नाग पंचमी पर निबंध तथा महत्व, कथा Essay on nag Panchami in Hindi
प्रस्तावना
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी त्योहार मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है हिंदू धर्म के अनुसार नाग भगवान का रूप है। इसलिए इस दिन लोग नाम की पूजा पूरी विधि विधान से करते हैं।
ऐसी मानता है कि जो लोग नग की पूजा करते हैं उन्हें सांप से कभी भी कोई हानि नहीं होती। उनकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है।
नाग पंचमी पर निबंध तथा महत्व, कथा Essay on nag Panchami in Hindi |
वैसे तो सावन का महीना बहुत ही पवन माना जाता है इस महीने को भगवान शिव के लिए विशेष रूप से समर्पित माना जाता है। लोग पूरे सावन महीने भगवान शिव की पूजा अर्चना में पूरी तरह डूबे हुए रहते हैं और इसी सावन मास के बीच नाग पंचमी का विशेष त्यौहार मनाया जाता है नाग पंचमी में भगवान शिव के शिवलिंग और उनके गले में हर वक्त लिपट कर रहने वाले सांप का विशेष महत्व होता है।
Table of contents
कैसे मनाएं नाग पंचमी -
नाग पंचमी के दिन लोग घरों की सफाई कर दीवार पर चुना या गेरू लगाते हैं एवं फर्श में भी गोबर लीपते है। इसके बाद घर के दरवाज़े की बाहरी दीवारों पर सांप की आकृति बनाते हैं और रंगोलियां बनाते हैं ऐसा करना शुभ माना जाता है।
नाग देवता की पूजा के लिए सुगंधित फूल और चंदन विशेष तौर पर पूजा में उपयोग किया जाता है।
नाग पंचमी व्रत पूजन -
सनातन धर्म की मान्यता अनुसार नागों को देवता कि श्रेणी में माना गया है इस दिन सुबह प्रातः काल स्नान कर लोग मंदिर जाकर नाग देवता को सुगंधित दूध व जल अभिषेक करा कर उन्हें कच्चा दूध और चावल दूध से बनी हुई मीठी खीर अर्पित करते हैं।
एवं पुरोहित नाग देवता की पूजा के लिए विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और आठ अलग-अलग नाग देवताओं की पूजा करते हैं।
मान्यता के अनुसार नाग देवता खुश होकर आशीर्वाद देते हैं और सर्पदंश का डर खत्म हो जाता है इसके अलावा भी वह घर की लक्ष्मी की रक्षा करते हैं।
नाग पंचमी की कहानी
इस पूजा से जुड़ी एक कथा है। जिसका बहुत महत्व है लिए इस कथा के बारे में हम विस्तार से जानते हैं एक नगर में एक व्यापारी निवास करता था उसके सात पुत्र थे। उन सातों पुत्रों का विवाह हो चुका था उन सातों बहू में से सबसे छोटी बहू विदुषी सुशील और अच्छे चरित्रवान वाली स्त्री थी।
एक दिन सबसे बड़ी बहु ने सारी बहुओं से कहा कि घर को लीपने के लिए पीली मिट्टी की जरुरत है। हम सब बाहर चलकर खेतों से पीली मिट्टी ले आते हैं। तब सारी बहुएँ एक साथ डलिया और खुरपी लेकर चल दीं। जब वे बहुएँ मिट्टी खोद रहीं थीं तभी अचानक पेड़ के पास से एक सर्प निकला।
ऐसा देख कर सब डर गयीं। तब बड़ी बहु ने सर्प को खुरपी से मारना चाहा। लेकिन छोटी बहु ने ऐसा करने से उसे मना कर दिया। उसने कहा कि सर्प को नहीं मारना चाहिए, वह निरापराध है। ऐसा सुनकर बड़ी बहु छोटी बहु से नाराज हो गयी। फिर भी छोटी बहु के कहे अनुसार किसी ने भी उस सर्प को नहीं मारा।
तब छोटी बहु ने सर्प के सम्मुख हाथ जोड़कर कहा कि हे नाग ! आप यहीं रुकिए मैं घर जाकर दूध लेकर आती हूँ। तब वहां से सारी बहुएँ चली गयीं। जब वे घर चली गयीं तब घर जाकर छोटी बहु घर के कार्यों में इतनी उलझ गयी कि उसे याद ही नहीं रहा कि उसने सर्प को वहां इंतज़ार करने के लिए कहा था।
उसे अगले दिन याद आया और वह दौड़ती हुई दूध लेकर खेत में पहुंची। वह सर्प वहीँ पर उसका इंतज़ार कर रहा था। तब उसने सर्प को कटोरी में दूध दिया और माफ़ी मांगी। तब सर्प ने कहा कि कल तुमने मेरी जान बचाई है इस कारण मैं तुम्हे अपनी बहन मानता हूँ।
नाग पंचमी पर निबंध 200 शब्द
महाभारत के अनुसार, कुरु वंश के राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय सर्प राजा तक्षक द्वारा सर्पदंश से अपने पिता की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए सर्प यज्ञ कर रहे थे, जिसे सर्प सत्र के नाम से जाना जाता था। एक यज्ञशाला बनाई गई और उसने विद्वान ब्राह्मण ऋषियों की मदद से दुनिया के सभी सांपों को मारना शुरू कर दिया। यज्ञ इतना शक्तिशाली था कि सभी सांप यज्ञ कुंड में गिर रहे थे। तक्षक इससे बच गया और उसने राजा इंद्र से शरण ले ली। ब्राह्मणों ने इंद्र को भी खींचने और बलि चढ़ाने के लिए मंत्रों की गति बढ़ानी शुरू कर दी। तक्षक डर गया और इंद्र से लिपट गया। यज्ञ इतना शक्तिशाली था कि उसने इंद्र को भी इसमें खींच लिया। सभी देवताओं ने मनसादेवी से अपील की, जिन्होंने अपने पुत्र अस्तिका से जनमेजय से सर्प सत्र यज्ञ रोकने की अपील करने को कहा। अस्तिका ने अपने शास्त्रों से जनमेजय को प्रभावित किया और वरदान प्राप्त किया। इसके साथ अस्तिका ने जनमेजय से सर्प सत्र को रोकने का अनुरोध किया। इसके बाद इंद्र और तक्षक की रक्षा हुई। तब से इस दिन को नागाओं के त्योहार के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन उनके प्राणों की रक्षा हुई थी।
नाग पंचमी पूरे देश और नेपाल में सभी हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है। यह हिंदू कैलेंडर के श्रावण माह के 5वें दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह जुलाई/अगस्त माह में आता है।
इस दिन दूध, फूल, दीपक, मिठाई और बलि देकर नागों की पूजा की जाती है। चांदी, लकड़ी या पत्थर से बनी नाग मूर्तियों को दूध से जल से नहलाया जाता है और फिर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और व्रत रखा जाता है। इस दिन मिट्टी खोदना पाप है, क्योंकि इससे सांपों की मृत्यु हो सकती है। कुछ स्थानों पर सांपों को दूध के साथ चीनी और चावल की खीर भी चढ़ाई जाती है। फर्श पर सांपों की रंगोली बनाई जाती है और चांदी के कटोरे में कमल रखकर सांप को अर्पित किया जाता है। बाहरी दीवारों और दरवाजों को साँपों की छवियों से चित्रित किया गया है और दीवारों पर शुभ मंत्र लिखे गए हैं। जिन महिलाओं के भाई होते हैं वे सांपों की पूजा करती हैं ताकि उनके भाइयों को सांपों से कोई नुकसान न हो।
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प्रश्न-नाग पंचमी कहानी क्या है?
उत्तर- एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जनक नाम को हराकर बचाई थी।। श्री कृष्ण भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया था। इसके बाद वह नथिया कहलाए थे तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
प्रश्न-नाग पंचमी की शुरुआत कैसे हुई.
उत्तर- सर्प यज्ञ रुकवाने, लड़ाई को खत्म करके पुनः अच्छे सबंधों को बनाने हेतु आर्यों ने स्मृति स्वरूप अपने त्योहारों में 'सर्प पूजा' को एक त्यौहार के रूप में मनाने की शुरुआत की। नागवंश से ताल्लुक रखने पर उसे नागपंचमी कहा जाने लगा होगा।
प्रश्न-नाग पंचमी को किसकी पूजा होती है?
उत्तर- नाग पंचमी पर भगवान शिव की पूजा आराधना के साथ उनके गले की शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता की विधिवत पूजा अर्चना होती है कहा जाता है कि नाम की पूजा करने से सांपों के डसने का भय समाप्त हो जाता है। साथ ही इस दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई अन्य प्रकार के भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
प्रश्न-नागों की देवता कौन है?
उत्तर- यह मुख्य रूप से तीन देवताओं हेतु प्रयुक्त होता है - शेषनाग, तक्षक तथा वासुकी। अनन्त, तक्षक तथा वासुकी तीनों भाई महर्षि कश्यप, तथा उनकी पत्नी कद्रू के पुत्र थे जो कि सभी नागों के जनक माने जाते हैं।
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