लॉकडाउन : समस्याएं और समाधान || lock down samasya aur samadhan
लॉकडाउन : समस्याएं और समाधान || lock down samasya aur samadhan |
प्रस्तावना – लॉकडाउन यह मानव जाति के इतिहास में पहली बार है, जहां पूरे देश में धारा 144 के तहत सबको घर में रहने की सलाह दी गई है।
लॉकडाउन अर्थात् तालाबंदी। इसके तहत सभी को अपने अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है जिसका सरकार की तरफ से कडा़ई से पालन भी करवाया जा रहा है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि कोरोनावायरस नामक महामारी मानव जाति के इतिहास में पहली बार आई है।
अब पूरा देश इस वायरस से लड़ने के लिए अपने-अपने घरों में कैद हो गया है। इस महामारी के प्रकोप से लाखों लोग अपनी जान गवा चुके हैं और इससे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है सोशल डिस्टेंसिंग यानी कि सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक से दूसरे इंसान तक बहुत तेजी से फैलता है जिसके कारण भारत सरकार ने लॉकडाउन को ही इससे बचने के लिए आवश्यक कहा है।
यह इसलिए किया गया; क्योंकि एक ऐसे जानलेवा भारत ने हमला बोल दिया कि पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान चली गई है और अब भी संक्रमण का खतरा बढ़ रहा है। कोरोनावायरस से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है, सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में तेजी से फैलता है। भारत सरकार ने हिदायत दी है कि हम पर्सनल और प्रोफेशनल रिश्ते से हर संभव दूरी बनाए रखें, तभी हमें इस वायरस से मुक्ति मिल सकती है। भारत के सभी राज्यों में लोग घर पर रहकर सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं।
लॉकडाउन के लाभ – रोजमर्रा की जिंदगी में हम कार्यालय के कार्यों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें अपने परिवार के साथ वक्त बिताने का मौका नहीं मिलता। पहले 21 दिनों के lock-down में हमें वे बेहतरीन पल मिले जिसमें अपने प्रियजनों के साथ वक्त व्यतीत किया।
लॉकडाउन से पहले के समय की बात करें तो उस वक्त हम सभी अपने रोजमर्रा के कामों में इतना व्यस्त रहते थे कि अपनों के लिए, अपने परिवार के लिए व बच्चों के लिए कभी समय ही नहीं निकाल पाते थे और सभी की सिर्फ यही शिकायत रहती थी कि आज की दिनचर्या को देखते हुए समय किसके पास है? लेकिन लॉकडाउन से ये सारी शिकायतें खत्म हो गई हैं। इस दौरान अपने परिवार के साथ बिताने के लिए लोगों को बेहतरीन पल मिले हैं। कई प्यारी-प्यारी यादें इस दौरान लोग सहेज रहे हैं, अपने घर के बुजुर्गों के साथ समय बिता रहे हैं और रिश्तों में आई कड़वाहट को मिटा रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान बच्चों को अपने माता-पिता के साथ समय बिताने का मौका मिल रहा है, वहीं जो लोग खाना बनाने के शौकीन हैं, वो यूट्यूब के माध्यम से खाना बनाना भी सीख रहे हैं। पुराने सीरियलों का दौर वापस आ गया है जिसका मजा लोग अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर ले रहे हैं और अपनी पुरानी यादों को वापस से जी रहे हैं। बच्चों के साथ वीडियो गेम्स, कैरम जैसे ग्रह खेल का बड़ों ने आनंद लिया।
जहां कुछ लोगों ने यूट्यूब से वीडियो देखकर भोजन बनाना सीखा। कुछ लोगों ने घर पर परिवार संग अंताक्षरी खेला, कुछ ने मशहूर चलचित्र और वेब सीरीज देखा। कुछ लोगों को; जिन्हें अपने बच्चों के साथ वक्त बिताने का अवसर नहीं मिलता था, लॉकडाउन के कारण यह सुअवसर प्राप्त हुआ। बच्चों के साथ वीडियो गेम्स, कैरम कैसे खेलों का आनंद लिया। विद्यालय में छुट्टी होने के कारण घर बैठकर शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेस का सहारा लिया ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा में कोई रुकावट नहीं आए।
लोगों को लॉकडाउन के इन कुछ दिनों में अपने दिल में दबे शौक पूरा करने का मौका मिला। आम आदमी से लेकर बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज ने इसका फायदा उठाया। किसी ने कोई वाद्य यंत्र बजाना सीखा, किसी ने नृत्य सीखा और अभ्यास किया जो दैनिक जीवन में असंभव है।
लॉकडाउन रहने के कारण कोरोनावायरस के मरीजों में गिरावट आई और संक्रमण फैलने का खतरा कम हुआ। हमारे रोजमर्रा की जिंदगी की चीजों में कमी ना हो इसीलिए किराने के सामान, फल सब्जी और दवाइयां बाजार में उपलब्ध रहीं। लॉकडाउन से बड़े बड़े कारखानों और वाहनों का चलना निषेध हो गया, जिसके कारण प्रदूषण की कमी आई। कल-कारखानों का कचरा जो बाहर नदी आदि के जल में प्रवाहित कर दिया जाता था, उस पर रोक लग गई। अब वायु प्रदूषण में नियंत्रण आ चुका है, साथ ही जल और ध्वनि प्रदूषण में भी गिरावट आई है, जो प्रकृति के लिए लाभदायक है। परिंदे आकाश में स्वच्छंद रूप से सैर कर रहे हैं। वायु पहले के मुकाबले शुद्ध हो गई है। आकाश का रंग नीला है जिसके रंग को हम भूल गए थे। लॉकडाउन के कारण प्रदूषित वातावरण हर प्रकार से शुद्ध हो गया है।
लॉकडाउन से हानि – बड़े-बड़े कार्यालय, कल-कारखानों को बंद करने के कारण मजदूरों पर आफत आ गई है। जो मजदूर दैनिक मजदूरी पर जीवन-यापन करते थे, उनके घरों का चूल्हा तक जलना बंद हो गया। बस्ती में लोग भूखे सो रहे हैं। गरीब घरों पर लॉक डाउन का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। उनके पास घर लौटने तक के पैसे नहीं हैं। देश में ऐसी परिस्थिति के कारण को समझते हुए देश की सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से जरूरतमंद लोगों की सहायता करने का निर्णय लिया। बहुत सारे लोगों ने भी आगे आकर मदद करना आरंभ कर दिया। लगभग सभी देशों के कारोबार को भारी क्षति हुई है।
लॉक डाउन की वजह से मजदूरों को बहुत नुकसान हुआ है, जो रोजमर्रा के काम से अपने घर का पेट पालते थे। आज उनके लिए एक वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल हो गई है। कई मजदूर ऐसे हैं, जो भूखे पेट ही सो रहे हैं। अगर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ है तो वह है मजदूर, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं।
लॉक डाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है। कारखानों को बंद रखने के कारण भारी नुकसान वहन करना पड़ रहा है, वहीं व्यापार भी पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। लोगों की नौकरिया चली गई है, जिसकी वजह से बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। लॉक डाउन की वजह से देश आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है
दिन-रात सिर्फ कोरोना से संबंधित खबरें लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रही हैं, जो उन्हें नकारात्मक कर रही हैं। पूरे दिन घर पर रहने और शारीरिक व्यायाम ना होने से लोग खुद को स्वस्थ्य भी महसूस नहीं कर पा रहे हैं। बच्चे भी पूरे दिन घर पर रहकर चिड़चिड़ापन महसूस करने लगे हैं, क्योंकि वे बाहर खेलने हेतु अपने दोस्तों के साथ मिलने में असमर्थ है। कोरोनावायरस की खबरें लोगों को परेशान कर रही हैं जिससे कई लोग डिप्रेशन जैसी समस्या से भी जूझ रहे हैं।
बड़े-बड़े कारखाने को बंद करने के कारण से उनको भयानक हानि सहन करनी पड़ रही है। बाकी व्यवसायियों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन से भारत को अनुमानत: 100 अरब डॉलर तक घाटा होने की आशंका है। कोरोनावायरस से 14 अप्रैल तक देश में लॉकडाउन रखना चाहती थी किंतु अब 31 मई तक क्रमश: चार चरणों में लॉकडाउन की व्यवस्था की गई है।
भारत में लॉकडाउन के कारण घर में रहते हुए लोगों को मानसिक समस्या हो सकती है। इससे छोटे बच्चों को काफी समस्या हुई है। बे बाहर खेलने कूदने में असमर्थ हैं। कई लोग डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं। इन सबसे बचने के लिए एक उपाय यह है कि अपने आपको ज्यादा-से-ज्यादा कामकाजों में लगाए रखें, जिससे यह सब ख्याल हमारे मस्तिष्क में ना आए।
उपसंहार – भारत में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के प्रकोप को नियंत्रण करने के लिए 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की थी लेकिन संक्रमण को बढ़ते हुए देखकर चार चरणों में 31 मई तक बढ़ा दी है। इनके निर्देशों का पालन करना हमारा कर्तव्य है, ताकि शीघ्रातिशीघ्र इस जानलेवा महामारी से मुक्ति मिल सके। तभी हम और हमारी सरकार सामान्य जीवन व्यतीत कर पाएंगे। जिंदगी से बढ़कर कोई चीज नहीं होती, घर पर रहकर ही हम इस महामारी पर नियंत्रण कर सकते हैं।
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