khad padarthon mein milavat per nibandh Hindi mein || खाद्य पदार्थों में मिलावट पर निबंध
प्रस्तावना- खाद्य पदार्थों में मिलावट होना आज आम सी बात हो गई है क्योंकि मिलावट इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि अब इसके विषय में कुछ भी सुनना साधारण सा लगता है। मिलावट के कारण आज मनुष्य अनेकों रोगों से ग्रस्त होता जा रहा है, क्योंकि जिन सामानों का उपयोग वह अपने दैनिक जीवन में अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए करता है, वही उसकी बीमारी का कारण बनते जा रहे हैं।
आज जहां भी देखो मिलावट का आलम नजर आता है। खाने-पीने की चीजों से लेकर प्रत्येक आवश्यक खाद्य सामग्री में आज मिलावट बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य के लिहाज से मिलावट बेहद खतरनाक समस्या के रूप में उभर रही है।
कुछ व्यापारी अधिक लाभ कमाने के लिए खाद पदार्थों में मिलावट करते हैं और मिलावट करते समय बिल्कुल भी यह नहीं सोचते कि इस मिलावट के कारण अन्य व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर कितना दुष्प्रभाव पड़ेगा। इस प्रकार के व्यापारियों को केवल धन कमाने से मतलब होता है, उन्हें समाज या देश की कोई चिंता नहीं होती है। याद चिंता होती, तो वह सब कार्य कभी नहीं करते।
खाद पदार्थों से मिलावट करने से उसे ग्रहण करने वाले व्यक्तियों पर जो दुष्प्रभाव होता है, वह बीमारी के रूप में सामने आता है। बीमारी के उपचार में रोगी का लाखों रुपया खर्च हो जाता है, और इतना ही नहीं, उसके पश्चात भी उसे अन्य प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
कई बीमारियों का जन्म हो रहा है। आज हर व्यापारी उत्पादक अपने मुनाफे के बाद अवैध तरीके खोजने में लगा है इसके लिए वे जीवन की जरूरत की चीजों में मिलावट करके उपभोक्ताओं को धोखा देने से नहीं चूकते हैं।
पूरी दुनिया आज मिलावट की समस्या से जूझ रही है। हम सुबह से शाम तक जितने भी उत्पाद उपयोग में लेते हैं। उन सभी में व्यापक स्तर पर मिलावट की जाती है। पीने का पानी हो या दूध नमक हो या जहर सभी में बड़े स्तर पर मिलावट का गोरखधंधा किया जा रहा है।
घी, दूध दही जैसे स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ ही आज जानलेवा साबित हो रहे हैं। जो वस्तुएं हमारे शरीर के लिए ऊर्जा के स्रोत थे। वही आज घातक बीमारियों को जन्म दे रहे हैं। पैसे देकर बीमारी खरीदने के बाद इलाज के लिए हम जिस दवाई को खरीदने जाते हैं उसमें भी मिलावट के धंधे किए जा रही हैं।
मिलावट के इन खाद्य सामग्रियों को खाने से लाखों लोग बिना कारण मौत के शिकार हो रहे हैं। मनुष्य में नई-नई बीमारियां जन्म ले रही हैं। हालिया शोधो ने यह साबित किया है कि मिलावटी सामान कैंसर जैसे रोगों का भी कारण बनता है।
जिस वस्तु का हम नियत मूल देखकर खरीदते हैं तथा उपयोग करते हैं। यदि उसमें हानिकारक तत्वों की मिलावट हो तो वह हमारी मृत्यु का कारण भी बन जाता है। व्यापारी पैसे के बदले अपने थोड़ी लाभ के लिए लोगों को मौत बेचने से भी बाज नहीं आते हैं।
खाद्य पदार्थों में मिलावट करने लोग किसी के जीवन के बारे में फिक्र मंद नहीं होते हैं। सरकार ने इस कुकृत्य को रोकने के लिए कई प्रकार के कानून भी बनाए हैं। जिससे मिलावट के धंधे को रोका जा सके फिर भी नजारा आज हमारी आंखों के सामने है कानून होने के बावजूद भी यह कार्य बड़े स्तर पर जारी है।
आज नकली घी, तेल और दूध को निर्मित करने के लिए बड़े स्तर पर औद्योगिक प्रतिष्ठान चल रही है। प्रशासन और बड़े कारोबारियों की मिलीभगत से यह उत्पाद सस्ते दामों में बाजार में उपलब्ध होते ही जनता सस्ता मिलने के कारण इसकी खरीद कर लेती है। आज ह्रदय घात की बीमारी की चरम सीमा पर होने के कारण यह नकली खाद्य पदार्थ ही हैं जिन्हें हम थोड़े से फायदे के लिए खरीद लाते हैं।
आज के दौर में उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागृत होने की आवश्यकता है। पैसे देकर वस्तु खरीदने की वजह हम बीमारियों को ना खरीदें जब भी कोई वस्तु हम खरीदे उसकी गुणवत्ता की परख अवश्य करें। साथ ही उस काबिल अवश्य लें यदि कभी उसकी यथोचित गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ पाया जाता है। तो उपभोक्ता मंच में उसकी शिकायत करके मिलावट के रोग की प्रवृत्ति को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
हर कोई बाजार से आते समय बच्चों के लिए मिठाइयां आदि लेकर आते हैं। देखने में बेहद आकर्षक लगने वाली इन मिठाइयों में कई तरह के रासायनिक रंग मिले होते हैं। जो शुगर तथा कैंसर जैसी बीमारियों के कारण बंटे हैं।
दूध में लोग यूरिया की मिलावट करके धन कमा रहे हैं नकली मावा तथा रसगुल्ले धड़ल्ले से बिक रहे हैं अतः अब समय आ चुका है हमें जागरूक रहकर मिलावट की समस्या के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।
सरकार ने मिलावट को रोकने के लिए कड़े कानून भी बनाए हैं, परंतु फिर भी मिलावट का है यह काला धंधा भली-भांति फल फूल रहा है। इसके अतिरिक्त यदि वस्तु का उचित मूल्य देने के बाद भी किसी व्यक्ति को मिलावट का सामन मिलता है, तू यह अत्यंत ही चिंता का विषय है, जिस पर सरकार को ध्यान देना आवश्यक है।
खाद पदार्थों में जो वस्तुएं मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए सबसे लाभदायक मानी जाती थी, उनमें ही आज मिलावट सबसे अधिक हो रही है। दूध, आदि जैसे आवश्यक खाद पदार्थ सबसे मिलावटी खाद्य पदार्थों की श्रेणी में आ चुके हैं।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
खाने को चीजों में मिलावट ने तो भारत वासियों का स्वास्थ्य चौपाट कर रखा है। चावलों में सफेद पत्थर काली मिर्ची में पपीते के बीज और पीसे धनिए में सूखी लीद मिलाना तो आम बात है। देसी घी में वनस्पति तेल मिलाकर विशुद्ध जाता है वनस्पति में तेल मिलाकर पवित्र किया जाता है। सड़े अचार में उत्पन्न कीटाणुओं को उसी में आत्मसात कर दिया जाता है। सरसों का तेल भी सुध नहीं रहा शरीर में मलिए कुछ क्षणों में चिकनाहट गायब खाने से मृत्यु का आयन बादाम रोगन वास्तविक बादाम का प्रतिफल नहीं अपितु सेंट का कमाल है।
मिलावट का दुष्परिणाम देखिए आंख का अंजन आंख फोड़ रहा है और दंत मंजन दांतों की जड़ों को खोद रहा है नकली बाम सिर दर्द तो मिटाता नहीं बदन दर्द पैदा कर देता है।
शुद्ध उनके वस्त्र में नईलान का मिश्रण होगा शुद्ध नईलान में नकली रेशमी धागे मिले होंगे। रेशम में कितनी शुद्धता है कौन जाने।
सीमेंट में रेत और बालू रेत में मिट्टी की मिलावट भवन की नींव को कमजोर कर देती है। फलत: बड़े-बड़े गगन चुंबी भवन अपनी आयु से पूर्व ही पृथ्वी से साक्षात्कार करने को उतावले दिखलाई पड़ते हैं।
कलयुग के बारे में विष्णु पुराण भागवत और रामचरितमानस के कवि-मनीषियों ने जो लिखा है।, उसमें भी संभवतः यह लिखना भूल गए लगते हैं कि हर पाप कलयुग में अपनी मर्यादा में रहेगा, किंतु मिलावट के पाप पर परमेश्वर भी काबू नहीं पा सकेगा।
मिलावटी खाने से बीमारियां एवं मौतें -
कई लोगों की मिलावटी सामान खाने से मौत हो जाती है। मनुष्य को मिलावटी खाद्य सामान खाने से कई बड़ी बड़ी बीमारियां तक हो जाते हैं, कैंसर जैसी बीमारियां मिलावटी सामान खाने से हो जाते हैं। मिलावटी सामान के उपयोग से कैंसर, चर्म रोग, शुगर जैसी घातक बीमारियां जन्म लेती है और हमारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है।
जब हमारा शरीर रोग ग्रस्त हो जाता है, तब हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परंतु इन व्यापारियों को सिर्फ अपना मुनाफा ही मुनाफा दिखाई देता है।
मिलावट करने वाले व्यापारियों को किसी की जान की परवाह तक नहीं होती है, सरकार के द्वारा भी कई ऐसे कानून बनाए गए हैं जिससे कई खाद पदार्थों में हो रही मिलावट को रोका जाए। परंतु कानून बनने के बाद भी मिलावटी सामानों को बंद करने में सफलता नहीं मिल पा रही हैं।
बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जो तेल बनता है उसमें सस्ता तेल मिलाकर मिलावट की जाती है, और जब उस तेल का हम उपयोग करते हैं तब हमारे शरीर के अंदर काफी बीमारियां उत्पन्न हो जाते हैं क्योंकि वह तेल सीधे हमारे हृदय पर प्रभाव डालता है जिससे हमें हार्ड अटैक की बीमारी हो जाती है। कई लोगों की जान हरदा के कारण हो चुकी है।
FAQ- खाद्य पदार्थों में मिलावट संबंध पर प्रश्न उत्तर
प्रश्न1. खाद्य पदार्थों में मिलावट से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- खाद्य पदार्थों में अखाद्य वस्तु मिलाकर उसके वजन को अधिक किया जाता है, जिससे कि निश्चित तोल में काम खाद्य सामग्री उपभोक्ता तक पहुंचे, ऐसा कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
उदाहरण:- जैसे अनाज, दालों आदि में कंकड़, मिट्टी, बालू, पत्थर आदि मिलाना। खाद पदार्थों की मांग के अनुरूप पूर्ति ना होने की वजह से भी मिलावट की जाती है।
प्रश्न2. खाद मिलावट की परिभाषा.
उत्तर-जनमत जागरण की भी आवश्यकता है। दूध में जल्दी में वनस्पति घी अथवा चर्बी महंगे और श्रेष्ठतर अनंनौ में सस्ते और घटिया अन्नू आदि के मिश्रण साधारण मिलावटी या अब मिश्रण कहते हैं।
प्रश्न3. मिलावट रोकने के उपाय.
उत्तर-कई राज्यों में पर्याप्त फूड इंस्पेक्टर नहीं है। वहां भी उनकी नियुक्ति जरूरी है खाद्य पदार्थों की जांच के लिए कई जगहों पर आधुनिक प्रयोगशाला स्थापित करने होंगे। उपभोक्ता की आवाज सामने आ सके, इसकी भी व्यवस्था करनी होगी।
प्रश्न4-मिलावट का कारण क्यों हो सकता है.
उत्तर-खाद पदार्थों में मिलावट से यह तात्पर्य है कि किसी भी खाद पदार्थों में किसी पदार्थ को घटाया या बढ़ाया जाता है, जिससे खाद पदार्थ की प्राकृतिक संरचना और गुणवत्ता प्रभावित हो जाती है. यह मिलावट जाने (आर्थिक लाभ के लिए) या अनजाने में हो सकती है।
प्रश्न5. मिलावटी सामान को खरीदने से बचने के लिए आप क्या सुरक्षा उपाय करें.
उत्तर- मानकीकृत वस्तुएं ही खरीदें : मानकीकृत वस्तुओं से तात्पर्य आईएएस……
रसीद प्राप्त करना: किसी भी सामान को खरीदते समय उसकी रसीद लेना ना भूलें, ताकि कोई भी सामान आदि के खराब या घटिया निकलने की स्थिति में क्षतिपूर्ति के लिए आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जा सके।
उपसंघार
मिलावट धन के लोभी व्यापारियों की मानसिक पतन की पराकाष्ठा है। उससे छुटकारा पाने के लिए जनता जनार्दन को सचेत रहना होगा। लोकप्रियता को दुहाई देने वाली सरकार को इस जघन्य अपराध से जनता को मुक्ति दिलानी होगी। मिलावट करने वाले संस्थानों के मालिकों को आजन्म कारावास और रिश्वत लेकर उसके ज़ुल्म को कम करने या करवाने में सहायक अधिकारियों को मृत्युदंड देना होगा तभी इस पाप से मुक्ति संभव है।
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