UP board live solution class 10th social science chapter 2 geography (भूगोल)
इकाई-2 समकालीन भारत- 2 (भूगोल)
UP board class 10th social science solutions
अध्याय -2 वन एवं वन्य जीव संसाधन
बहुविकल्पीय प्रश्न-
प्रश्न-1 भारत में कितने प्रतिशत स्तनधारियों के लुप्त होने का खतरा है?
(क) 10%
(ख) 20%
(ग) 30%
(घ) 40%
उत्तर- (ख) 20%
प्रश्न-2 चिपको आंदोलन संबंधित है-
(क) मृदा संरक्षण
(ख) वन संरक्षण
(ग) जल संरक्षण
(घ) वायु संरक्षण
उत्तर- (ख) वन संरक्षण
प्रश्न-3 भारत में सबसे पहले वन एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया?
(क) 1970
(ख) 1972
(ग) 1983
(घ) 1990
उत्तर- (ख) 1972
प्रश्न-4 सुंदरवन राष्ट्रीय पार्क किस राज्य में स्थित है?
(क) असम
(ख) उड़ीसा
(ग) पश्चिम बंगाल
(घ) मध्य प्रदेश
उत्तर-(ग) पश्चिम बंगाल
प्रश्न-5 'टाइगर प्रोजेक्ट' किस वर्ष आरंभ किया गया?
(क) 1973
(ख) 1975
(ग) 1980
(घ) 1989
उत्तर -(क) 1973
अति लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 दो संकटापन्न पादपों के नाम लिखिए।
उत्तर- 1-मधुका इनसिगनिस
2- हुबरड़िया हेप्टान्यूरोन
प्रश्न-2 भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का कितना प्रतिशत हिस्सा वन आवरण के अंतर्गत आता है?
उत्तर- 24.39% (24.4%)
प्रश्न- 3 टकसोल क्या है?
उत्तर- टकसोल ( Taxol) हिमालयन यव नामक औषधि पौधे की छाल, टहनियों तथा जड़ों से स्रावित होने वाला रासायनिक पदार्थ है ।यह कैंसर के उपचार में सहायक होता हैं।
प्रश्न-4 वनों की कटाई के दो परोक्ष प्रभाव बताइए।
उत्तर-1- सूखा 2-बाढ़
प्रश्न-5 भारत में संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम की शुरुआत किस वर्ष की गई?
उत्तर- वर्ष 1988 में
लघु उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न-1 राष्ट्रीय उद्यान किसे कहते हैं?
उत्तर- राष्ट्रीय उद्यान ( नेशनल पार्क) ऐसे रक्षित क्षेत्रों को कहते हैं जहां वन्य प्राणियों सहित प्राकृतिक वनस्पति को एक साथ सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे स्थानों की सुरक्षा और प्रबंध की ओर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है ।इनमें बहुत कम मानव हस्तक्षेप होता है, केवल इतना ही अधिकारी वर्ग आ जा सके और अपने कार्य की देखभाल कर सकें ।पर्यटकों को भी एक नियमित और नियंत्रित संख्या में जाने दिया जाता है।
प्रश्न-2 जैव विविधता क्या है? मानव जीवन में इसकी महत्ता का वर्णन कीजिए।
उत्तर- जैव विविधता का अर्थ- जैव विविधता जीव मंडलों में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न जातियों में पाई जाने वाली विभिन्नता है। दूसरे शब्दों में कहें तो जैव विविधता वनस्पति एवं प्राणियों में पाए जाने वाले जातीय विभेद को प्रकट करती है। भू-पृष्ठ पर वर्तमान जैव विविधता अरबों वर्षों से हो रहे जीवन के सतत विकास की प्रक्रिया का परिणाम है। पर्यावरण ह्रास के कारण जैव विविधता का क्षय हुआ है। जीवो की अनेक प्रजातियां लुप्त हो गई हैं तथा कई संकटग्रस्त हैं।
मानव जीवन के लिए महत्व-मानव अपने उत्पत्ति काल से ही विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति जीव जगत से ही करता चला आ रहा है ।मानव को भोजन, आवास एवं परिवेश संबंधी विभिन्न आवश्यकताओं और अपने अस्तित्व के लिए जैव विविधता पर निर्भर रहना पड़ता है। जैव विविधता के उपभोग की दृष्टि से ही मानव ने अधिक उपयोगी प्राणियों और पौधों का पालतू करण किया कृषि एवं पशुपालन इसी आवश्यकता का परिणाम है।
प्रश्न-3 के कोई दो पूर्वोत्तर राज्यों के नाम बताइए जिनमें 60% से अधिक वन का आवरण है ।दो कारण दीजिए।
उत्तर- अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर दो ऐसे पूर्वोत्तर राज्य हैं जहां 60% से अधिक वनों का आवरण है। इसके दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
1- इन राज्यों में वर्षा खूब होती है जो वनों के विकास में सहायक सिद्ध होती है।
2-इन राज्यों की भूमि पहाड़ी है और ऊंची -नीची है जिसके कारण वनों का शोषण आसानी से नहीं हो सकता और 1 सुरक्षित रहते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न-
प्रश्न- 1 मानव क्रियाएं किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणीजात के राजकीय कारक हैं?
उत्तर- मानव ने अपनी विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति के अनेक पदार्थों को संसाधनों में परिवर्तित कर लिया है। इसी कारण मानव ने वन एवं वन्य जीवो को भारी नुकसान पहुंचाया है। भारत में वनों एवं वन्यजीवों की सबसे अधिक हानि उपनिवेश काल में रेल लाइन ,कृषि व्यवसाय ,वाणिज्य वानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि से हुई है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हुई जैव विविधता का विनाश और भी अधिक तीव्र गति से हुआ। कृषि के अतिरिक्त मानव ने बड़े बांध और आवास भी बनाए हैं। भूमि के उपयोग से भी जैव विविधता का ह्रास हुआ है। तथा मानव अन्य सभी कारकों की अपेक्षा जैव विविधता के ह्रास एवं विनाश के लिए अपेक्षाकृत अधिक उत्तरदाई है।
प्रश्न-2 चिपको आंदोलन क्या है?
उत्तर- चिपको आंदोलन वनों की रक्षा के लिए चलाया गया आंदोलन है। इस आंदोलन का सूत्रपात सुंदरलाल बहुगुणा ने हिमालय क्षेत्र में किया। इसके अंतर्गत लोग पेड़ों से चिपक कर उनकी रक्षा करते हैं। और उन्हें काटने नहीं देते यह आंदोलन वनों /वृक्षों की कटाई रोकने में सफल हुआ। साथ ही इस आंदोलन ने यह भी दिखाया कि स्थानीय पौधों की प्रजातियों का प्रयोग करके सामुदायिक वनीकरण अभियान भी सफल बनाया जा सकता है।
प्रश्न-3 वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर- भारत में प्रकृति एवं उसके तत्वों के प्रति आस्था पूजा सदियों पुरानी परंपरा रही है। शायद इन्हीं विश्वासों के कारण विभिन्न वनों को मूल एवं कौमार्य रूप में आज भी बचा कर रखा है। जिन्हें पवित्र पेड़ों के झुरमुट या देवी देवताओं के वन कहते हैं।
भारतीय समाज में विभिन्न संस्कृतियों हैं। और प्रत्येक संस्कृति में प्रकृति और इसकी कृतियों को संरक्षित करने के अपने अपने पारंपरिक तरीके हैं। आमतौर पर झरनों, पहाड़ी ,चोटियों ,पेड़ों और पशुओं को पवित्र समझकर उनके सम्मान और संरक्षण के लिए एक रिवाज बना दिया गया है। कुछ समाज कुछ विशेष पेड़ जैसे ;पीपल ,बरगद महुआ, बेल आदि की पूजा करते हैं। तुलसी और पीपल के वृक्ष देव निवास समझे जाते हैं। विभिन्न धार्मिक आयोजनों में इनका विभिन्न रूप में उपयोग किया जाता है ।छोटानागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियां महुआ और कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैं ।उड़ीसा और बिहार की जनजातियां शादी के समय इमली और आम के पेड़ की पूजा करती है। इसी प्रकार गाय ,बंदर ,लंगूर आदि की लोग उपासना करते हैं। राजस्थान में बिश्नोई समाज के गांव के आस-पास काले हिरण, चिंकारा नीलगाय और भौरों के झुंड हैं जो वहां के अभिन्न अंग हैं ,यहां इनको कोई नुकसान नहीं पहुंचाता तथा इनका संरक्षण किया जाता है। अतः हिंदू एवं विभिन्न जातियों समुदायों द्वारा ऐसी अनेक धार्मिक परंपराएं हैं जिनके द्वारा वन और वन्य जीव संरक्षण में रीति -रिवाज सहयोग प्रदान करते हैं।
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