कहानी कथन विधि क्या है ? (What is kahani kathan vidhi hain?)
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर, दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कहानी कथन विधि क्या है? तथा कहानी कथन विधि की प्रमुख विशेषताएं क्या है इसी के साथ हम लोग यह भी जाने की भी कहानी कथन विधि के दोष कौन-कौन से हैं विधि के आप सभी लोग पोस्ट के अंत तक पर जरूर बने रहें और अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया अपने दोस्तों और मित्रों में जरूर शेयर करें।कहानी कथन विधि क्या है ? (What is kahani kathan vidhi hain?) |
मेरे प्रिय विद्यार्थियों कहानी कथन विधि शब्द को तो हम बचपन से ही सुनते आ रहे हैं लेकिन सच्चाई यही है की कहानी कथन विधि किसे कहते हैं? यह तथ्य हम में से अधिकांश लोग नहीं जानते हैं. तो दोस्तों बने रहिये हमारी वेबसाइट www upboard.live पर हिंदी भाषा में कहानी कथन विधि का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यहां पर हम आज की पोस्ट में आपको कहानी कथन विधि और उसके प्रमुख लेखकों के बारे में बताएंगे हिंदी साहित्य में कहानी कथन विधि से संबंधित लेखकों के बारे में बताएंगे। इस पोस्ट में आपको जानकारी देंगे।
कहानी कथन विधि किसे कहते हैं? कहानी कथन विधि में क्या सावधानियां जरूरी हैं?
What is kahani kathan vidhi?
कहानी कथा विधि सामाजिक अध्ययन शिक्षण की एक महत्वपूर्ण (important) विधि है। इसके माध्यम से अध्यापक विद्यार्थियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। इस विधि के माध्यम से विद्यार्थियों के मन में कल्पना एवं कौतूहल जागृत होता है। यह विधि मनावैज्ञानिक विधि है, इसके माध्यम से बालकों में नैसर्गिक शक्तियों का विकास किया जाता है। इसके माध्यम से अध्यापक विद्यार्थियों के लिए पाठ्य वस्तु को सरल एवं रोचक बनाने में समर्थ होता है, अतः विद्यार्थियों को महापुरुषों समाज सुधारको, लेखको, संतो, अन्वेषको एवं वैज्ञानिकों की कहानियां सुनानी चाहिए।
कहानी कथन विधि के गुण (लाभ)
(Characteerstics of kahani kathan vidhi)
कहानी मौखिक रूप से सुनने चाहिए। बीच-बीच में प्रश्न भी करते रहना चाहिए ताकि विद्यार्थी रुचि एवं ध्यान से सुने एवं ज्ञान प्राप्त करें।
शांत वातावरण में विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति के अनुसार कहानी सुनानी चाहिए।
अध्यापक को स्पष्ट तथा प्रभावशाली शैली में कहानी को सुनाना चाहिए।
कहानी अर्थ पूर्ण तथा वास्तविक होनी चाहिए।
अध्यापक को अभिनय कला का भी ज्ञान होना चाहिए।
अध्यापक को विद्यार्थियों का सहयोग लेकर कहानी सुनना चाहिए।
अध्यापक को कहानी सुनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखना चाहिए।
कहानी सुनाते समय विषय वस्तु को बोधगम्य बनाने के लिए सहायक सामग्री का प्रयोग करना चाहिए।
कहानी अधिक लंबी नहीं होना चाहिए तथा विषय से संबंधित होना चाहिए।
कहानी कथन विधि के दोष (कमियां)
(Detects of kahani kathan vidhi)
1 यह विधि बड़ी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।
2 कहानी कथन शैली से रहित अध्यापक के माध्यम से इसका प्रयोग इसको अप्रभावी एवं हास्यपद बनाने में सहायक है।
3 कहानी की निष्क्रियता विद्यार्थियों निष्क्रिय श्रोता बनाती है।
4 कहानी में कल्पना की अधिकता रहती है इससे बच्चों में अविश्वसनीयता का भाव उत्पन्न करती है।
कहानी कथन विधि में सावधानियां
कहानी सुनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
1 विद्यार्थियों की आयु के अनुसार कहानी का चयन करना चाहिए।
2 कहानी संक्षिप्त एवं सरल होनी चाहिए।
3 कहानी की विषय वस्तु पर उसका अधिकार होना चाहिए।
4 कहानी की भाषा शैली एवं विषय वस्तु विद्यार्थियों के मानसिक स्तर एवं रूचि के अनुसार होनी चाहिए।
5 कहानी कहने का ढंग रुचि कर स्वाभाविक तथा भावपूर्ण होना चाहिए।
6 कहानी रोचक एवं प्रभाव पूर्ण होना चाहिए कहानी उद्देश पूर्ण होना चाहिए।
कहानी कथन प्रविधि प्रारंभिक कक्षाओं के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है। प्रारंभिक कक्षाओं के विद्यार्थियों का मानसिक स्तर इतना कम विकसित होता है कि उन्हें शिक्षण की जो दूसरी प्रविधियां उसकी इतनी समझ विकसित नहीं करती जितनी की कहानी के माध्यम से होती है। यदि कहानियां उद्देश्य पूर्ण होती है तथा अध्यापक उनकी माध्यम से संबंधित तथ्यों को स्पष्ट करता है, तो यह अत्यधिक लाभकारी होता है।
किसी विषय के सूक्ष्म एवं जटिल आंशो के कहानी के माध्यम सुबोध बनाया जाता है। बालक जो ज्ञान कहानी के माध्यम से प्राप्त करता है, उसे आत्मसात करने में सहाजता एवं सरलता होती है। सामाजिक विज्ञान में यह विधि अत्यधिक प्रयोग की जाती है। ऊंची कक्षाओं में भी इस विधि का प्रयोग कर सकते हैं। जो अध्यापक अपने विषय के अच्छे ज्ञाता होते हैं, वह कहानी के रूप में विषय वस्तु को प्रस्तुत करने में समर्थ होते हैं। कहानी के माध्यम से जटिल अंशु को सरल रूप में प्रस्तुत कर के विद्यार्थियों को विषय वस्तु आसानी से समझ में आ सकती है।
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