काला धन (समस्या और समाधान) || Black money essay in Hindi
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Table of content
1. प्रस्तावना
2. काला धन क्या है
3. काला धन एक समस्या
4. काले धन के स्रोत
5. काले धन की वैश्विक स्थिति
6. विश्व में भारत के काले धन की वापसी
7. नोटबंदी का असर
8. काला धन उत्पन्न होने के कारण
9. काले धन से उत्पन्न समस्याएं
10. भारत में काला धन नियंत्रित करने के लिए सुझाव
11. उपसंहार
प्रस्तावना
काला धन मतलब कि ऐसा धन जिनके आंकड़े सरकारी खातों में कहीं नहीं होते। ऐसा पैसा जोकि व्यवहारिक रुप से आयकर विभाग से छिपा हुआ होता है। इसे कहते हैं काला धन। काला धन को अंग्रेजी में "ब्लैक मनी" भी कहा जाता है। यह ऐसे बड़े बड़े राजनेता, महानेता, बड़े कारोबारी, डॉन, माफिया, अधिकारी इन सब का सरकार को घोषित ना किया हुआ धन होता है।
काला धन अवैध रूप से प्राप्त की गई वह आय है जिस पर कर अदा करने से बचने के लिए सरकार को सूचित नहीं किया जाता है। सामान्य शब्दों में, काला धन वह धन होता है जिसके ऊपर सरकार द्वारा लगाए गए कर का भुगतान नहीं किया जाता है और ना ही भुगतान करने की कोई मंशा होती है।
काला धन एक देश की प्रगति में बाधा बनता है। क्योंकि ऐसा धन पता नहीं होता कहां से आया है और किसका है। ये देश की समांतर अर्थ व्यवस्था को बिगाड़ देता है। काला धन कहीं बार वैध और अवैध दोनों तरीके से प्राप्त किया जाता है। क्योंकि वैध का धन है उस पर तो गिन कर टैक्स लिया जा सकता है लेकिन अवैध पर धन का आना-जाना ढूंढ पाना मुश्किल होता है।
काला धन से बाजार में मांग अधिक हो जाने पर अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति का सामना करना पड़ता है।
ऐसा धन अपनी भारत की बैंकों में ना रख कर ज्यादातर विदेश की बैंकों जैसे कि सिंगापुर, जर्मनी, स्विट्जरलैंड आदि देशों में रखा जाता है। जहां पर आय कर मुक्त हो। ऐसा काम जब कोई भारतीय द्वारा किया जाता है तब मुझे ऐसा लगता है कि एक देशभक्त और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की कुछ पंक्तियों पर गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि,"क्या यह एक लोकतंत्र है? जो सभी यहां पैसे बचाने के लिए आए हुए हैं। खुद को सौभाग्य वान समझूंगा अगर मैं अपने देशवासियों अपने समाज के लिए मरता हूं।
काला धन क्या है
काली आय से सृजित धन काला धन है। हवाला, तस्करी, वेश्यावृत्ति, रिश्वत जैसे अवैध धंधों से प्राप्त धन, काला धन है।
आयकर, बिक्री कर और उत्पादन कर से छिपा कर रखा गया धन काला धन है। 100 करोड़ की आबादी वाले भारत में लगभग तीन करोड़ लोग ऐसे हैं, जिनके पास पर्याप्त काला धन है। इनमें लगभग एक करोड़ लोग ऐसे हैं जो काले धन में आकंठ डूबे हुए हैं अर्थात् भारत की 1% आबादी के पास ही जमा है, अधिकांश काला धन। उद्योगपतियों और राजनीतिको के संबंध जन गहरे होने लगे तो उद्योग जगत में 'काला धन' बनाने की प्रक्रिया जोर पकड़ने लगी। उद्योग जगत विभिन्न राजनीतिज्ञों को आर्थिक सहायता देने लगा और बदले में तमाम वैध अवैध तरीके से कमाई करने को अपना अधिकार समझने लगा।
तरीके से कमाई करने को अपना अधिकार समझने लगा। भ्रष्ट नेताओं, अपराधियों और व्यवसायियों द्वारा अवैध रूप से कमाया गया धन काले धन का अर्थशास्त्र ऐसा है कि वैध और अवैध, दोनों ही धंधों के जरिए काला धन पैदा होता है। जहां शेयर बाजार तथा सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र वैध की श्रेणी में आते हैं वहीं हवाला, तस्करी, वेश्यावृत्ति जैसे अनेक धंधे अवैध माने गए हैं। अवैध धंधों के जरिए पैदा होने वाला काला धन दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। पूरे विश्व में करीब 35 लाख करोड़ रुपए की नशीली दवाओं का व्यापार होता है, जो भारत के घरेलू उत्पाद का लगभग दोगुना है। एक अनुमान के मुताबिक नशीली दवाओं की तस्करी के जरिए 1990 में हमारे देश के तस्करों ने करीब 20 हजार करोड़ का मुनाफा कमाया। भ्रष्ट राजनेताओं, व्यवसायियों, नौकरशाहों और अपराधियों की चौकड़ी ही काले धन का मूल स्रोत है। अनुमान है कि इस चौकड़ी के बेताज बादशाहों हवाला के जरिए 150 अरब डॉलर से भी ज्यादा धनराशि विदेशों में जमा कर रखी है। इस राशि पर उन्हें प्रतिवर्ष कम से कम 6 अरब डॉलर ब्याज मिलता है।
काला धन एक समस्या
एक रिपोर्ट के अनुसार ऐसा बताया गया है कि काले धन की समस्या अपने देश और देश के बाहर की गए गैर कानूनी तरीके से कमाया गया धन है। इससे मादक पदार्थ का कारोबार धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार, धनवसुली, नकली धन जैसी समस्या का सामना देश में करना पड़ सकता है। पिछले एक दशक से गोलबल फाइनेंसियल इंटिग्रिटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार भारत में से 343.04 अरब डॉलर की कमाई काले धन के तौर पर देश से बाहर भेजी गई है।
इसमें रूस, चीन और मलेशिया जैसे देश भारत से भी आगे हैं।
काले धन के स्रोत
अब सवाल यह है कि जब काले धन के इतने नकारात्मक प्रभाव है तो सरकार इस समस्या का उन्मूलन करने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही है। सरकार काले धन से देश को मुक्त करने के प्रयास कर रही है लेकिन इस बीमारी के स्रोत से छुटकारा पाने के लिए अपनाई गई नीतियों की तुलना में मजबूत है।
यह कहने की जरूरत नहीं कि आयकर, राज्य कर, निगम कर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क सहित विभिन्न प्रकार के करों की चोरी काले धन को पैदा करने की कुंजी है। यहां काले धन के विभिन्न स्रोतों पर एक नजर डाली गई–
1.निर्यात के माध्यम से काली आय –
बहुत सारा काला धन उन व्यवसायों द्वारा उत्पन्न होता है जो अपने सामान को निर्यात करते हैं।
2. ब्लेक मार्केट
ब्लैक मार्केट में अच्छी आपूर्ति काले धन का एक अन्य स्रोत है।
3.शेयर बाजार
शेयर मार्केट ट्रेड के माध्यम से बहुत अधिक लाभ उत्पन्न होता है और इसमें से अधिकांश बेहिसाब हो जाता है। इस तरह का बेहिसाब लाभ कालेधन के संग्रह को बढ़ावा देता है।
4.अवैध कमीशन
कई सरकारी अधिकारी सामान्य सेवाओं के लिए अवैध कमीशन लेते हैं। इस माध्यम से अर्जित आय काले धन को बढ़ावा देती है।
5. रिश्वत
सरकार और निजी क्षेत्र के विभिन्न स्तरों पर रिश्वतखोरी चलती है जो प्रत्यक्ष रूप से काले धन को बढ़ावा देती है।
6. घोटाले
राजनेताओं और सत्ता में रहने वाले अन्य लोगों द्वारा किए गए घोटाले निसंदेह काले धन का एक प्रमुख स्रोत है।
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए दीमक
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के लिए दीमक है, काला धन। अर्थव्यवस्था के राज्य पथ पर असीमित बढ़ती अंतहीन विकृति है, काला धन। अर्थव्यवस्था को संकट ग्रस्त बनाता है काला धन। राष्ट्र की संपूर्ण संस्कृति और सभ्यता की कर्मनाशा है काला धन। राजनीति में काला धन उज्जवल वस्त्र धारी राजनेता की ताकत की पहचान है। व्यवसायिक क्षेत्र में काला धन व्यापारी को समृद्धि का द्योतक है।
नौकरशाही और अपराध जगत में काला धन उनकी संपन्नता और शक्ति का प्रतीक है।
अवैधानिक मानसिकता से काला धन
सरकार की नियत यदि देश के काले धन को काबू करना हो तो वह 6 माह में देश में ऐसा आतंकित वातावरण निर्माण कर सकती है कि काले धन के चारो खनोत बंद हो जाएंगे। जैसे – मकान की रजिस्ट्री लगभग 75% कम मूल्य की होती है। रजिस्ट्री उपरांत ऐसे मकानों का रजिस्ट्री मूल्य चुकाकर सरकार जब्त कर ले तो करोड़ों रुपए के काले धन का स्रोत सूख जाएगा। आयकर तथा बिक्री कर विभाग यदि व्यापारियों और उद्योगपतियों से इमानदारी से आयकर और बिक्री कर वसूल करें तो काले धन के दानव की कमर टूट सकती है। नौकरशाही की रिश्वत प्रवृत्ति पर लौह प्रहार किया जाए तो काले धन की कर्मनाशा उज्जवल धन की गंगा में बदल सकती है।
काले धन की वैश्विक स्थिति
स्विट्जरलैंड, जर्मनी और दुनिया के कई देश में तो इसके लिए अलग से व्यवस्था है। ऐसे देशों में काले धन की चोरी का धन या तो अवैध नहीं माना जाता है। दुनिया के बड़े लोग अपनी कमाई का काला धन ऐसे ही बैंक में जमा करवाते हैं अवैध तरीके से। विदेशों में जमा काले धन वापस लाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में किए गए संकल्प पत्र पारित किए जिसमें दुनिया के 140 देशों ने हस्ताक्षर किए। जिस संकल्प पत्र में भारत 2005 से हस्ताक्षर कर शामिल हुआ।
विश्व में भारत के काले धन की वापसी
अनेक ऐसे अकाउंट और बड़े-बड़े लोगों ने अपने पास जमा काले धन ऐसे ही बैंक में जमा किए जाते हैं। ऐसे कहीं बड़े लोगों के नाम भी इस बात के साथ उछाले गए थे। भारत की एक उच्चतम न्यायालय द्वारा भी अनेक ऐसे व्यक्ति के नाम दिए गए थे जिनका इससे जुड़ाव पाया गया था।
एक अनुमान के अनुसार देश का लगभग 35 लाख करोड़ काला धन अनेक विदेशी बैंक में जमा किए गए हैं।
जेनेवा स्थित बैंक में तो एचएसबीसी बैंक के अकाउंट में तो 782 खातों में 3000 करोड़ से भी ज्यादा भारतीय रूपी होने की आशंका है। 2011 में यह राशि 14,000 करोड़ थी। जो वर्ष 2012 में कम होकर ₹9000 करोड़ हो गई थी।
नोटबंदी का असर
इस कदम की कई लोगों ने निंदा और आलोचना की थी। इस योजना के सकारात्मक प्रभावों पर एक नजर इस प्रकार है–
1.मोदी सरकार के इस कदम की वजह से भारी संख्या में काला धन नष्ट हो गया।
2.यह राजनीतिक दलों और मंत्रियों के लिए एक सदमें के रूप में उभरा जो चुनाव प्रचार अभियान और अन्य गतिविधियों के लिए काले धन का इस्तेमाल करते थे। इससे वोटों को प्राप्त करने के लिए इन दलों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बुरी प्रथाओं में बाधा उत्पन्न हुई।
3.अचल संपत्ति क्षेत्र में चल रहे काले धन की राशि में भारी गिरावट आई है।
4.आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले हवाला लेनदेन को रोक दिया गया।
5.इसके साथ ही माओवादियों और उनके आंदोलन नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं।
काले धन को रोकने के उपाय
वर्तमान परिस्थिति में अपने देश की मोदी सरकार द्वारा कार्य धन को रोकने के लिए अनेक कानून बनाए गए। जैसे कि विमुद्रीकरण, जीएसटी अनेक चीज वस्तुओं।
एक नियम बेनामी लेनदेन निषेध संशोधन के अनुसार यह नियम ऐसे तो 1988 में बन गया था लेकिन 1 नवंबर 2016 के तहत ए से ज्यादा प्रभावशाली बनाया गया। जिसमें बिना नाम वाले अकाउंट, प्रॉपर्टी को सरकार द्वारा जप्त करना और ऐसी संपत्ति जो दूसरों द्वारा किसी की संपत्ति छीनी गई हो उसकी चुकाए के लिए कार्य।
मोदी सरकार द्वारा 8 नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण कर काले धन पर प्रहार किया। जिसके अनुसार 1000 और 500 की पुरानी नोट बंद कर दी गई। इसके बाद भी 2016 में भी "आय घोषणा योजना" के अंतर्गत नागरिकों को उनकी अधोषित आय की घोषणा की गई।
जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)
1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू कर देश के प्रशासन में सुधार और आधार के विस्तार होने की संभावना थी। इसके ज्यादातर चोरी में भी जीएसटी के बाद कमी देखी गई।
लोकपाल का गठन
2019 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष ने भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए लोकपाल बिल का गठन किया। यह भ्रष्टाचार के खिलाफ के निकासी प्रक्रिया है।
स्वच्छ धन अभियान
31 दिसंबर 2016 में आयकर विभाग द्वारा बड़ी मात्रा में धन जमा करने पर ई-सत्यापन के लिए क्लीन मनी ऑपरेशन की शुरुआत की गई। सरकार द्वारा डेटा जमा कर कार्य किया ताकि ऐसे बड़े लोगों की पहचान की जा सके।
इसी तरह सरकार द्वारा काले धन की समस्या को गंभीरता से समझ उनके खिलाफ अनेक कदम उठाए और सफल भी रहे।
काला धन उत्पन्न होने के कारण
1. भारत में काले धन के सृजन का एक प्रमुख कारण प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष करों की दरों का ऊंचा होना बताया जाता है। करों की दरों के अधिक होने के कारण उत्पादकों, व्यापारियों एवं विशेषज्ञों की व्यवसायी मनोवृति में कमी होने लगती है और उनको कर चोरी की प्रेरणा मिलती है।
2. कर की ऊंची दरें लोगों को कर से बचने के लिए बाध्य करती हैं तथा कर चोरी की प्रक्रिया में एक बार संलग्न हो जाने पर कर की नीची दर होने के बाद भी लोग चाहते हुए भी उस दुष्चक्र से नहीं निकल पाते हैं।
3. कर की दर ऊंची होने के कारण वह अपने को ठगा सा महसूस करता है। करदाता को यह लगता है कि, कर प्रणाली उसके प्रतिकूल कार्य कर रही है तथा उसके श्रम एवं प्रयास का प्रतिफल उसके स्वयं की अपेक्षा सरकार को अधिक मिलता है।
4. करारोपण के नियमों का प्रभावी ना होना भी काले धन के सृजन का एक कारण है।
काले धन से उत्पन्न समस्याएं
काले धन के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याएं निम्नलिखित हैं–
1. काले धन के सृजन से सरकार को कर आय की हानि होती है।
2.समानांतर अर्थव्यवस्था अथवा काले धन की सक्रियता के कारण अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति की जानकारी नहीं हो पाती है।
3. काले धन के बढ़ने से अनुत्पादक प्रकृति के क्षेत्र में निवेश अधिक होने लगता है।
4.काला धन बढ़ने से देश से विदेशों की ओर अवैधानिक ढंग से घरेलू पूंजी का पलायन होने लगता है।
5. काले धन के श्रजन से समानता के नियम का भी उल्लंघन होता है। काला धन असमानता तथा धन केंद्रीकरण को बढ़ावा देता है।
6. काला धन पढ़ने से समाज में अपराध तथा हिंसा को बढ़ावा मिलता है।
भारत में काला धन नियंत्रित करने के लिए सुझाव
भारत में काले धन की समस्या के समाधान के लिए अग्रलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं–
1.प्रशासन को विशेष रूप से वित्तीय प्रशासन को पारदर्शी ईमानदार, जवाबदेह तथा प्रभावी बनाया जाए।
2. करों की दरों को तार्किक बनाया जाए तथा लोगों को कर देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
3. कर ढांचे की विसंगतियों के निवारण के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए तथा कर प्रशासन को अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए।
4. कर प्रणाली यथार्थवादी होनी चाहिए। लोगों को इसे बोझ के रूप में नहीं देखना चाहिए। उच्च कर की दर केवल लोगों को कर चोरी के तरीकों की ओर रुझान करने में मदद करेगी।
5. कर संग्रह की प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए। सरकार को इस कार्य के प्रति समर्पित और इमानदार अधिकारियों को देने के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए ताकि अधिक से अधिक अधिकारियों को इसे गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया जा सके।
6. सरकार को अपनी मूल्य नियंत्रण नीति पर काम करना चाहिए क्योंकि यह काले धन के जमा होने का कारण है।
7. सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं पर नियमित रूप से नजर रखी जानी चाहिए ताकि उनका खर्च कम हो सके।
8. निजी क्षेत्र के निवेश व्यय का भी प्रभावी ढंग से निरीक्षण किया जाना चाहिए।
9. सरकार को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो काले धन के विकास में कई तरह से योगदान करते हैं।
10. राजनेताओं, मशहूर हस्तियों, वरिष्ठ सिविल सेवकों और मीडिया लोगों को अपने करों का भुगतान करके समान्य जनता के लिए एक उदाहरण स्थापित करना चाहिए।
समानांतर अर्थव्यवस्था
यह वह अर्थव्यवस्था होती है जो काले धन पर आधारित होती है। इसके अंतर्गत संबंधित समस्त गतिविधियां वाणिज्य व कराधान नियमों के अनुसार नहीं होती, जिससे देश की अर्थव्यवस्था की सही तस्वीर प्रकट नहीं हो पाती है। फल स्वरुप देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
काले धन पर निबंध 10 लाइन
1.काले धन का राष्ट्र की प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव के अलावा और कुछ नहीं है।
2. इसे आमतौर पर नकदी के रूप में उत्पादित किया जाता है।
3. काले धन के मालिक को आयकर नहीं देना पड़ता है।
4. लोगों द्वारा काला धन उत्पन्न करने और उसके मालिक होने का प्राथमिक कारण भारी आयकरों के बोझ से बचना है।
5. धन का लेन-देन बिना रसीद या लेन-देन के आवश्यक अनुबंधों के काला धन जमा करता है।
6. काला धन बदले में अन्य सामाजिक मुद्दों को जन्म देता है।
7. देश में काले धन के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे बढ़ते हैं।
8. भारत जैसे विकासशील देश के लिए काला धन एक खतरनाक सामग्री है।
9. काला धन सामाजिक भेदभाव और धन के आधार पर भेदभाव लाता है।
10. अर्थव्यवस्था में काले धन की मात्रा को कम करने के लिए सरकार को प्रभावी नीतियां और कार्यक्रम विकसित करने चाहिए।
उपसंहार
भारत आध्यात्मिक देश है। पहले यहां भगवान के भय से जनता कानून का पालन करती थी और नैतिकता को गले लगाती थी। गलत काम का लेखा ऊपर देना होगा, की मानसिकता ने अपराध जगत से भारत वासियों को बचा रखा था। धन ने जब नैतिकता की आंखों को विमोहित किया तो आदमी के मन से ऊपर का भय निकल गया। संस्कृति पर भौतिक सभ्यता के आक्रमण ने सांस्कृतिक मूल्यों का अपहरण कर लिया। फलत: भारत जैसे अध्यात्मिक देश में ही काला धन फलने-फूलने लगा। ज्यों-ज्यों भगवान का भय कम होता जाएगा, त्यों-त्यों काला धन भारत में बलवत होगा।
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प्रश्न- काले धन का क्या अर्थ है?
उत्तर- भारत में, अवैध तरीकों से अर्जित किया गया धन काला धन कहलाता है। काला धन वह भी है जिस पर कर नहीं दिया गया हो। भारतीयों द्वारा विदेशी बैंकों में चोरी से जमा किया गया धन का निश्चित ज्ञान तो नहीं है किंतु श्री आर वैद्यनाथन ने अनुमान लगाया है कि इसकी मात्रा लगभग 7,280,000 करोड रुपये हैं।
प्रश्न- जीवन में धन का क्या महत्व है?
उत्तर- धन के अभाव में व्यक्ति मृत्यु निश्चित है और यदि जीवित भी रहता है तो उसे बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ता है। धन हमें सभी आवश्यक चीजों को खरीदने के योग्य बनाता है और पूरे जीवन भर हमारी मदद करता है। यदि हम जीवन में धन के महत्व को समझ जाएं तो हमें कभी भी धन को बिना किसी उद्देश्य के व्यय या दुरुपयोग नहीं करेंगे।
प्रश्न- काला धन सरल शब्दों में क्या है?
उत्तर- काले धन में अवैध गतिविधि के माध्यम से अर्जित सभी धन और अन्यथा कानूनी आय शामिल है जो कर उद्देश्यों के लिए दर्ज नहीं की गई है। काले धन की आए आमतौर पर भूमिगत आर्थिक गतिविधियों से नकद में प्राप्त होती है और इस तरह, कर नहीं लगाया जाता है।
प्रश्न- काले धन का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- सामाजिक असमानता लोगों के बीच हताशा को बढ़ा देती है जिससे डकैती, रिश्वतखोरी आदि अपराध जन्म लेते हैं। टैक्स चोरी का यह भी मतलब है कि देश की विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली राशि सरकार तक नहीं पहुंच पाई।
प्रश्न- धन का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर- सही उत्तर उपरोक्त सभी हैं। विनिमय का मध्यम: जब धन का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है, तो यह विनिमय के माध्यम का कार्य करता है।
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