Diphtheria (गलाघोटू), कारण, लक्षण और उपचार

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Diphtheria (गलाघोटू), कारण, लक्षण और उपचार

Diphtheria (गलाघोटू), कारण, लक्षण और उपचार

हेलो दोस्तों स्वागत है आपका हमारे इस आर्टिकल में तो आज हम आपको डिप्थीरिया बीमारी के बारे में पूरी तरह से जानकारी प्रदान करेंगे।तो इस आर्टिकल को लास्ट तक जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों में शेयर करें।

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Diphtheria (गलाघोटू), कारण, लक्षण और उपचार

Table of contents


1.डिप्थीरिया क्या है?

2.डिप्थीरिया किसके कारण होता है?

3.Mode of transmission

4.Incubation period

5.Types of diphtheria

6.Diagnosis

7.Sign and symptoms

8.Prevention and treatment

9.डिप्थीरिया का दूसरा नाम क्या है?

10.FAQ


यह एक Acute infectious disease है। चिकित्सा न करने पर (untreated cases) 10% बच्चों की मृत्यु हो जाती है जबकि चिकित्सा ले रहे रोगियों (treated cases) में मृत्यु दर 5% होती है। कुछ ऐसे देश भी हैं जहाँ गलघोंटू रोग (diphtheria) पूर्ण रूप से उन्मूलित (eradicated) हो चुका है। उदाहरण- Sweden व Denmark । भारतवर्ष में अभी भी कस्बों (towns) और ग्रामीण क्षेत्रों (rural areas) में यह रोग एक बड़ी समस्या (great 7 problem) बना हुआ है। इसका मुख्य कारण रोग का समय पर पता न लग पाना है। 


Cause : Agent : Corynebacterium diphtheriae यह एक ग्राम-पॉजिटिव जीवाणु

है जो एक शक्तिशाली बाह्यविष (Powerful exotoxin) उत्पन्न करता है। Diphtheria bacillus के तीन रूप मनुष्य में पाये जाते हैं - (i) gravis form (ii) intermedius form, और (iii) mitis form | ये सभी Pathogenic हैं। लेकिन gravis सबसे ज्यादा खतरनाक है। ।


Host: यह बीमारी सबसे ज्यादा Pre-school children, 2 से 5 वर्ष के आयु वर्ग को 1

होती है। लेकिन epidemic condition में adults भी इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। 


6 माह से कम आयु के शिशुओं में यह बीमारी नहीं होती है। इसका कारण शिशु को माँ से प्राप्त Antibodies होता है। कुछ सर्वेक्षणों (Surveys) के बाद यह देखने को मिला है कि यह नर शिशुओं (Male infants) में ज्यादा होता है; मादा शिशुओं (Female infants) में कम। 


Environmental factors : यह रोग हर मौसम में हो सकता है। लेकिन सितम्बर माह में सबसे ज्यादा होता है।


 Mode of transmission : इस रोग का संचार direct contact और droplet infection से होता है। रोगाणु upper respiratory tract (ऊपरी श्वसन मार्ग) द्वारा ही ज्यादातर शरीर में प्रवेश करता है। Skin cuts और Wound के द्वारा भी ये जीवाणु शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ऊष्मा (Heat) में ये जीवाणु मर जाते हैं।


Incubation period : 2 से 6 दिन ।


(diphtheria) 3 प्रकार का होता है-


(i) Faucial (ii) Nasal, और (iii) Laryngeal i


(i) Faucial diphtheria : यह गलघोंटू (Diphtheria) की सबसे ज्यादा Common और severe प्रकार है।


Sign and symptom : (i) Onset: इस रोग का प्रारम्भ गुप्त (Insidious) होता है । • बच्चा देखने में बीमार-सा लगता है। हल्का ज्वर (Mild fever), गले में दर्द व खराशें (sore throat) भी हो सकती हैं।


• नाड़ी तीव्र ( rapid pulse) चलती है ।


• श्वसन (Breathing) में कच्ची शराब जैसी गन्ध (Musty smell) आती है।


• गले का परीक्षण (Throat examination) करने पर गल-तुण्डिकाओं (Tonsils) पर एक स्लेटी-भूरे रंग (greyish white colour) की एक झिल्ली दिखाई देती है जिसे हटाना मुश्किल होता है। गम्भीर रोगियों ( severe cases) में ये झिल्ली (Membrane ) मृदुतालू (Soft palate) और ग्रसनी (Pharynx) तक आ जाती है। झिल्ली का विस्तार जितना अधिक होता है रोग की गंभीरता उतनी ही अधिक होती है। कभी-कभी neck में tonsils के बढ़ जाने से सूजन आ जाती है और इसे “Bull-neck” of diphtheria कहते हैं।


Diagnosis : • लक्षणानुसार ।


• इसके अलावा Throat swab से C/S करायें। इस जाँच में कम से कम 24 घण्टों का समय लगता है। अतः Clinical sign व Symptoms के आधार पर चिकित्सा (treatment) प्रारम्भ कर देनी चाहिए।


(ii) Nasal Diphtheria : यह बहुत mild होता है। इसमें toxemia बहुत कम पाया जाता


Sign and symptoms : Nasal discharge नासास्त्राव serous और blood stained होता है।


• नाक और ऊपरी होठ (upper lip) की त्वचा फटने लगती है (Excoriation of skin)। 

• जब नाक (Nose) को Examine करेंगे तो membrane दिखाई देती है।


Treatment : Diphtheria antitoxin की कम मात्रा 800 से 16000 units देकर इसकी चिकित्सा (treatment ) कर सकते हैं ।


(iii) Laryngeal Diphtheria : यह ज्यादा common नहीं है। यह 5 वर्ष तक के बच्चों में ज्यादा दिखाई देता है। इसमें membrane vocal-cords के अन्दर बनती है और laryngeal obstruction हो जाता है। यह स्थिति खतरनाक होती है ।


Sign and symptoms:

• आवाज का भारी होना ( hoarseness)

• Croupy cough, inflammation, spasm, harshness, dyspnoea आदि समूह में पाये जाते हैं।


• Laryngeal obstruction होने पर dysnoea स्वाभाविक एवं गम्भीर होता है। • Cyanosis (नीलिमा ) और Restlessness ( बेचैनी ) ।


• Obstruction को ठीक नहीं किया जाये तो मरीज gasp करने लगते हैं और heart failure हो जाता है, जिससे मृत्यु तक हो जाती है।


Diagnosis : Schick test : इस जाँच में immunity और hypersensitivity दोनों को देखा जाता है। इस जाँच के अन्तर्गत एक भुजा (arm) में 0.2 ml shick test toxin intradermally सुई से (inject) लगाते हैं। दूसरे हाथ में उतने ही amount में inactive toxin (निष्क्रिय विष) inject करते हैं। नोट - Toxin को गर्म (heat) करके inactive किया जाता है। अब 24 से 36 घण्टे बाद सुई के स्थान की जाँच (check) करते हैं । -


Negative reaction : यदि दोनों भुजाओं (Arms ) में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया (reaction) नहीं हुई है, तो इसका तात्पर्य है कि व्यक्ति Diphtheria के प्रति Immune है। Positive reaction : Test arm में 10 से 50mm व्यास (diameter) की एक गोलाकार लाल रेखा दिखाई देती है। दूसरी भुजा, control arm, में किसी तरह का परिवर्तन (change) नहीं होता है। यह Test का परिणाम व्यक्ति में Diphtheria संक्रमण होने का संकेत होता है। यह reaction 24 से 36 घण्टे बाद शुरू होती है और 4th से 7th दिन में अपनी अधिकतम सीमा तक (Maximum level) पहुँच जाती है । इसके बाद धीरे - धीरे reaction का स्थान fade होकर Brown colour का हो जाता है और त्वचा से scale निकल जाता है ।


Pseudo-positive reaction : दोनों हाथ में यदि reaction red colour develop होता है; जिसकी गोलाई True positive reaction की गोलाई से कम होती है और जो reaction बहुत जल्दी धूमिल (fade) हो जाती है; चौथे दिन (4th day) बिल्कुल गायब हो जाती है तो इसे Pseudo Positive reaction माना जाता है । यह allergic type की reaction होती है। इसे Negative schick test माना जाता है।


Schick test के 6 घण्टे बाद antitoxin दे सकते हैं ।


The Control of Diphtheria


(A) Cases and carriers : (i) Early detection : रोग की पहचान शीघ्र करने के लिए Families और schools में जाकर जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी बीमारी का पता लगाना चाहिए। इसके साथ इस रोग के Carriers का भी पता लगाना चाहिए। रोग का शीघ्र पता लगाने के लिए Throat swab लेकर C/S जाँच करानी चाहिए। इस जाँच से Diphtheria bacilli के होने का पता लग जाता है ।


(ii) Isolation : जिन cases और Carriers में Diphtheria bacilli पाया जाता है उन्हें पूर्ण रूप से अलग (Complete isolation) रखें । इनका isolation तब तक करें जब तक कि इनके Throat और Nasal दोनों Swabs से C/S जाँच Diphtheria के लिए Negative न हो जाये।


(iii) Treatment


(a) Cases: इस रोग की एकमात्र विशिष्ट चिकित्सा (Specific treatment) Diphtheria antitoxin से की जाती है । इस antitoxin की 20,000 से 80,000 units I/M या I/V रोगी को दी जाती है । इसकी मात्रा व संख्या (dose and frequency) बीमारी की severity के ऊपर depend होती है । Antitoxin के अलावा - • Injection penicillin IM 6 hourly

या

• Tablet Erythromycin orally 6 hourly |


 (b) Carriers : यदि व्यक्ति को Primary immunity का course मिल चुका है तो Diphtheria toxoid की Booster dose दें ।


जिन व्यक्तियों का Primary immunization नहीं किया गया है, तो उन्हें 1000 से 2000 यूनिट Diphtheria antitoxin लगा दें । Carrier को भी Penicillin या erythromycin देनी चाहिए।


(B) Contact : जो लोग बीमार व्यक्तियों के सम्पर्क (Contact) में आते हैं, उन्हें daily diphtheria बीमारी के लिए observe करें। अगर जरूरत है तो Schick test भी करके देखना चाहिए। ऐसे लोगों में Immunization के बारे में भी पता लगाना चाहिए। अगर Immunization नहीं हुआ है तो रोगी से सम्पर्क होने के बाद एक सप्ताह तक उसे अपनी निगरानी में रखें और उसको Immunize करें। जिस Case पर शक हो उसके गले व नाक (Throat and nose) से swab लेकर culture जाँच कराऐं और रोग सुनिश्चित करें ।


 (C) Community : Active immunization के लिए शिशुकाल और बचपन में ही Primary immunization और booster dose लगा दें | Booster dose प्रत्येक 10 वर्षों के बाद लगायें ।


D.P.T. Vaccine को Refrigerator में 4 से 8°C ताप पर store करना चाहिए | लम्बे समय तक बाहर room temperature पर vaccine को रखने से इसकी potency खत्म हो जाती है।


FAQ questions-


1.डिप्थीरिया क्या है? और इसके लक्षण?

उत्तर-डिप्थीरिया एक संक्रामक जीवाणु रोग है जो कॉरिनेबैक्टीरियम बैक्टीरिया नामक बैक्टीरिया के कारण होता है जो विषाक्त पदार्थों का उत्पादन करता है। यह मुख्य रूप से टॉन्सिल, गले, नाक और त्वचा को प्रभावित करता है।


2. डिप्थीरिया का दूसरा नाम क्या है?

उत्तर-डिप्थीरिया एक प्रकार के इंफेक्शन से फैलने वाली बीमारी है इसे आम बोलचाल में गलाघोटू भी कहा जाता है।


3. क्या डिप्थीरिया ठीक हो सकता है?

उत्तर-इस बीमारी का ना केवल इलाज संभव है। बल्कि वैक्सीन से इसे रोका भी जा सकता है। डिप्थीरिया का टीका आमतौर पर टिटनेस और काली खांसी के टीकों के साथ मिलाया जाता है।


4. डिप्थीरिया कैसे फैलता है?

उत्तर-डिप्थीरिया किसी संक्रमण  व्यक्ति के श्रवस्न पथ से निकली बूंदों के संपर्क में आने से होता है। विशेष रूप से खांसने छींकने से फैलता है।


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