आतंकवाद पर निबंध / Essay on Terrorism in hindi
आतंकवाद पर निबंधTable of Contents-
(1) प्रस्तावना,
(2) आतंकवाद से तात्पर्य,
(3) विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद, (4) भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ,
(5) आतंकवाद का समाधान,
(6) उपसंहार ।
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आतंकवाद पर निबंध -
अन्य सम्बन्धित शीर्षक- • आतंकवाद की समस्या, बढ़ता आतंकवाद एवं भारत की सुरक्षा, आतंकवाद: समस्या और समाधान, • आतंकवाद और विश्व शान्ति, आतंकवाद एक चुनौती, आतंकवाद और उसके दुष्परिणाम, • आतंकवाद का समाधान, आतंकवाद : एक अभिशाप, • आतंकवाद: कारण एवं निवारण, आतंकवाद और उसका निराकरण।
प्रस्तावना-इक्कीसवीं शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में आतंकवाद सभी महाद्वीपों में फैल चुका है। दक्षिण एशिया के देशों में इसकी विभीषिका सर्वाधिक रूप से मौजूद दिखायी पड़ रही है। भारत आतंकवाद से अधिक पीड़ित है। इस क्षेत्र में भारत व पाकिस्तान के सम्बन्ध कभी भी अच्छे नहीं रहे हैं। पाकिस्तान युद्ध में भारत से विजय नहीं प्राप्त कर सकता अतः उसने छद्म रूप से आतंकवाद को हथियार बना लिया है।
आतंकवाद से तात्पर्य- आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है। अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, दल, समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है। अपने राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए; आतंकवादी गैरकानूनी ढंग से अथवा हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासनतन्त्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास भी करते हैं। इस प्रकार "आतंकवाद उस प्रवृत्ति को कह सकते हैं, जिसमें कुछ लोग अपनी
उचित अथवा अनुचित माँग मनवाने के लिए घोर हिंसात्मक और अमानवीय साधनों का प्रयोग करने लगते हैं।"
विश्व में व्याप्त हिंसा की प्रवृत्तियाँ और आतंकवाद - आज लगभग पूरा विश्व आतंकवाद की चपेट में है। राजनैतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए सार्वजनिक हिंसा और हत्याओं का रास्ता अपनाया जा रहा है। संसार के भौतिक दृष्टि से सम्पन्न देशों में आतंकवाद की यह प्रवृत्ति और भी ज्यादा पनप रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी और भारतीय प्रधानमन्त्रियों श्रीमती इन्दिरा गांधी तथा श्री राजीव गांधी की नृशंस हत्या, अमेरिका के हवाई जहाज में बम विस्फोट, भारत के हवाई जहाज का अपहरण आदि घटनाएँ अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ-विगत दो दशाब्दियों में भारत के पंजाब, बिहार, असम, बंगाल, जम्मू-कश्मीर आदि कई प्रान्तों में आतंकवादियों ने व्यापक स्तर पर आतंकवाद फैलाया।
कश्मीर की समस्या का समाधान न हो पाना भी भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने का कारण रहा है। पाकिस्तान कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को उकसाकर उस क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा दे रहा है। यह सिलसिला वर्ष 1990 से चल रहा है। भारत के अन्य हिस्सों में भी आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है।
मुम्बई में 26 नवम्बर, 2008 को बड़ा आतंकी हमला भारत को झेलना पड़ा। इससे पूर्व 13 दिसम्बर, 2001 को भी भारतीय संसद पर जैश के आतंकियों ने हमला किया था। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भवन पर भी जैश-ए-मोहम्मद ने ब्लास्ट किया था।
जनवरी 2016 ई० में पठानकोट स्थित एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमला किया। यद्यपि सभी आतंकवादियों को मारकर इस हमले को विफल कर दिया गया, किन्तु भारत को भी अपने सात जांबाज सैनिकों को गंवाना पड़ा। ये घटनाएँ इस तथ्य का स्पष्ट संकेत देती है कि भारत में आतंकवाद का घृणित सिलसिला निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। वर्तमान में देश नक्सली आतंकवाद से अत्यधिक त्रस्त है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रतिदिन कोई न कोई आतंकवादी घटना होती रहती है, जिसमें जन-धन की अपार क्षति हो रही है।
आतंकवाद का समाधान-आतंकवाद का स्वरूप या उद्देश्य कोई भी हो, इसका भौगोलिक क्षेत्र कितना हो सीमित या विस्तृत क्यों न हो, किन्तु यह तो स्पष्ट ही है कि इसने हमारे जीवन को अनिश्चित और असुरक्षित बना दिया है। आतंकवाद मानव जाति के लिए कलंक है, इसलिए इसका कठोरता से दमन किया जाना चाहिए।
भारत सरकार ने आतंकवादी गतिविधियों को बड़ी गम्भीरता से लिया है और इनकी समाप्ति के लिए अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। भारत की संसद ने 'आतंकवाद विरोधी विधेयक' पारित कर दिया है, जिसके अन्तर्गत आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहनेवाले व्यक्तियों को कठोर से कठोर दण्ड देने की व्यवस्था की गई है।
आतंकवाद की समस्या का समाधान मानसिक और सैनिक दोनों ही स्तरों पर किया जाना चाहिए। जिन लोगों को पीड़ा हुई या जिनके परिवार अथवा सम्पत्ति को नुकसान हुआ है तथा जिनके सम्बन्धियों और रिश्तेदारों की मृत्यु हुई है; उन्हें भरपूर मानसिक समर्थन दिया जाना चाहिए, जिससे उनके घाव हरे न रहें और वे मानसिक पीड़ा के बोझ को सह न सकने की स्थिति में स्वयं भी आतंकवादी न बन जाएं।
आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए। इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकवादियों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा, वहीं गुमराह युवकों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की कोशिश भी करनी होगी। आतंकवादियों को पकड़ने तथा उन्हें दण्डित करने के लिए आधुनिक साधनों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके लिए जनता को शिक्षित करने की भी आवश्यकता है, जिससे जनता आतंकवादियों से लड़ने में भय का अनुभव न करे।
आतंकवाद से निपटने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी प्रयास किए जाने चाहिए। अनेक देशों के राजनेताओं ने आतंकवाद की भर्त्सना की है। आवश्यकता इस बात की है कि सभी देश एकमत से आतंकवाद को समाप्त करने का दृढ़ संकल्प लें।
उपसंहार — आतंकवाद मानवीय सभ्यता पर कलंक है। आतंकवाद से किसी भी समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। अब समय आ गया है कि मानवीय सभ्यता के इस कलंक को पूरे संसार से स्थायी रूप से मिटा देना चाहिए।
Frequently Asked Questions (FAQ)
प्रश्न 1. आतंकवाद से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर- आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है, जो राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए शक्ति या अस्त्र-शस्त्र के प्रयोग में विश्वास रखती है। अस्त्र-शस्त्रों का ऐसा घृणित प्रयोग प्रायः विरोधी वर्ग, दल, समुदाय या सम्प्रदाय को भयभीत करने और उस पर विजय प्राप्त करने की दृष्टि से किया जाता है।
प्रश्न 2. आतंकवाद का समाधान कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर- आतंकवाद और अलगाववाद की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक है कि सरकार के प्रति जनता में विश्वास जगाया जाए। इसके अतिरिक्त जहाँ एक ओर आतंकवादियों के साथ कठोर व्यवहार करना होगा, वहीं गुमराह युवकों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की कोशिश भी करनी होगी।
प्रश्न 3. भारत में आतंकवाद के प्रमुख कारण क्या हैं?
उत्तर- भारत में आतंकवाद के प्रमुख कारण सामाजिक तथा आर्थिक असमानता, भेदभाव एवं अलगाव, सत्तारूढ़ दल, धार्मिक कट्टरता, उग्रवाद और जातीय राष्ट्रवाद के कामकाज से पनपा असंतोष आदि शामिल हैं। इसके अलावा बहुत से राजनीतिक दल भी वोट के लालच में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देते हैं।
प्रश्न 4.आतंकवाद कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- आतंकवाद के निम्नलिखित प्रकार होते हैं-
धार्मिक आतंकवाद, विचारधारा-प्रेरित आतंकवाद,
राज्य प्रायोजित आतंकवाद तथा स्वापक आतंकवाद
प्रश्न 5.आतंकवाद का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- आतंकवाद का समाज पर प्रभाव
(i) देशवासियों में असुरक्षा की भावना जाग्रत हो जाती है।
(ii) राष्ट्र के आर्थिक विकास के मोर्चे पर बाधा आती है। जिस गति से देश या राज्य के विकास कार्य करने हैं उन्हें छोड़कर बचाव कार्य करने होते हैं। इससे सरकार द्वारा चलाई गई योजनाएँ प्रभावित होती हैं।
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