नए भारत को चाहिए नया प्रशासनिक ढांचा || New India needs new administrative structure

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नए भारत को चाहिए नया प्रशासनिक ढांचा || New India needs new administrative structure

 नए भारत को चाहिए नया प्रशासनिक ढांचा || New India needs new administrative structure


ब्रिटिश औपनिवेशिक दौर का भग्नावशेष बना भारत का प्रशासनिक ढांचा देश की तेजी से बढ़ती आबादी और विविधतापूर्ण एवं समयानुकूल आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम नहीं दिख रहा। कालातीत हो चुका यह ढांचा देश की प्रगति को अवरुद्ध कर सक्षम एवं प्रभावी जन सेवाएं प्रदान करने में नाकाम हो रहा है। इसलिए देश के बेहतर भविष्य के लिए प्रशासनिक सुधार कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्य हो गए हैं। कई विद्वान एवं विश्लेषक समय-समय पर इनकी आवश्यकता बताते रहे हैं। जैसे कि औपनिवेशिक प्रशासनिक अमले की विरासत से उपजी चुनौतियों को लेकर प्रतिष्ठित राजनीति विज्ञानी एवं संविधान विशेषज्ञ ग्रेनविल आस्टिन ने दर्शाया था कि इस प्रणाली में लचीलेपन का अभाव है और यह नागरिकों के अनुसार स्वयं को ढालने और आकार ले रहे सामाजिक परिवर्तनों से ताल मिलाने में अक्षम है। संविधान शिल्पी और सामाजिक


न्याय के प्रवर्तक डा. बीआर आंबेडकर ने भी समतामूलक समाज के निर्माण में प्रशासनिक सुधारों की महत्ता को रेखांकित किया था। उनका कहना था कि औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों वाला प्रशासनिक ढांचा देश के समक्ष विद्यमान सामाजिक- आर्थिक विषमताओं के समाधान में प्रभावी रूप से उपयोगी नहीं हो सकता।


अब सक्षमता, पारदर्शिता, जवाबदेही और तत्परती जैसे पहलुओं के आधार पर प्रशासनिक ढांचे को नए सिरे से खड़ा करने के लिए सुधारों की मांग जोर पकड़ रही है। इसका उद्देश्य ऐसी नौकरशाही का निर्माण करना है जो लोगों की सेवा करे, विकास को गति दे और सभी नागरिकों तक समान अवसर सुनिश्चित कर सके। इसमें भ्रष्टाचार पर प्रहार, अक्षमताओं से मुक्ति, शक्तियों का विकेंद्रीकरण और तकनीकी का लाभ उठाने पर जोर है। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की आकांक्षा पूर्ति की दिशा में ऐसे सुधारों के लिए ढांचागत बदलाव अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वास्तव में, प्रशासनिक ढांचे पर चढ़ी औपनिवेशिक खुमारी उतारकर एक ऐसे प्रशासनिक तंत्र की राह प्रशस्त करना आवश्यक हो चला है जो विशुद्ध भारतीय चरित्र एवं मूल्यों से ओतप्रोत हो। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में प्रशासनिक सुधार महज आवश्यकता न होकर राष्ट्र की प्रगति, विस्तार एवं संसाधनों की उचित साझेदारी के लिए एक पूर्वनिर्धारित शर्त बन गई है।


अक्षमता और भ्रष्टाचार प्रभावी लोक सेवाओं की राह में बड़े अवरोधक हैं। भ्रष्टाचार लोक सेवाओं की गुणवत्ता घटाने के साथ ही शासन में जनता के भरोसे को भी घटाता है। इसलिए सेवाओं की


गुणवत्ता सुनिश्चित करने में भ्रष्टाचार से निपटना बड़ी चुनौती है। इस दिशा में केंद्र सरकार ने लाभार्थियों के खाते में सीधे रकम पहुंचाकर भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक बड़ी पहल की है। इससे सरकारी संसाधनों का रिसाव रुका है। हालांकि, राष्ट्रजीवन के कुछ अन्य क्षेत्रों में भ्रष्टाचार का दंश अभी भी लोगों को चुभ रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस का मामला ही ले लीजिए। इसमें कई बार अपात्र लोगों को भी लाइसेंस मिल जाता है। ऐसे लोग गाड़ी चलाते हुए न केवल खुद के लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी जोखिम बन जाते हैं। वहीं, पात्र लोगों को भी जेब ढीली करनी पड़ जाती है। दोनों स्थितियों के लिए भ्रष्टाचार जिम्मेदार है, जिस पर लगाम लगानी होगी और वह सुधारों के बिना संभव नहीं होगा।


प्रशासनिक सुधारों के पीछे मंशा केवल एक ढांचे का कायाकल्प करना ही नहीं, बल्कि लोक सेवाओं को और बेहतर बनाने के साथ ही नागरिकों की बदलती आवश्यकताओं की कसौटी पर खरा उतरने की भी है। इस दिशा में शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस बल, सार्वजनिक उपक्रमों आदि में सुधार भी करने होंगे।


इसमें पारदर्शिता एवं जवाबदेही भी अहम पहलू हैं, क्योंकि किसी समाज के जागरूक एवं सक्रिय बनते जाने पर इन्हें लेकर मांग और मुखर होती जाती है। जनस्तर पर आकार ले रहा परिवर्तन भी प्रशासनिक सुधारों की मांग को गति दे रहा है। ऐसे सुधारों में तकनीक को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इससे प्रशासनिक प्रक्रियाएं आधुनिक एवं सुसंगत बनेंगी।


भारतीय प्रशासनिक ढांचे में जिला स्तरीय इकाई बहुत महत्व रखती है, पर कई कारणों से वे खासी अक्षम बनी हुई हैं। इसमें शक्ति का अति-केंद्रीकरण प्रमुख है, जिसमें ताकत राज्य स्तर पर केंद्रित रहती है। इसमें जिला प्रशासन के पास निर्णय लेने की गुंजाइश सीमित हो जाती है। जबकि कई समाधान स्थानीय स्तर पर ही हो सकते हैं, लेकिन उनके पास इस दिशा में आगे बढ़ने का अधिकार नहीं होता। रही सही कसर वित्तीय से लेकर मानव संसाधनों के अभाव से पूरी हो जाती है। इस कारण आवश्यक सेवाओं और परियोजनाओं को सिरे चढ़ाना आसान नहीं रह जाता। लालफीताशाही और हद से ज्यादा विस्तार वाली प्रशासनिक प्रक्रियाएं.


बहुत भारी पड़ती हैं। इससे नागरिकों में असंतुष्टि एवं आक्रोश बढ़ता है। जिला स्तर पर विभिन्न विभागों के बीच लचर तालमेल से भी काम में दोहराव और संसाधनों की बर्बादी होती है। कई जिलों में ई-गवर्नेस को अपना लिया गया है तो तमाम अभी भी पारंपरिक कागजी तौर- तरीकों से संचालित हो रहे हैं, जिनसे सेवाओं के स्तर और प्रभावोत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ता है। इससे भी बदतर बात यही है कि जिले में सक्रिय प्रशासनिक अमले के पास अक्सर आवश्यक प्रशिक्षण एवं कौशल का भी अभाव होता है, जिससे अक्षम प्रबंधन और गलत निर्णय की स्थिति उत्पन्न होती है। वास्तव में जिला अधिकारी संस्था की भी नए सिरे से संकल्पना की जानी चाहिए। अभी कई मामलों में जिला अधिकारियों को 100 से अधिक जिला स्तरीय समितियों की अध्यक्षता करनी पड़ती है। यह बहुत ज्यादा है। इसीलिए व्यापक प्रशासनिक सुधार आवश्यक हो गए हैं। चूंकि देश में प्रशासनिक सुधार के मोर्चे पर स्वतंत्रता के बाद से अब तक कई आयोग और समितियां बन चुकी हैं, लेकिन अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो पाए हैं। इस कारण भविष्य में होने वाले प्रशासनिक सुधार दिखावटी या मामूली स्तर के न होकर ऊंची छलांग लगाने वाले होने चाहिए, जो नए भारत की आकांक्षाओं के साथ बखूबी कदमताल कर प्रशासनिक ढांचे को सक्षम बनाते हुए पारदर्शिता एवं जवाबदेही भी सुनिश्चित कर सकें।


Q. केंद्र सरकार का नाम क्या है?


भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतौर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 28 राज्यों तथा 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रूप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है।


Q. भारत में कितनी योजना है?


भारत के 2022 के केंद्रीय बजट में 740 केंद्रीय क्षेत्र (सीएस) योजनाएं हैं। और 65 (+/-7) केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस)।


Q. सरकारी योजना की वेबसाइट कौन सी है?


How to Find Sarkari Yojana India

केंद्र सरकार की गवर्नमेंट स्कीम खोजने के लिए आप केंद्र सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट myscheme.gov.in पर जाकर सभी नवीनतम गवर्नमेंट स्कीम हिंदी भाषा में प्राप्त कर सकते हैं।


Q. 2023 की नई योजना कौन सी है?


आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन 2023


देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 27 सितंबर 2021 को देश के सभी नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत नागरिकों को एक यूनिक आईडी कार्ड उपलब्ध करवाया जाता है।


Q. भारत में केंद्र या केंद्र सरकार कौन चलाता है?


राष्ट्रपति को अपने कार्यों के निष्पादन में सहायता और सलाह देने के लिए प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में एक मंत्रिपरिषद होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी करता है।

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