रामनवमी पर निबंध कथा 2023 Ram Navami per nibandh Katha in Hindi

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रामनवमी पर निबंध कथा 2023 Ram Navami per nibandh Katha in Hindi

 रामनवमी पर निबंध कथा 2023 Ram Navami per nibandh Katha in Hindi

रामनवमी पर निबंध कथा 2023 Ram Navami per nibandh Katha in Hindi

भारतीय भूमि हमेशा से ही एक पवित्र भूमि रही है, इतिहास के अनुसार यहां कई देवी-देवताओं ने अवतार लिए हैं। अगर हम इसी इतिहास पर ध्यान केंद्रित करें तो जब रावण के अत्याचार बहुत बढ़ गए और लोग परेशान हो गए तो इन अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भारतीय भूमि पर एक महापुरुष ने जन्म लिया। इस महापुरुष का नाम भगवान राम था, जिन्होंने रावण के अत्याचारों से मुक्त दिलवाई और उस वक्त लोगों का उद्धार किया। त्रेता युग में जन्म में भगवान राम के जन्मदिवस को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है।


राम नवमी 2023 (Ram Navami in Hindi)


नाम

रामनवमी

कब होती है

चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को

साल 2023 में

30 मार्च

महत्व

भगवान राम का जन्म

पूजा शुभ मुहूर्त

सुबह 11:17 से दोपहर 1:46 तक

राम नवमी का महत्व (Ram Navami mahatv)


हर हिंदू त्यौहार का अपना एक अलग महत्व होता है, उसी तरह से रामनवमी का यह त्यौहार धरती पर से बुरी शक्तियों के पतन और यहां साधारण मनुष्यों को अत्याचारों से मुक्ति दिलवाने के लिए भगवान के स्वयं आगमन का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन धरती पर से असुरों के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर अवतार लिया था। रामनवमी सभी हिंदुओं के लिए एक खास उत्सव है जिसे वह पूरे उत्सव से मनाता है इस दिन जन्मे श्री राम ने धरती पर से रावण के अत्याचार को समाप्त कर यहां राम राज्य की स्थापना की थी और दैवीय शक्ति के महत्व को समझाया था।


राम जन्म अवतार इतिहास, कथा (Ram janm Avtar History or katha)


त्रेता युग में जब धरती पर रावण और ताड़का जैसे अवसरों का आतंक बढ़ गया तो स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के अवतारों का धरती पर आगमन हुआ और इन्होंने अपने भक्तों का उद्धार किया। पुरानी कथाओ के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी परंतु फिर भी वे संतान सुख से वंचित थे। जिसके बाद उन्हें कई वर्षों तक कोई संतान नहीं हुई इससे  राजा दशरथ को ऋषि वशिष्ठ में कमेष्ठि यज्ञ करवाने की आज्ञा दी। इस यज्ञ की फल स्वरुप राजा दशरथ के यहां तीनों रानियों को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई और उनकी प्रथम पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान राम का जन्म हुआ राजा दशरथ के तीन अन्य पुत्र भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न थे।


तुलसीदास जी की रामचरितमानस के अनुसार श्री राम जी का जन्म


तुलसीदास जी की रामचरितमानस के बालकांड 190 की दोहे की पहेली चौपाई के अनुसार तुलसीदास जी ने भी राम जी के जीवन की विभिन्न अवस्थाओं का जिक्र किया है। जिसमें श्री राम जी के जन्म का भी जिक्र है।


रामनवमी का इतिहास


हमारे हिंदू ग्रंथ में रामायण का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान है। रामायण में श्री राम जी के जीवन वृतांत का वर्णन किया गया है। रामायण के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या में दशरथ नाम की राजा रहते थे उनकी तीन पत्नियां थी कौशल्या कैकेई और सुमित्रा उनकी कोई संतान नहीं थी।


साथ ही राम जी के अन्य भाइयों का विवाह भी सीता जी की बहनों से हुआ था। जब राम जी और सीता जी अयोध्या आए तो उनका भव्य रुप से स्वागत हुआ था। कुछ समय बाद जब राजा दशरथ ने राम जी को अपना सिंहासन देकर उन्हें उस राज्य का राजा बनाने की घोषणा करनी चाहिए तो कैकई ने अपना पुराना वचन याद दिला कर भरत को राज गद्दी देने का वचन तो लिया ही, साथ ही राम जी को 14 वर्ष का वनवास भी दिलवाया।


राम जी जब वन जाने लगे, तो सभी बहुत दुखी हुई तब उनके साथ सीता माता और उनका भाई लक्ष्मण जी भी चले गए इस बात की खबर भरत को नहीं थी, क्योंकि भरत उस समय आने ननिहाल गए हुए थे।


रामनवमी पर निबंध 800 शब्द


प्रस्तावना


इस दिन राम जी का जन्म हुआ था, इसी उपलक्ष में रामनवमी मनाई जाती है। यह हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। यह बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है। क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही कठिनाइयों का सामना किया। और उन्हें धैर्य पूर्वक समझाया उन्होंने कभी अपने मर्यादा और आदर्शों का तोड़ा नहीं और अपनी मर्यादा में रहकर ही सब काम किए इसलिए भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम कहा जाता है।


व्रत-विधि


भगवान श्री राम के जन्मोत्सव के उपलक्ष में श्री राम जी की लिए व्रत किया जाता है। इस दिन सुबह स्नान करके पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं और पूजा की सामग्री को एकत्रित करके जैसे कि कमल, का फूल, फल, तुलसी, चौकी, लाल कपड़ा, छोटा सा पालना, गंगाजल तांबे, का कलश इत्यादि भगवान श्री राम की प्रतिमा के सामने रखकर भगवान श्री राम की पूजा की जाती है और मंगल कामना की जाती है।


व्रत करने का क्या लाभ है?


ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन व्रत करने से भगवान श्री राम कृपा बनाए रखते हैं और सभी दुख दर्द को खत्म करते हैं। भगवान श्री मर्यादा पुरषोत्तम के नाम से जाने जाते हैं। इसलिए उनकी सीख पर चलने के लिए व्रत पूजा इत्यादि की जाती है।


राम जी के चरित्र से हमें क्या सीख मिलती है?


देखा जाए तो राम जी का पूरे जीवन से हमें बहुत सीख मिलती है। श्री राम जी जिस तरह से एक पुत्र पति और राजा बने यह सब हमें राम जी के चरित्र से सीखना चाहिए।


रामजी हमें सिखाते हैं हमें हमेशा भगवान पर विश्वास रखना चाहिए।


हमें सभी के प्रति प्यार और दया की भावना रखनी चाहिए।


हर किसी के अपराध को क्षमा करना चाहिए।


अगर हम मित्रता निभाते हैं, तो सच्ची मित्रता निभानी चाहिए।


हर परिस्थिति का सामना डट कर करना चाहिए।


ऊंच नीच का भेदभाव नहीं करना चाहिए हर किसी को एक समान मानना चाहिए।


माता पिता का आदर सत्कार करना चाहिए उनकी सेवा करनी चाहिए।


धन-संपत्ति से बढ़कर हमें रिश्तो को महत्व देना चाहिए।


हमें हमेशा प्यार और स्नेह को बरकरार रखना चाहिए।


निष्कर्ष


देखा जाए तो भगवान श्रीराम का पूरा जीवन ही सीख के बराबर है। यह केवल एक त्यौहार ही नहीं है, बल्कि हमें यह भी सिखाता है कि किस तरह से अच्छे गुण होने पर अच्छे व्यक्ति अच्छे इंसान बनते हैं और अपनी जिंदगी में सफल होते हैं हमारे सामने चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो हमें उनका डटकर सामना करना चाहिए और उनका हल निकालना चाहिए। यह त्यौहार हमें खुशियां और मंगल कामना देता है।


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