बाल विवाह पर निबंध || Essay on child marriage in Hindi

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बाल विवाह पर निबंध || Essay on child marriage in Hindi

बाल विवाह पर निबंध || Essay on child marriage in Hindi 


नमस्कार दोस्तों, आज के इस Article में हम आपको बाल विवाह पर निबंध लिखना बताएंगे। साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि इसकी शुरुआत कब हुई थी, इसका इतिहास क्या है और बाल विवाह दिवस कब मनाया जाता है यह सारी जानकारी हम आपको आज के इस Article में बताएंगे। दोस्तों अगर आपके लिए यह Article useful हो तो अपने सभी दोस्तों को share जरूर करिएगा।


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Table of Contents :-


प्रस्तावना

बाल विवाह का अर्थ

बाल विवाह की शुरुआत

बाल विवाह का इतिहास

बाल विवाह पर रोक

बाल विवाह का दुष्प्रभाव

• बाल विवाह को रोकने के प्रयास

भारत में बाल विवाह के कारण

बाल विवाह का उन्मूलन

बाल विवाह के परिणाम

निष्कर्ष

बाल विवाह पर 10 लाइन हिंदी में

बाल विवाह पर 10 लाइन अंग्रेजी में

बाल विवाह पर कविता

FAQS Question


“बचपन किसी का यूं ही

                        अधूरा ही ना रह जाए,

बाल विवाह के बोझ तले

                         कोई नन्हा फूल ना मुरझाए।”


प्रस्तावना :-


बाल विवाह समाज के लिए एक अभिशाप है। भारतीय समाज में प्राचीन समय से बहुत सी प्रथाएं चलती आ रही हैं। जिनमें से कुछ तो समाज के लिए फायदेमंद साबित हुई हैं, वहीं कुछ ऐसी भी प्रथाएं हैं जिनका समाज के हर वर्ग विशेषकर स्त्री वर्ग पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा है। ऐसी ही एक कु-प्रथा है – बाल विवाह। यह एक रूढ़िवादी प्रथा है, जिसके द्वारा बच्चों के बाल्यपन को बचपन में ही समाप्त कर दिया जाता है। 


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बाल विवाह का अर्थ :-


किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है। बाल विवाह में औपचारिक विवाह तथा अनौपचारिक संबंध भी आते हैं। बाल विवाह, बचपन को पूर्णतया समाप्त कर देता है। 

बाल विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कानून के अनुसार, विवाह योग्य आयु पुरुषों के लिए 21 वर्ष एवं महिलाओं के लिए 18 वर्ष है। 


बाल विवाह की शुरुआत :-


भारत में वैदिक काल से ही बाल विवाह प्रचलित था। बेटियों की सुरक्षा के कारण 8 से 10 साल की छोटी लड़कियों की शादी बड़े उम्र के पुरुषों से कर दी जाती थी। यह प्रथा मध्यकाल में भी लगातार जारी रही। उस समय 7 से 8 साल के बच्चों की शादी कर दी जाती थी। हालांकि ब्रिटिश अधिकारियों ने भारत में बाल विवाह पर अंकुश लगाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के कारण विरोध का सामना करना पड़ा। 1929 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम के माध्यम से लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाकर 12 वर्ष कर दी गई, लेकिन इसका प्रभाव शून्य रहा। आजादी के बाद सरकार ने बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम 1976 के माध्यम से लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र बढ़ाकर 18 वर्ष कर दी। फिर भी गरीबी, शिक्षा की कमी और सांस्कृतिक मानदंडों के कारण भारत में बाल विवाह आज भी प्रचलित है। 


बाल विवाह का इतिहास :-


बाल विवाह की रीति का प्रारंभ आर्यों के आने के बाद से माना जाता है। भारत में बाल विवाह का आरंभ मुसलमानों के शासन के दौरान किया गया। मुस्लिम शासकों द्वारा हिंदू धर्म की लड़कियों का बलात्कार किया जाता था जिस कारण उस समय बाल विवाह को हथियार को हथियार के रूप में अपनाया गया। इसके बाद अंग्रेजों के शासन में भारत की लड़कियों का अपहरण तथा बलात्कार किया जाता है। जिस कारण उस समय की पीढ़ी अपनी लड़कियों को अंग्रेजी शासको से बचाने के लिए बाल विवाह जैसी कुरीति को अपना लिया। 

इसके अलावा कई लोग यह भी मानते हैं कि 19वीं शताब्दी से पहले बाल विवाह होना आम था। क्योंकि पहले के समय में लड़की से परिपक्व हो जाने पर ही विवाह कर दिया जाता था तथा आयु सीमा का निर्धारण नहीं किया गया था। 1929 में बाल विवाह को भारतीय कानून के तहत गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। लड़कियों को स्वतंत्रता देने के लिए बाल विवाह के लिए विरोध में आवाजें उठने लगी। जिसके बाद साल 1978 में विवाह करने के लिए महिलाओं की उम्र 18 और पुरुषों की उम्र 21 वर्ष सुनिश्चित कर दी गई।


बाल विवाह पर रोक :-


भारत में लड़का और लड़की की विवाह उम्र क्रमशः 21 और 18 वर्ष है। अगर लड़का और लड़की विवाह योग्य उम्र के नहीं हैं, तो विवाह कानूनन अपराध होता है। सरकार इसे बंद करने के पीछे बहुत सारे मुहिम चला रही है। वर्ष 2006 में द प्रोहिविशन ऑफ़ चाइल्ड मैरिज एक्टनामक कानून बना जो वर्ष 2007 से पूरे देश में लागू है। इस कानून के अनुसार किसी लड़की का 18 वर्ष से पहले एवं लड़के का 21 वर्ष से पहले विवाह होता है तो ऐसा विवाह मान्य नहीं होगा। ऐसे विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। जिसमें दोषी व्यक्ति को दो वर्ष तक कारावास या ₹ 1 लाख का जुर्माना या दोनों दंड हो सकता है।


बाल विवाह का दुष्प्रभाव :-


बाल विवाह का भारतीय समाज में बेहद नकारात्मक प्रभाव नजर आता है –


बाल विवाह के कारण लड़कियों की मृत्यु दर में वृद्धि होने लगी। जिसका कारण यह रहा की 14 से 18 वर्ष तक की लड़कियों का विवाह होने पर, उनकी गर्भावस्था में ही मृत्यु हो जाती थी।


इसके साथ ही 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों का विवाह होने पर, उनके द्वारा जन्म लेने वाले शिशु का पोषण भी उचित रूप से नहीं होता। बल्कि अधिक संख्या में कम उम्र की लड़कियां जन्मे शिशु की मृत्यु हो जाती है।


बाल विवाह को रोकने के प्रयास :-


बाल विवाह को रोकने के सार्थक प्रयासों की बात करें तो, भारत में बाल विवाह जैसी कुरीती को रोकने के लिए विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। बाल विवाह की कुप्रथा को रोकने के लिए भारत के राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश राज्यों में कानून पारित किए गए जो प्रत्येक विवाह को वैध बनाने के लिए पंजीकरण मांगते हैं।

इसके साथ ही भारत में बाल विवाह रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 कानून जारी किया गया।


भारत में बाल विवाह के कारण :-


एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 25% विवाहित महिलाएं 18 वर्ष से कम उम्र की हैं। भारत में गरीबी बाल विवाह का एक महत्वपूर्ण कारण माना गया है। आर्थिक तौर पर गरीब माता-पिता घर पर वित्तीय बोझ को कम करने के लिए बेटियों का जल्दी विवाह कर देते हैं। लड़कियों और उनके परिवारों में शिक्षा और जागरूकता की कमी बाल विवाह का एक महत्वपूर्ण कारण है। भारतीय समाज में लिंग भेदभाव बाल विवाह को बढ़ावा देता है। महिलाओं की सामाजिक स्थिति अक्सर विवाह और मातृत्व से जुड़ी होती है। इसलिए लड़कियों की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है। साथ ही बाल विवाह निषेध कानूनों के कार्यान्वयन में कमी के कारण आज भी बाल विवाह समाज में हो रहे हैं। 


बाल विवाह का उन्मूलन :-


सामाजिक सुधारों, शिक्षा तक बेहतर पहुंच और महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ-साथ बाल विवाह के खिलाफ कानूनों का सख्त कार्यान्वयन आज के समय की मांग है। इस सामाजिक बुराई पर अंकुश लगाने के लिए गैर सरकारी संगठन और सरकारी योजनाएं कम कर रही हैं। निरंतर प्रयासों और जागरूकता के साथ, उम्मीद है कि समय के साथ भारत से बाल विवाह का उन्मूलन किया जा सकता है। 


बाल विवाह के परिणाम :-


बाल विवाह के परिणाम स्वरुप इसमें शामिल व्यक्तियों के लिए गंभीर परिणाम होते हैं जिसमें गरीबी और असमानता का चक्र कायम हो जाता है। युवा दुल्हनें अक्सर शिक्षा से वंचित रह जाती हैं, जिससे उनके व्यक्तिगत और आर्थिक विकास के अवसर सीमित हो जाते हैं। प्रारंभिक गर्भधारण, जो अक्सर बाल विवाह से जुड़ा होता है, युवा माताओं और उनके शिशुओं के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। इसके अलावा, बाल बाल बंधुओं को अक्सर घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है और उनके विवाह में उनकी स्वायत्तता सीमित होती है, जिससे उनके अधिकारों का उल्लंघन बढ़ जाता है।


1. शिक्षा पर प्रभाव :-


बाल विवाह के सबसे हानिकारक परिणामों में से एक शिक्षा में आने वाली बाधा है। कम उम्र में शादी के लिए मजबूर की जाने वाली लड़कियों को अक्सर स्कूल से निकाल दिया जाता है, जिससे उनकी शैक्षिक आकांक्षाएं कम हो जाती हैं, और निरक्षरता का चक्र कायम हो जाता है। शिक्षा न केवल एक मौलिक मानव अधिकार है बल्कि व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाने का एक शक्तिशाली उपकरण भी है। बाल विवाह को संबोधित करने के लिए व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की लड़कियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके, जिससे स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ा जा सके।


2. स्वास्थ्य संबंधी निहितार्थ :-


बाल विवाह का स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है, विशेषकर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर। युवा दुल्हनों को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान जोखिमों का सामना करना पड़ता है, जिससे मातृ मृत्यु दर में वृद्धि होती है। कम उम्र की माताओं से जन्मे शिशु स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, जिससे अंतरपीढ़ीगत स्वास्थ्य चुनौतियों का एक चक्र बना रहता है। बाल विवाह से निपटने के प्रयासों में प्रजनन स्वास्थ्य शिक्षा और सेवाओं में सुधार के लिए रणनीतियों को शामिल करना चाहिए, जिससे युवा दुल्हनों और उनके बच्चों दोनों की भलाई सुनिश्चित हो सके।


निष्कर्ष :-


भारत में गरीबी, शिक्षा की कमी और लिंग भेदभाव से लेकर पारंपरिक रीति रिवाज और सांस्कृतिक मानदंड भी बाल विवाह के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। इन कारणों की जड़ को निकाल फेंकने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षा तक बेहतर पहुंच, लड़कियों का सशक्तिकरण, नीति सुधार, सामाजिक आंदोलन और कानूनों का सख्त कार्यान्वयन शामिल है। इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन की भी आवश्यकता है। 


“बाल विवाह की नींव हिलाएं,

समाज को इस कुरीति से मुक्त कराएं।”


बाल विवाह पर 10 लाइन हिंदी में :-


1. विवाह की कानूनी उम्र तक पहुंचने से पहले बच्चों की शादी करना बाल विवाह होता है। 


2. यह एक रूढ़िवादी प्रथा है जो दुनिया भर में कई बच्चों के जीवन को प्रभावित करती है। 


3. यह प्रथा बच्चों से उनका बचपन छीन लेती है।


4. यह बच्चों को अपना जीवन साथी चुनने के अधिकार से वंचित करती है।


5. यह उन्हें विभिन्न शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक चुनौतियों के जोखिम में डालता है।


6. यह लैंगिक असमानता फैलाता है, क्योंकि अधिकतर लड़कियां प्रभावित होती हैं। 


7. जल्दी गर्भधारण के कारण मां और बच्चे दोनों के लिए स्वास्थ संबंधी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।


8. कम उम्र में विवाह को रोकने के लिए सख्त कानून लागू किया जाना चाहिए। 


9. बच्चों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करना महत्वपूर्ण है। 


10. युवा पीढ़ी की भलाई और भविष्य के लिए बाल विवाह को रोकना आवश्यक है।


बाल विवाह पर 10 लाइन अंग्रेजी में :-


1. Child marriage is related to the marriage of children. 


2. Most of its practices accurred in the ancient civilization. 


3. It was very important and sacred ritual in those day.


4. It had no minimum change to children to be married. 


5. Almost every continent was cursed with the tradition of child marriage. 


6. Factor like poverty dowry and illiteracy, religious, cuttural and family pressure were strong causes for child marriage then.


7. Child marriage become illegal in India after 1929. 


8. The Indian Government has fixed the minimum age of 18  for girls and 21 for boys for their marriage.


9. Chief minister has almost disappeared from the world. 


10. The world has got to know now that child marriage is not good for the couple and also the society.


बाल विवाह पर कविता :-


[1] 


बचपन है ऐसा खजाना, 

आता है ना दोबारा। 

मुश्किल है इसको भूल पाना, 

खेलना, कूदना और खाना, 

वह मां की ममता और वह पापा का दुलार। 

भुलाई ना भूले सावन की पुकार, 

मुश्किल है इन सबको भूल पाना व कागज की नाव बनाना,

वह बारिश में खुद भीगना। 

अभी तो मैं नन्ही सी चिड़िया हूं मुझे ना बांधों शादी के इस बंधन में।


[2]


मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया 

कैसे संभालूंगी घर की दुवरिया 

मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया 

अभी मैंने पूरी दुनिया देखी भी नहीं है 

अल्पविकसित हूं समझ आई भी नहीं है 

तन और मन मेरा परिपक्व भी नहीं है 

ज्ञान शिक्षा संस्कार पूर्ण भी नहीं है 

मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया 

ममता की मूरत को और बढ़ जाने दो 

बचपन अधूरा है यौवन आ जाने दो 

डाल की कली हूं फूल बन जाने दो 

अधपकी गागर हूं थोड़ा पक जाने दो 

मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया 

सपने जो देखे मैंने उसे पूरा कर लेने दो 

जिम्मेदारी का बोझ अभी मत आने दो 

टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर चलना सीख लेने दो 

मुझे अपने पैरों पर खड़ा हो जाने दो

मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया 

कम उम्र में ब्याह करके करो ना बर्बादी 

पढ़ लिख के आगे बढ़ूं ऐसी दो आजादी 

बाली उमर में ब्याह रचाना बड़ा अपराध है 

अशिक्षित रह जाना जीवन का कुठाराघात है 

मत करो ब्याह मेरा छोटी है उमरिया।


FAQS Question :-


प्रश्न - बाल विवाह के संस्थापक कौन थे?

उत्तर - बाल विवाह के संस्थापक राय बहादुर हरविलास जी हैं।


प्रश्न - भारत में बाल विवाह को किसने रोका?

उत्तर - बाल विवाह निरोधक अधिनियम 28 सितंबर 1929 को पारित एक विधायी अधिनियम था। इस अधिनियम ने लड़कियों के लिए विवाह योग्य आयु 14 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की। इसके प्रायोजक हरविलास शारदा के नाम पर इसे शारदा एक्ट के नाम से जाना जाता है।


प्रश्न - बाल विवाह कब बंद हुआ?

उत्तर - भारतीय कानून के तहत 1929 में बाल विवाह को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया। हालांकि ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में, विवाह की कानूनी न्यूनतम आयु लड़कियों के लिए 14 वर्ष और लड़कों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई थी।


प्रश्न - बाल विवाह कब से शुरू हुआ?

उत्तर - बाल विवाह पर रोक संबंधी कानून सर्वप्रथम सन् 1929 में पारित किया गया था। बाद में सन् 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए। इस समय विवाह की न्यूनतम आयु बालिकाओं के लिए 18 वर्ष और बालकों के लिए 21 वर्ष आधारित की गई है। भारत में बाल विवाह चिन्ता का विषय है।


प्रश्न - बाल विवाह दिवस कब है?

उत्तर - बाल विवाह निषेध अधिनियम 28 सितंबर 1929 को बाल विवाह की बुराई को मिटाने के लिए पारित किया गया था। यह 1 अप्रैल 1930 को लागू हुआ। इसे शारदा एक्ट के नाम से जाना जाता है।


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