मार्टिन लूथर कौन थे! Who was Martin Luther?

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मार्टिन लूथर कौन थे! Who was Martin Luther?

मार्टिन लूथर कौन थे! Who was Martin Luther?

हेलो नमस्कार दोस्तों तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको मार्टिन लूथर कौन थे और वह क्या काम करते थे उन्होंने क्या प्रसिद्धि पाई थी.तो बच्चों आपके लिए यह आजकल बहुत ही महत्व है इस वजह से आपको इस आर्टिकल के अंत तक बने रहना है अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो अपने दोस्तों और वस्त्रों में भी जरूर साझा करें.

मार्टिन लूथर कौन थे! Who was Martin Luther?

एक सामाजिक कार्यकर्ता जिसने संसार को बदलने के लिए जन्म लिया था उसका पूरा जीवन एक प्रेरणा स्त्रोत है कैसे उसने इतनी कम उम्र में इतना कुछ कमाया जीवन आसान या सरल नहीं है हमें इससे बनाना पड़ता है और लूथर किंग इस कथन का सबसे बेहतर उदाहरण है उनकी प्रसिद्धि पंक्ति जो लोग खुशी की तलाश में नहीं है वह इसे ढूंढने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं क्योंकि जो लोग खोज रहे हैं वे भूल जाते हैं कि खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका दूसरों के लिए खुशी की तलाश है।

मार्टिन लूथर एक प्रसिद्ध धर्म सुधारक थे।


इनका जन्म 10 नवंबर 1458 जर्मनी में हुआ था। उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च में चल रहे कुरीतियों का विरोधी माना जाता है. उन्होंने अपने डॉक्टरेट की मानद डिग्री धर्म विज्ञान में पूरी की। मार्टिन लूथर, धर्म कुरीतियों को दूर करने के अलावा शिक्षक, चर्च सुधारक, पादरी के रूप में भी माने जाते हैं। कहा जाता है, उनके विचारों के द्वारा ही प्रोटेस्टिज्म सुधार आंदोलन शुरू हुआ। जिसने आज के पश्चिमी यूरोप के विकास की नींव रखी।


मार्टिन लूथर


मार्टिन लूथर 16 वीं शताब्दी के भिक्षु और धर्म शास्त्री , इस सारी इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे। उनके विश्वासों ने सुधार को जन्म देने में मदद की-जो रोमन कैथोलिक और पूर्वी रूढ़िवादी के साथ-साथ ईसाई जगत के भीतर तीसरी बड़ी ताकत के रूप में प्रोटेस्टेड बाद को जन्म देगा। डीजे हमने उनकी कुछ उपलब्धियां प्रदान की है


उन्होंने कैथोलिक चर्च की कुछ सबसे पुरानी मान्यताओं के बारे में चर्चा शुरू की।


•कला में अपनी स्नातक और मास्टर डिग्री और धर्म शास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।


मार्टिन लूथर कोरोमेट्रिक्स चर्च के प्रतिनिधि के रूप में चुना गया था।


•वे ब्रिटेन वर्ग विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर, और बाद में धर्मशास्त्र के डीन बने।


मार्टिन लूथर ने अपना स्वयं का चर्च/ धर्म स्थापित किया- लूथरनवाद


धर्म सुधार आंदोलन के कारण


1.चर्च में भ्रष्टाचार एवं बुराई


2.यूरोप के शासकों का सहयोग


3.पुनर्जागरण के फल स्वरुप राष्ट्रीय एकता की भावन


4.समाज में तर्कपूर्ण चिंतन का विकास


5.प्रगतिशील विचारों का अभ्युदय


6.व्यावहारिक धर्म की आवश्यकता।


सम्मान और पुरस्कार-

सन 1964 में उन्हें विश्व शांति के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने मानद उपाधियां दी। धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं ने उन्हें मेडल प्रदान किए टाइम पत्रिका से बेहद प्रभावित थे गांधीजी के आदर्शों पर चलकर ही सिंह ने अमेरिका में इतना सफल आंदोलन चलाया जिससे अधिकांश गुरु का भी समर्थन मिला उन्हें अमेरिका का गांधी भी कहा जाता है सन 1959 में उन्होंने भारत की यात्रा की थी।


उनका जीवन और प्रेरणा


यह वह व्यक्ति था जो अमेरिका समाज में पाबंदियों के खिलाफ खड़ा था आश्रितों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव किया जाता था और उनकी अपनी कोई पहचान नहीं थी और उन्हें कुछ भी और करने की अनुमति तक नहीं थी। इन लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता था। वे रहते तो अमेरिका में थे मगर उनके साथ यहां के एक नागरिक जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है।


वर्ष 1963 में वाशिंगटन नागरिक अधिकार मार्च, अफ्रीकी अमेरिका समुदाय के अधिकारों की मांग के लिए बुलाया गया था। 28 अगस्त 1963 को उन्होंने अब्राहम लिंकन मेमोरियल की सीढ़ियों पर एक भाषण दिया मेरा एक सपना है। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था और यह भाषण इतना ज्यादा प्रभावी था कि उन्होंने बहुतों का ध्यान आकर्षित किया और साथ ही साथ टाइम्स पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित भी हुए। इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1964 में नोबेल पुरस्कार भी जीता। इसके साथ ही वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी बने।


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