'खुद को बदलो तो दुनिया स्वतः बदल जाएगी' पर निबंध
'खुद को बदलो तो दुनिया स्वतः बदल जाएगी' पर निबंधनमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारे एक और नये आर्टिकल पर। आज की पोस्ट में हम आपको 'खुद को बदलो तो दुनिया स्वतः बदल जाएगी' पर निबंध (Change Yourself then the World will Automatically Change Essay in Hindi)
के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस निबंध से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं। तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।
Table of Contents
प्रस्तावना
बदलाव की शुरुआत
अपनी कमियों को पहचानें
बदलाव क्या है?
खुद पर भरोसा करना
नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
सकारात्मक दृष्टिकोण
सोच का महत्व
उपसंहार
FAQs
'खुद को बदलो तो दुनिया स्वतः बदल जाएगी' पर निबंध हिंदी में
प्रस्तावना
दुनिया में परिवर्तन ही साश्वत है। हमने किताबों में इतिहास को बदलने के बारे में अवश्य ही पढ़ा होगा। समय के साथ यह परिवर्तन होना आवश्यक था। जीवों से मनुष्यों के परिवर्तन के बारे में भी हम पूर्ण रूप से जानते हैं। इतिहास में मनुष्य कुछ और था, और आज के इस वैज्ञानिक युग में मानवों की परिभाषा कुछ और ही है। आज की इस रफ्तार भरी जिंदगी में लोग अपनी इच्छाओं के अनुसार खुद को बदलते रहते है। उनके मन मुताबिक काम न होने पर ये दुसरे या दुनिया को कोसते है। इस निबंध के माध्यम से मैंने यह बताने की कोशिश की है कि आप अपनी सोच बदलकर दुनिया को किस प्रकार बदल सकते है।
बदलाव की शुरुआत
बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी चाहिए, अगर हम खुद में बदलाव ला सकते है तभी हम इस दुनिया को बदल सकते है। एक कहावत के अनुसार "हर बदलाव की शुरुआत कर, तू खुद को बदलकर, जमाने को बदलना चाहता है, तो खुद से पहल कर" ।
अपनी कमियों को पहचानें
कोई इंसान परफेक्ट नहीं होता है, उसके अंदर कुछ खामियां अवश्य होती है। उसे अपनी कमियों को पहचानना, उसे स्वीकार करना और उन कमियों को दूर करना बहुत ही कठिन कार्य है। कमियां हमारे ही अंदर निहित होती हैं, पर ये कमियां हमें नजर नहीं आती और हम इसका दोष दूसरों पर देते हैं। दूसरों को कहने से अच्छा है हम अपनी कमियों को सही से पहचाने और उसमें बदलाव लाने की कोशिश करें।
बदलाव क्या है?
बदलाव क्या है? जीवन की परिस्थितियां एक सी नहीं होती है, वो समय के अनुसार बदलती रहती है। परिस्थितियों में यह बदलाव स्वाभाविक है। कभी-कभी ये परिस्थितियां हमें बदलने के लिए मजबूर करती हैं और कभी हम परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदलते हैं। इसके लिए हम जीवन में कड़ी मेहनत करते हैं और हमें अंतर्मन से खुद को बदलना पड़ता हैं। यहां बदलाव का तात्पर्य खुद में बदलाव लाने से है।
खुद पर भरोसा करना
हमें खुद में बदलाव लाने के लिए अपनी कमियों को पहचानना होगा और हमें खुद पर पूरा भरोसा करना होगा। जब हम अपनी कमियों को पहचान कर अपने पर भरोसा करके काम करते है, तो हम अपने अंदर के भय और चिंता से मुक्त हो जाते हैं। हमारे अंदर का भरोसा और विश्वाश ही हमारे मस्तिष्क में बदलाव लाता हैं और हमारी वास्तविकता खुद-ब-खुद बदल जाती हैं।
नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
कभी-कभी परिस्थितियों के चलते हमारे अंदर नकारात्मकता पैदा हो जाती हैं। यह नकारात्मक विचार हमारे सोच को बदल देती है और हम यह निर्णय नहीं कर पाते है कि हम गलत है या समाज गलत है। चीजें कभी भी अपने आप नहीं बदलती है, उसे हमें बदलने की आवश्यकता हैं। हम ज्यादातर अपनी गलतियों को दूसरों की गलतियां कहते है और यही हमारी नकारात्मक सोच है।
सकारात्मक दृष्टिकोण
इस दृष्टिकोण को हमें बदलने की जरुरत हैं और हमें अपने सकारात्मक विचारों के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता हैं। जब हम अपने विचारों को बदलेंगे तभी हमें अपने आस-पास और समाज की चीजें सकारात्मक दिखाई देंगी और इसे ही वास्तविक बदलाव कहते है। खुद को कैसे बदलें?
सोच का महत्व
लोग आपके कपड़ों, रहन-सहन, या पैसो इत्यादि से आपकी पहचान नहीं करते है बल्कि वो आपकी सोच, आपके काम, और अन्य सामाजिक गतिविधियों को महत्त्व देते हैं। हमारे अंदर का सकारात्मक विचार और हमारा खुद पर भरोसा ही हमें हमारी पहचान दिलाता हैं और यह सब हमारे खुद के अंदर ही निहित होता हैं। हमें सामाजिक रूप से खुद को पहचान दिलाने के लिए कुछ आवश्यक चीजों को अपनाने की आवश्यकता हैं- अपने अंदर की कमियों को खुद से दूर रखें और खुद के प्रति एक सकारात्मक सोच रखें।आपका पहनावा, शब्द - शैली, दूसरों का आदर इत्यादि छोटी-छोटी बाते आपको एक अलग पहचान दिलाती है,और आपके प्रति सोच को बदल देती है। खुद पर भरोसा और विश्वास रखें की आप हर कार्य कर सकते है। नकारात्मक सोच को अपने से दूर रखें। अपने अंदर की मजबूती को पहचाने।
उपसंहार
हमारे अंदर के सकारात्मक भाव और हमारा खुद पर भरोसा ही हमारी खुद की पहचान है। हम अपने अंदर की कमियों को दूर करके एक नई सकारात्मक सोच ला सकते हैं। दूसरों को गलत ठहराने से अच्छा है कि हम खुद की सोच को बदले और अपनी एक अलग पहचान बनाए ।
FAQs
1.बदलाव की शुरुआत हमें कहां से करनी चाहिए?
उत्तर- बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी चाहिए, अगर हम खुद में बदलाव ला सकते है तभी हम इस दुनिया को बदल सकते है। एक कहावत के अनुसार "हर बदलाव की शुरुआत कर, तू खुद को बदलकर, जमाने को बदलना चाहता है, तो खुद से पहल कर" ।
2.बदलाव क्या है?
उत्तर-जीवन की परिस्थितियां एक सी नहीं होती है, वो समय के अनुसार बदलती रहती है। परिस्थितियों में यह बदलाव स्वाभाविक है। कभी-कभी ये परिस्थितियां हमें बदलने के लिए मजबूर करती हैं और कभी हम परिस्थिति के अनुसार स्वयं को बदलते हैं। इसके लिए हम जीवन में कड़ी मेहनत करते हैं और हमें अंतर्मन से खुद को बदलना पड़ता हैं। यहां बदलाव का तात्पर्य खुद में बदलाव लाने से है।
3.खुद पर भरोसा करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-हमें खुद में बदलाव लाने के लिए अपनी कमियों को पहचानना होगा और हमें खुद पर पूरा भरोसा करना होगा। जब हम अपनी कमियों को पहचान कर अपने पर भरोसा करके काम करते है, तो हम अपने अंदर के भय और चिंता से मुक्त हो जाते हैं।
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