दीपावली पर निबंध हिंदी में || Hindi essay on Diwali

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दीपावली पर निबंध हिंदी में || Hindi essay on Diwali

दीपावली पर निबंध हिंदी में || Hindi essay on Diwali

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प्रस्तावना-


दीपावली हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार है। हिंदुओं के सभी त्योहारों में यह सबसे अधिक व्यापक और लोकप्रिय त्यौहार है। यह त्यौहार कार्तिक की अमावस्या को मनाया जाता है। अमावस्या की यह रात असंख्य दीपों, मोमबत्तियों और रंगीन बल्बों से प्रकाशित होकर शरद पूर्णिमा सी प्रतीत होती है। दीपावली अंधकार पर प्रकाश की विजय का उल्लास पर्व है।


दीपावली का अर्थ-


दिवाली जिसे "दीपावली" के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्यौहारों में से एक है। 'दीपावली' संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है- दीप + आवली। 'दीप' का अर्थ होता है 'दीपक' तथा 'आवली' का अर्थ होता है 'श्रंखला', जिसका मतलब हुआ दीपों की श्रंखला या दीपों की पंक्ति। दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह त्यौहार दुनिया भर के लोगों द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन विभिन्न समुदायों के लोग भी पटाखे और आतिशबाजी के जरिए इस उज्जवल त्योहार को मनाते हैं।


धार्मिक दृष्टिकोण वा आर्थिक संपन्नता का प्रतीक-


दीपावली को भारत की लगभग सभी जातियां किसी ना किसी रूप में मनाती हैं। इस त्यौहार के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। कहा जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ की समाप्ति इसी दिन हुई थी। इस त्यौहार से जुड़ी सबसे प्रचलित कथा है कि इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के पश्चात सीता जी और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या लौटे थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने अयोध्यानगरी को घी के दीपों से दुल्हन की भांति सजाया था। घर-घर में मिठाइयां बांटी गई थी। तभी से पारंपरिक रूप से यह त्यौहार आनंद, उल्लास और विजय का प्रतीक बन गया है। यह त्यौहार हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के लोक रक्षक स्वरूप का स्मरण कराता हुआ हमें उन्हीं के समान आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति और आदर्श मित्र बनने की प्रेरणा देता है।


समुद्र-मंथन के समय लक्ष्मी का अवतार भी इसी दिन हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा होती है। इस प्रकार से यह त्यौहार आर्थिक संपन्नता का प्रतीक बन गया है। व्यापारी वर्ग इस दिन को बहुत पवित्र मानता है। रात भर लक्ष्मी के आगमन में घरों के द्वार खुले छोड़े जाते हैं।


सिक्खों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह का औरंगजेब की जेल से इसी दिन छुटकारा हुआ था। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण भी आज के दिन हुआ था। जैनियों के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी को भी इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था।


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स्वच्छता का प्रतीक-


इस त्यौहार से पूर्व वर्षा ऋतु में स्थान-स्थान पर कीचड़ एवं गंदगी हो जाती है। इन दिनों सफाई करके लोग घर में नए अनाज के भंडार करते हैं। दीपावली से कुछ दिन पूर्व घरों, दुकानों और कार्यालयों में लिपाई पुताई कराई जाती है। बाजार सजने लगते हैं। हर तरफ चहल-पहल हो जाती है। इस प्रकार से दीपावली स्वच्छता और चहल-पहल का प्रतीक भी बन गई है। मिठाइयों और खिलौनों की दुकान पर अपार भीड़ दिखती है। लोग अपने मित्रों और संबंधियों के लिए मिठाई एवं उपहार खरीदते हैं। इस दिन लोग आपसी मनमुटाव भुलाकर मिठाइयों और उपहारों का आदान-प्रदान करते हुए गले मिलते हैं और एक-दूसरे को दीपावली की मुबारकबाद देते हैं।


लोगों की गलत धारणा-


दीपों के इस जगमगाते त्यौहार के अनेक गुणों के होते हुए भी कुछ लोगों ने इसके साथ एक अवगुण जोड़ दिया है। इस दिन कुछ लोग जुआ खेलते हैं। उनका विश्वास है कि इस दिन जीत होने पर वर्ष भर उनके यहां धन आता रहेगा। लेकिन ठीक इसके विपरीत इस कुप्रथा से असंख्य घर बर्बाद हो जाते हैं।


दीपावली मनाने के कारण -


दीपों के इस पर्व को किसी ना किसी रूप में भारत की लगभग सभी जातियां मनाती हैं इस पर्व के साथ अनेक पौराणिक कथाएं जुड़ी हैं। - धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ समाप्ति इसी दिन हुई थी अतः इसे मनाया जाता है। दीपावली आर्य जाति का पवित्र तथा मुख्य त्योहार है। आर्य जाति अपने आर्थिक वर्ष का प्रारंभ इसी पवित्र दिन से करती आई हैं। ऐसा कहा जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम वनवास की अपनी 14 वर्ष की अवधि को पूरा करके ऐसे दिन अयोध्या वापस आए थे। उनके स्वागत में अयोध्यावासियों ने अयोध्या को दीपों से दुल्हन की तरह सजाया था। घर-घर मिष्ठान बटे थे, तभी से यह त्यौहार आनंद उल्लास के साथ मनाया जाता है।


पौराणिक कथाओं के आधार पर सागर मंथन होने पर आज ही के दिन लक्ष्मी जी का आविर्भाव हुआ था । इस देवी की अर्चना करते हुए यह आर्थिक संपन्नता का प्रतीक बन गया और दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा। व्यापारी गण इस दिन को अत्यंत पवित्र मानते हैं अपने गत वर्ष का हिसाब किताब समाप्त कर अपने नए खातों का आरंभ करते हैं। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद सरस्वती को निर्वाण आज ही के दिन प्राप्त हुआ था इसलिए यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। जैनियों के २४वें तीर्थंकर महावीर स्वामी को इसी दिन निर्वाण प्राप्त हुआ था इसलिए सारा जैन समाज इस उपलक्ष में इस त्यौहार को मनाता है।


दीपावली त्यौहार की तैयारी-


दीपावली त्यौहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही आरंभ हो जाती हैं। दीपावली के कई दिनों पहले से ही लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं उन घरों में दिवाली के दिन मां लक्ष्मी विराजमान होती हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करके वहां सुख समृद्धि में बढ़ोतरी करती हैं। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीपक और तरह-तरह के लाइट से सजाना शुरू कर देते हैं।


दिवाली में पटाखों का महत्व-


दिवाली को "रोशनी का त्योहार" कहा जाता है। लोग मिट्टी के बने दीपक जलाते हैं और अपने घरों को विभिन्न रंगों और आकारों की रोशनी से सजाते हैं, जिसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। बच्चों को पटाखे जलाना और विभिन्न तरह की आतिशबाजी जैसे - फुलझड़ियां, रॉकेट, फब्बारे,चरखी आदि बहुत पसंद होते हैं।


दिवाली का इतिहास-


हिंदू मान्यताओं के अनुसार, दिवाली के दिन ही भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण और उनके उत्साही भक्त हनुमान के साथ अयोध्या लौटे थे। अमावस्या की रात होने के कारण दिवाली के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पूरे अयोध्या को दीपों और फूलों से श्री रामचंद्र के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी ना हो, तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्यौहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रुप में मनाया जाता है।


इस शुभ अवसर पर, बाजारों में भगवान गणेश जी, लक्ष्मी जी, राम जी आदि की मूर्तियों की खरीदारी की जाती है। बाजारों में खूब चहल-पहल होती है। लोग इस अवसर पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाईयां आदि खरीदते हैं। हिंदुओं द्वारा देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है क्योंकि व्यापारी दिवाली पर नई खाता बही की शुरुआत करते हैं। साथ ही लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। लोग दिवाली के त्यौहार के दौरान अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों का आदान-प्रदान करने के लिए तत्पर रहते हैं।


दिवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियां-


दिवाली जैसे धार्मिक महत्व वाले पर्व को भी कुछ असामाजिक तत्व अपने निरंतर प्रयास जैसे - शराब का सेवन, जुआं खेलना, टोना टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से खराब करने में जुटे रहते हैं। अगर समाज में दिवाली के दिन इन कुरीतियों को दूर रखा जाए तो दिवाली का पर्व वास्तव में शुभ दीपावली हो जाएगा।


घरों की मरम्मत एवं लक्ष्मी पूजन - 


बरसात के मौसम में घरों की दीवारों में सीलन आ जाती है। कीड़े मकोड़े उत्पन्न हो जाते हैं। स्थान स्थान पर कीचड़ फैल जाती है। चारों तरफ गंदगी ही गंदगी दिखाई देती है। बरसात के बाद कार्तिक का महीना आता है लोग महीनों पहले से घरों दुकानें कार्यालयों की साफ सफाई करना आरंभ कर देते हैं जिससे गंदगी और मच्छरों का साम्राज्य समाप्त हो जाता है।


" दिवाली प्यारी आती है, दिवाली न्यारी आती हैं।

घरों का मैल हटाने को , सफेदी से पुरतवाने को,

पुराना नया बनाने को , उनको सदा सजाने को उनको सदा सजाने को। "


दीवाली से दो दिन पहले इस त्यौहार का प्रारंभ होता है। दो दिन पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। फिर यम दुतिया का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन घर के दरवाजे पर दीपक जलाकर दीपदान किया जाता है। दीपावली अमावस्या के दिन बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। रात्रि के समय मुहूर्त के अनुसार लक्ष्मी व गणेश का पूजन करते हैं। घरों, दुकानों, बाजारों को दीपकों व बिजली की झालरों से सजाया जाता है। रात्रि को मिट्टी के दीपकों के प्रकाश से अंधकार धुल जाता है। प्रत्येक घर में प्रसन्नता दिखाई देती है। विभिन्न तरह के पकवान तैयार किए जाते हैं बच्चे बम पटाखे चलाते हैं और खुश रहते हैं।


जुआ की कुप्रथा -


प्राचीन काल में लक्ष्मी देवी का स्वागत करने के लिए सारी गट जागरण किया जाता था परंतु समय परिवर्तन के साथ साथ ऐसे स्वागत धार जागरण का स्थान जुड़े नहीं ले लिया। लाखों की संख्या में लोग जुआ खेलते हैं परिणामस्वरूप वह भिखारी बनकर दर-दर की ठोकरें खाते करते हैं। कौरवों और पांडवों का सत्यानाश करने वाला यह जुआ ही था। हमको इस कुप्रथा को बंद करना चाहिए आज हमारी सरकार भी इस कुप्रथा को बंद करने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है। देश के हितैषीयों को इस कुप्रथा को बंद करवाने में सरकार की मदद करनी चाहिए।


उपसंहार -


मनुष्य सदैव से ही त्यौहार प्रेमी रहा है। त्योहार हमारे जीवन में खुशियां व उल्लास लेकर आती हैं। देश व जाति की समृद्धि का प्रतीक यह पर्व अत्यंत ही मनोरम व महत्वपूर्ण है।

दीपावली अपने अंदर के अंधकार को मिटाकर समूचे संसार को प्रकाशमय बनाने का त्यौहार है। बच्चे अपनी इच्छानुसार बम, फुलझड़ी जाता था अन्य पटाखे खरीदते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि दीपावली के त्यौहार का अर्थ दीप, प्रेम और सुख-समृद्धि से है। ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक और अपने बड़ों के सामने रहकर करना चाहिए। दिवाली का त्यौहार हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। दीपावली का त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक सद्भाव का प्रतीक है। इस त्यौहार के कारण लोगों में आज भी सामाजिक एकता बनी हुई है। हिंदी साहित्यकार गोपालदास नीरज ने कहा है,"जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अंधेरा धरा पर कहीं रह ना जाए।" इसलिए दीपावली पर प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देने के प्रयत्न करने चाहिए।

देश और जाति की समृद्धि के प्रतीक इस त्यौहार को हमें सुख शांति और उल्लास से मनाना चाहिए। यह त्यौहार सब तरह से मनोरम एवं महत्वपूर्ण है। इस दिन हमें अज्ञान, भेदभाव, रूढ़ियों, अंधविश्वासों तथा घृणा के अंधकार को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए।

दीपावली के साथ मनाए जाने वाले उत्सव - 


1. दीपावली का यह त्यौहार करीब 5 दिनों का होता है। जिसके पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुओं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।


2. दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।


3. तीसरा दिन दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।


4. दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।


5. दिवाली के त्यौहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।


"जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना ,

अंधेरा धरा पर कहीं रह ना जाए।"



People Also Asked - 


दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?


उत्तर - दीपावली का त्यौहार असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। इस दिन सभी लोग बड़े आनंद के साथ एक-दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और फिर बाद में बच्चे पटाखे जलाते हैं। दिवाली का त्यौहार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है।


दिवाली का त्यौहार क्या भारत देश में ही मनाया जाता है?

उत्तर - नहीं दिवाली के त्यौहार को भारत देश के साथ अन्य देशों में अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। विभिन्न देशों में यह त्यौहार अलग-अलग रूप में मनाया जाता है।


दीपावली के त्यौहार को प्रत्येक वर्ष कब मनाया जाता है?


उत्तर - कार्तिक मास के अक्टूबर या नवंबर माह दीपावली के पर्व को मनाया जाता है।


सरल शब्दों में दीपावली क्या है?


उत्तर - दिवाली जैसे दीपावली भी कहा जाता है हिंदू धर्म जैन धर्म और सिख धर्म के प्रमुख धार्मिक त्योहारों में से एक है यह नाम संस्कृत में दीपावली से लिया गया है जिसका अर्थ है रोशनी की पंक्ति सेवाराम तौर पर अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है।


दीपावली का पर्यायवाची शब्द क्या है?


उत्तर - दीपावली के पर्यायवाची शब्द - दिवाली, प्रकाश उत्सव, आनंद उत्सव आदि हैं।


दिवाली की शुरुआत कब से हुई?


उत्तर - अगले दिन से विक्रम संवत की शुरुआत हुई- ढाई हजार साल पहले पावा नगरी में भगवान महावीर ने इसे दिन निर्वाण प्राप्त किया था । 1619 में सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह दीपावली के दिन ही 15 साल की कैद से मुक्त हुए थे। मन के स्वागत पर दीप जलाए गए थे।


दीपावली में कितने दिए जलाए जाते हैं?


उत्तर - हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दौरान अलग-अलग जगहों पर कुल 13 दिए जलाए जाते हैं।


दीपावली के दूसरे दिन को क्या कहते हैं?


उत्तर - दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और अन्य कूट दोनों नहीं हो रहे, उस दिन ग्रहण लग रहा है।


दिवाली के पहले क्या आता है?


उत्तर - पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत धनतेरस के साथ होगी। इस दिन मां लक्ष्मी का आगमन होता है वैसे तो दीपोत्सव का खास महत्व होता है लेकिन शरद पूर्णिमा से लेकर दिवाली के 15 दिन बेहद खास होते हैं।


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