शतरंज पर निबंध (Chess Essay in hindi)
हेलो दोस्तों स्वागत है आज की इस पोस्ट में आज आपको बताने वाले ऐसे खेल के बारे में जो हमारे पूर्वज राजा महाराजाओं के जमाने से खेला जा रहा है इस खेल में हार जीत के साथ-साथ बहुत ही रोमांचक खेल है जिसमें ज्ञान विवेक और बुद्धि की बहुत जरूरत होती है।
Khel ko dimag se khelna chahie Agar Koi Khel Aisa Ho Jo Keval Tej dimag Se Hi Jita jata hai na ki furti se to use Khel Ko Kya Naam Denge Ham to us Khel ko Shatranj yani chess khege.
हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में शतरंज पर निबंध शेयर कर रहे हैं यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।
भारत में इस सतरंज खेल का इतिहास आज का नहीं बल्कि यह खेल आज से पहले छठवीं शताब्दी में इस खेल को पारसियों द्वारा खेला जाता था। वर्तमान में इस खेल को शतरंज कहते हैं। इस खेल के बारे में महाभारत में भी बताया गया है। इस खेल को दो खिलाड़ी एक साथ खेल सकते हैं।
शतरंज पर निबंध (Chess Essay in hindi) |
शतरंज के बारे में कुछ सामान्य जानकारी
शतरंज को आज काफी पसंद किया जाता है इसका कारण है इस गेम की प्रकृति। इस खेल को खेलने के लिए दो खिलाड़ियों की आवश्यकता होती है जिसमें वे दो खिलाड़ी एक दूसरे के साथ खेलते हैं। इस खेल को ओलंपिक में काफी पसंद किया जाता है और खेला भी जाता है। इतना ही नहीं भारत में भी इस खेल को काफी पसंद किया जाता है।
शतरंज हमारे राष्ट्रीय खेलों में से एक है और यह एक बेहतर रोचक खेल है जिसे हर उम्र के लोग खेलते हैं। हालांकि इसे अभी ओलंपिक खेलों में नहीं जोड़ा गया है फिर भी इसे पूरे विश्व में पसंद किया जाता है।
ऐसे तो खेलों का मौत सबका अलग अलग होता है बहुत से खेल हैं जो हम खेल चुके हैं परंतु शतरंज एक ऐसा खेल है जिसे हर आयु और हर क्षेत्र के लोग बड़े रुचि के साथ खेलते आए हैं। शतरंज एक बेहतरीन खेल है और इसकी शुरुआत माना जाता है कि भारत में हुई थी।
परिचय- शतरंज भारत के प्राचीन खेलों में से एक है और इस खेल की उत्पत्ति भारत में हुई हुई जैसे पहले चतुरंग कहा जाता था इसकी उत्पत्ति से लेकर बहुत सी कहानियां प्रचलित हैं और कई भारतीय ग्रंथों में इसका उल्लेख आसानी से देखा जा सकता है ।
शतरंज की उत्पत्ति
पहले इस खेल को केवल राजा महाराजा खेला करते थे जो आगे चलकर सब खेलने लगे
कहा जाता है कि रावण ने सबसे पहले इस खेल को अपनी पत्नी मंदोदरी के मनोरंजन के लिए बनाया था।
आगे चलकर भारत में शतरंज की उत्पत्ति के सबूत राजा श्री चंद्रगुप्त के काल (280- 250 BC) में निकले थे यह भी माना जाता है कि पहले से जो पैसों का खेल था जिसे राजा उब चुके थे और वह अब कोई नया खेल खेलना चाहते थे जिसे बुद्धि के बल पर जीता जाए क्योंकि ताशों का खेल पूरी तरह किस्मत पर आधारित होता था शतरंज एक ऐसा खेल बना जिसमें भरपूर बुद्धि का प्रयोग किया जाता है।
छठवीं शताब्दी में भारत में पार्टियों के आने के बाद इस खेल को शतरंज कहा जाने लगा तो वही या अकेली रानियों के जरिए जब यूरोप पहुंचा तो इसे चैस नाम दिया है।
शतरंज के नियम
हर खेल को खेलने के लिए नियम व तरीके होते हैं जिसके आधार पर हम कोई भी खेल खेलते हैं। शतरंज एक चौकोर सख्त पर खेला जाता है जिस पर काले और सफेद रंग के 64 खाने हो बने होते हैं। इसे एक बार में 2 लोग खेल सकते हैं और इस खेल में डेढ़ सारे मोहरें होते हैं। जैसे कि हाथी, घोड़े, राजा, ऊंट आदि। इन सब की चालें भी पूर्व निर्धारित होती है जैसे कि –
राजा– जो कि इस खेल का बहुत ही अहम भाग होता है और यह किसी भी दिशा में केवल ए/क कदम चलता है।
रानी - रानी स्थान खाली होने पर या किसी भी दिशा में चल सकता है।
घोड़ा- घोड़ा किसी भी दिशा में 2 1/2 कदम चलता है।
सिपाही- या सदैव आगे की ओर चलता है कभी पीछे नहीं हटता। और सामान्य तो यह एक कदम सीधा चलता है परंतु उपस्थिति के अनुसार इसके चाल में परिवर्तन आ सकता है जैसे कि किसी को काटना हो तो तीरछे भी चल सकता है।
हाथी- यह हमेशा सीधा दिशा में चलता है।
ऊंट- यह हमेशा तिरछा जलता है और चाहे कोई भी दिशा हो
प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी बारी चलने का मौका बारी बारी से दिया जाता है।
इस खेल का मुख्य लक्ष्य सुरक्षा और मत देना होता है।
उपयोगिता- यहां ऐसा खेल है जिसमें भरपूर बुद्धि का उपयोग होता है और हम जितना ज्यादा अपने मस्तिष्क का उपयोग करेंगे उतना ही अधिक हमारे बच्चे का विकास होता है बच्चों को खेल जरूर खेलना चाहिए आजकल स्कूलों में शतरंज को स्पोर्ट्स के रूप में बड़े और जोरो से बढ़ावा दिया जा रहा है।
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