सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध हिंदी में / Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi

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सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध हिंदी में / Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi

सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध हिंदी में / Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi

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               सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध हिंदी में

Table of contents-

1. सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध (300 शब्द)

1.1 परिचय

1.2 शिक्षा

1.3 महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

1.4 उपसंहार

2. वल्लभभाई पटेल पर निबंध (700 शब्द)

2.1 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

2.2 भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

2.3 सरदार पटेल - भारत के लौह पुरुष

2.4 भारत की आजादी के बाद का जीवन

2.5 उपसंहार

3. FAQs


नमस्कार मित्रों स्वागत है आपका हमारे एक और नये आर्टिकल पर। आज की पोस्ट में हम आपको भारत देश के लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध हिंदी में (Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi)

के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे एवं इस अध्याय से संबंधित सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर पर भी परिचर्चा करेंगे। ये सभी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर एनसीईआरटी पैटर्न पर आधारित हैं।  तो इस पोस्ट को आप लोग पूरा पढ़िए। अगर पोस्ट अच्छी लगे तो अपने दोस्तों में भी शेयर करिए।


सरदार वल्लभभाई पटेल पर निबंध (300 शब्द)


परिचय 

सरदार वल्लभभाई पटेल एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ थे। सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को भारत के गुजरात राज्य में हुआ था। इनका पूरा नाम सरदार वल्लभभाई झवेरभाई पटेल था। इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था, जो एक कृषक थे। इनकी माता का नाम लाडबा देवी था, जो एक सामान्य गृहिणी थी ।


शिक्षा

सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में ही संपन्न हुई। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करके वे उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे, परंतु घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। बाद में लंदन जाकर उन्होने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। सरदार पटेल बचपन से ही मेहनती स्वभाव के थे। वह कृषि कार्य मेंअपने पिता का हाथ बँटाते तथा अतिरिक्त समय में पढ़ाई करते थे ।


महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गाँधी जी को सरदार पटेल की क्षमता पर पूर्ण विश्वास था और वे पटेल जी की सलाह लिए बिना कोई काम नहीं करते थे। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद होने के पश्चात सरदार पटेल भारत के पहले गृहमंत्री एवं उप प्रधानमंत्री बने । सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 


उपसंहार 

इनको " लौह-पुरुष" की उपाधि भी मिली। 15 दिसंबर 1950 को 75 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। यद्यपि सरदार पटेल जी आज हमारे बीच में नहीं है, लेकिन उनके - सिद्धांत व आदर्श सदैव हमारा पथ प्रदर्शन करते रहेंगे। उनकी - अनुपम देश सेवा के लिए सारा राष्ट्र सदैव कृतज्ञ रहेगा।


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Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in hindi

वल्लभभाई पटेल पर निबंध (700 शब्द)

 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

 भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

 सरदार पटेल - भारत के लौह पुरुष

 भारत की स्वतंत्रता के बाद का जीवन

 उपसंहार 

 

सरदार वल्लभभाई पटेल पर 700 शब्द का निबंध

 

सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। उन्हें भारत के एक बहुत मजबूत और गतिशील स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय योगदान दिया था। सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिष्ठित और प्रमुख नेताओं में से एक थे। हमारे देश को आजादी दिलाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है।


 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

 सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद गांव में लेउवा पटेल पाटीदार समुदाय में हुआ था। उनका पूरा नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल है और लोकप्रिय रूप से सरदार पटेल के नाम से जाना जाता है। सरदार पटेल के पिता, झवेरभाई पटेल, झाँसी की रानी की सेना में सेवा करते थे और माता लाडबाई का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर था। पटेल बचपन से ही बड़े वीर चरित्र के थे।


एक उदाहरण था जब उन्होंने बिना किसी झिझक के गर्म लोहे की छड़ से एक दर्दनाक फोड़े का इलाज किया। 22 साल की उम्र में जब सबने ग्रेजुएशन पूरा कर लिया तो सरदार पटेल ने मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और इस वजह से सभी ने सोचा कि वे साधारण नौकरी कर रहे होंगे।


अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सरदार पटेल ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और कानून स्नातक बने और बाद में बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए।  भारत लौटने के बाद उन्होंने अहमदाबाद, गुजरात में वकालत जारी रखी।


भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

अक्टूबर 1917 में महात्मा गांधी के साथ एक मुलाकात ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के करीब ला दिया। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और उनके शुरुआती आंदोलनों की शुरुआत ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ गुजरात में सत्याग्रह से हुई। बाद में उन्होंने सक्रिय रूप से भाग लिया और 1942 में गांधीजी के साथ मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन में स्वेच्छा से भाग लिया।


भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान भारत के लोगों को एकजुट करने में पटेल का बहुत मजबूत योगदान था। इस दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।  देशभक्ति की भावना और भारतीय क्षेत्र से अंग्रेजों को बाहर निकालने का आग्रह उनका पहला और एकमात्र उद्देश्य बन गया।


 सरदार पटेल - भारत के लौह पुरुष

 उनका जीवन प्रेरणादायी और प्रेरक रहा है। सबसे पहले, उन्होंने अपने पेशेवर लक्ष्यों को दूसरों से बहुत कम समर्थन के साथ हासिल किया और उसके बाद भारत के लोगों को देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए एक साथ लाने में एक प्रमुख निर्णायक भूमिका निभाई। विविधता में एकता के सिद्धांत में उनका विश्वास और भारत की स्वतंत्रता के सामान्य कारण के लिए एकजुट होना उन्हें भारत का लौह पुरुष बनाता है।  उनके नेतृत्व गुणों और जनता से जुड़ने की क्षमता के कारण उन्हें सरदार पटेल यानी नेता पटेल की उपाधि दी गई है।


 भारत की आजादी के बाद का जीवन

 स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने भारत के एकीकरण में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों की यात्रा करके रियासतों के शासकों को एकजुट होने और एक भारत - एक राष्ट्र का हिस्सा बनने के लिए राजी किया। प्रारंभ में, स्वतंत्रता के बाद, उन्हें भारत के प्रथम गृह मंत्री और साथ ही साथ भारतीय सशस्त्र बलों के कमांडर इन चीफ के रूप में नियुक्त किया गया था।


 बाद में वे भारत के पहले उप प्रधान मंत्री भी बने। वह 1947 से 1950 तक भारत का नेतृत्व करने वाले तीन नेताओं में से एक हैं। सरदार पटेल 1950 की गर्मियों से तेजी से अस्वस्थ होने लगे और 15 दिसंबर 1950 को बॉम्बे में बिड़ला हाउस, अब महाराष्ट्र में मुंबई में दिल का दौरा पड़ने के बाद पटेल की मृत्यु हो गई।


 उपसंहार 

 भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान उल्लेखनीय और अतुलनीय रहा है। वह न केवल स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बल्कि वर्तमान समय में भी राष्ट्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का एक बड़ा स्रोत थे।  उन्हें सही मायने में सेल्फ मेड मैन कहा जा रहा है।  एकता की उनकी विचारधाराओं ने एकता की नींव रखी है। उन्हें 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


FAQs


1.भारत देश का लौह पुरुष किसे कहा जाता है ?

उत्तर- भारत देश का लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल को कहा जाता है।


2. सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म कब एवं कहां हुआ था?

उत्तर-सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को भारत के गुजरात राज्य में हुआ था।


3. सरदार वल्लभ भाई पटेल के माता- पिता का क्या नाम था?

उत्तर-इनके पिता का नाम झवेरभाई पटेल था, जो एक कृषक थे। इनकी माता का नाम लाडबा देवी था, जो एक सामान्य गृहिणी थी ।


4. सरदार वल्लभभाई पटेल किसके संपर्क में आकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए?

उत्तर -सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी के संपर्क में आकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए।


5. सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत रत्न से कब सम्मानित किया गया?

उत्तर- सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।


6. भारत देश की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल का सबसे मुख्य कार्य क्या था ?

उत्तर-भारत देश की स्वतंत्रता के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल का सबसे मुख्य कार्य देश में स्थित 562 से अधिक स्वतंत्र रियासतों का भारत में विलय कराना था।


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