राजस्थान के मेले पर निबंध | Essay on Rajasthan Fairs in Hindi
राजस्थान के प्रमुख मेले
राजस्थान में विशेष धार्मिक प्रभु पर तीर्थ स्थान पर मिले निर्धारित समय पर भरते हैं। साथ ही पशु मेले भी भरते हैं इन पशु मेलों में गाय, बैल ,ऊंट ,घोड़े आदि पशु बिक्री के लिए ले जाते हैं।
राजस्थान के मेले पर निबंध | Essay on Rajasthan Fairs in Hindi |
Table of contents
इन मेलों में पुष्कर दिलवाला, परबतसर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, गोगामेड़ी, आदि के मेले प्रसिद्ध है। राज्य में प्रमुख मेले व समय इस प्रकार हैं।
पुष्कर का मेला कार्तिक में
दिलवाड़ा का मेला चैत्र माह में
परबतसर का मेला भादों में
कोलायतजी का मेला कार्तिक में
चार भुजा (मेवाड़) का मेला भादों में
केसरिया नाथ जी का मेला (धुलैव, मेवाड़) चैत्र में
रामदेवरा (पोकरण, जोधपुर) का मेला भादों में
श्री महावीरजी का मेला चैत्र में
राणी सती (झुंझुनूं) का मेला भादों में
केलवाड़ा (कोटा) का मेला वैशाख में भरता है.
इन प्रमुख मेलों के अलावा राजस्थान में अन्य मेले भी स्थानीय मान्यता एवं महत्व के आधार पर आयोजित किये जाते है.
मेले का अर्थ
मेला एक हिंदी शब्द है जिसे समान अर्थ में मिलना कहते हैं। अर्थात वह स्थान जहां लोग आपस में मिलते हैं उसे मेले की संज्ञा दी जा सकती है मेले के लिए स्थान और समय पूर्व निर्धारित होते हैं एक सामुदायिक मेले में स्त्री पुरुष बच्चे तथा वृद्धि सभी जाते हैं।
मिले कई प्रकार के होते हैं,यथा धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व के हो सकते हैं. इनका एक उद्देश्य लोगों के जीवन में उत्साह एवं उमंग का संचार करना भी होता हैं. यहाँ समस्त प्रकार के मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं खासकर मेले बच्चों के लिए विशिष्ट हो जाते हैं. राजस्थान में सामाजिक, धार्मिक और पशु मेले सर्वाधिक लगते हैं इन सभी का अपना अपना महत्व हैं.
राजस्थान के प्रमुख मेले (Major Fairs of Rajasthan) -
राजस्थान एक समृद्ध संस्कृति और अपनी ऐतिहासिक धरोहर को सम्भाले एक बड़ा राज्य हैं. यहाँ के लोगों में धर्म के प्रति बड़ा झुकाव हैं. तो वही अधिकतर लोग कृषि एवं पशुपालन का व्यवसाय करते है इसलिए यहाँ पर कृषि एवं पशु मेलों का आयोजन भी होता हैं.
राज्य के मुख्य बड़े मेलों में पुष्कर, रामदेवरा, परबतसर, अलवर, धौलपुर, करौली, गोगामेड़ी आदि के मेले देश भर में प्रसिद्ध हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन अजमेर के पुष्कर में बड़ा धार्मिक मेला भरता है तो वही भाद्रपद माह में जैसलमेर के रामदेवरा में बाबा रामदेव का मेला भरता है इसी माह गोगामेड़ी हनुमानगढ़ में गोगाजी का मेला, परबतसर नागौर में तेजाजी का पशु मेला भरता हैं.
इनके अतिरिक्त राजस्थान के मेलों में चारभुजा, देलवाड़ा, कोलायत मेला, केसरिया नाथ मेला, महावीर जी मेला भरता हैं. क्षेत्रीय महत्व के कई अन्य मेले भी भिन्न भिन्न स्थानों पर लगते हैं. राजस्थान की संस्कृति के धार्मिक महत्व तथा संस्कृति को इन मेलों एवं उत्सव त्योहारों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता हैं.
मेलों का पर्यटन पर प्रभाव (Impact of fairs on tourism) -
निश्चय ही मेलों का आयोजन पर्यटन को बढ़ावा देता हैं. राजस्थान के कई बड़े मेलों में अपने धर्म से जुड़े लोग केवल उस राज्य से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों तथा विदेशो से भी दर्शन करने के लिए आते हैं. इन पर्यटकों के आने से सरकार, स्थानीय लोगों तथा विक्रेताओं को पूंजी प्राप्त होती हैं.
मेलों का सामाजिक महत्व (Social importance of fairs) -
मेले किसी प्रदेश या क्षेत्र में बसने वाले लोगों के धर्म उनकी आस्था, रीति रिवाज के बिम्ब तो है ही साथ ही इनका सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक महत्व भी हैं. समय समय पर भरने वाले ये मेलों समाज में मेलजोल तथा भाईचारे को बढाते हैं.
एक स्थान के लोगों के पहनावे उनके रीति रिवाजों के बारे में अन्य लोग जान पाते हैं. इस तरह यह समाज में आपसी परिचय तथा आदान प्रदान को बढ़ावा देते हैं. आज के युग में नौजवान युवक एवं युवतियां इस तरह के समागमों में अपना जीवन साथी भी चुन लेती हैं. मेलों में लोग अपने आसपास के क्षेत्रों में बसनें वाले लोगों के सुख दुःख जान पाते हैं इस तरह आपसी भाईचारे को बल मिलता हैं.
मेलों की आवश्यकता (Fairs required Needs)-
जीवन के सभी पहलुओं यथा सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं धार्मिक दृष्टि से मेलों के आयोजन की बड़ी आवश्यकता हैं. ये लोगों को जोड़ने का एक माध्यम है. इन स्थानों पर व्यक्ति अपने आस पास बसने वाले लोगों के जीवन उनके रहन सहन आदि का परिचय प्राप्त कर पाता हैं.
वस्तुओं तथा उत्पादों की बिक्री के लिहाज से भी मेलों का बड़ा महत्व है हजारों लोगों को मेलों में रोजगार मिलता है वही सरकार को भी कर मिलता हैं. राजस्थान एक कृषि प्रधान राज्य है. कृषकों के लिए यह मनोरंजन का अच्छा माध्यम बन रहा हैं. नित्य के उबाऊ जीवन से दूर वे शान्ति का एहसास इन स्थलों पर आकर महसूस करते हैं.
राजस्थान की सभ्यता–
संस्कृति अनुपम है। यहाँ होली, दीपावली, रक्षाबंधन, तीज, गणगौर आदि त्योहार मनाए जाते हैं। अनेक मेलों का आयोजन भी होता है। यहाँ पद्मिनी, पन्ना आदि वीरांगनाएँ हुई हैं तो सहजोबाई और मीरा जैसी भक्त नारियाँ भी जन्मी हैं।
राजस्थान आज विकास के पथ पर है। आगे बढ़ता हुआ भी वह अपनी परम्परागत संस्कृति से बँधा हुआ है। यहाँ संगमरमर तथा अन्य पत्थर, ताँबा तथा शीशा आदि अनेक खनिज पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। यहाँ पुराने ढंग के गाँव हैं तो जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि महानगर भी हैं। प्राचीन हस्तकलाओं के साथ नये और विशाल उद्योग भी इस प्रदेश में स्थापित हैं।
जीवन में मेले का महत्व
मेले में मनुष्य को बहुत राहत मिलता है तथा मेले में सभी ओर चहल-पहल होती है जो लोगों के तनाव को दूर करने में सहायक होता है। मेले में व्यक्ति को अपनी दैनिक दिनचर्या से विराम अर्थात छुट्टी मिली होती है जिसे लोग तनाव से मुक्त होते हैं और मेले का आनंद लेते हैं।
मेला हम सभी को बहुत अच्छा लगता है तथा लोग मेले में अपने परिवार और बच्चों को घुमाने ले जाते हैं जिससे परिवार में रिश्ता अच्छा बना रहता है क्योंकि परिवार में कभी-कभी व्यक्ति के पत्नी और बच्चों का घूमने का मन होता है जिससे उनको बहुत खुशी होती है।
मेले का हम सभी के जीवन में विशेष महत्व होता है मेला में हम विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को देखते हैं और आनंद देते हैं मिला हमें बहुत रोमांचक लगता है, तथा बच्चों के लिए मेल सबसे खास दिन होता है मेले में बच्चे सबसे ज्यादा मनोरंजन करते हैं क्योंकि मेले में बच्चों पर मनोरंजन के सबसे अधिक साधन उपलब्ध होते हैं।
राजस्थान मेल पर निबंध 100 शब्द
हमारे भारत देश की भूमि पर मेलों का आयोजन भी बहुत अधिक मात्रा में किया जाता है, और साल के पूरे दिन किसी ना किसी स्थान पर मेले का आयोजन किया ही जाता है जहां लोग मेले का आनंद लेने के लिए जाते हैं।
वर्तमान में सभी मनुष्य अपने काम में व्यस्त रहते हैं, मेले का आयोजन होने पर काम में व्यस्त लोग भी अपनी थकान को दूर करने तथा परिवार और बच्चों के साथ मेला घूमने जाते हैं, मेले में जाकर सभी व्यक्ति अपनी थकान को दूर कर सकते हैं और मेले का भरपूर आनंद ले सकते हैं।
मेले में धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, मेला हम सभी के जीवन में खुशियां लेकर आता है और मेले में हम सभी अपने काम से थोड़ा विराम लेकर घूमने जाते हैं जिससे हमारा मन भी खुश होता है।
FAQ-question
प्रश्न-राजस्थान के प्रमुख मेले कौन से हैं?
उत्तर- जांभोजी का मेला – मुकाम तलवा (बीकानेर) में लगने वाला मेला। करणी माता का मेला – देशनोक (बीकानेर), चननी-चेरी का मेला, नवरात्रि में भरने वाला मेला। कपिल मुनि का मेला – कोलायत (बीकानेर), जांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला, कोलायत झील में दीपदान, कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाला मेला।
प्रश्न-राजस्थान का सबसे प्राचीन मेला कौन सा है।
उत्तर- यह पशु मेला आमदनी के लिए प्रदेश का सबसे बड़ा मेला है जोधपुर के महाराजा अजीत सिंह ने यहां तेजाजी का देवल बनाकर एवं उनकी मूर्ति स्थापित कर इस पशु मेले की शुरुआत की थी। यह मेला नागौरी वैल्यू एवं बीकानेर ऊंट के क्रय विक्रय के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न-राजस्थान का मेला कब लगता है?
उत्तर- हर साल पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा के दौरान आयोजित होता है।
प्रश्न-मेल पर निबंध कैसे लिखें।
उत्तर- मेले का हमारे देश में विशेष महत्व है। मेले में सैकड़ों दुकानें होती हैं, जो विभिन्न उत्पादों को बेचती हैं। जो लोग मेला देखने के लिए एकत्रित होते हैं, वह अपने मनपसंद चीज़ो को खरीद सकते है। गाँव के मेले में आमतौर पर खिलौने, फेरीवालों की दुकाने, बच्चो के लिए खेल और मिठाई बेचने वाले जैसे चीज़ें आयोजित किये जाते है।
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