UP board class 11th Hindi half yearly paper solution 2022-23// यूपी बोर्ड कक्षा 11 सामान्य हिन्दी अर्ध्दवार्षिक पेपर
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Class 11 Hindi half yearly paper UP Board |
अर्द्धवार्षिक परीक्षा 2022-23
कक्षा – 11वी
विषय : सामान्य हिन्दी
निर्धारित समय: 3:15 घण्टे पूर्णांक : 100
सामान्य निर्देश :
1.प्रत्येक प्रश्नों के उत्तर खण्डों के क्रमानुसार ही करिए ।
2.कृपया जांच लें प्रश्न पत्र में प्रश्नों की कुल संख्या 14 तथा मुद्रित पृष्ठों की संख्या 07 है। कृपया प्रश्न का उत्तर लिखना शुरू करने से पहले प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखिए।
3.घण्टी का प्रथम संकेत प्रश्न पत्रों के वितरण एवं प्रश्न पत्र को पढ़ने के लिए है। 15 मिनट के पश्चात घण्टी के द्वितीय संकेत पर प्रश्न पत्र हल करना प्रारम्भ करिए।
(अतिलघु उत्तरीय)
प्र. 1 (क) भारतेन्दु युग के गद्यकार हैं
(अ) जयशंकर प्रसाद
(b) महादेवी वर्मा
(स) डॉ. राम कुमार वर्मा
(द) प्रताप नारायण मिश्र
उत्तर – (द) प्रताप नारायण मिश्र
(ख) हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता हैं।
(अ) जयशंकर प्रसाद
(ब) डॉ. राम कुमार वर्मा
(स) किशोरी लाल गोस्वामी
(द)राधा कृष्णदास
उत्तर – (ब) डॉ. राम कुमार वर्मा
(ग) 'कलम का सिपाही' रचना के लेखक हैं
(अ) राजेन्द्र यादव
(स) राय कृष्ण दास
(ब) वियोगी हरि
(द) अमृत राय
उत्तर – (द) अमृत राय
(घ) भारतेन्दु युग की समय सीमा मानी जाती है
(अ) सन् 1868ई. से 1900 ई. तक
(ब) सन् 1850 ई. से 1885 ई. तक
(स) सन् 1870 ई. से 1900 ई. तक
(द) सन् 1823ई. से 1850 ई. तक
उत्तर – (अ) सन् 1868ई. से 1900 ई. तक
(ड.)निम्नलिखित में से कौन सी पत्रिका द्विवेदी युग की नहीं है।
(अ) सुदर्शन
(ब) मर्यादा
(स) हिन्दी प्रदीप
(द) माधुरी
उत्तर – (ब) मर्यादा
प्र. 2 (क) आदिकाल का एक अन्य नाम है
(अ) स्वर्ण युग
(ब) सिद्ध सामन्त काल
(स) श्रृंगार काल
(द) भक्तिकाल
उत्तर – (ब) सिद्ध सामन्त काल
(ख) निम्नलिखित कवियों में बल्लभाचार्य के शिष्य थे ?
(अ) भूषण
(ब) भिखारी दास
(स) रघुराज सिंह
(द) कृष्ण दास
उत्तर – (द) कृष्ण दास
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(ग) रीतिकाल की रीतिसिद्ध काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि हैं
(अ) बिहारी
(ब) भिखारी दास
(स) भूषण
(द) धनानन्द
उत्तर – (अ) बिहारी
(घ) सूकरखेत नामक स्थान सम्बन्धित है
(अ) कबीर दास से
(ब) नन्ददास से
(स) तुलसीदास से
(द) सूरदास से
उत्तर – (स) तुलसीदास से
(ड)'शिवा बावनी के रचयिता हैं
(अ) तुलसीदास
(ब) भूषण
(स) जगन्नाथ दास रत्नाकर
(द) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर – (ब) भूषण
(लघुउत्तरीय प्रश्न)
प्र. 3 नीचे दिये गये गद्यावतरणों के आधार पर उनके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए
आचरण भी हिमालय की तरह एक ऊँचे कलश वाला मन्दिर है। यह वह आम का पेड नही जिसको मदारी एक क्षण में तुम्हारी आँखों में मिट्टी डालकर अपनी हथेली पर जमा दें। इसके बनने में अनन्त काल लगा है। पृथिवी बन गयी, सूर्य बन गया, तारागण आकाश में दौड़ने लगे परन्तु अभी तक आचरण के सुन्दर रूप के पूर्ण दर्शन नही हुए। कहीं-कहीं उसकी अत्यल्प छटा अवश्य दिखायी देती है।
(अ) उपर्युक्त गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
उत्तर – सन्दर्भ- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘गद्य गरिमा’ के ‘सरदार पूर्णसिंह द्वारा लिखित ‘आचरण की सभ्यता’ नामक निबंध से उद्धृत है
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – रेखांकित भाग में लेखक बताते हैं कि आचरण हिमालय पर्वत की चोटी की तरह ऊंचा होता है, अच्छा आचरण धारण करने में बहुत अत्यधिक समय लगता है। आप अपना आचरण एक दिन में नही बदल सकते हैं इसे बदलने में सालो का समय लगता है।
(स) श्रेष्ठ आचरण बनने में कितना समय लग सकता है ?
उत्तर – श्रेष्ठ आचरण बनने में अनंत काल का समय लगता है
(द) आचरण महिमामय और दिव्य कैसे होता है ?
(य) अत्यल्प छटा किसकी दिखायी देती है ?
उत्तर – आचरण की अल्प छटा दिखती है
अथवा
महामहिम भगवान मधु सूदन जिस समय कल्पांत में समस्त लोकों का प्रलय बात की बात में कर देते है, उस समय अपनी समधिक अनुरागवती (लक्ष्मी) को धारण करके उन्हें साथ लेकर क्षीर-सागर में अकेले ही आ विराजते हैं। दिन चढ़ आने पर महिमामय भगवान भास्कर भी उसी तरह एक क्षण में सारे तारा लोक का संहार करके, अपनी अतिशायिनी श्री (शोभा) के सहित, क्षीर सागर ही के समान, आकाश में देखिए, अब यह अकेले ही मौज कर रहे हैं।
(अ) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ब)रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) प्रलयकाल का सृष्टि के प्राणियों और प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
(द) मधुसूदन किसे कहा गया है ?
(य) लेखक के द्वारा सूर्य की तुलना किससे की गयी है ?
प्र.4 नीचे दिये गये पद्यांशों के आधार पर उनके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिये ।
कबीर हरि रस यौं पिया, बाकी रही न थाकि ।
पाका कलश कुम्हार का बहुरि न चढ़ई चाकि ।
(अ) उपर्युक्त पद्यांश के कवि व शीर्षक का नाम लिखिये ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) कवि के अनुसार मनुष्य जीवन मृत्यु के चक्र में क्यों फंसा रहता है ?
(द) कुम्हार के घड़े के सम्बन्ध में कबीर के क्या विचार हैं ?
(य) कबीर संसार में आवागमन के चक्र से किस प्रकार मुक्त हो गए हैं ?
अथवा
मेरो मन अनत कहा सुख पावें । जैसे उड़ि जहाज को पच्छी फिरि जहाज पर आवै । कमन-नैन को छाड़ि महातम और देव को ध्यावै । जिहि मधुकर अम्बुज रस चाख्यौ क्यों करील फल भावै। परम गंग को छाड़ि पियासो दुश्मति कूप खनावै । सूरदास प्रभु कामधेनु तनि छेरी कौन दुहावैं ।।
(अ) पद्यांश का सन्दर्भ लिखिए।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) कमल-नैन में प्रयुक्त अलंकार लिखिए।
(द) कवि किसकी महिमा का गान छोड़कर अन्य किसी की उपासना नहीं करना चाहता ?
(य) कामधेनु और छेरी का प्रयोग किसके सन्दर्भ में किया गया है ?
(दीर्घउत्तरीय प्रश्न)
प्रश्न 5.(क) निम्नलिखित लेखकों में से किसी एक लेखक का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए। (शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, सरदार पूर्ण सिंह, महावीर प्रसाद द्विवेदी
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन परिचय
हिंदी साहित्य गगन के इन्दु भारतेन्दु हरिश्चंद्र का जन्म सन 1850 ईस्वी में काशी के एक संभ्रात वैश्य परिवार में हुआ था. इनके पिता बाबू गोपालचंद्र गिरधरदास ब्रज भाषा में कविता करते थे. इन्होने पाँच वर्ष की अवस्था में ही एक दोहा रचकर अपने कवि पिता से सुकवि होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था. दुर्भाग्य से 5 वर्ष की अवस्था में माता और 10 वर्ष की अवस्था में इनके पिता का स्वर्गवास हो गया. इन्होने स्वाद्ध्याय से ही उर्दू , फ़ारसी , हिंदी , संस्कृत और बांग्ला भाषाओं का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था ।इन्होंने विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं का संपादन किया और हिंदी साहित्य की समृद्धि के लिए धन को पानी की तरह बहा दिया.
35 वर्ष की अल्पायु में ही सन 1885 ईस्वी में ये दिवंगत हो गए.
कृतियां ( रचनायें )
प्रेम माधुरी
सतसई श्रृंगार
विजय पताका
विजय वल्लरी
साहित्य में स्थान - हरिश्चंद्र ही एक मात्र ऐसे सर्वश्रेष्ठ कवि हैं जिन्होंने अन्य किसी भी भारतीय लेखक की अपेक्षा देशी बोली में रचित साहित्य को लोकप्रिय बनाने में सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया.
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक कवि का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिए (शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
(अ) कबीरदास
(ब) सूरदास
(स) तुलसीदास
उत्तर –
जीवन परिचय तुलसी दास:- लोकनायक गोस्वामी तुलसीदास भारत के ही नहीं, संपूर्ण मानवता तथा संसार के कवि हैं। उनके जन्म से संबंधित प्रमाणिक सामग्री अभी तक प्राप्त नहीं हो सकी है। इनका जन्म 1532 ई० स्वीकार किया गया है। तुलसीदास जी के जन्म और जन्म स्थान के संबंध को लेकर सभी विद्वानों में पर्याप्त मतभेद हैं। इनके जन्म के संबंध में एक दोहा प्रचलित है
''पंद्रह सौ चौवन बिसै, कालिंदी के तीर।
श्रावण शुक्ला सप्तमी, तुलसी धर्र्यो सरीर।।
तुलसीदास का जन्म बांदा जिले के 'राजापुर' गांव में माना जाता है। कुछ विद्वान इनका जन्म स्थान एटा जिले के सोरो नामक स्थान को मानते हैं। तुलसीदास जी सरयूपारीण ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे एवं माता का नाम हुलसी था। कहा जाता है कि अभुक्त मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण इनके माता-पिता ने इन्हें बाल्यकाल में ही त्याग दिया था। इनका बचपन अनेक कष्टों के बीच व्यतीत हुआ।
इनका पालन-पोषण प्रसिद्ध संत नरहरी दास ने किया और इन्हें ज्ञान एवं भक्ति की शिक्षा प्रदान की। इनका विवाह पंडित दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुआ था। इन्हें अपनी पत्नी से अत्यधिक प्रेम था और उनके सौंदर्य रूप के प्रति वे अत्यंत आसक्त थे। एक बार इनकी पत्नी बिना बताए मायके चली गई तब ये भी अर्ध रात्रि में आंधी तूफान का सामना करते हुए उनके पीछे-पीछे ससुराल जा पहुंचे। इस पर इनकी पत्नी ने उनकी भर्त्सना करते हुए कहा-
"लाज ना आई आपको दौरे आयेहु साथ"
पत्नी की इस फटकार ने तुलसीदास जी को सांसारिक मोह माया से विरक्त कर दिया और उनके हृदय में श्री राम के प्रति भक्ति भाव जागृत हो उठा। तुलसीदास जी ने अनेक तीर्थों का भ्रमण किया और ये राम के अनन्य भक्त बन गए। इनकी भक्ति दास्य-भाव की थी। 1574 ई० में इन्होंने अपने सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य 'रामचरितमानस' की रचना की तथा मानव जीवन के सभी उच्चादर्शों का समावेश करके इन्होंने राम को मर्यादा पुरुषोत्तम बना दिया। 1623 ई० में काशी में इनका निधन हो गया।
प्र. 6 प्रेमचन्द द्वारा लिखित कहानी 'बलिदान' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए । ( शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
उत्तर – गिरधारी के पिता हरखू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी ।। उनका शक्कर का कारोबार था ।। देश में विदेशी शक्कर आने से उनका व्यापार चौपट हो गया था और वह हरखचन्द्र से हरखू बन गया था ।। ग्रामीण क्षेत्रों में धनवान व्यक्ति को ही अधिक महत्त्व दिया जाता है ।। गिरधारी के पिता हरखू की पाँच बीघा जमीन कुएँ के पास खाद-पाँस से लदी हुई, व मेड़-बाँध से ठीक थी ।। उसमें तीन-तीन फसलें पैदा होती थीं ।। समय परिवर्तित होता है ।। हरखू ने जीवन में कभी भी दवाई नहीं खाई ।। जबकि हर वर्ष क्वार के महीने में उसे मलेरिया होता था लेकिन बिना दवाई खाए ही दस-पाँच दिनों में ठीक हो जाता था ।। इस बार वह ऐसा बीमार हुआ कि ठीक नहीं हो पाया ।। बीमारी की दशा में ही पाँच महीने कष्ट झेलने के बाद ठीक होली के दिन उसकी मृत्यु हो जाती है ।।
गिरधारी ने पिता का अन्त्येष्टि संस्कार खूब शान-शौकत से किया ।। कुछ समय बाद जमींदार ओंकारनाथ ने गिरधारी को बुलाकर कहा कि नजराना जमा करके जमीन अपने पास रखो, हम लगान नहीं बढ़ायेंगे ।। तुम्हारी इस जमीन को लेने के लिए इसी गाँव के कई लोग दो गुना नजराना व लगान देने के लिए भी तैयार हैं ।। नजराना सौ रुपये से कम न होगा ।। गिरधारी उदास व निराश होकर लौट गया ।। बहुत सोच-विचार करके भी वह नजराने के लिए सौ रुपये नहीं जुटा पाया और हताश व निराश होकर घर लौट आया ।। आठवें दिन उसे मालूम हुआ कि कालिकादीन ने सौ रुपये नजराना देकर दस रुपये बीघा लगान पर खेत ले लिए ।। ऐसा सुनकर उसका धैर्य टूट गया ।। वह बिलख-बिलखकर रोने लगा ।। उस दिन उसके घर में चूल्हा नहीं जला, ऐसा लगा जैसे उसका बाप हरखू आज ही मरा है ।।
अब तक समाज में उसका मान था, प्रतिष्ठा थी, परन्तु आज वह अन्दर ही अन्दर टूट गया था ।। रात को गिरधारी ने कुछ नहीं खाया ।। चारपाई पर पड़ा रहा ।। सुबह उसकी पत्नी ने उसे बहुत ढूँढ़ा लेकिन गिरधारी का कहीं पता नहीं लगा ।। शाम को उसकी पत्नी सुभागी ने देखा कि गिरधारी बैलों की नाँद के पास सिर झुकाए खड़ा है ।। जैसे ही सुभागी उसकी ओर बढ़ी तो वह पीछे की ओर हटता हुआ गायब हो गया ।। अगले दिन कालिकादीन हल व बैल लेकर सुबह अँधेरे-अँधेरे खेत पर पहुँचा ।। वह बैलों को हल में लगा रहा था ।। अचानक उसने देखा कि गिरधारी खेत की मेड़ पर खड़ा है ।। जैसे ही कालिकादीन उसकी ओर बढ़ा, गिरधारी पीछे हटते-हटते, पीछे वाले कुएं में कूद गया ।। कालिकादीन चीख-पुकार करता हुआ, हल व बैल वहीं छोड़कर गाँव की तरफ भागा ।। पूरे गाँव में शोर मच गया ।। इसके बाद कभी भी कालिकादीन ने गिरधारी के खेतों पर जाने की हिम्मत नहीं की ।। उसने उन खेतों से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि गिरधारी अपने खेतों के चारों ओर मँडराता रहता था ।। वह प्रतिदिन अँधेरा होते ही खेत की मेड़ पर आकर बैठ जाता था ।। कभी-कभी रात में उसके रोने की आवाज भी सुनाई देती थी ।। वह न तो किसी से बोलता था, न किसी को कुछ कहता था ।। लाला ओंकारनाथ ने बहुत चाहा कि कोई इन खेतों को ले ले, लेकिन लोग उन खेतों के नाम लेने से भी डरने लगे ।। वास्तव में गिरधारी ने खेतों के प्रति आत्म-बलिदान दे दिया था ।।
अथवा
प्रेमचन्द्र द्वारा लिखित 'बलिदान' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए । (शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
प्र.7 स्वपठित नाटक के प्रमुख पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए । ( शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
उत्तर-
श्री लक्ष्मीनारायण मिश्र कृत ‘गरुड़ध्वज’ नाटक की कथा ऐतिहासिक है। कथा में प्रथम शती ईसा पूर्व के भारतवर्ष की सांस्कृतिक, धार्मिक, राजनीतिक तथा सामाजिक झाँकी प्रस्तुत की गयी है। कहानी में शुंग वंश के अन्तिम सेनापति विक्रमादित्य, मालवा के जननायक ‘विषमशील’ के त्याग और शौर्य की गाथा वर्णित है। विषमशील ही ‘विक्रमादित्य’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।
प्रथम अंक-नाटक के प्रथम अंक में पहली घटना विदिशा में घटित होती है। विक्रममित्र स्वयं को सेनापति सम्बोधित कराते हैं, महाराज नहीं। विक्रममित्र के सफल शासन में प्रजा सुखी है। बौद्धों के पाखण्ड को समाप्त करके ब्राह्मण धर्म की स्थापना की गयी है। सेनापति विक्रममित्र ने वासन्ती नामक एक युवती का उद्धार किया है। उसके पिता वासन्ती को किसी यवन को सौंपना चाहते थे। वासन्ती, एकमोर नामक युवक से प्रेम करती है। इसी समय कवि और योद्धा कालिदास प्रवेश करते हैं। कालिदास; विक्रममित्र को आजन्म ब्रह्मचारी रहने के कारण भीष्म पितामह’ कहते हैं। विक्रममित्र इस समय सतासी वर्ष के हैं। इसी समय साकेत के एक यवन-श्रेष्ठी की कन्या कौमुदी का सेनापति देवभूति द्वारा अपहरण करने की सूचना विक्रममित्र को मिलती है। देवभूति कन्या का अपहरण कर उसे काशी ले जाते हैं। विक्रममित्र कालिदास को काशी पर आक्रमण करने की आज्ञा देते हैं।
द्वितीय अंक-नाटक के दूसरे अंक में दो घटनाएँ प्रस्तुत की गयी हैं। प्रथम में तक्षशिला के राजा अन्तिलिक का मन्त्री ‘हलोदर’ विक्रममित्र से अपने राज्य के दूत के रूप में मिलता है। हलोदर भारतीय संस्कृति में आस्था रखता है तथा सीमा विवाद को वार्ता के द्वारा सुलझाना चाहता है। वार्ता सफल रहती है। तथा हलोदर विक्रममित्र को अपने राजा की ओर से रत्नजड़ित स्वर्ण गरुड़ध्वज भेटस्वरूप देता है।
विक्रममित्र के आदेशानुसार कालिदास काशी पर आक्रमण करते हैं तथा अपने ज्ञान और विद्वत्ता से काशी के दरबार में बौद्ध आचार्यों को प्रभावित कर देते हैं। वे कौमुदी का अपहरण करने वाले देवभूति तथा काशी नरेश को बन्दी बनाकर विदिशा ले जाते हैं। नाटक के इसी भाग में वासन्ती काशी विजयी ‘कालिदास का स्वागत उनके गले में पुष्पमाला डालकर करती है।
अथवा
स्वपठित नाटक के द्वितीय अंक की कथावस्तु अपने शब्दों में लिखिए । ( शब्द सीमा अधिकतम 80 शब्द)
प्र.8 दिये गये संस्कृत गद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए ।
राष्ट्र भाषा - हिन्दी-प्रचारे संलग्नं हिन्दी साहित्य सम्मेलन अत्र स्थितम् । अत्रैव च अनेक सहस्र संख्यै: देश-विदेश विद्यार्थिभिः परिवृतः विविध विद्या पारंगतैः विद्वद
वरेण्यैः उपशोभितः च प्रयाग विश्वविद्यालयः भरद्वाजस्य प्राचीन गुरू कुलस्य नवीनं रूपभिव शोभते । स्वतन्त्रेऽस्मिन् भारते प्रत्येकं नागरिकाणां न्याय प्राप्तेरधिकार घोषणामिव कुर्वन् उच्चन्यायालयः अस्य नगरस्य प्रतिष्ठां वर्द्धयति ।
अथवा
ऋषेः भरद्वाजस्य आश्रमः अपि अत्रैव अस्ति, यत्र पुरा दश सहस्रमिताः विद्यार्थिनः अधीतिनः आसन । पितुः आज्ञां पालयन पुरुषोत्तम, श्रीरामः अयोध्यायाः वनं गच्छन् 'कुत्र मया वस्तव्यम्' इति पृष्टुम अत्रैव भरद्वाजस्य समीपम् आगतः । चित्रकूटमेव त्वनिवास योग्य उचित स्थानम् इति तेनादिष्टः रामः सीतया लक्ष्मणेन च सह चित्रकूट अगच्छत् ।
(ख) दिये गये संस्कृत पद्यांश का सन्दर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद कीजिए 2+5=7
यतोयतः समीहसे ततो नो अभयं कुरूं ।
शन्नः कुरु प्रजाभ्यो ऽभयं नः पशुभ्यः ।।
अथवा
ईशावास्य मिदं सर्व यत् किञ्च जगव्यां जगत् । तेन व्यक्तेन मुञ्जीथा भा गृधः कस्यस्विद धनम् ।।
प्र. 9 निम्नलिखित मुहावरों एवं लोकोंक्तियों में से किसी एक का अर्थ लिखकर अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए ।
क. फूले न समाना
ख. गड़े मुर्दे उखाड़ना
ग.आप भले तो सब भला
प्र.10 (क) निम्नलिखित शब्दों के सन्धि-विच्छेद के सही विकल्प का चयन कीजिए। 3
1.सूर्योदय -
(अ) सूर्यो + दयः
(ब) सूर + उदय:
(स) सूर्य + उदयः
(द) सूर्य + ओदयः
2.परमार्थ :
(अ) परम + अर्थ :
(ब)पर + अर्थ:
(स) पर+मार्थ :
(द) परमा + अर्थ:
3. स्वागत
(अ) स्व + आगत
(स) स्वा + आगत
(ब) सु + आगत
(द) स्वा + गत
(ख) निम्नलिखित शब्दों की विभक्ति और वचन के अनुसार सही विकल्प का चयन कीजिए । 2
1. आत्मने
(अ) चतुर्थी, बहुवचन
(ब) चतुर्थी, एकवचन
(स) षष्ठी द्विवचन
2.नामसु
(द) सप्तमी, बहुवचन
(अ) सप्तमी, बहुवचन
(ब) तृतीया, एकवचन
(स) पञ्चमी, बहुवचन
(द) षष्ठी, एकवचन
प्र.11 (क) शब्द युग्मों के सही अर्थ वाले विकल्पों का चयन कीजिए
(i)श्रान्त - श्रान्ति
(अ) थकान और खिन्नता
(ब) शान्ति और खिन्नता
(स) खिन्न और थकान
(द) शान्त और अशान्त
(ii)उपल-उत्पल
(अ) ओला और कमल
(ब) ऊपर और नीचे
(स) ओला और ऊपर
(द) उत्पन्न और ऊपर
(ख) निम्नलिखित में से किसी एक शब्द के दो अर्थ लिखिए।
श्रुति, पयोधर, नाग
(ग) निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यांशों के लिए एक शब्द लिखिए ।
1. जो मर्यादा का पालन करता है ।
2. जो जाना न जा सके।
3. रास्ता दिखाने वाला ।
(घ) निम्नलिखित में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए ।
1. प्रातः काल के समय भ्रमण उपयोगी रहता है।
2. चार कानपुर के व्यक्ति बोले । कानपुर के चार चाक्ति
3. उसने धीमी स्वर में कहा । धीमी स्वर मे उसने
4. सुरेन्द्र नित्य गीता को पढ़ता है।
सुरे गीता को नित्य पढता है
प्र.12 (क) श्रृंगार अथवा हास्य रस की परिभाषा सोदाहण लिखिए।
(ख) अनुप्रास अथवा उपमा अलंकार की उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए। 2
(ग) चौपाई अथवा सोरठा छंद का लक्षण उदाहरण सहित लिखिए ।
प्र13. किसी इण्टर कालेज में हिन्दी प्रवक्ता पद पर नियुक्ति हेतु कालेज के प्रबन्धक के नाम एक प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
उच्च शिक्षा अध्ययन हेतु किसी बैंक के शाखा प्रबन्धक को ऋण हेतु एक आवेदन पत्र लिखिए।
प्र.14 निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर अपनी भाषा शैली में एक निबन्ध लिखिए
2+7=9
(क) देश की प्रगति में विद्यार्थियों की भूमिका ।
(ख) आधुनिक जीवन में संचार माध्यमों की उपयोगिता
(ग) खेलों का जीवन में महत्व
(घ) बढ़ती जनसंख्या का हमारे समाज पर पड़ने वाला प्रभाव
(ङ) आतंकवाद समस्या और समाधान
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