मंगल पांडे पर निबंध / Essay on Mangal Pandey in Hindi

Ticker

मंगल पांडे पर निबंध / Essay on Mangal Pandey in Hindi

मंगल पांडे पर निबंध / Essay on Mangal Pandey in Hindi

essay on mangal pandey,10 lines on mangal pandey,mangal pandey,essay on mangal pandey in hindi,mangal pandey essay,10 lines essay on mangal pandey,few lines on mangal pandey,hindi essay on mangal pandey,essay on mangal pandey in english,mangal pandey par essay,short nibandh on mangal pandey,mangal pandey nibandh,mangal pandey history,mangal pandey essay writing,mangal pandey essay in english,mangal pandey par nibandh,mangal pandey biography,मंगल पांडे पर निबंध,Essay on Mangal Pandey in Hindi
मंगल पांडे पर निबंध

Table of contents-

1. मंगल पांडे पर निबंध (400 शब्द)

1.1 परिचय

1.2 अंग्रेजी सेना के खिलाफ असंतोष

1.3 स्वतंत्रता संग्राम के जनक

1.4 उपसंहार

2. मंगल पांडे पर निबंध (600 शब्द)

2.1 परिचय

2.2 जीवनी

2.3 1857क्रांति के अग्रदूत मंगल पाण्डे

2.4 1857 का सैनिक विद्रोह

2.5 सर्वोच्च बलिदान

2.6 उपसंहार

3. FAQs


नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारे एक और नये आर्टिकल पर। आज की पोस्ट में हम आपको भारत में स्वतंत्रता संग्राम के जनक मंगल पांडे पर निबंध (Essay on Mangal Pandey in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस निबंध से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं।  तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।


मंगल पांडे पर निबंध (400 शब्द)


परिचय- भारत के इतिहास में मंगल पांडे जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। मंगल पांडे जी के द्वारा लगाए गए विरोध की चिंगारी को देखते ही देखते अंग्रेजों की जड़े भारत में कमजोर हो गई थी। यह भारत का पहला ऐसा स्वतंत्रता संग्राम में था, जिन्होंने ब्रिटिश कानून का खुलकर विरोध किया था। भारत में स्वतंत्रता संग्राम का जनक मंगल पांडे को कहा जाता है। लेकिन भारत का स्वतंत्रता संग्राम पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था । फिर भी लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की भावना भड़क उठी थी। स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे जी की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण भारत सरकार ने इनके नाम पर एक डाक टिकट 1984 में जारी किया था।


अंग्रेजी सेना के खिलाफ असंतोष - मंगल पांडे ब्रिटिश सेना में एक सिपाही के तौर पर भर्ती किए गए थे। उस समय ब्रिटिश अपनी सेना के लिए नई-नई रायफल बना रहे थे। इस रायफल के कारण लोगों के पास एक अफवाह फैल गई थी कि बंदूक के कारतूस को चिकना करने के लिए यह लोग गाय और सुअर की चर्बी को प्रयोग करते है। आपको पता ही होगा कि हिन्दू और मुस्लिम धर्म भ्रष्ट हो रहे थे। मंगल पांडेय जी को यह बहुत ही नागवार गुजरा।


स्वतंत्रता संग्राम के जनक - कुछ दिनों बाद मंगल पाण्डेय कारतूस की फैक्ट्री में जांच करने के लिए चले गए। वहां जाकर पता चला कि यह बात सत्य है, कि कारतूस को बनाने में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग हुआ है। उस दृश्य को देखकर मंगल पांडे अचंभित रह गए थे। उन्होंने तुरंत अपने सीनियर से इस बारे में चर्चा की तो उनके सीनियर ने कहा हम आपकी इस मामले में कुछ सहायता नहीं कर सकते। तो मंगल पांडे ने ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ विद्रोह की आग भड़काना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ मिलकर आज़ादी की जंग छेड़ दी और अंग्रेजों पर हमला कर दिया, हमले के कुछ समय बाद ही उन्हें फांसी की सजा सुनाई गयी और कुछ दिन बाद ही उन्हें फांसी दे दी गयी. मंगल पांडे तो खुद फांसी पर लटक गए लेकिन उनकी मौत ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजा दिया था ।


उपसंहार - वे पहले स्वतंत्रता क्रांतिकारी थे जिन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश कानून का विरोध किया था। अपनी भारत माता को गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने के लिए संघर्ष करने वाले इस वीर से तो एक बार अंग्रेज शासन भी बुरी तरह से कांप गया था ।


मंगल पांडे पर निबंध,मंगल पांडे,मंगल पांडे निबंध,मंगल पांडे का निबंध,मंगल पांडे पर लेख,मंगल पांडे पर भाषण,मंगल पांडे निबंध हिंदी में,मंगल पांडे पर कविता,मंगल पांडे पर 10 लाइन निबंध,मंगल पांडे हिंदी निबंध,मंगल पांडे निबंध हिंदी,मंगल पांडे पर 10 लाइन,मंगल पांडे स्वतंत्रता संग्राम,मंगल पांडे कथा,मंगल पांडेय,मंगल पांडे भाषण,मंगल पांडे जयंती,मंगल पांडे कौन थे,मंगल पांडे फांसी,मंगल पांडे फिल्म,मंगल पांडे जीवन परिचय,मंगल पांडे क्या थे,मंगल पांडे की कहानी
              स्वतंत्रता संग्राम के जनक : मंगल पांडे

मंगल पांडे पर निबंध (600 शब्द)


परिचय 

मंगल पांडे भारतीय इतिहास में एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिन्होंने देश को ब्रिटिश राज से मुक्त कराने के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उन्होंने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे 1857 के सिपाही विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है। उन्हें भारत में व्यापक रूप से इसके पहले स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में जाना जाता है।


जीवनी

उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई 1827 को मंगल पांडे का जन्म हुआ था। वह सन् 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे। मंगल पांडे 34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 6वीं कंपनी में एक सैनिक थे और मुख्य रूप से रेजिमेंट के कई अधिकारियों पर हमले में उनकी भागीदारी के लिए जाने जाते थे।


1857क्रांति के अग्रदूत मंगल पाण्डे

उन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह के प्रकोप से ठीक पहले की घटनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

एक नई एनफील्ड राइफल को भारत में पेश किया गया था और कारतूस को जानवरों की चर्बी, मुख्य रूप से सूअरों और गायों से प्राप्त करने की अफवाह थी।  राइफल का उपयोग करने के लिए, सैनिकों को हथियार लोड करने के लिए चर्बी वाले कारतूसों के सिरों को काटना था।


मंगल पांडे, एक कट्टर हिंदू ब्राह्मण ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया क्योंकि गाय हिंदुओं के लिए एक पवित्र जानवर है, और सुअर मुसलमानों के लिए घृणित है, इन जानवरों से वसा का उपयोग भारतीय सैनिकों द्वारा विवादास्पद माना जाता था। शायद मंगल पांडे वास्तव में अपने प्रभुत्व को कम करने के लिए देश को हिंदुओं और मुसलमानों में विभाजित करने के अंग्रेजों के असली मकसद को समझने में सक्षम थे। तब उन्होंने अपनी अस्वीकृति दिखाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने का फैसला किया।


1857 का सैनिक विद्रोह

29 मार्च, 1857 को क्रुद्ध पाण्डे ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई और किसी भी ब्रिटिश अधिकारी को जान से मारने की धमकी दी।

लेफ्टिनेंट बॉग को विद्रोह का पता चला और वह विद्रोही सैनिकों को तितर-बितर करने के लिए अपने घोड़े पर सवार हो गया। उसे आते देख मंगल पांडे ने पोजिशन ली और बॉ को निशाना बनाया और फायर कर दिया।  गोली अंग्रेज अधिकारी को नहीं लगी, लेकिन उनके घोड़े को लगी, जिससे वे नीचे गिर गए।


लेफ्टिनेंट बॉग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पिस्टल निकाल ली और मंगल पांडेय पर फायर कर दिया।   फिर मंगल पाण्डे ने एक भारी तलवार से उस पर हमला किया और यूरोपीय अधिकारी को बुरी तरह घायल कर जमीन पर गिरा दिया। इस समय तक बात अन्य ब्रिटिश अधिकारियों तक पहुंच गई और सार्जेंट-मेजर ह्युसन मैदान में पहुंचे और एक भारतीय अधिकारी से मंगल पांडे को गिरफ्तार करने के लिए कहा, लेकिन प्रसाद ने उपकृत करने से इनकार कर दिया।


 ह्युसन तब बॉग की सहायता के लिए गए, और पांडे की बंदूक को पीछे से पकड़ लिया और भी अंग्रेज अधिकारी मौके पर पहुंचे। यह महसूस करते हुए कि उनकी गिरफ्तारी अवश्यंभावी थी, मंगल पांडे ने खुद को मारने की कोशिश की। उन्होंने खुद को सीने में गोली मार ली और खून से लथपथ हो गया लेकिन वह गंभीर रूप से घायल नहीं हुए थे। उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।


सर्वोच्च बलिदान

उनकी फांसी के लिए 18 अप्रैल 1857 का दिन निर्धारित किया गया था। ब्रिटिश अधिकारियों ने, हालांकि, एक बड़े विद्रोह के फैलने की आशंका जताई, अगर उन्होंने इस लंबे समय तक इंतजार किया और 8 अप्रैल 1857 को नियत समय से पहले ही उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।


उपसंहार

मंगल पांडे को आधुनिक भारत में व्यापक रूप से एक नायक के रूप में जाना जाता है। सन् 1984 में, भारत सरकार ने उन्हें सम्मानित करने के लिए एक डाक टिकट जारी किया। कई फिल्में और मंच नाटक उनके जीवन पर आधारित हैं, जिनमें हिंदी फिल्म 'मंगल पांडे: द राइजिंग' और 2005 में 'द रोटी रिबेलियन' नामक मंचीय नाटक शामिल है। उनके नाम का प्रभाव इतना अधिक हुआ कि अंग्रेज इस स्वतंत्रता संग्राम के सभी सैनिकों को 'पांडे' के नाम से बुलाने लगे। क्रांति के अग्रदूत मंगल पांडे एक नायक बन गए, एक किंवदंती जिसने एक राष्ट्र को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।


FAQs


1.भारत में स्वतंत्रता संग्राम का जनक किसे कहा जाता है?

उत्तर-भारत में स्वतंत्रता संग्राम का जनक मंगल पांडे को कहा जाता है।


2. मंगल पांडे का जन्म कब और कहां हुआ था?

उत्तर- उत्तर प्रदेश में बलिया जिले के एक गांव नगवा में एक ब्राह्मण परिवार में 19 जुलाई 1827 को मंगल पांडे का जन्म हुआ था।


3. मंगल पांडे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कब शामिल हुए थे?

उत्तर- मंगल पांडे सन् 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए थे।


4. 1857 के विद्रोह का प्रमुख कारण क्या था?

उत्तर- 1857 के विद्रोह का प्रमुख कारण राइफल का उपयोग करने के लिए, सैनिकों को हथियार लोड करने के लिए चर्बी वाले कारतूसों के सिरों को काटना था।


5. मंगल पांडे को फांसी कब दी गई?

उत्तर-मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी दी गई।


इसे भी पढ़ें👇👇













Post a Comment

और नया पुराने

inside

inside 2