भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)
हेलो दोस्तों स्वागत है आपका एक और नया आर्टिकल में इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi) के बारे में बताने वाले हैं तो अगर आप लोगों को यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों और मित्रों मैं ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे
भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है, जिसमें सदियों से विभिन्न राजाओं, सम्राटों और यूरोपीय साम्राज्यवादियों द्वारा शासन किया गया। भारत में 1947 में अपनी आज़ादी के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र का गठन हुआ। इसके बाद भारत के नागरिकों को वोट देने और अपने नेताओं को चुनाव करने का अधिकार मिला।
भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करना है। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लैंगिग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए।
भारत नामांकन के खाते से दुनिया का सातवां सबसे बड़ा देश और जनसंख्या के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है, भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भी जाना जाता है। 1947 में देश की आज़ादी के बाद भारत की लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ। हमारे देश में हर 5 साल में केंद्र और राज्य सरकारों के चुनाव होते रहते हैं।
भारत में लोकतंत्र पर बड़ा और छोटा निबंध (भारत में लोकतंत्र पर लंबा और छोटा निबंध हिंदी में, भारत में लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में)
भारत में लोकतंत्र पर निबंध – 1 (250 300 शब्द)
प्रस्तावना
भारत का शासन तंत्र लोकतांत्रिक है। यहां भारत की जनता अपना मुखिया स्वयं चुनती है। भारत में प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उसकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बारे में अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति प्रदान की जाती है। हमारे
लोकतंत्र का प्रभाव
भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक हित भी सुनिश्चित करना है। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लैंगिक भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए। और जागरूकता उन्हें सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करती है।
लोकतंत्र के घटक
भारतीय लोकतंत्र का एक संघीय स्वरूप है जिसके अंतर्गत केंद्र में एक सरकार है जो संसद के प्रति प्रतिनिधि हैं और राज्य के लिए अलग-अलग देवता हैं जो अपने विधानमंडलों के लिए समान रूप से उत्तर दे रहे हैं। भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव होते रहते हैं। इन चुनावों में कई उद्यम केंद्र और राज्य में नॉर्वे सरकार बनाने के लिए प्रतियोगिताएं करती हैं।
निष्कर्ष
लोकतंत्र को विश्व की सबसे अच्छी शासन व्यवस्था के रूप में जाना जाता है, यही कारण है कि हमारे देश के संविधान निर्माताओं और नेताओं ने शासन प्रणाली के स्वरूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन किया है। हमें अपने देश के लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है।
निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
लोकतंत्र से लोगों के लिए, लोगों के लिए चॉइस सरकार से है। लोकतांत्रिक राष्ट्रों में नागरिकों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त होता है। लोकतंत्र को विश्व की सबसे अच्छी शासन प्रणाली के रूप में जाना जाता है, यही कारण है कि आज विश्व की सबसे अच्छी लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होती है।
भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं
वर्तमान समय में भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मुगलों, मौर्य, ब्रिटिश और अन्य कई शासकों द्वारा शताब्दियों तक शासित होने के बाद भारत आखिरकार 1947 में आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बना। इसके बाद देश के लोगों को, जो कई सालों तक विदेशी शक्तियों के हाथों शोषित हुए, अंत में वोटों के द्वारा अपने स्वयं के नेताओं को चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति भी काम कर रहा है।
भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है:
संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
विविधता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को ठीक करने की स्वतंत्रता।
लोकतांत्रिक: इसका मतलब यह है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा नौकर बनाती है।
रिपब्लिक: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक राजवंश राजा या रानी नहीं है।
भारत में लोकतंत्र कैसे काम करता है
18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक भारत में वोट देने के अधिकार का उपयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए किसी भी व्यक्ति के जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियाँ अपनी-अपनी तरफ से चुनावी मैदान में हैं जिनमें प्रमुख हैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), जनता भारतीय पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी क्रूज़), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया-मार्क्सिस्ट (सी क्रूज़-एम), अखिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भारतीय कांग्रेस पार्टी (एमसीसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आदि। आबादी को वोट देने से पहले जनता इन आंकड़ों या उनके अनुयायियों के अंतिम कार्यकाल में काम का आकलन करती है, अपना मतदान करती है।
क्षेत्र के लिए सुधार
भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत सारी विशेषताएं हैं, इसके सुधार के लिए ये कदम उठाने चाहिए:
1.गरीबी गरीबी
2. शुरूआत को बढ़ावा देना
3. 4लोगों को वोट देने के लिए वोट दें
4. लोगों को सही मताधिकार के लिए शिक्षित करना
5. बुद्धिजीवियों और शिक्षण जगत के लोगों का नेतृत्व की भूमिका के लिए नामांकन
6. सामुदायिकता का संयोजन करना
7. कार्यकर्ता और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना
8. टीम के सदस्यों की निगरानी करना
9. लोकसभा और विधानसभा में नामांकन का निर्माण करना
निष्कर्ष
हालाँकि भारत में लोकतंत्र को अपने कार्यों के लिए दुनिया भर में फिर से शामिल किया गया है, फिर भी इसमें सुधार के लिए अभी भी बहुत कुछ शामिल है। देश में लोकतंत्र नामांकन को सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र नामांकन का प्रयोग किया जा सकता है।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र होता है जहाँ नागरिक अपने चुनाव करने के अधिकार का उपयोग करके अपनी सरकार का योगदान करते हैं। लोकतंत्र को कभी-कभी "बहुमत के शासन" के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर में कई देशों में लोकतांत्रिक सरकारें हैं लेकिन उनकी हिस्सेदारी के कारण भारत को दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाना जाता है।
भारत में लोकतंत्र का इतिहास
भारत पर मुगलों से लेकर मौर्यों तक कई शासकों ने शासन किया। उनमें से प्रत्येक के पास के लोगों को शामिल करने की अपनी अलग शैली थी। 1947 में आदिवासियों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। उस समय भारत के लोगों ने, बिहार के लोगों ने, बड़े पैमाने पर अत्याचारियों के हाथों का सामना किया था, उन्हें आजादी के बाद पहली बार वोट दिया और खुद की सरकार को राष्ट्रपति पद का अवसर प्राप्त हुआ।
भारत का लोकतांत्रिक सिद्धांत
संप्रभु
संप्रभु एक ऐसी इकाई की स्थापना करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त होती है। भारत के नागरिक अपने उपकरणों का चुनाव करने के लिए सर्वभौमिक शक्ति का उपयोग करते हैं।
समाजवादी
समाजवादी का मतलब है भारत के सभी नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म को देखते हुए सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
धर्म निरपेक्षता
स्वतंत्रता का अर्थ है अपनी पसंद से किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता। हमारे देश में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।
लोकतांत्रिक
डेमोक्रेटिक का मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा नौकर बनाती है। किसी भी भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया है ताकि वे अपनी पसंद की सरकार का चयन कर सकें।
गणतंत्र
देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है। वह विपक्ष और राज्यसभा द्वारा चुने जाते हैं जहां के प्रतिनिधि खुद जनता द्वारा चुने जाते हैं।
भारत में लोकतंत्र की कार्यवाही
18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है। भारत के संविधान में किसी से भी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है।
भारत में कई पार्टियाँ राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ती हैं जिनमें प्रमुख हैं - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.क्यू.), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सी.वी.-एम), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), अखिल भारतीय शास्त्रीय कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय उपकरण भी हैं जो राज्य विधायिका के लिए चुनावी लड़ियाँ हैं। चुनाव को समय-समय पर आयोजित किया जाता है और लोग अपने निर्माताओं का चुनाव करने के लिए मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरकार लगातार अधिक से अधिक लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए प्रशासन अच्छे को वोट देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
भारत में लोकतंत्र का उद्देश्य केवल लोगों को वोट का अधिकार देना नहीं बल्कि सभी क्षेत्रों के जीवन में समानता सुनिश्चित करना भी है।
भारत में लोकतंत्र के कार्य में अलगावें
हालाँकि चुनाव का सही समय बना हुआ है और भारत में लोकतंत्र की अवधारणा का एक प्रमाणित दृष्टिकोण अपनाया गया है लेकिन अवास्तविक भी देश में लोकतंत्र के सुचारु दायित्व में कई बाधाएँ हैं। इसमें निरक्षरता, लिंग भेद, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल है। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र पर विरोधी प्रभाव डालते हैं।
निष्कर्ष
हालाँकि भारत लोकतंत्र की विश्व भर में जिम्मेदारी है लेकिन अभी भी इसमें सुधार का काफी भारी सफर तय करना है। भारत में लोकतंत्र के कार्य में शिक्षा, गरीबी, लैंगिक भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसे मुद्दों को खत्म करने की आवश्यकता है ताकि देश के नागरिक अधिकार लोकतंत्र में लोकतंत्र का आनंद ले सकें।
निबंध 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
1947 में ब्रिटिश शासन के आज़ाद होने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन हुआ। इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व के कारण ही भारत के लोगों को वोट देने और अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
भारत का लोकतांत्रिक सिद्धांत
इस समय भारत में सात राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो इस प्रकार हैं - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (एनसीपी), राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी कम्युनिस्ट पार्टी), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सवादी (सी पिज्जा- एम), अखिल भारतीय कैथोलिक कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय मोटरसाइकिल राज्य विधानसभा चुनाव के लिए लड़ती हैं। भारत में संसद और राज्यों की विधानसभाओं का चुनाव हर 5 वर्ष में होता है।
भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं:
संप्रभु
संप्रभु का मतलब स्वतंत्र है - किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश को चलाने वाली सरकार एक आम सरकार है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा संसद, स्थानीय उद्योग और राज्य विधानमंडल के लिए चुने गए चुनाव में उनके नेताओं का चुनाव करने की शक्ति होती है।
समाजवादी
समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक लाभ। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसावादी विचारधारा के माध्यम से समाजवादी लक्ष्य को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने और आर्थिक मंदी को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक लाभ। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसावादी विचारधारा के माध्यम से समाजवादी लक्ष्य को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने और आर्थिक मंदी को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
धर्म निरपेक्षता
इसका अर्थ है धर्म का चयन करने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में किसी को भी किसी भी धर्म का पालन करने या उसे ठीक करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनके पास कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। भारत का लोकतंत्र किसी भी धर्म को अपमान या बढ़ावा नहीं देता है।
लोकतांत्रिक
इसका मतलब यह है कि देश की सरकार अपनी नागरिकता द्वारा लोकतांत्रिक रूप से बनी हुई है। देश के सभी लोगों को अलग (संघीय, राज्यीय और स्थानीय) अपनी सरकार चुनने का अधिकार है। लोगों के वयस्क मताधिकार को 'एक आदमी एक वोट' के रूप में जाना जाता है। मतदान का अधिकार किसी भी भेदभाव के रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि भारत के लोग सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का भी आनंद लेते हैं।
गणतंत्र
राज्य का मुखिया आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं बल्कि एक पहचान व्यक्ति है। राज्य के पद प्रमुख हैं, अर्थात् भारत के राष्ट्रपति, पांच वर्ष की अवधि के लिए नामांकन प्रक्रिया (लोकसभा और सागर) द्वारा चुनी जाती हैं, जबकि कार्यकारी शक्तियाँ प्रधान मंत्री में निहित होती हैं।
भारतीय लोकतंत्र का सामना करने वाले जाने-माने
संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोगों को सभी प्रकार के अधिकार प्रदान करता है। कई कारक हैं जो भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने का काम करते हैं और इसके लिए एक चुनौती बन गए हैं। इन्ही में से कुछ निम्नलिखित कारको के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।
निरक्षरता
लोगों की निरक्षरता सबसे बड़ी नक़ल में से एक है जो भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत के बाद से हमेशा सामने आती रहती है। शिक्षा लोगों को बुद्धि से वोट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाता है।
गरीबी
गरीबों और स्कूली बच्चों के लोगों में से एक आम तौर पर हमेशा से ही एक राजनीतिक आश्रम रहा है। राजनीतिक दल अनिवार्य रूप से वोट प्राप्त करने के लिए रिश्वत और अन्य प्रकार के प्रलोभन देते हैं।
इसके अलावा जातिवाद, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और गरीबी जैसे कई अन्य कारक हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बन गए हैं।
निष्कर्ष
भारत के लोकतंत्र की दुनिया भर में काफी सराहना होती है। देश के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना दिया गया है। देश के विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही आज के समय में लोगों के बीच यह गंभीर चिंता का कारण बन गया है। भारत में लोकतंत्र के सुचारु कार्य को सुनिश्चित करने के लिए हमें इनडिवाइडरी प्रवृत्तियों पर रोक लगाना आवश्यक है।
FAQ
प्रश्न 1. लोकतंत्र क्या है लोकतंत्र क्यों है?
उत्तर- जनता के द्वारा, जनता का शासन एवं जनता के लिए शासन ही लोकतंत्र है। हर धर्म, जाति, रंग, शिक्षा आदि के लिए धन का मूल्य एक ही है।
प्रश्न 2. लोकतंत्र कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर- प्राचीनकाल से लोकतंत्र दो प्रकार की होती है-
विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र
प्रतिनिधि सत्तातमक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र
प्रश्न 3. भारत में लोकतंत्र की स्थापना कैसे हुई?
उत्तर- भारत में लोकतंत्र तब स्थापित हुआ जब 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ। यह विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
प्रश्न 4. लोकतंत्र का जनक कौन है?
उत्तर- भीमराव अंबेडकर ने अपनी अध्यक्षता में 26 जनवरी 1950 को संविधान समिति लागू किया।
प्रश्न 5. लोकतंत्र की शुरुआत कैसे हुई?
उत्तर- 15 अगस्त 1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद लोकतंत्र की समिति का चुनाव हुआ और विश्वभर में सबसे बड़ी लोकतंत्र की नींव रखी।
इन्हें भी देखें - 👇👇👇
• भारत में लोकतंत्र पर निबंध 2023
• भारत के राष्ट्रीय पर्व पर निबंध 2023
एक टिप्पणी भेजें