Ganesh Chaturthi Essay in Hindi || गणेश चतुर्थी पर निबंध

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Ganesh Chaturthi Essay in Hindi || गणेश चतुर्थी पर निबंध

Ganesh Chaturthi Essay in Hindi || गणेश चतुर्थी पर निबंध

गणेश चतुर्थी का त्योहार हिंदीओ के लिए बहुत खास है आज के आर्टिकल में गणेश चतुर्थी पर निबंध Ganesh Chaturthi Essay in Hindi के बारे में बात करने वाले हैं।


गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है यह हिंदू धर्म का एक बहुत प्रिय पर्व है। यह उत्सव पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी से मनाया जाता है।


Ganesh Chaturthi Essay in Hindi || गणेश चतुर्थी पर निबंध

गणेश चतुर्थी का त्योहार आने के कई दिन पहले से ही बाजारों में इसकी रौनक दिखने लगती है। यह पर्व हिंदू धर्म का अत्यधिक मुख तथा बहुत प्रसिद्ध पर्व है। इसे हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में बडे उत्सव के साथ मनाया जाता है।


यह भगवान गणेश के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है जो माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। ये बुद्धि और समृद्धि के भगवान हैं इसलिए इन दोनों को पाने के लिए लोग इनकी पूजा करते हैं।


Table of Contentd

  1. प्रस्तावना
  2. गणेश चतुर्थी का महाराष्ट्र में महत्व
  3. गणेश चतुर्थी पूजा विधि
  4. गणेश चतुर्थी कब है

  1. Ganesh Chaturthi 2023
  2. गणेश चतुर्थी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।
  3. गणेश चतुर्थी का अर्थ क्या है।
  4. शिवजी द्वारा गणेश जी को वरदान
  5. भगवान गणेश और चंद्रमा की 
  6. गणेश चतुर्थी की शुरुआत कैसे हुई?
  7. गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं।
  8. हम गणेश चतुर्थी 10 दिन क्यों मनाते हैं?
  9. कहानी
  10. सुख, समृद्धि, और वृद्धि का त्योहार (गणेश चतुर्थी)
  11. उपसंघार


प्रस्तावना 


गणेश चतुर्थी पर्व हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है, यह भारत के विभिन्न प्रांतों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। किंतु महाराष्ट्र में बहुत ही धूमधाम से इस त्यौहार को मनाया जाता है पुराणों के अनुसार इस दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। कहीं कहीं छोटी-छोटी तो कहीं बड़ी बड़ी प्रतिमाओं का स्थापित किया जाता है, और इस प्रतिमा की उपासना कहीं-कहीं 7 दिन के लिए तो कहीं 9 दिन के लिए की जाती है परंतु 10 दिन तक गणेश जी स्थापित किया जाता है। और बड़े धूमधाम से इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।


गणेश चतुर्थी के दिन का महत्व गणेश चतुर्थी के दिन सभी स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालयों बंद रहते हैं क्योंकि इस दिन गणेश जी की उपासना की जाती है इस दिन सभी भक्तगण गणेश जी की आरती गाते है। भगवान श्री गणेश जी को मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है क्योंकि मोदक और लड्डू गणेश जी को अभी प्रिय हैं।


गणेश चतुर्थी का महाराष्ट्र में महत्व


गणेश चतुर्थी का सबसे अधिक भव्य और बड़े पैमाने में महाराष्ट्र राज्य में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि सबसे पहले छत्रपति शिवाजी महाराज ने उसकी शुरुआत की थी गणेश चतुर्थी को सबसे अधिक और जबरदस्त तरीके से महाराष्ट्र और भारत के सभी राज्यो में मनाया जाता है।


गणेश जी के अन्य नाम से भी जाना जाता है :-


वैसे तो गणेश जी 108 नाम है। परंतु हम यहां 108 नाम का उल्लेख नहीं कर सकते क्योंकि बहुत सारे नाम हैं उनके मुख्य 12 नामों का हम उल्लेख कर रहे हैं गणेश जी के 12 नाम इस प्रकार है। इन 12 नामों का नारद पुराण में उल्लेख मिलता है। गणेश जी को मुख्य रूप से सुमुख, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकट, विघ्ननाशक, विनायक, घूमकेतु, गणाअध्यक्ष, बालचंद्र गजानन, आदि नामों से भी पुकारा जाता है।


गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?


गणेश चतुर्थी हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाते हैं, जो अगस्त/सितंबर के महीना में आता है हम बिना जली हुई मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाते हैं और उनकी पूजा करते हैं। गणेशजी के आसपास बड़े उत्सव होते हैं। बहुत सी विशाल गणेश जी की मूर्तियां बनाई जाती है 100 फीट से भी ज्यादा ऊंची पर फिर जब 7 या 15 दिन का समय पूरा हो जाता है अलग-अलग जगह पर अलग-अलग समय है तब हम इस मूर्ति को तालाब, नदी, सरोवर या समुद्र में डुबोकर उनका विसर्जन कर देते हैं।


हम लोग अपने लिए एक भगवान बनाते हैं उनके चारों ओर एक माहौल खड़ा करते हैं और उन्हें अपना जीवन ही बना लेते हैं। 10 15 दिन या 1 महीने तक भी हमारे लिए गणेश जी के सिवा और कुछ नहीं होता हम वही कहते हैं जो वह कहते हैं जो उन्हें पसंद है हमें वही पसंद होता है हर चीज बस उन्हीं के बारे में होती है पर फिर एक दिन हम उनका विसर्जन कर देते हैं जब उनका विसर्जन हो जाता है तब सब कुछ खत्म हो जाता है यह एक हमारी ही संस्कृति है जो इस बारे में जागरूक है कि भगवान हमारे लिए ही बनाए हुए हैं।


गणेश जी बुद्धि की गतिविधि के प्रतीक हैं। यह वे ही है जिन्होंने महाभारत कथा लिखी थी। महर्षि व्यास ने बोल-बोलकर इस कथा को गणेश जी से लिखवाया था। गणेश जी ने उन्हें चुनौती दी थी, उनके सामने एक शर्त रखी थी कि विकास बोलते समय रुकेंगे नहीं। ऋषि के लिए यह एक परीक्षा थी कि वह जो कुछ लिख रहे हैं वह उनके अस्तित्व से फूट रहा एक झरना था या फिर वह अपनी बुद्धि से कोई द्वितीय पूर्ण रचना कर रहे थे इसलिए गणेश ने कहा मैं इसी शर्त पर लिखूंगा की सब कुछ बिना रुके बोला जाएगा अगर आप कहीं भी रखेंगे तो एक बार अपनी कलम रख देने के बाद में नहीं लिखूंगा"।  तो व्यास ऋषि बिना रुके लगातार बोलते ही रहे यह कई महीनो तक चलता रहा गणेश ने भी बिना रुके चुके लगातार  लेखन किया। गणेश जी दुनिया के सबसे अच्छे स्टेनोग्राफर थे।


गणेश मानवी बुद्धिमानी के प्रतीक हैं। 


प्रतीकात्मक रूप से यह बहुत ही सटीक बात ही क्योंकि आपकी बुद्धिमानी का यही स्वभाव है। आप जागरूकता पूर्वक कल्पनाएं करने के लिए अपनी बुद्धिमानी का सही उपयोग कर सकते हैं उनका विसर्जन करना इस बात का प्रतीक है, कि अगर आप अपनी बुद्धि का सही उपयोग करें तो आप सारे संसार को विसर्जित कर सकते हैं। जब आप अपनी कल्पना से संसार को विसर्जित कर देते हैं- तो अपनी बुद्धिमानी की गतिविधि को विसर्जित करना अपनी कल्पनाशक्ति को शांत कर लेना कोई बड़ी समस्या नहीं है।


प्रदूषण न फैलने वाली प्राकृतिक रूप से बनी गणेश जी की मूर्ति का महत्व।


गणेश मूर्ति को प्राकृतिक और जैविक चीजों से बनाना चाहिए। मिट्टी, बाजरे का आटा, हल्दी अलग-अलग जिओ से आप मूर्ति बना सकते हैं। उन्हें प्लास्टिक का नहीं बनना चाहिए क्योंकि प्लास्टिक पानी में घुलता नहीं है। मूर्ति को आग में भी नहीं पकाना चाहिए-किसी बर्तन की तरह बनाना है। मूर्ति पर प्लास्टिक लगे हुए पेट का उपयोग भी नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पानी में नहीं घूलते हैं, सिर्फ प्रदूषित करते हैं और आपको दूसरों को हानि पहुंचाते हैं।


सबसे महत्वपूर्ण पहलू है कि आपको यह स्वतंत्रता दी गई है कि आप एक भगवान को बनाएं और उन्हें विसर्जित भी कर दें। यह एक बड़ा विशेषाधिकार है जो दूसरी कोई संस्कृति आपको नहीं देती है। इस विषय का अधिकार का उपयोग आपको जिम्मेदारी पूर्वक करना चाहिए कृपया सिर्फ घूमने वाले जैविक सामग्रियों का प्रयोग करें जैसे चावल का आता बाजरे का आटा हल्दी या मिट्टी यह सामान्य रूप से वे सामग्रियां हैं जो हमेशा से इस्तेमाल की गई है और इसे बनी मूर्तियां बहुत अच्छी होती है अगर आपको लगता है कि आपको कुछ रंग चाहिए तो कृपया सब्जियों से बने रंगों का प्रयोग करें जिसे बने गणेशजी सुंदर और आकर्षण होंगे और पर्यावरण के अनुकूल भी होंगे।


गणेश चतुर्थी पूजा विधि


गणेश चतुर्थी के दिन सुबह सुबह ही सबसे पहले नहा कर लाल वस्त्र पहने जाते हैं। क्योंकि लाल वस्त्र भगवान गणेश जी को अधिक प्रिय लगते हैं। पूजा के दौरान श्री गणेश जी का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखा जाता है। सबसे पहले पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है।


पंचामृत में सबसे पहले दूध से गणेश जी का अभिषेक किया जाता है। उसके बाद दही से फिर घी से शहद से और अंत में गंगाजल से अभिषेक किया जाता है। गणेश जी पर रोली और कलावा चढ़ाया जाता है। सिंदूर गणेश जी को बहुत अधिक प्रिय है इसलिए उनको सिंदूर चढ़ाया जाता है।


शिवजी द्वारा गणेश जी को वरदान


शिवजी ने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा था। कि जब भी पृथ्वी पर किसी भी नए और अच्छे कार्य की शुरुआत की जाए तो वहां पर सबसे पहले गणेश जी का नाम लिया जाएगा। और गणेश जी की आराधना करने वाले व्यक्ति के सभी दुख दर्द मिट जाएंगे। इसी वजह से हम भारती कोई भी अच्छा कार्य करने से पहले गणेश जी की उपासना जरूर करते हैं। चाहे वह विवाह नए व्यापार नया घर प्रवेश कोई भी कार्य हो उसमें गणेश जी की पूजा पहले की जाती है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखना अशुभ होता है। जो भी चंद्रमा को गणेश चतुर्थी के दिन दर्शन करता है, तो उस दिन उस पर चोरी का आरोप लगता है।


भगवान गणेश और चंद्रमा की कहानी


शुक्ल पक्ष चतुर्थी में भाद्रपद की हिंदी महीने में इस उत्सव को देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि, पहली बार चंद्रमा के द्वारा गणेश का व्रत रखा गया था क्योंकि अपने दुर्व्यवहार के लिए गणेश द्वारा वह शापित थे।


गणेश की पूजा के बाद चंद्रमा को ज्ञान तथा सुंदरता का आशीर्वाद मिला। भगवान गणेश हिंदुओं के सबसे बड़े भगवान है जो अपने भक्तों को बुद्धि समृद्धि तथा संपत्ति का आशीर्वाद देते हैं। मूर्ति विसर्जन के बाद अनंत चतुर्दशी पर गणेश चतुर्थी उत्सव समाप्त होता है। भगवान विनायक सभी अच्छी चीजों के रक्षक और सभी बाधाओं को हटाने वाले हैं। 


सुख, समृद्धि, और वृद्धि का त्योहार (गणेश चतुर्थी)


भक्त गण भगवान गणेश को अपने घर ले आते हैं तथा पूरी आस्था से मूर्ति की स्थापना करते हैं। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी घर पर आते हैं तो ढेर सारी सुख समृद्धि वृद्धि और खुशी ले आते हैं। हालांकि जब वह हमारे घर से प्रस्थान करते हैं तो हमारी सारी बाधाएं तथा परेशानियों को साथ ले जाते हैं। भगवान गणेश को बच्चे बहुत प्रिय हैं और उनके द्वारा उन्हें मित्र गणेश बुलाते हैं। लोगों का समूह गणेश जी की पूजा करने के पंडाल तैयार करते हैं वो लोग पंडाल को फूलों और प्रकाश के द्वारा आकर्षक रूप से सजा देते हैं। आसपास की बहुत सारे लोग प्रतिदिन उस पंडाल में प्रार्थना और अपनी इच्छाओं के लिए आते हैं। भक्त गण भगवान गणेश को बहुत सारी चीजें चढ़ाते हैं जिसमें मोदक उनका सबसे पसंदीदा है।


यह उत्सव 10 दिनों के लिए अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी पूजा दो प्रक्रियाओं को शामिल करती है, पहला मूर्ति स्थापना और दूसरा मूर्ति विसर्जन (इसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है) हिंदू धर्म में एक रीति प्राण प्रतिष्ठा पूजा की जाती है। (मूर्ति में उनके पवित्र आगमन के लिए) तथा शोधसोपचरा (भगवान को 16 तरीकों से सम्मान देना) की जाती है। 10 दिनों की पूजा के दौरान कपूर, लाल, चंदन, लाल फूल, नारियल, गुड, मोदक, और दुराव घास चढ़ाने की प्रथा की समाप्ति के समय गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ विघ्नहर्ता को खुशी खुशी विदा करती हैं।


उपसंघार


इस उत्सव में लोग गणेश की मूर्ति को घर ले आते हैं अगले 10 दिनों तक पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं। अनंत चतुर्दशी अर्थात 11वें दिन गणेश विसर्जन करते हैं और अगले वर्ष दोबारा आने की कामना करते हैं लोग उनकी पूजा वृद्धि तथा समृद्धि की प्राप्ति के लिए करते हैं। इस उत्सव को विनायक चतुर्थी या विनायक छवि संस्कृत में भी कहते हैं।


आज के आर्टिकल में हमने आपको गणेश चतुर्थी पर निबंध Ganesh Chaturthi Essay in Hindi

के बारे में संपूर्ण जानकारी आप तक पहुंचाई है मुझे उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी यदि आपको इस आर्टिकल से जुड़ा हुआ कोई सवाल है तो वह हमें कमेंट में हमको बता सकता है।


FAQ-question


प्रश्न- हम गणेश चतुर्थी 10 दिन क्यों मनाते हैं?

उत्तर- महाभारत को लिखने का कार्य लगातार 10 दिनों तक चला था।अनंत चतुर्थी के दिन जब महाभारत लेखन का कार्य गणेश जी ने पूर्ण किया तो उनके शरीर पर धूल मिट्टी जम चुकी थी। तब गणेश जी ने सरस्वती नदी में स्नान करके अपने शरीर की धूल मिट्टी साफ की थीयही कारण है कि गणपति स्थापना 10 दिन के लिए ही की जाती है।


प्रश्न-गणेश चतुर्थी की शुरुआत कैसे हुई?

उत्तर- तिलक का नवाचार गणेश उत्सव कोनी जी घरों से सार्वजनिक स्थानों पर स्थानांतरित करना था, उनका मानना था कि इससे लोग एक साथ आएंगे और एकता की भावना को बढ़ावा मिलेगा। 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव की नींव रखी।


प्रश्न-गणेश चतुर्थी कैसे मनाते हैं।

उत्तर-उन्होंने मिट्टी की ढलाई और भगवान गणेश की मुक्त हस्त से चित्रकार की और 'बाल गणेश' को पूरे दिल से देखने का आनंद लिया। दिन का समापन खुशी के साथ हुआ जिसमें सभी बच्चों ने तो मैं फ्रेंड गणेशा की धुन पर गाना गया और नृत्य किया। चारों ओर भक्ति रचनात्मक और मस्ती थी।


प्रश्न-गणेश चतुर्थी स्थापना दिवस कब है!

उत्तर- वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर से दोपहर 2:00 बजाकर 9 मिनट से शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 3:13 पर समाप्त हो गई। इसलिए वह दिया तिथि के अनुसार 19 सितंबर से गणेश चतुर्थी का जश्न मनाया जाएगा।


प्रश्न -गणेश चतुर्थी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।

उत्तर- गणेश चतुर्थी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती के पुत्र जी का जन्म हुआ था गणेश चतुर्थी का त्योहार भाद्र मास के शुक्ला पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन की शिव जी ने गणेश जी को पुनर्जीवित किया था।


प्रश्न-गणेश चतुर्थी का अर्थ क्या है।

 उत्तर-गणेश चतुर्थी पर लोग पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के देवता की पूजा करते थे भगवान गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है हिंदू धर्म में किसी भी नए काम को प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है माना जाता है कि गणेश की पूजा करने के बाद प्रारंभ होने वाला कार्य पूरा होता है।


प्रश्न-गणेश चतुर्थी में हम क्या करते हैं?

उत्तर-गणेश चतुर्थी के मौके पर घरों और पंडालों में बड़े धूमधाम से गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है उनकी 10 दिनों तक विधि विधान से पूजा की जाती है धार्मिक मानता है कि गणेश चतुर्थी पर श्रद्धा पूर्वक  पूजा अर्चना करने से गणेश जी की भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं और सुख समृद्धि और समानता का आशीर्वाद देते हैं।



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