हमारा देश भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था || Bharat ko Sone ki chidiya Kyun kaha jata tha in hindi
एक समय था जब भारत के सबसे अमीर देशों में शामिल हुआ करता था. जिसके चलते हर कोई हमारे देश पर शासन करने का सपना देखता था. भारत पर शासन करने के मकसद से यहां पर कई लोगों द्वारा आक्रमण और कई राजाओं द्वारा राज भी किया गया है.
हमारा देश भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था || Bharat ko Sone ki chidiya Kyun kaha jata tha in hindi |
वही हमारे देश पर अंग्रेजों ने भी काफी लंबे समय तक अपनी हुकूमत चलाई है. और इस दौरान भारत को कई तरह के नुकसान भी हुए हैं. जहां पहले भारत देश को एक सोने की चिड़िया होने का दर्जा मिला था, वहीं अब भारत को मिला यह दर्जा पूरी तरह खत्म हो चुका है. किन कारणों से हमारे देश को यह दर्जा मिला हुआ था. उन कारणों के बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे.
भारत का सोने की चिड़िया कहे जाने के कारण (reasons Why India know as the golden bird in Hindi)
भारत को यह नाम कई वजहों से मिला हुआ था. उस दौर में भारत की राजाओं के पास काफी धन और संपत्ति हुआ करती थी. वहीं भारत में मसाले कपास और लोहा काफी अच्छी मात्रा में पाए जाते थे और इन चीजों को अन्य देश के लोगों द्वारा खरीदा जाता था इसके अलावा उस समय भारत की जीडीपी भी काफी अच्छी हुई करती थी. वहीं भारत को सोने की चिड़िया कहे जाने के अन्य कारणों को नीचे बताया गया है, जो कि इस प्रकार हैं-
•मोर सिंहासन ( what is peacock Thorne)
भारत को सोने की चिड़िया कहने के पीछे जो एक सबसे बड़ा कारण हुआ करता था, वह मोर सिंहासन था. इस सिंहासन की अपनी एक अलग ही पहचान हुआ करती थी. कहा जाता था कि इस सिंहासन को बनाने के लिए जो धन इस पर लगाया गया था, उतने धन में तो ताजमहल का निर्माण किया जा सकता था. लेकिन साल 1739 में फारसी शासक नादिरशाह ने एक युद्ध जीतकर इस सिंहासन को हासिल कर लिया था. आखिर ऐसा क्या खास था इस सिंहासन के बारे में और किसका धागे सिंहासन इसके बारे में नीचे बताया गया है.
मोर सिंहासन का इतिहास ( mayur singhasan history)
मोर सिंहासन का निर्माण शाहजहां द्वारा 17 वीं शताब्दी में शुरू किया गया था. इस भाषण के निर्माण के लिए शाहजहां ने काफी खर्च किया था. इस भाषण को बनाने के लिए करीब एक हजार किलो सोने का प्रयोग किया गया था. इतना ही नहीं इस संगठन में कई बेशकीमती पत्थर जुड़े हुए थे. इन पत्रों के अलावा इस सिंहासन की शान कोहिनूर हीरे ने और बढ़ा दी थी. यह हीरा भी इस सिंहासन में लगा हुआ था. वही इस सिंहासन की कीमत की बात करें, तो इसकी कीमत 4.5 अरब की बताई जाती थी, जो कि भारत के रुपए के अनुसार 450 करोड़ की है.
•कोहिनूर हीरा ( kohinoor daimond history
कोहिनूर हीरे का जिक्र आप लोगों ने कई बार सुना होगा. आपको पता ही होगा कि यह हीरा भारत के पास हुआ करता था, जिसके बाद यह हीरा कई लोगों के हाथों से गुजरते हुए आज इंग्लैंड की रानी के ताज की शान बढ़ा रहा है. उस समय पूरे विश्व में इस हीरे का आकार सबसे बड़ा हुआ करता था. वही कहा जाता है कि यह हीरा 5000 साल पुराना था.
विकसित से विकासशील देश
भारत से विदेशी लुटेरों ने बेशकीमती सोना लूट लूट कर ले गए। दुनिया का सबसे विकसित माना जाने वाला देश आज विकासशील देश बन गया। इसकी गिनती अब दुनिया के गरीब और बिछड़े हुए देशों में की जाने लगी। भारत को फिर से एक विकसित देश बनाने का प्रयास किया जा रहा है देश विदेशों से अपने संबंधों को स्थापित कर आए को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है भारत की अर्थव्यवस्था को सुधारने का प्रयत्न किया जा रहा है। जब तक देश में गरीब खत्म नहीं हो जाते तब तक हम भारत को एक विकसित देश नहीं कह सकते देश में फिर से एक क्रांति लानी होगी बेरोजगारी खत्म कर भ्रष्टाचार को मिटाना होगा तभी इस सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश को फिर से एक समृद्ध राष्ट्र बनेगा।
•भारत के उस्मान अली खान थे दुनिया के सबसे अमीर आदमी (the wealth of Mir Osman Ali Khan)
हैदराबाद के शासक उस्मान अली खान को टाइम मैगजीन द्वारा साल 1937 में दुनिया का सबसे अमीर आदमी कोशिश किया गया था. इतना ही नहीं टाइम मैगजीन ने उनकी फोटो अपनी पत्रिका के कवर पेज पर भी लगाई थी और मैगनीज के मुताबिक उस वक्त उनके पास दुनिया में सबसे ज्यादा संपत्ति हुआ करती थी, जो कि उस समय अमेरिका की अर्थव्यवस्था के 2% के बराबर मानी जाती थी.
कृष्ण नदी और स्वर्ण रेखा नदी
कृष्ण नदी एक दुनिया की ऐसी नदी है जिस पर देश-विदेश के लोगों की नजर टिकी है। सोना उगलने वाली यह नदी झारखंड की घाटियों में बहती है। इस नदी से सैकड़ों सालों से सोने के कड़ निकल रहे हैं। इस बात का आज तक पता नहीं चला कि यह सोने के कड़ कहां से इस नदी में आ रहे हैं वैज्ञानिकों का मानना है कि पहाड़ों से जब यह नदी बहती है। तो घर्षण की वजह से पहाड़ों से सोना घिस कर इसमें मिल जाता है। यहां रहने वाले स्थानीय निवासी इस नदी की रेत में से छानकर सोने के कण निकल कर बहुत सस्ते दामों में बेच देते हैं। यह दुनिया में एकमात्र नदी है जो सोना उगलती है।
उस्मान अली खान का शासन ( Osman Ali Khan history
उस्मान अली खान ने साल 1911 में हैदराबाद के शासक के तौर पर गद्दी संभाली थी. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य उस वक्त हैदराबाद का हिस्सा हुआ करते थे. निजाम की शान और शौकत देकर उस समय भारत में राज करने वाले ब्रिटिश इंडिया भी हैरान हो गई थी. कहा जाता है कि उनके पास कई तरह के हीरे हुए करते थे. निजाम इतने अमीर थे कि उनके पास हीरे की गोल्फ की गेंद हुआ करती थी. वही इस वक्त इस हीरे को दुनिया में पांचवा सबसे बड़ा हीरा नामित किया गया है. और उसकी कीमत 10 करोड़ रुपए के आसपास बताई जाती है. इतना ही नहीं निजाम ने साल 1947 में ब्रिटिश की रानी को उनकी शादी में हीरे का हार तोहफे में दिया था, जिस हारूको निज़ाम ऑफ हैदराबाद के हार के नाम से आज भी जाना जाता है. इसके अलावा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने ब्रिटिश की मदद करने के लिए उन्हें दो लड़ाकू जहाज दिए थे और उनकी इस मदद के लिए उनको साल 1946 में विश्व ने सम्मानित भी किया था
•अपनी खुद की थी मुद्रा (state Bank of Hyderabad origen)
उस्मान अली खान के पास अपनी खुद की मुद्रा भी थी, जो कि हैदराबाद में चलती थी. उस मुद्रा को उस्मानिया सिक्का कहा जाता था इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद उनके शासन के काल में ही खोला गया था.
•भारत के राजाओं की मेहनत
भारत के महान शासकों ने अपने शासनकाल में अपने -अपने राज्य की तरक्की के लिए कई कार्य किए थे, जिससे कि उनका राज हमेशा से धनी रहा करता था. कहा जाता है कि मुगल शासन के दौरान देश की आय ब्रिटेन के पूरे राज्य को से भी बड़ी थी. इसके अलावा भारत में ही सबसे पहले वस्तु विनिमय प्रणाली चलती थी. भारत कई चीजों का आयात और नियत भी किया करता था.
निष्कर्ष ( conclusion)
भारत देश शुरू से ही हर चीज को लेकर धनी रहा है. हमारे देश में खेती के जरिए कई चीजों का उत्पाद कई वर्षों से किया जाता रहा है. वहीं भारत की जमीन पर कई मात्रा में सोने और हीरे भी पाए जाते थे. वहीं भारत में मौजूद इन्हीं चीजों को अंग्रेजों और दूसरे देश के राजाओं द्वारा लूट लिया गया था और जिसके कारण हमारे देश को काफी हानि हुई थी. अगर भारत में इन लोगों द्वारा शासन नहीं किया जाता, तो शायद आज हम यह कह सकते थे कि भारत एक सोने की चिड़िया है. लेकिन समय के साथ-साथ भारत का स्थान दुनिया में कम होता चला गया और यह सवाल पीछे छोड़ गया कि भारत को सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था।
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