिका का साझेदार न होकर स्वयं एक स्वतंत्र महाशक्ति के रूप में उभरेगा। संभवतः अमेरिका भी इस पहलू को समझता है। और वह अपने अन्य सहयोगियों के साथ किए गए अनुबंध-आधारित समझौतों के बजाय भारत के साथ 'साफ्ट अलायंस' चाहता है, जिसमें किसी समझौते की आवश्यकता नहीं होती। इसीलिए भारत- अमेरिका रिश्तों को अमेरिका में 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों की संज्ञा
देने के साथ ही उनमें लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के अलावा तकनीकी स्तर पर साथ मिलकर काम करने के मोर्चे पर अधिक निवेश की मांग हो रही है।
मोदी के दौर में भारत में बमुश्किल ही गुटनिरपेक्षता का उल्लेख होता है। इसके बजाय भारत बहु-पक्षीयता की ओर बढ़ रहा है। वह रूस जैसे पारंपरिक साझेदार को साध रहा है तो लोकतांत्रिक शक्तियों के साथ रिश्ते मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। जहां अमेरिका के साथ भारत अंतरिक्ष, अगली पीढ़ी की दूरसंचार तकनीक से लेकर सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में साझेदारी कर रहा है तो रूस के साथ रिश्ते मुख्य रूप से रक्षा एवं ऊर्जा तक ही सिकुड़ रहे हैं। एक समय नई दिल्ली चीन के मुकाबले मास्को को एक कारगर काट के रूप में देखती थी, लेकिन समय के साथ बदले समीकरणों में मास्को और बीजिंग की नजदीकियां बढ़ी हैं। चीन रूस रणनीतिक साझेदारी न अमेरिका के हित में हैं और न ही भारत के । इसीलिए चीन, भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कारक बना रहेगा।
सितंबर में भारत को जी-20 सम्मेलन की मेजबानी करनी है। इसमें बाइडन, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति पुतिन सहित अन्य दिग्गज नेताओं की सहभागिता संभव है। तब वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों के बीच नई दिल्ली के लिए संतुलन साधना आसान नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका के साथ उसके रिश्ते निरंतर प्रगाढ़ हो रहे हैं और मोदी के दौरे से यह प्रमाणित हो जाएगा।
Q. अमेरिका भारत का समर्थन क्यों करता है?
भारत एक अग्रणी वैश्विक शक्ति और इंडो-पैसिफिक और दुनिया में एक प्रमुख अमेरिकी भागीदार है। अमेरिका एक नेता के रूप में भारत के उदय और अफगानिस्तान सहित अन्य देशों को उसकी विकास सहायता का समर्थन करता है, जहां हम आर्थिक और मानवीय हित साझा करते हैं।
Q. भारत अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
आज, भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग व्यापक-आधारित और बहु-क्षेत्रीय है, जिसमें व्यापार और निवेश, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, उच्च-प्रौद्योगिकी, नागरिक परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग, स्वच्छ ऊर्जा शामिल हैं। , पर्यावरण, कृषि और स्वास्थ्य।
Q. अमेरिका को भारत से क्या लाभ होता है?
इसी तरह, भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती हैं और 2020 के अंत में, संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय निवेश कुल 12.7 बिलियन डॉलर था, जिससे 70,000 से अधिक अमेरिकी नौकरियों का समर्थन हुआ। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना 7.7 बिलियन डॉलर का योगदान करते हैं।
Q. भारत और अमेरिका का क्या संबंध है?
दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के परिणामस्वरूप वर्ष 2022-23 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
Q. भारत को कितनी अमेरिकी सहायता दी जाती है?
पिछले 20 वर्षों में, भारत को अमेरिकी विदेशी सहायता 2.8 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल के लिए 1.4 बिलियन डॉलर से अधिक शामिल है। संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत और अन्य साझेदारों ने 2010 और 2019 के बीच नए एचआईवी संक्रमणों को 37 प्रतिशत तक कम करने के लिए मिलकर काम किया है।
Q. क्या अमेरिका में भारतीय सुरक्षित हैं?
भीषण हत्याओं के अलावा, भारतीय-अमेरिकी लगातार नस्लीय ताने, हमलों, घृणा अपराध डकैतियों और अपनी संपत्तियों की बर्बरता से जूझ रहे हैं। संघीय जांच ब्यूरो (FBI) के अनुसार, 2019 में 161 एशियाई विरोधी घृणा अपराध हुए, जो 2020 में बढ़कर 279 हो गए।
Q. भारत से अमेरिका कैसे जाते हैं?
भारत से अमेरिका सिर्फ और सिर्फ हवाई जहाज या पानी के जहाज से पहुंचा जा सकता है. किंतु समुद्री रास्ते खतरनाक होने के कारण इस समय पानी के जहाज से लोग अमरीका नहीं जाते हैं. जैसा कि आप पहले से जानते हैं दोनों एक अलग महाद्वीप के देश हैं और उसके बीच में बड़ा बड़ा समुंदर है.
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