अर्थव्यवस्था में मंदिरों का योगदान || Arthvyavastha Mein mandiron ki hissedari

Ticker

अर्थव्यवस्था में मंदिरों का योगदान || Arthvyavastha Mein mandiron ki hissedari

अर्थव्यवस्था में मंदिरों का योगदान || Arthvyavastha Mein mandiron ki hissedari

अर्थव्यवस्था में मंदिरों का योगदान,Arthvyavastha Mein mandiron ki hissedari


इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने अमेरिका में यह बयान देकर अपनी अज्ञानता का ही परिचय दिया कि 'हमारे सामने बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य की समस्याएं हैं, जिनके बारे में कोई बात नहीं करता। हर कोई राम... हनुमान... मंदिर की बात करता है और मैं कह चुका हूं कि मंदिरों से रोजगार नहीं मिलने वाला...।' जिसे भारतीय संस्कृति की कोई समझ न हो, वह व्यक्ति ऐसे ही ऊलजलूल बयान देकर चर्चा में बने रहने का प्रयास करता है। भारत की आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था आरंभ काल से ही 'वर्ण आश्रम' तथा 'मंदिर केंद्रित' रही है। इस्लामिक आक्रमण के साथ देश के सभी बड़े मंदिर नष्ट किए जाने लगे। आक्रांताओं को पता था कि भारत की संस्कृति का आधार मंदिर ही हैं। 1947 के बाद के विघटित भारत में मंदिरों की संख्या लगभग 20 लाख है। इनमें से नौ लाख सनातन हिंदू समाज के मंदिर हैं। ढाई लाख सिख गुरुद्वारे हैं, 

जिनमें 12 गुरुद्वारों को विशिष्ट गुरुद्वारों के रूप में गुरुओं ने विशेष कारणों से स्थापित किया। इसके अतिरिक्त शेष गुरुद्वारे सरकारी अभिलेख में मंदिर के रुप में ही दर्ज हैं। इसी प्रकार दो लाख से ज्यादा जैन समाज के मंदिर भी मंदिर के रुप में ही दर्ज हैं।

औरंगजेब के अत्याचार बढ़ने पर जब छत्रपति शिवाजी का प्रादुर्भाव हुआ तो उनके गुरु समर्थ गुरु रामदासजी महाराज ने आज के महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में हनुमानजी की अनगढ़ प्रतिमा स्थापित करने का अभियान चलाया। इस प्रकार की प्रतिमा के लिए किसी कलाकारी की जरूरत नहीं थी। पत्थर उठाइए, सिंदूर लगाइए और हनुमानजी के रूप में स्थापित कर दीजिए । सैकड़ों वर्षों में इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा तीन हजार से ज्यादा विशिष्ट मंदिर ध्वस्त किए गए। इसके बावजूद 33,008 विशिष्ट मंदिर भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता के रूप में अपने योगदान की गाथा कह रहे हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग, द्वादश गणपति, 52 शक्तिपीठ, नौ दुर्गा, दस महाविद्या के मंदिर भारत को एकता के सूत्र में आबद्ध करते हैं। वर्तमान में नौ लाख मंदिरों में से सिर्फ पांच लाख मंदिर सनातन हिंदू संस्कृति के 127 संप्रदायों तथा 13 अखाड़ों के नियंत्रण में हैं। शेष ईस्ट इंडिया कंपनी तथा ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट द्वारा बनाए गए 'मद्रास हिंदू टेंपल एक्ट' द्वारा अधिगृहीत कर सरकार द्वारा चलाए जाते हैं। इस एक्ट को स्वतंत्रता के बाद बिना संसदीय अनुमोदन के 'हिंदू रीलिजियस प्लेस एंड टेंपल एमेंडमेंट, एक्ट, 1951' का रूप दे दिया गया।

देश में सौ करोड़ हिंदुओं के सापेक्ष 25 करोड़ मुसलमान और चार करोड़ ईसाई हैं। 3.5 लाख मस्जिदें, एक लाख र 70 हजार कैथोलिक चर्च तथा एक लाख 10 हजार प्रोटेस्टेंट चर्च हैं। अगर हम रोजगार और जीडीपी में मस्जिदों और द चच का योगदान पूछें तो पित्रोदा या उनके सहयोगी क्या बताएंगे? बार-बार मंदिर और हनुमानजी का प्रश्न खड़ा करने वाले कथित पंथनिरपेक्ष दल इस्लाम और ईसाइयत के मजहबी क्षेत्र में पैदा किए गए रोजगार की चर्चा क्यों नहीं करते? मदरसा • शिक्षा की उपादेयता पर पर क्यों चुप्पी साध ली जाती है ?

भारत का धार्मिक क्षेत्र 35 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराता है, जबकि केंद्र और राज्यों की कुल नौकरियां साढ़े तीन करोड़ ही हैं। 2022 में गोवा जाने वाले पर्यटक साढ़े तीन करोड़ थे तो प्रधानमंत्री द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन करने के बाद काशी आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या दस करोड़ पार कर गई। इनमें से सात करोड़ से ज्यादा लोगों ने होटलों और धर्मशालाओं में निवास किया। एयर, रोड, रेल तथा निजी वाहनों के प्रयोग से प्राप्त होने वाला टैक्स वाराणसी की विशिष्ट वस्तुओं की खरीद का रिकार्ड 'जीएसटी

विभाग ही दे सकता हैं। वाराणसी के सौ किमी के क्षेत्र में पैदा होने वाले खाद्यान्न, फल एवं दूध की खपत और उससे होने वाली किसानों की आय दूसरी कहानी कह रही है। नाविकों और रिक्शा चालकों के साथ बुजुर्गों को मंदिर दर्शन कराने वाले व्हीलचेयर चालक भी औसत हजार रुपये प्रतिदिन की कमाई कर रहे हैं। क्या काशी में विश्वनाथजी और मां गंगा द्वारा रोजगार का सृजन नहीं हुआ ? यदि हरिद्वार में गंगा न हों तो सैकड़ों होटल और धर्मशालाएं वीरान पड़ जाएंगी। 2013 में बदरीनाथ- केदारनाथ आपदा के बाद हुए जीर्णोद्धार के फलस्वरूप उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। क्या उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर नहीं पैदा हुए? सिर्फ चारधाम यात्रा की कमाई से वर्ष भर सुख से रहने वाले उत्तराखंड वासियों के लिए तीर्थाटन की कमाई ही जीविका का मुख्य साधन है। पूर्वोत्तर में मां कामाख्या, मध्य प्रदेश में श्रीमहाकाल लोक, गुजरात में सोमनाथ मंदिर, अंबाजी मंदिर रोजगार सृजन के साथ तीर्थाटन के भी नए मानक स्थापित कर रहे हैं। पद्मनाभस्वामी, तिरुपति बालाजी,सिद्धिविनायक जैसे मंदिर भी आर्थिकी को बल दे रहे हैं। आज जो लोग राम मंदिर को लेकर आलोचना कर रहे हैं, ये वही हैं, जिन्होंने अयोध्या में नाली खड़जे तक नहीं बनवाए। श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर टूटने के बाद सैकड़ों वर्षों तक अयोध्या खून के आंसू रोती रही। अब हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अयोध्या को पूरे देश से जोड़ देने के बाद यात्रियों की बेतहाशा वृद्धि अयोध्या के विकास के साथ-साथ सौ किमी क्षेत्र में नई पीढ़ी के रोजगार की अलग कहानी कह रही है।

केंद्र सरकार पांच ट्रिलियन (लाख करोड़ डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिए हुए है। अकेले मंदिर केंद्रित अर्थव्यवस्था, वर्तमान में ढाई ट्रिलियन डालर की है। पूजा-अर्चना में उपयोग होने वाले फल, खाद्यान्न, वस्त्र, शृंगार सामग्री तथा प्रसाद का निर्माण प्राचीन भारतीय परंपरा में मंदिर को शिक्षा, स्वास्थ्य, संपर्क और संस्कार के केंद्र बनाने के लिए स्वावलंबी व्यवस्था का विश्व का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिरों से हर वर्ग लाभान्वित हो रहा है, क्योंकि अब ब्राह्मण पुजारी भी अनिवार्य नहीं रह गए हैं। अमरनाथ एवं वैष्णोदेवी की यात्रा में 90 प्रतिशत से ज्यादा व्यवसाय करने वाले मुस्लिम वर्ग के लोग हैं। अतः यह कहना राजनीतिक दिवालियापन है कि मंदिर और हनुमानजी की बात करने वाले रोजगार पर बात कब करेंगे? यह दर्शाता है कि ऐसा कहने वालों को भारत की संस्कृति एवं उसके द्वारा रोजगार सृजन की क्षमता की कोई जानकारी नहीं। 

FAQ'S - 

Q. भारत की जीडीपी में मंदिरों का कितना योगदान है?

भारत की जीडीपी में धार्मिक यात्राओं का योगदान 2.32 फीसदी है और मंदिर की इकोनॉमी करीब 3.02 लाख करोड़ की है, जिसमें फूलों की बिक्री से लेकर पूजा पाठ से जुड़े दूसरे सामान आते हैं. आंकड़ों के मुताबिक 55 फीसदी हिंदू धार्मिक यात्राएं करते हैं और भारत में सबसे ज्यादा सैलानी तीर्थस्थलों पर ही जाते हैं.

Q. अर्थव्यवस्था के लिए मंदिर क्यों महत्वपूर्ण थे?

एक बड़े मंदिर के पास बड़े पैमाने पर भूमि भी होती थी और इसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए हजारों आम आदमी नियुक्त होते थे । इसलिए मंदिर प्रमुख आर्थिक और धार्मिक केंद्र थे।

Q. मंदिरों से सरकार को कितना पैसा मिलता है?

मंदिर के पुजारी की बेसिक सैलरी मात्र 17,900 रुपए होती है। मंदिर के पुजारियों को महंगाई भट्टा 17% यानी कि 3000 रुपए मिलते हैं। इसके अलावा, इन्हें हाउस रेंट के 2900 रुपए भी सरकार से प्राप्त होते हैं।

Q. मंदिर क्यों महत्वपूर्ण है?

हिंदू धर्म में मंदिरों को सबसे महत्वपूर्ण स्थानों में से एक माना जाता है। उन्हें एक पवित्र स्थान के रूप में देखा जाता है जहां हिंदू पूजा करने और अपने देवताओं से जुड़ने के लिए जा सकते हैं। मंदिर किसी के मन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं और अक्सर उन्हें आशा के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। कई हिंदुओं के लिए, मंदिर कठिन समय के दौरान शरण का स्थान होता है।

Q. भारत में कौन सा मंदिर ज्यादा पैसा कमाता है?

जम्मू में वैष्णो देवी मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है, जहां दुनिया भर से लाखों भक्त आते हैं।

ये भी पढ़ें 👇👇👇





Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2