जलवायु परिवर्तन में कोयले की मुख्य भूमिका - UPBoard.live

Ticker

जलवायु परिवर्तन में कोयले की मुख्य भूमिका - UPBoard.live

जलवायु परिवर्तन में कोयले की मुख्य भूमिका - UPBoard.live

जलवायु परिवर्तन में कोयले की मुख्य भूमिका,jalvayu Parivartan,jalvayu Parivartan Mein koyle ki bhumika,Koyla kya hai

जलवायु परिवर्तन पर जब भी बात होती है तो कोयला ही निशाने पर आता है। कोयले की तरह ही प्राकृतिक गैस भी एक जीवाश्म ईंधन है, जो गैस उत्सर्जित करती है और वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी का कारण बनती है मगर इसकी चर्चा कोई क्यों नहीं करता? यह प्रश्न असहज है मगर इसका उत्तर जानना भी बहुत जरूरी है। कार्बन डाई आक्साइड गैस का उत्सर्जन कम करना जरूरी है मगर हम जो कुछ भी कर रहे हैं, उन्हें लेकर सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए। पर्यावरणविद् होने के नाते मैं भली-भांति समझती हूं कि कोयले का इस्तेमाल उचित नहीं और इससे उठता धुआं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वायु प्रदूषण रोकने के लिए दिल्ली में कोयले का इस्तेमाल प्रतिबंधित कर दिया गया है। राजधानी में पुराने पड़ चुके कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र बंद कर दिए गए हैं और 100 किलोमीटर के दायरे में कोयले का इस्तेमाल रोक दिया गया है। ईंधन के रूप में कोयले का इस्तेमाल करने वाले सभी भट्ठियों को प्राकृतिक गैस या अन्य स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है। मूल लक्ष्य उद्योगों और वाहनों को ऊर्जा के स्रोत के रूप में बिजली के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करना है। यह बिजली अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से पैदा की जाएगी। हालांकि अंतरिम अवधि में प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल एक विकल्प है। कोयले की तुलना में इसके इस्तेमाल से वायु कम प्रदूषित होती है। अब दिक्कत यह है कि इसके भी दाम बढ़ गए हैं। यूक्रेन संकट और यूरोप में ऊर्जा के स्रोत के रूप में प्राकृतिक गैस की जरूरत आंशिक रूप से इसके लिए उत्तरदायी हैं। दोनों ही नहीं हैं फायदेमंद


मैं कोयले के इस्तेमाल की पक्षधर नहीं हूं मगर मेरा प्रश्न फिर भी कोयला बनाम प्राकृतिक गैस के इर्द-गिर्द है क्योंकि स्थानीय और वैश्विक प्रदूषण का विज्ञान एक जैसा नहीं है। कोयला जलाने पर जितनी मात्रा में कार्बन डाईआक्साइड और मीथेन गैस निकलती है, उसकी आधी मात्रा प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से उत्सर्जित होती


है। इनके लंबे समय तक वातावरण में रहने से वैश्विक तापमान बढ़ता है। कार्बन डाईआक्साइड और मीथेन दोनों के प्रबंधन के दो तरीके हो सकते हैं। पहला, ईंधन के रूप में कोयले और प्राकृतिक गैस की क्षमता बढ़ाएं या अक्षय ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाएं। दूसरा, कार्बन डाईआक्साइड का भूमिगत भंडारण करें। प्राकृतिक गैस के मामले में मीथेन गैस का भंडारण सावधानीपूर्वक करना होगा और वातावरण में इसका स्राव रोकना होगा। हम स्थानीय और वैश्विक प्रदूषण में अंतर करने की जरूरत समझें और दोनों को साथ जोड़कर न देखें। पर्यावरण के लिहाज से कोयला और प्राकृतिक गैस दोनों ही खराब हैं। ईंधन के दोनों स्रोतों पर निर्भरता धीरे-धीरे कम करने के लिए रणनीति तैयार करने की जरूरत है।


उत्सर्जन पर हो नियंत्रण यह भी कहा जा रहा है कि हरित ऊर्जा के इस्तेमाल


की तरफ कदम बढ़ाने के लिए 'ग्रीन हाइड्रोजन' (अक्षय ऊर्जा या अन्य हरित ईंधन की मदद से उत्पन्न हाइड्रोजन) आवश्यक नहीं है। प्राकृतिक गैस से तैयार 'ब्लू हाइड्रोजन' भी हरित ईंधन होता है मगर इसके लिए उत्सर्जन कम करने और कार्बन डाईआक्साइड का सावधानीपूर्वक भंडारण करना पड़ता है। इस तरह, पूरा जोर अब उत्सर्जन कम करने पर है न कि जीवाश्म ईंधन ( प्राकृतिक गैस) का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम करने पर है। मैं एक बार फिर पूछती हूं कि कोयले के मामले में भी उत्सर्जन कम करने पर चर्चा क्यों नहीं की जा सकती ? करनी होगी बड़ी कटौती


इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड यूनिवर्सिटी कालेज, लंदन के 'नेचर क्लाइमेट' में प्रकाशित पत्र में इस बात की चर्चा है कि किस तरह जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति


(आईपीसीसी) ने गैस व तेल पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता का कमजोर आकलन किया है। इसके अनुसार, तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए कोयला, तेल व गैस से होने वाले उत्सर्जन में बड़ी कटौती करनी होगी। जलवायु परिवर्तन पर ऐसा अपरिपक्व आकलन कोयले पर निर्भर दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों पर भारी दबाव डाल रहा है। वास्तव में विकासशील देशों को किसी भी अन्य देश की तुलना में दोगुणी रफ्तार से स्वच्छ ऊर्जा की तरफ बढ़ना होगा।


प्रश्न यही है कि पश्चिमी देशों को प्राकृतिक गैस के बेरोक-टोक इस्तेमाल की अनुमति क्यों दी जानी चाहिए। मैं यह प्रश्न स्वच्छ ऊर्जा की तरफ कदम बढ़ाने की जरूरत से इंकार करने के लिए नहीं पूछती, बल्कि इसलिए पूछती हूं कि कुछ प्रत्युत्तर सामने आ सकें, जो साझा एवं स्वच्छ भविष्य तैयार करने में मददगार होंगे।


Q. कोयला वायु प्रदूषण कैसे करता है?


ताप विधुत गृहों द्वारा कोयला दहन के फलस्वरूप भी अनेक गैसें तथा धूम्र उत्पन्न होता है । इससे उत्सर्जित कोयले की राख भी वायु प्रदूषण का कारण है क्योंकि यह व्यर्थ पदार्थ के रूप में उड़कर वातावरण में जा मिलती है ।


Q. क्या कोयला पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है?


कोयले के दहन से कई प्रमुख उत्सर्जन होते हैं : सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ 2 ), जो अम्लीय वर्षा और श्वसन संबंधी बीमारियों में योगदान देता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), जो स्मॉग और श्वसन संबंधी बीमारियों में योगदान करते हैं। कण, जो स्मॉग, धुंध और श्वसन संबंधी बीमारियों और फेफड़ों की बीमारी में योगदान करते हैं।


Q. कार्बन प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?


पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है। यह एक विषैली गैस है। यह रुधिर में ऑक्सीजन- वाहक क्षमता को घटा देती है।


Q. धुआं हवा को कैसे प्रदूषित करता है?


धुआं एवं ग्रिट (Smoke and Grit)- ताप बिजलीघरों, कारखानों की चिमनियों एवं घरेलू ईंधन को जलाने से धुआं निकलता है। धुएं में अदग्ध कारखानों के सूक्ष्मकण, विषैली गैसें, जैसे- हाइड्रोकार्बन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड होते हैं, जो विषैली होती हैं, जो कई प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।


Q. कोयला जलाने से कौन सी गैसें आती हैं?


हीटिंग या खाना पकाने के प्रयोजनों के लिए घर के अंदर कोयला जलाने से कण और गैस उत्सर्जन होता है जिसमें बेंजीन, कार्बन मोनोऑक्साइड, फॉर्मलाडेहाइड और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन जैसे कई हानिकारक रसायन शामिल हो सकते हैं।


Q. कोयला कौन सी गैस उत्सर्जित करता है?


कोयला जलाने पर जितनी मात्रा में कार्बन डाईऑक्साइड और मीथेन गैस निकलती है उनका आधा प्राकृतिक गैस के इस्तेमाल से उत्सर्जित होता है। ये स्थानीय स्तर पर प्रदूषण फैलाने वाले नहीं हैं


ये भी पढ़ें 👇👇👇







Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2